कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भारत पर बेबुनियाद आरोप लगाकर घिर गए हैं। अब उनके स्वर बदलने लगे हैं। पहले उन्होंने कनाडा की संसद में कहा कि भारत के खिलाफ Credible Allegations है। वहीं अब वह कह रहे हैं कि भारत के खिलाफ Credible Reasons हैं। जस्टिन ट्रूडो के बयान के बाद भारत ने भी साफ कर दिया था कि उनके बयान motivated हैं। भारत ने साफ शब्दों में कहा था- कनाडा में हिंसा के किसी भी काम में भारत सरकार की भागीदारी के आरोप बेतुके और प्रेरित हैं। कनाडा के पास तो सबूत नहीं हैं लेकिन भारत ने पिछले वर्षों में खालिस्तानी आतंकवादी से जुड़े कई दस्तावेज कनाडा को सौंपे हैं जिस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। वहीं ट्रूडो के बयान का सच सामने आया है। दरअसल भारत विरोधी ताकतों ने भारत को अस्थिर करने और विकास की रफ्तार को रोकने के लिए यह चाल चली है और ट्रूडो को मोहरा बनाया है।
शह और मात के खेल में ट्रूडो शतरंज के प्यादे
शह और मात के इस खेल में ट्रूडो महज शतरंज के प्यादे हैं। ट्रूडो के भारत पर आरोप लगाने से कुछ दिन पहले पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ खालिस्तानी आतंकवादियों की कनाडा में मीटिंग हुई थी। वहीं चीन ने राजीव गांधी फाउंडेशन की तरह ही जस्टिन ट्रूडो के पिता के नाम पर बनाए गए पियरे ट्रूडो फाउंडेशन को भारी फंडिंग की है। जस्टिन ट्रूडो को चुनाव जिताने में भी चीन का हाथ रहा है। यानि ये सारा बखेड़ा 2024 चुनाव को लेकर हो रहा है। ये उन विदेशी ताकतों की चाल है तो भारत को आगे बढ़ता नहीं देखना चाहते और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता से बेदखल करने का सपना देख रहे हैं।
भारत के तेज विकास से विदेशी ताकतें चिंता में
भारत ने जिस तरह से बेहद सफल जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी की उससे विदेशी ताकतें अचंभित हैं और अपने लिए भारत को खतरा समझने लगी हैं। इसीलिए भारत की प्रतिष्ठा को झटका देने के लिए तरह-तरह के प्रपंच रचे जा रहे हैं। ऐसे समय में जब मैन्यूफैक्चरिंग हब बनने की ओर है और दुनियाभर की कंपनियां भारत में अपने आफिस खोल रही हैं, इससे विदेशी ताकतें विचलित हैं। भारत को बदनाम करने से सबसे ज्यादा फायदा उसके प्रतिद्वंद्वी चीन को है।
इस विवाद से चीन को सबसे ज्यादा फायदा
कनाडा के अखबार नेशनल पोस्ट ने दावा किया है कि दोनों देशों के तनाव के बीच चीन एक ऐसा देश है जिसे सबसे ज्यादा इसका फायदा मिल सकता है। अखबार के मुताबिक, बीते एक साल से अधिक समय से ट्रूडो कनाडाई चुनावों में चीन के सत्ताधारी दल चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) द्वारा विदेशी हस्तक्षेप को लेकर बचाव की मुद्रा में हैं। अब तक वह इस मामले में कोई ठोस जवाब नहीं दे सके हैं। ऐसे में यह विवाद उनकी चीन के साथ संदिग्ध साझेदारी को उजागर करता है।
ट्रूडो पर चीन से सांठगांठ के आरोप
खुफिया दस्तावेजों के जरिए कनाडाई अखबार ग्लोब एन्ड मेल ने दावा किया था कि चीनी राजनयिक 2021 में ट्रूडो की लिबरल पार्टी को दोबारा सत्ता में लाने के लिए काम कर रहे थे। इसके साथ ही चीन कंजर्वेटिव उम्मीदवारों को हराने के लिए काम कर रह था, जिन्हें वह अपने प्रति मित्रवत नहीं मानता था। कहा तो यहां तक जाता है कि चीन ने कनाडा में 2021 ही नहीं 2019 के चुनावों में भी जस्टिन ट्रूडो को जीतने में मदद की थी।
चीन से सांठगांठ पर ट्रूडो ने दिया गोलमोल जवाब
चीन के साथ इस तरह की सांठगांठ पर जस्टिन ट्रूडो अब तक कोई ठोस जवाब नहीं दे पाए हैं। उन्होंने दावा किया कि कनाडा की राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी से लीक हुए दस्तावेजों में कई अशुद्धियां हैं। यहां दिलचस्प तो यह था कि ट्रूडो ने यह नहीं बताया कि वास्तव में क्या गलत था। उस समय ट्रूडो ने बस इतना कहा कि यह मुद्दा उन्हें बहुत चिंतित करता है और एजेंसियां इससे निपटेंगी।
चीन ने दिया पियरे ट्रूडो फाउंडेशन को 2 लाख डॉलर दान
जस्टिन ट्रूडो के पिता के नाम पर बने पियरे इलियट ट्रूडो फाउंडेशन को 2016 में चीन से 200,000 डॉलर दान दिया गया था। मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि चीन के एक व्यवसायी झांग बिन ने 2016 में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के पिता के नाम पर बने फाउंडेशन को 200,000 डॉलर दान करने का वादा किया था। बाद में यह उजागर हुआ कि झांग बिन चीनी सरकार से जुड़ा व्यक्ति है। कनाडा में यह विवाद बढ़ने के बाद फाउंडेशन ने कहा था कि उसे 140,000 का दान मिला है जिसे वह वापस कर देगा। यह विवाद इतना बढ़ा कि फाउंडेशन के सभी बोर्ड आफ डायरेक्टर ने इस्तीफा दे दिया। क्या यही वजह है कि जस्टिन ट्रूडो ने चीन के कहने पर भारत को बदनाम की सुपारी ली है।
राजीव गांधी फाउंडेशन को भी मिला था चीन का चंदा
भारत में भी शिक्षा और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के सपने को पूरा करने के लिए 21 जून 1991 को सोनिया गांधी ने राजीव गांधी फाउंडेशन की शुरुआत की थी। 2005 से 2007 के बीच राजीव गांधी फाउंडेशन को चीन से 1 करोड़ 35 लाख रुपए चंदा में मिले थे। फांउडेशन की एनुअल रिपोर्ट के आधार पर यह दावा किया गया। 2005-06 की एनुअल रिपोर्ट में फाउंडेशन को डोनेशन देने वालों की लिस्ट में चीन का भी नाम है। क्या यही वजह है कि राहुल गांधी भी चीन का अहसान जताने के लिए चीन की प्रशंसा करते रहते हैं और भारत को नीचा दिखाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते।
पाकिस्तान आग में घी डाल रहा है
कनाडा में हो रहे भारत विरोधी प्रदर्शनों में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ होने की बात सामने आ रही है। आईएसआई कनाडा में होने वाले इस तरह के प्रदर्शनों के लिए बैनर-पोस्टर तैयार कर रही है। इस तरह के प्रदर्शनों के लिए बसों का भी इंतजाम आईएसआई की ओर से किया जा रहा है। यहां तक कि कनाडा में रह रहे पाकिस्तान मूल के लोगों को पहचान छुपाकर प्रदर्शनों में शामिल होने के लिए कहा जा रहा है। इसके साथ ही कई खालिस्तानी आंतकियों की आईएसआई द्वारा आर्थिक मदद की खबरें भी अक्सर आती रहती हैं।
आईएसआई ने 26 सितंबर 2008 को मुंबई (बॉम्बे) पर आतंकी हमला किया था
दो कनाडाई मारे गए – एलिजाबेथ रसेल और डॉ. माइकल मॉस और दो घायल – रूडर और हेलेन!
लेकिन
ट्रूडो ने कनाडा में आईएसआई को करीम बलूच को मारने और खालिस्तानी आतंकवादियों के साथ मिलकर काम करने की खुली छूट दी!
आतंकवादियों के… pic.twitter.com/YJmzxJBMkV— ProfKapilKumar,Determined Nationalist (@ProfKapilKumar) September 23, 2023
कनाडा में आईएसआई और खालिस्तानी आतंकवादी के बीच हुई बैठक
हालिया विवाद के बाद हिन्दुओं को कनाडा छोड़ने की धमकी देने वाले गुरपतवंत सिंह पन्नू और आईएसआई के बीच बैठक होने की भी खबरें हैं। जस्टिन ट्रूडो के भारत के खिलाफ बयान देने के कुछ दिन पहले ही ISI के एजेंट्स ने कनाडा में खालिस्तानी आतंकियों के साथ एक गुप्त बैठक की थी। यह बैठक कनाडा के वैंकूवर में हुई। बैठक में गुरपतवंत सिंह पन्नू के साथ दूसरे खालिस्तानी संगठनों के प्रमुख भी मौजूद थे।
Canada: Pakistan’s Consul General Janbaz Khan visited two pro-Khalistan Gurudwaras in Vancouver to hold secret meeting with Sikh radicals in Canada to fuel anti-India movement pic.twitter.com/tDGvDO6Y1x
— WLVN Analysis🔍 (@TheLegateIN) September 23, 2022
कनाडा में खालिस्तानी और पाक ISI का प्लान-K
जानकारी के मुताबिक इस वक्त कनाडा में 20 से ज्यादा खालिस्तानी और गैंगस्टर छुपे हुये हैं। जिसको लेकर NIA और देश की दूसरी एजेंसियों ने कई बार कनाडा को MLATs (MUTUAL LEGAL ASSISTANCE TREATIES) भेजा पर कनाडा की जांच एजेंसी ने कोई जवाब दिया और न ही कोई जांच में सहयोग किया।
Amid #India–#Canada row, secret meeting reveals Pakistan’s ISI’s support for #Khalistani groupshttps://t.co/zq3uJ4FDf6
— India Today NE (@IndiaTodayNE) September 21, 2023
ट्रूडो की चाल हुई नाकाम, फायदा की जगह हुआ नुकसान
भारत-कनाडा विवाद से प्रधानमंत्री ट्रूडो को भी तात्कालिक फायदा हुआ है। गर्मियों में सर्वे के बाद उनकी पार्टी कंजर्वेटिव पार्टी से पीछे थी। ट्रूडो ने संसद में बयान देकर एजेंडा बदल दिया और आम लोगों की जरूरत से जुड़े मुद्दों पर घिरी ट्रूडो सरकार ने सारी चर्चा दूसरी ओर मोड़ दी। जबकि विपक्ष मुद्रास्फीति और आवासन के मुद्दे पर विरोध की योजना बना रहा था। हालांकि यह विवाद जिस तरह से आगे बढ़ा उसकी कल्पना शायद ट्रूडो ने भी नहीं की होगी। और अब ट्रूडो की अपने ही देश में किरकिरी हो रही है।
कनाडा की इंडो-पैसिफिक रणनीति प्रभावित
यह संकट कनाडा की इंडो-पैसिफिक रणनीति को भी प्रभावित करता है, जिसकी शुरुआत नवंबर 2022 में हुई थी। इसमें चीनी नीतियों की आलोचना की गई थी और भारत के साथ मजबूत संबंध बनाने की मांग की गई थी। हालांकि, ताजा विवाद से कनाडा की यह नीति ठंडी पड़ गई।
ब्रिटिश कोलंबिया के प्रीमियर ने भी कहा- भारत की संलिप्तता के सबूत नहीं
खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर को 18 जून 2023 को कनाडा के प्रांत ब्रिटिश कोलंबिया के सरी स्थित गुरुनानक सिख गुरुद्वारा के पास दो अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मार दी। निज्जर खालिस्तान टाइगर फोर्स का प्रमुख था और भारत में एक घोषित आतंकवादी था। उसी ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत के प्रीमियर डेविड एबी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हरदीप निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता के संबंध में उन्हें जो जानकारी दी गई है, वह सभी ‘ओपन सोर्स जानकारी’ है, जो इंटरनेट पर उपलब्ध है। इससे साफ होता है कि कनाडा के पास कोई सबूत नहीं है और जस्टिन ट्रूडो ने भारत को बदनाम करने के लिए भारत पर आरोप लगा दिया।
कनाडा में ब्रिटिश कोलंबिया के प्रीमियर डेविड एबी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हरदीप निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता के संबंध में उन्हें जो जानकारी दी गई है, वह सभी ‘ओपन सोर्स जानकारी’ है, जो इंटरनेट पर उपलब्ध है।
The Premier of British Columbia in Canada David Eby… pic.twitter.com/B7LPmts2UF
— Nighat Abbass🇮🇳 (@abbas_nighat) September 23, 2023
पेंटागन के पूर्व अधिकारी ने कहा- अमेरिका दो दोस्तों में भारत को चुनेगा
कनाडा के आरोपों पर, पेंटागन के पूर्व अधिकारी और अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट के सीनियर फेलो माइकल रुबिन कहते हैं, “…मूर्ख मत बनाइए, हरदीप सिंह निज्जर केवल एक प्लंबर नहीं थे, जिस तरह ओसामा बिन लादेन को भी एक कंस्ट्रक्शन इंजीनियर कहा जा रहा था। कई हमलों में उसका हाथ खून से सना था। हम अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के बारे में बात कर रहे हैं और संयुक्त राज्य अमेरिका ने कासिम सुलेमानी के साथ क्या किया और संयुक्त राज्य अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन के साथ क्या किया। वास्तव में भारत पर जो आरोप लगाया गया है ये मामले उससे अलग नहीं हैं।” उन्होंने ये भी कहा कि अगर अमेरिका को दो दोस्तों में से किसी एक को चुनना हो तो वह भारत को चुनेगा।
“If US has to choose between two friends, it will choose India”: Former Pentagon official on India-Canada row
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— ANI Digital (@ani_digital) September 23, 2023
मोदी सरकार के कनाडा पर सख्त फैसले की 5 प्रमुख वजह
1. हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बेबुनियाद आरोप
कनाडाई पीएम ने सबसे बड़ी गलती तो ये कर दी कि उन्होंने बिना कोई सबूत पेश किए भारत पर हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बेबुनियाद आरोप गढ़ दिए। उनसे पूरी दुनिया ने बार-बार सबूतों की मांग की, लेकिन वो बात को टालते रहे। अंत में उन्होंने सबूत पेश करने से इनकार भी कर दिया। इससे ये तो साफ हो गया कि ट्रूडो अपनी बेबसी और राजनीतिक करियर की नाकामी का ठीकड़ा किसी और के सिर पर फोड़ना चाहते हैं, लेकिन वो भूल गए कि वो जिस भारत की ओर आंख उठाकर देख रहे हैं, वो आज ग्लोबल लीडरशिप की कमान संभालने की रेस में टॉप उम्मीदवारों में अपना नाम लिखवा चुका है।
2. बिना सोचे भारत के राजनयिक को निकाला
ट्रूडो ने दूसरी सबसे बड़ी गलती ये कर दी कि उसने बिना सोचे समझे भारत के राजनयिक को निष्कासित कर दिया। बिना सबूतों के आधार पर लिए गए इस फैसले का भारत ने भी करारा जवाब दिया और सीनियर कनाडाई राजदूत को निष्कासित करते हुए उन्हें 5 दिनों के अंदर देश छोड़ने का आदेश भी सुना दिया।
3. कनाडा खालिस्तानी आतंकियों का बना पनाहगाह
ट्रूडो ने अपने पिता पियरे ट्रूडो की तरह एक बार फिर दुनिया को दिखा दिया कि कनाडा आधिकारिक रूप से खालिस्तानी आतंकियों का पनाहगाह है। उनके पिता ने भी साल 1982 में खालिस्तानी आतंकी तलविंदर सिंह परमार को भारत को सौंपने से इनकार कर दिया था। परमार खालिस्तानी आतंकी संगठन बब्बर खालसा का मुखिया था। बाद में साल 1985 में संगठन ने आयरलैंड के तट पर कनिष्क नामक एयर इंडिया के विमान पर बीच आसमान में बमबारी की थी। इस हमले में कुल 329 लोग मारे गए, जिनमें से 268 कनाडाई नागरिक थे।
4. खालिस्तानी आतंकियों के प्रत्यर्पण की अपील पर सहयोग नहीं
जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर को सौंपने से इनकार कर दिया था। इसके बाद जब उसकी गैंगवॉर के कारण हत्या हुई तो ट्रूडो उसका भी आरोप भारत के सिर पर मढ़ने की कोशिश करने लगे। ऐसा ही उनके पिता ने भी परमार के मामले में किया था। बॉम्बिंग के बाद परमार को आरोपी तो बनाया गया, लेकिन सबूतों के अभाव में उसे रिहा भी कर दिया गया। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से जानकारी मिली थी कि जिस वक्त परमार जेल से छूटा था, उस वक्त जस्टिन ट्रूडो ने सत्ता संभाल ली थी। इससे ये साफ हो गया था कि ये भी खालिस्तानियों को बचाने के अपने पिता की विरासत को आगे ले जाना चाहते हैं।
5. खालिस्तानी आतंकियों के पीछे पाकिस्तान
पंजाब का 62 प्रतिशत हिस्सा पाकिस्तान में है, लेकिन ट्रूडो खालिस्तानी आतंकियों के लिए पाकिस्तान पर आरोप नहीं लगा रहे हैं। इसका मतलब उन्हें पहले से पता है कि पाकिस्तान भी उनकी तरह खालिस्तानी आतंकियों का पनाहगाह है। साल 1992 में जब परमार मारा गया था तो वो भी पाकिस्तान के रास्ते से ही पंजाब में दाखिल हुआ था।