पूरा विश्व आज कोरोना महामारी के संकट से जूझ रहा है लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में भारत इस बीमारी को बहुत हद तक नियंत्रित करने में कामयाब रहा है। आज कोरोना संकट के इस दौर में दुनिया के कई देश विश्व स्वास्थ्य संगठन की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं, वहीं कोरोना वायरस के भयावह स्वरूप से बचते के लिए सम्पूर्ण विश्व को भारत एक आशा की किरण के रुप में दिखाई दे रहा है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्ष वर्धन 22 मई को विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यकारी बोर्ड अध्यक्ष का कार्यभार संभालेंगे। डॉ हर्ष वर्धन कोविड-19 के खिलाफ भारत की जंग में सबसे आगे खड़े लोगों में से हैं। डॉ हर्ष वर्धन जापान के डॉ. हिरोकी नकातानी की जगह लेंगे, जो WHO के 34 सदस्यों के बोर्ड के वर्तमान अध्यक्ष हैं।
डब्लूएचओ के अधिकारियों ने कहा कि डॉक्टर हर्ष वर्धन का चयन 22 मई को कार्यकारी बोर्ड की बैठक में किया जाएगा। क्षेत्रीय समूहों के बीच अध्यक्ष का पद एक वर्ष के लिए रोटेशन के आधार पर दिया जाता है। पिछले साल तय किया गया था कि शुक्रवार (22 मई) से शुरू होने वाले पहले वर्ष के लिए भारत का उम्मीदवार कार्यकारी बोर्ड का अध्यक्ष होगा।
उल्लेखनीय है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की बैठक में भारत की तरफ से नामित किए गए डॉ हर्ष वर्धन को नियुक्त करने का प्रस्ताव 19 मई को 194 देशों ने पारित किया। हालांकि डॉ हर्ष वर्धन का पद संभालना केवल औपचारिकता भर रह गया था, जब यह फैसला हुआ था कि वह WHO की दक्षिण-पूर्व एशिया ग्रुप के लिए भारत की तरफ से नामित होंगे। इसमें सर्वसम्मति से ये भी तय किया गया था कि भारत मई से शुरू होने जा रहे 3 साल के कार्यकाल के लिए कार्यकारी बोर्ड में रहेगा।