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लालू परिवार को फंसाने वाले जेडीयू के ललन सिंह बन गए ‘पलटूराम’! महागठबंधन में शामिल होते ही सुर बदले, नीतीश ने साधी चुप्पी

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बिहार में आज महागठबंधन की सरकार है और आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी है। बेशक आज जेडीयू और आरजेडी एक साथ हैं लेकिन आरजेडी चीफ लालू यादव व उनके परिवार को एक जेडीयू नेता ने बर्बाद करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। चारा घोटाला से लेकर IRCTC स्कैम यानि लैंड फॉर जॉब मामले तक में अगर किसी ने लालू यादव और उनके परिवार को फंसाने में अहम भूमिका निभाई है तो वो हैं जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह। अब जब इन घोटालों में लालू यादव और उनके परिवार से पूछताछ की जा रही है तो वही ललन सिंह उनके बचाव में उतर आए हैं। आज वे सीबीआई के दुरुपयोग का शोर मचा रहे हैं। जेडीयू में पहले नीतीश कुमार को ही पलटूराम कहा जाता था लेकिन अब ललन सिंह भी पलटूराम बन गए हैं। इस तरह जेडीयू को अपना नाम बदलकर पलटू पार्टी रख लेना चाहिए।

सीबीआई को लालू के खिलाफ JDU ने उपलब्ध कराए थे दस्तावेज

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भ्रष्टचार से समझौता कर लालू परिवार को बचा रहे। हलांकि अभी वे मौन धारण किए हुए हैं लेकिन उनके करीबी ललन सिंह लालू परिवार के बचाव में मुखर हैं। जबकि 2008 में लालू प्रसाद के विरुद्ध जांच के लिए शरद यादव और ललन सिंह ने पहल की थी। JDU ने सारे दस्तावेज सीबीआई को उपलब्ध कराये थे। इस संबंध में ललन सिंह ने मनमोहन सिंह को ज्ञापन दिया था, लेकिन नीतीश कुमार की तरह वे भी पलटूराम बन गए और आज वह लालू परिवार के बचाव में उतर आए हैं। ललन सिंह की ये सफाई तब आयी है जब लालू यादव यादव समेत उनके परिवार के पांच सदस्य इस मामले में फंस चुके हैं। ललन सिंह ही चारा घोटाले के मामलों में सबसे सक्रिय किरदार थे, जिसके बाद पांच मामलों में लालू प्रसाद यादव को जेल की सजा हो चुकी है।

ललन सिंह ने कहा था- लालू गरीबों की आवाज नहीं, चारा खाने वाले हैं

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, पांच साल पहले ललन सिंह ने कहा था- कोर्ट के फैसले ने साबित कर दिया कि पूरा चारा घोटाला लालू प्रसाद के संरक्षण और उनके ही नियंत्रण में हुआ। लालू प्रसाद गरीबों की आवाज नहीं हैं, वे तो गरीबों का चारा खाने वाले हैं। उन्होंने गरीब आदिवासियों का ही चारा खा लिया। कोर्ट के फैसले ने प्रमाणित कर दिया कि वे गरीबों के कितने बड़े हितैषी हैं। लालू ने जो किया, उसका परिणाम तो उन्हें भुगतना ही होगा। जैसी करनी-वैसी भरनी। लालू प्रसाद को यह पता ही होगा कि जो पाप यहां होता है, उसका परिणाम यहीं भुगतना पड़ता है। स्वर्ग-नरक यहीं है। इसी जमीन पर करनी की सजा भोगनी पड़ती है।

चारा घोटाले की जांच के अहम किरदार थे ललन सिंह

वर्ष 1996 में लालू प्रसाद यादव पर जब चारा घोटाला का आरोप लगा था तो उनके खिलाफ सीबीआई जांच कराने वालों में सबसे अहम किरदार ललन सिंह ही थे। पटना हाईकोर्ट में सीबीआई जांच के लिए याचिका दायर करने वालों में ललन सिंह शामिल थे। बाद में जब कोर्ट के आदेश से सीबीआई जांच शुरू हुई थी तो ललन सिंह ने जांच एजेंसी को सबूत जुटाने में सबसे ज्यादा मदद की थी। चारा घोटाले के पांच मामलों में लालू प्रसाद यादव को सजा सुनायी जा चुकी है। लालू प्रसाद यादव को 5 मामलों में अब तक 1.65 करोड़ रुपए का जुर्माना हो चुका है और 32 साल से अधिक की सजा हो चुकी है। फिलहाल जमानत पर लालू प्रसाद यादव बाहर हैं।

ललन सिंह ने लैंड फॉर जॉब स्कैम में की थी सीबीआई जांच की मांग

बात सिर्फ चारा घोटाले की नहीं है। लैंड फॉर जॉब मामले में सीबीआई जांच की मांग करने वाले कोई और नहीं बल्कि ललन सिंह और शिवानंद तिवारी ही थे। 2008 में ललन सिंह ने ही तत्कालीन रेल मंत्री लालू यादव पर जमीन लेकर नौकरी देने का आरोप लगाया था। इतना ही नहीं ललन सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस कर जमीन से जुड़े कागजात जारी किए थे, जो लालू के परिजनों के नाम रजिस्ट्री कराए गए थे। ललन सिंह द्वारा कागजातों को सीबीआई को भी सौंपा था। जब मामले की जांच के दौरान सीबीआई द्वारा आरोपों को गलत बताया था तो ललन सिंह ने सीबीआई पर ‘मैनेज’ करने तक का आरोप लगा दिया था। इस मामले में लालू यादव के अलावा मीसा भारती, राबड़ी देवी समेत 15 से ज्यादा आरोपी हैं।

लालू का कहना कि फंसाया गया, कुकर्मों पर पर्दा डालने जैसाः ललन सिंह

लालू को सजा मिलने पर ललन सिंह ने कहा था- हैरत की बात तो यह है कि लालू प्रसाद अपने कुकर्मों को राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं। चारा घोटाले की जांच कोर्ट के अधीन हुई। जांच सीबीआई और मॉनिटरिंग पटना हाईकोर्ट ने की। चार्जशीट और साक्ष्य हाईकोर्ट के निरीक्षण में एकत्र हुए। साक्ष्यों के आधार पर ही अब न्यायालय ने उन्हें सजा सुनाई है। इसमें कोई राजनीतिक दल कहां से आ गया? अब यह कहना कि उन्हें फंसा दिया गया, अपने कुकर्मों पर पर्दा डालने जैसा है।

लालू परिवार को फंसा कर यू टर्न मारते ललन सिंह

करीब 15 साल पहले तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव पर रेलवे में नौकरी देने का आरोप लगाने वाले ललन सिंह ने अब यू टर्न मारा है। 2008 में ललन सिंह ने ही सारे सबूतों के साथ न सिर्फ प्रेस कांफ्रेंस कर लालू प्रसाद यादव पर जमीन लेकर नौकरी देने का आरोप लगाया था बल्कि सीबीआई को तमाम कागजात सौंप कर जांच करने की मांग की थी। लेकिन जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह ने अब खुद प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर कहा कि जमीन के बदले रेलवे में नौकरी के मामले में कोई दम नहीं है।

ललन सिंह ने कहा- बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी तब सीबीआई को मामले की याद आई

पटना में ललन सिंह ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सीबीआइ को इस मामले की याद तब आई, जब बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी। उन्होंने कहा-मैं समझता हूं कि इस मामले में लालू प्रसाद या उनके परिवार के किसी अन्य सदस्य के विरुद्ध कोई साक्ष्य नहीं है। ये मामला 2008 में सामने आया था। तब केंद्र में यूपीए की सरकार थी। पहली जांच में कुछ नहीं पाया गया। ममता बनर्जी रेल मंत्री बनीं तो उन्होंने भी मामले की दोबारा जांच का आदेश दिया लेकिन दूसरी बार भी कोई साक्ष्य नहीं पाया गया।

ललन सिंह ने 2008 में कहा – लालू मामले में सीबीआई को मैनेज किया गया

ललन सिंह के यू टर्न की कहानी दिलचस्प है. 2008 में ललन सिंह ने तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव पर जमीन लेकर नौकरी देने का आरोप लगाया था. उन्होंने बकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर जमीन के कागजात जारी किये थे जो लालू परिवार के सदस्यों के नाम रजिस्ट्री किये गये थे. ललन सिंह ने उन्हीं कागजातों को सीबीआई को भी सौंपा था. सीबीआई ने जब पहली जांच में आरोप को गलत बताया तो ललन सिंह ने कहा था कि केंद्र सरकार के एक ताकतवर मंत्री लालू प्रसाद यादव के खिलाफ केंद्र की ही एजेंसी सीबीआई कैसे सही जांच कर सकती है। उन्होंने सीबीआई पर मैनेज होने का आरोप लगाया था।

ललन सिंह अब सीबीआई के 2008 की जांच को सही करार दे रहे

अब मजेदार बात ये है कि ललन सिंह सीबीआई की उस समय की जांच को सही करार दे रहे हैं। ये तब हो रहा है जब जमीन के बदले नौकरी देने के मामले में न सिर्फ लालू प्रसाद यादव बल्कि राबड़ी देवी के साथ साथ उनकी दो बेटियां मीसा भारती और हेमा यादव इस मामले में अभियुक्त बनायी जा चुकी हैं। लालू यादव के रेल मंत्री रहते राबडी देवी, मीसा भारती और हेमा यादव के नाम पर ही जमीन की रजिस्ट्री हुई थी।

अब अपने ही लगाए आरोपों से पलट गए ललन सिंह

अब एक बार फिर से सीबीआई ने लैंड फॉर जॉब मामले की फाइल खोल दी है और राबड़ी देवी, लालू यादव और उनकी बेटी मीसा भारती से पूछताछ की। कभी सीबीआई जांच की डिमांड करने वाले व सीबीआई पर ही मैनेज होने का आरोप लगाने वाले ललन सिंह आज सीबीआई को ही गलत बता रहे हैं। अब उनके सुर बदल गए हैं औऱ लालू यादव व उनके परिवार के प्रति नरम हो गए हैं और इसका कारण बिहार में महागठबंधन की सरकार है। अब ललन सिंह का कहना है, ‘मैं समझता हूं कि इस मामले में लालू यादव और उनके परिवार के किसी सदस्य के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है।

बच्चों को ही भोगना पड़ता है बाप के किए कर्मों की सज़ा

लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने विक्टिम कार्ड खेलते हुए ट्वीट किया- ”आप देखें ये लोग कैसे 12 घंटे से तंग कर रहे हैं, इनकी दुश्मनी पापा भाई से है तो लड़े उनसे, लेकिन बहनों के 5 छोटे बच्चे हैं जो कि 4 – 8 साल के है बिना खाए पिये बंद हैं और भाभी भी प्रेग्नेंट है कुछ कॉम्प्लिकेसन के कारण दिल्ली में ही है देखे कैसे सुबह से ही सब को परेशान किए हुए है…।” रोहिणी को यह याद रखना चाहिए बाप के किए कर्मों की सज़ा बच्चों को ही भोगना पड़ता है। आज लालू यादव एवं उनके परिजनों के साथ जो कुछ भी हो रहा है, उसके ज़िम्मेवार लालू यादव ख़ुद है और जो कुछ बची खुची ज़िम्मेवारी है वो ललन सिंह की है। ललन सिंह ने ही इस केस में तत्कालीन कांग्रेस सरकार से करवाई हेतु पत्र लिखा था।

ललन सिंह ने कहा- गाय का सिंग भैंस में जोड़ा जा रहा

ललन सिंह ने कहा- ”खोदा पहाड़ निकली चुहिया। अगर सबूत नहीं मिलता है तो पालतू तोते साक्ष्य जुटाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। गाय का सिंग भैंस में और भैंस का सिंग गाय में जोड़ रहे हैं। इसी बिच एक अखबार का हवाला देते हुए ललन सिंह ने कहा कि, ”एके इंफोसिस्टम के कारण छापा डाला गया है, लेकिन उसका नौकरी से कोई लेना देना नहीं है पर पालतू तोते अपने मालिक का निर्देश पाकर कुछ भी कर सकते हैं।

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