यह कहानी 1965 की है। तब 21 साल की उम्र में गांधी परिवार के तत्कालीन ‘युवराज’ राजीव गांधी पढ़ाई के लिए उसी कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के ट्रिनिटी कॉलेज पहुंचे थे, जिसमें हाल ही में राहुल गांधी झूठ की कहानियां गढ़ कर आए हैं। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के लेनॉक्स कुक स्कूल में उसी साल अंग्रेजी भाषा सीखने इटली से एडविज एंटोनिया अलबिना माइनो भी आई थीं। माइनो के बिल्डर पिता ने उनको कैंब्रिज के सबसे बेहतरीन और महंगे लैंग्वेज स्कूल में एडमिशन दिलवाया था। यहीं पर अलबिना माइनो उर्फ सोनिया गांधी और राजीव गांधी की लव स्टोरी की पटकथा लिखी गई। ऊपर से देखने में इस कहानी को ‘पहली नजर के प्यार’ के रूप में प्रचारित किया गया, लेकिन इसकी पटकथा को पूरा करने में 1966 में प्रधानमंत्री बनी इंदिरा गांधी और महानायक अमिताभ बच्चन ने ही नहीं, बल्कि तत्कालीन सोवियत संघ की प्रमुख खुफिया एजेंसी केजीबी (कोमितेत गोसुदर्स्त्वेन्नोय बेज़ोप्स्नोस्ति) ने भी अहम भूमिका निभाई थी। इतना ही नहीं, बाद के सालों में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी सोनिया गांधी और केजीबी के कनेक्शन का आरोप लगाते हुए ब्लादिमिर पुतिन से इसके दस्तावेज भी मांगे थे। यह भी खुलासा हुआ कि वर्ष 1985 में केजीबी द्वारा 2 बिलियन यूएस डॉलर (94 करोड़ रुपये) राहुल गांधी के स्विस बैंक खाते में जमा किये थे, जो कि सोनिया गांधी द्वारा मैनेज किया जाता था।सोनिया के प्यार के चक्कर में राजीव गांधी सभी विषयों में हो गए थे फेल
सोनिया गांधी की जीवनी ‘द रेड साड़ी’ लिखने वाली जेवियर मोरो लिखती हैं कि सोनिया के प्यार में राजीव गांधी इतने मशगूल हो गए कि ट्रिनिटी कॉलेज की पढ़ाई का ध्यान ही नहीं रहा। तब वो सभी विषयों में फेल हो गए। राजीव गांधी को कैंब्रिज कॉलेज छोड़ना पड़ा और इंपीरियल कॉलेज में आ गए। यहां से वह इंजीनियरिंग और मैकेनिक्स की पढ़ाई करने लगे। सोनिया से बातचीत या प्यार यहां भी कम नहीं रहा। जुलाई 1966 में सोनिया गांधी कॉलेज पूरा करके वापस इटली लौट गई। सोनिया ने अपने पिता से राजीव गांधी के लिए बात की तो उन्होंने साफ कहा, “हम तुम्हें उस लड़के से शादी करने की अनुमति नहीं दे सकते।” राजीव को यह खबर पता चली तो उन्होंने सोनिया के घर ऑरबैस्सानो जाने का फैसला कर लिया। इधर लाल बहादुर शास्त्री की मौत के बाद इंदिरा गांधी पीएम बन चुकी थी।बेटे के प्यार से ज्यादा राजनीतिक नफा-नुकसान की फिक्र, अमिताभ के घर हुई शादी
सोनिया के पिता की शर्त के मुताबिक 1967 में सोनिया गांधी जब 21 साल की हो गई तो। अगले साल जनवरी में वह भारत आई। उनको रिसीव करने राजीव गांधी के साथ उनके बचपन के मित्र अमिताभ बच्चन भी थे। जहां से वो सीधे अमिताभ बच्चन के घर गईं थी। दरअसल, इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थीं, ऐसे में सोनिया गांधी को उनके लिए बहू बनाना कोई आसान नहीं था। बेटे के प्यार में भी राजनीतिक नफा-नुकसान देखने वाली इंदिरा गांधी ने तब सोनिया को सीधे घर लाने से मना कर दिया। जिसके बाद राजीव गांधी ने अमिताभ बच्चन के घर में सोनिया गांधी को जगह दी। यहीं जाकर इंदिरा गांधी ने उनसे मुलाकात की। ऐसे में सोनिया 45 दिनों तक अमिताभ बच्चन के घर पर रहीं। जहां राजीव गांधी बारात लेकर पहुंचे। अमिताभ के पिता हरिवंश राय बच्चन ने सोनिया गांधी का कन्यादान किया।
● #Thread | 𝗞𝗚𝗕 𝗖𝗼𝗻𝗻𝗲𝗰𝘁𝗶𝗼𝗻𝘀 𝗼𝗳 𝗥𝗮𝗷𝗶𝘃 𝗚𝗮𝗻𝗱𝗵𝗶 & 𝗦𝗼𝗻𝗶𝗮 𝗠𝗮𝗶𝗻𝗼 ~ 𝗞𝗚𝗕 𝗙𝘂𝗻𝗱𝘀 ~ 𝗦𝘄𝗶𝘀𝘀 𝗕𝗮𝗻𝗸𝘀 𝗔𝗰𝗰𝗼𝘂𝗻𝘁𝘀
Asper KGB Files Entire Gandhi & Maino Family Was in Payroll of KGB
👉 A marriage Based On KGB Interest
Continued [𝟭/𝗡] pic.twitter.com/d6YcY7NDcS
— 𝗔𝗵𝗮𝗺 𝗕𝗿𝗮𝗵𝗺𝗮𝘀𝗺𝗶 (@TheRudra1008) March 9, 2023
राजीव-माइनो की शादी से केजीबी की सीधी पहुंच पीएम के घर तक
अब आते हैं सोवियत संघ का तत्कालीन खुफिया एजेंसी केजीबी की भूमिका पर। कैंब्रिज में जब राजीव गांधी और अलबिना माइनो के बीच प्यार की पींगें बढ़ रही थीं। कमोमेश उसी समय 1965 में तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमयी मृत्यु रूस और केजीबी पर उंगली उठाती है। अहम ब्रह्मास्मी (@TheRudral1008) ट्वीटर थ्रेड पर इस बारे में विस्तार से बताया गया है। भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद शास्त्रीजी पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान से ताशकंद में मुलाकात की और ‘No-War समझौते’ पर हस्ताक्षर किए, जिसमें लिखा था कि अब कोई युद्ध नहीं होगा। लेकिन चौकाने वाली बात यह है कि उनकी अगले ही दिन रहस्यमयी मृत्यु हो गई और इससे जुड़े सारे सबूत मिटा दिए गए। बाद में केजीबी को पता चलता है कि भारत के पीएम का बेटा लंदन में एक लड़की को डेट करता है। केजीबी ने अपने स्तर पर जांच की तो पाया कि वह इटली के बिल्डर स्टेफानो की बेटी है। खुफिया एजेंसी को यह इसलिए दिलचस्प और अपने फायदे का सौदा लगा कि पुराने विश्वसनीय इतालवी संपर्क के माध्यम से केजीबी की गहरी पहुंच भारत के प्रधानमंत्री के घर तक सीधी हो जाएगी। सोवियत समर्थक टी.एन. कौल ने ने भी इंदिरा पर शादी के लिए डाला दबाव
यह भी एक वजह रही कि इंदिरा गांधी, जो शुरू में कई कारणों से राजीव और सोनिया की शादी के खिलाफ थीं, सोवियत समर्थक टी.एन. कौल ने “भारत-सोवियत संबंधों के व्यापक हित” में विवाह को स्वीकार करने के लिए उन पर दबाव डालने के बाद वे मान गईं। राजीव के साथ सोनिया की शादी के बाद, सोवियत संबंध को हर भारत-सोवियत व्यापार सौदे और रक्षा खरीद पर कमीशन और किक-बैक के माध्यम से उदार वित्तीय मदद से मजबूत और पोषित किया गया।
Schweizer Illustrierte published a story on 11/11/91 in which disclosed that 14 rulers or ex-rulers of the third world countries have a deposit equivalent to Rs 5 lakh 50 thousand crores in Swiss Banks.
In tThat 14 Rulers List Rajiv Gandhi’s Name was also Present. pic.twitter.com/uwLI86SRzj
— 𝗔𝗵𝗮𝗺 𝗕𝗿𝗮𝗵𝗺𝗮𝘀𝗺𝗶 (@TheRudra1008) March 9, 2023
स्विस बैंकों में संपत्ति जमा करने वाले 14 शासकों की सूची में था राजीव का नाम केजीबी फाइलों के अनुसार पूरा गांधी और माइनो परिवार केजीबी के पेरोल में था। राजीव गांधी और सोनिया माइनो के केजीबी कनेक्शन स्विस बैंकों के खातों में मिलने वाले केजीबी फंड से भी उजागर होते हैं। Schweizer Illustrierte ने 11/11/91 को एक स्टोरी प्रकाशित की थी, जिसमें खुलासा किया कि तीसरी दुनिया के देशों के 14 शासकों या पूर्व शासकों के पास स्विस बैंकों में 5 लाख 50 हजार करोड़ रुपये के बराबर जमा राशि है। उस 14 शासकों की सूची में राजीव गांधी का नाम भी मौजूद था।
When Clarification was Asked By Subramanian Swamy about “Rajiv Gandhi’s name” & amount mentioned in the magazine the Magazine re Confirm in Mail pic.twitter.com/GLyIGGVIH7
— 𝗔𝗵𝗮𝗺 𝗕𝗿𝗮𝗵𝗺𝗮𝘀𝗺𝗶 (@TheRudra1008) March 9, 2023
सुब्रमण्यम ने “राजीव के नाम” पर स्पष्टीकरण मांगा तो पत्रिका ने पुष्टि कीजब सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा “राजीव गांधी के नाम” और पत्रिका में उल्लिखित राशि के बारे में स्पष्टीकरण मांगा गया तो पत्रिका ने मेल में पुनः पुष्टि की। 27 जून, 1992 में रूसी समाचार दैनिक इज़्वेस्टिया सुश्री येवजेनिया अल्बेट्स ने सीपीएसयू की केंद्रीय समिति को तत्कालीन केजीबी प्रमुख, विक्टर चेब्रीकोव द्वारा लिखे गए एक लेख में एक पत्र का खुलासा किया। सेम डे टाइम्स या इंडिया एक लेख प्रकाशित करता है जिसमें कहा गया है कि राजीव गांधी को यूएसएसआर से धन प्राप्त हुआ था।
In 1976, Indira Gandhi, her two sons and their wives visited Moscow even as the nation is under Emergency. In this screen capture from a video, Brezhnev makes a special gesture at Rajiv Gandhi. pic.twitter.com/U1Pk67jWwD
— 𝗔𝗵𝗮𝗺 𝗕𝗿𝗮𝗵𝗺𝗮𝘀𝗺𝗶 (@TheRudra1008) March 9, 2023
आपातकाल में भी इंदिरा बेटों और बहुओं के साथ मॉस्को घूमने गईं
इंदिरा गांधी ने 1976 में, उनके दो बेटों और उनकी पत्नियों ने मॉस्को का दौरा किया था। भले ही देश आपातकाल के अधीन हो। एक वीडियो के इस स्क्रीन कैप्चर में, ब्रेझनेव राजीव गांधी पर एक विशेष इशारा करते हैं। सोनिया गांधी कई बार राजीव गांधी के साथ रूस गई हैं और आईएनसी और यूपीए अध्यक्ष के रूप में उनकी मृत्यु के बाद जहां वह विभिन्न राजनीतिक हस्तियों से मिलती थीं। 2005 में, सोनिया ने मॉस्को जाने के लिए एक प्राइवेट जेट लिया। बताया जाता है कि वह राष्ट्रपति पुतिन की निजी मेहमान थीं।
In June 27, 1992 in Russian News Daily Izvestia Ms.Yevgenia Albats revels a Letter in an Article written by the then KGB chief, Viktor Chebrikov to the Central Committee of the CPSU.
Same Day Times or India Publish an Article Stating that Rajiv Gandhi received funds from USSR pic.twitter.com/USQElpMZ1a
— 𝗔𝗵𝗮𝗺 𝗕𝗿𝗮𝗵𝗺𝗮𝘀𝗺𝗶 (@TheRudra1008) March 9, 2023
रूस का ये औचक दौरा गांधी परिवार के लिए कोई नया नहीं है। 1985 में, तत्कालीन सोवियत नेता मिखाइल गोर्बाचेव के साथ क्रेमलिन हथियार नियंत्रण प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए राजीव गांधी ने मास्को का औचक दौरा किया। लेखक मेल्विन गुडमैन ने अपनी पुस्तक ‘गोर्बाचेव्स रिट्रीट: द थर्ड वर्ल्ड’ में बताया है कि गोर्बाचेव के तहत भारत को सोवियत संघ से मिग-23 लड़ाकू और मिग-29 इंटरसेप्टर विमान प्राप्त हुआ था। मॉस्को के वारसा संधि के कुछ सहयोगियों से पहले इसे कुछ टी-72 टैंक भी मिले थे। राजीव गांधी के इतालवी ससुराल वालों का भारतीय सौदों पर रहा प्रभाव
1980 के दशक के दौरान, सोनिया गांधी की मां पाओला और बहन अनुष्का ने ओत्तावियो क्वात्रोची के साथ व्यापारिक संबंध विकसित किए थे। राजीव गांधी के इतालवी ससुराल वालों के प्रभाव ने क्वात्रोची को भारतीय सेना को बोफोर्स 155 मिमी बंदूक की बिक्री जैसे सरकारी अनुबंधों को हासिल करने में सक्षम बनाया। डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान रूस ने नई दिल्ली में अपने राजनयिक राजदूत को वापस बुला लिया और तुरंत उनके स्थान पर दूसरे इच्छित व्यक्ति को राजदूत तैनात किया गया।
These surprise visits to Russia are not new for the Gandhi family. Back in 1985, Rajiv Gandhi made a surprise visit to Moscow to discuss a Kremlin arms control proposal with then Soviet leader Mikhail Gorbachev. pic.twitter.com/WXXCq14fkQ
— 𝗔𝗵𝗮𝗺 𝗕𝗿𝗮𝗵𝗺𝗮𝘀𝗺𝗶 (@TheRudra1008) March 9, 2023
इतना ही नहीं, इससे पहले भी 13/12/85 को लिखे गए पत्र में राजीव गांधी और सोनिया गांधी की यात्रा के दौरान बैठकों को समेकित करने के लिए 320,000 रूबल के उपयोग का भी उल्लेख है। पत्र में आर गांधी के बेटे के साथ लगातार संपर्क का उल्लेख है (राहुल गांधी उस समय 15 वर्ष के थे) “स्टेट विदिन ए स्टेट” पुस्तक में सुश्री येवजेनिया अल्बाट्स ने उल्लेख किया है कि आर. गांधी सोवियत विदेश व्यापार संगठनों के सहयोग से नियंत्रित एक भारतीय फर्म के वाणिज्यिक सौदों से प्रधानमंत्री के परिवार को होने वाले लाभों के लिए गहरा आभार व्यक्त करते हैं।
एस.गुरुमूर्ति ने भी किया राजीव-सोनिया और केजीबी के कनेक्शनों का खुलासा
एस गुरूमूर्ति द्वारा 17 अप्रैल 2004 को न्यू इंडियन एक्सप्रेस में लिखे गए लेख का हिंदी अनुवाद indiaspeaksdaily.com ने प्रकाशित किया है। इस लेख में राजीव-सोनिया, सोवियत संघ और केजीबी के कनेक्शनों का खुलासा किया गया। हालांकि गुरूमूर्ति के उस लेख का वेब लिंक न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने हटा दिया है, जो अब ढूंढने पर भी उपलब्ध नहीं है। लेकिन कुछ अन्य वेब पोर्टल व ब्ला पर वह लेख आज भी उपलब्ध है। इंडिया स्पीक्स डेली उसी लेख का हिंदी अनुवाद एक फेसबुक लिंक से लेकर पेश कर रहा है। मूल सोर्स दिया गया है। इसके अलावा उसके नीचे एस.गुरुमूर्ति का वह अंग्रेजी लेख भी ज्यों का त्यों दिया जा रहा है। फेसबुक के उस लिंक में कुछ बातें ऐसी भी है, जो गुरूमूर्ति के मूल लेख में नहीं है। चूंकि मूल फेसबुक का लिंक दिया है, इसलिए उन कथनों को रहने दिया है। इंडिया स्पीक्स डेली और परफॉर्म इंडिया दोनों लेखों में से किसी के भी किसी भी तथ्यों की पुष्टि का दावा नहीं करता है। (All Photo credit : Bhaskar.com & Social Media)
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भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी RAW को कमज़ोर करने में गांधी परिवार की भूमिका
इतालवी फुटबॉलर के साथ रिलेशन में थीं सोनिया
हालांकि यह भी कहा जाता है कि सोनिया गांधी का पहला प्यार पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी नहीं थे? सोनिया जो उस समय एंटोनियो माइनो का नाम से जानी जातीं थीं, क्या कई सालों तक इटली के फुलबॉलर फ्रेंको लुइसन के साथ रिलेशनशिप में थीं? सालों पहले यह खबर सोशल मीडिया पर उस वक्त चर्चा का विषय बनी थी, जब वर्ष 2004 में इतालवी मैगजीन जेंटे ने दिवंगत फुटबॉलर का एक इंटरव्यू प्रकाशित किया था। लुइसन ने अपने इंटरव्यू में दावा किया था कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी के संपर्क में आने से पहले सोनिया (एंटोनियो माइनो) के साथ वह 4 सालों तक रिलेशनशिप में थे। फुटबॉलर ने अपने उन दिनों (जब वे सोनिया के साथ रिलेशन में थे) को याद करते हुए बताया था, “हम दोनों के परिवार वाले इस रिश्ते से बेहद खुश थे और उसके माता-पिता अक्सर मुझे ट्यूरिन के पास ओरबासानो में अपने घर पर बुलाया करते थे।” 1960 में फ्रेंको और एंटोनियो जेसोलो में समुद्र के किनारे पहली बार मिले थे। उस समय वह केवल 14 वर्ष की थी और फ्रेंको 26 वर्ष के थे। यानी दोनों की उम्र में 12 वर्ष का अंतर था। उन्होंने अपने इंटरव्यू में आगे बताया, “मैं उससे मिलने ओरबासानो जाया करता था। उसके परिवार वालों ने मुझे हमेशा सम्मान दिया।”