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पीएम मोदी के विजन से जीएसटी कलेक्शन ने बनाया कीर्तिमान, 2022-23 में रिकार्ड 18 लाख करोड़ रुपये का कलेक्शन!

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने मई 2014 में केंद्र में सत्ता संभालने के बाद कई बड़े सुधार किए हैं। इन सुधारों में नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली यानी माल एवं सेवा कर (Goods And Service Tax) को महत्वपूर्ण सुधारों में गिना जाता है। जीएसटी को 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया था। इसे कई अर्थशास्त्रियों ने स्वतंत्रता के पश्चात सबसे बड़ा आर्थिक सुधार बताया है। यह अलग बात है कि जब इसे लागू किया गया था तब कांग्रेस पार्टी ने इसका पुरजोर विरोध किया था। जीएसटी ने अप्रत्यक्ष कर की कई जटिलताओं को दूर किया और लोगों को 17 प्रकार के विभिन्न करों से राहत मिली जिससे कारोबार करना आसान हुआ है। यही वजह है कि जीएसटी तंत्र ने छह साल में कई नए मुकाम हासिल किए हैं। वित्त वर्ष 2022-23 में जीएसटी कलेक्शन रिकार्ड 18 लाख करोड़ रुपये रहा। यह आंकड़ा जीएसटी लागू होने के बाद से एक रिकॉर्ड है।

जीएसटी का अब तक का सबसे ज्यादा कलेक्शन, 18 लाख करोड़ रुपये

वित्त वर्ष 2022-23 में जीएसटी का अब तक का सबसे ज्यादा कलेक्शन हुआ है जो कि सरकार का खजाना भरने वाला साबित हुआ है। देश में जीएसटी कलेक्शन से सरकार की झोली भर गई है। मार्च 2023 में जीएसटी का संग्रह काफी अच्छा रहा है। मार्च 2023 में देश का जीएसटी संग्रह 1,60,122 करोड़ रुपये का रहा है। ये जीएसटी के इतिहास का अब तक का दूसरा सबसे बड़ा कलेक्शन है। गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स कलेक्शन के लिहाज से बीते वित्त वर्ष का आखिरी महीना काफा शानदार रहा है। वर्ष 2022-23 में जीएसटी संग्रह की कुल राशि 18.20 लाख करोड़ रुपये रही है जो औसतन 1.51 लाख करोड़ रुपये प्रति माह होती है।

मार्च 2023 में जीएसटी कलेक्शन 1.60 लाख करोड़ रुपये

मार्च 2023 में जीएसटी का संग्रह काफी अच्छा रहा है। मार्च 2023 में देश का जीएसटी संग्रह 1,60,122 करोड़ रुपये का रहा है। ये जीएसटी के इतिहास का अब तक का दूसरा सबसे बड़ा कलेक्शन है। गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स कलेक्शन के लिहाज से बीते वित्त वर्ष का आखिरी महीना काफा शानदार रहा है।

अब तक का दूसरा सबसे बड़ा जीएसटी कलेक्शन

देश में जीएसटी के इतिहास का अब तक का दूसरा सबसे बड़ा राजस्व संग्रह है और अप्रैल 2022 के बाद से दूसरे स्थान का सर्वाधिक बड़ा जीएसटी कलेक्शन साबित हुआ है। मार्च 2023 के जीएसटी कलेक्शन में ये खास बात है कि लगातार 14 महीनों से ये 1.4 लाख करोड़ रुपये के ऊपर बना हुआ है। वहीं जब से जीएसटी देश में लागू किया गया है तब से ये दूसरा ऐसा मौका है जब जीएसटी संग्रह 1.6 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का रहा हो। साल दर साल आधार पर जीएसटी रेवेन्यू में 13 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

11 महीनों में जीएसटी कलेक्शन 16.46 लाख करोड़ रुपये

पूरे भारत में 1 जुलाई 2017 को एक साथ GST अधिनियम (Act) लागू किया गया था। इन छह सालों में 18 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा सबसे ज्यादा है। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, फाइनेंशियल ईयर 2023 के पहले 11 महीनों में जीएसटी कलेक्शन पहले ही 16.46 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर चुका है, जो इसमें साल-दर-साल 22.7 फीसदी की मजबूत वृद्धि को दर्शाता है।

वर्ष 2022-23 में जीएसटी कलेक्शन में 22 फीसदी वृद्धि

जीएसटी संग्रह के संदर्भ में वर्ष 2022-23 का जैसा आगाज हुआ था वैसा ही अंत भी हुआ। वित्त वर्ष के अंतिम महीने में जीएसटी संग्रह में 13 फीसद (मार्च, 2022 के मुकाबले) की वृद्धि हुई है तो पूरे वित्त वर्ष के दौरान इसमें 22 फीसदी की बहुत ही अच्छी वृद्धि दर्ज की गई है।

जीएसटी कलेक्शन तय किए गए लक्ष्य के करीब पहुंची

जुलाई, 2017 में जीएसटी लागू होने के समय ही केंद्र सरकार ने हर माह 1.50 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कलेक्शन करने का लक्ष्य ले कर चल रही थी जो अब पूरी होती दिख रही है। अगर मार्च, 2023 की बात करें तो जीएसटी से सरकार को 1,60,122 करोड़ रुपये की कमाई हुई है जो इस साल की दूसरी सबसे बड़ी कमाई है। इससे ज्यादा वित्त वर्ष के पहले महीने अप्रैल, 2022 में 1,67,540 रुपये की कमाई हुई थी।

आयात से जीएसटी कलेक्शन 42,503 करोड़ रुपये

ग्रॉस जीएसटी रेवेन्यू मार्च में 1,60,122 करोड़ रुपये का रहा है और इसमें से CGST का योगदान 29,546 करोड़ रुपये का रहा है। एसजीएसटी का आंकड़ा 37,314 करोड़ रुपये का रहा और आईजीएसटी का योगदान 82,907 करोड़ रुपये का रहा जिसमें से (42,503 करोड़ रुपये का कलेक्शन वस्तुओं के आयात से आया) है। और इसमें सेस 10,355 करोड़ रुपये रहा है (इसमें 960 करोड़ रुपये वस्तुओं के आयात से) आया है।

दो महीने जीएसटी संग्रह की राशि 1.60 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा

जीएसटी लागू होने के बाद दो महीने कुल संग्रह की राशि 1.60 लाख करोड़ रुपये को पार कर पाई है। वित्त मंत्रालय की तरफ से दी गई सूचना के मुताबिक, मार्च महीन में केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) की राशि 29,546 करोड़ रुपये, राज्य जीएसटी (एसजीसीएटी) संग्रह की राशि 37,314 करोड़ रुपये, आइजीएसटी की राशि 82,907 करोड़ रुपये और अधिकार 10,355 करोड़ रुपये रही है।

चार महीने जीएसटी की राशि 1.50 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रही

वित्त वर्ष के दौरान किसी चार महीने में जीएसटी की राशि 1.50 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की रही है। यह भी बताया गया है कि सीजीएसटी में 33,408 करोड़ रुपये की राशि और आइजीएसटी में 28,187 करोड़ रुपये की राशि का आवंटन राज्यों को उनके बतौर हिस्से के तौर पर कर दिया भी दिया गया है। आयातित उत्पादों पर लगने वाले जीएसटी संग्रह में आठ फीसद की वृद्धि हुई है। यह भी बताया गया है कि पिछले लगातार तीन तिमाहियों से जीएसटी संग्रह में बढ़ोतरी देखी गई है।

जिन राज्यों में पर्यटकों की भीड़ बढ़ी, वहां जीएसटी संग्रह तेजी से बढ़ा

राज्य वार जीएसटी संग्रह की स्थिति पर नजर डालें तो ऐसा संकेत मिलता है कि जिन राज्यों में कोरोना के बाद पर्यटकों की भीड़ बढ़ी है उनके यहां जीएसटी संग्रह भी तेजी से बढ़ा है। जैसे गोवा में 33.33 फीसद, अंडमान व निकोबार में 38.88 फीसद, लक्षद्वीप में 30.14 फीसद, मिजोरोम में 91.16 फीसद, जम्मू व कश्मीर में 29.42 फीसद रही है। वैसे इन राज्यों में कुल संग्रहित राशि का आकार छोटा है।

वर्ष 2023-24 में जीएसटी संग्रह में 12 फीसदी इजाफा का लक्ष्य

बड़े राज्यों की बात करें तो महाराष्ट्र में 11.77 फीसदी, कर्नाटक में 18.40 फीसदी, तमिलनाडु में 15.24 फीसदी, तेलंगाना में 13.25 फीसदी, बिहार में 29.44 फीसदी, हरियाणा में 16.99 फीसदी, पश्चिम बंगाल में 13.88 फीसदी रही है। बहरहाल, जीएसटी संग्रह के इन आंकड़ों को देख कर लगता है कि नये वित्त वर्ष 2023-24 में जीएसटी संग्रह में 12 फीसदी का इजाफा जो लक्ष्य केंद्र ने रखा है उसे हासिल करने में परेशानी नहीं होगी।

राहुल गांधी ने जीएसटी को बताया था – गब्बर‍ सिंह टैक्स

जीएसटी को लेकर कांग्रेस का विरोध इस चरम तक पहुंच गया था कि उसने इसका मजाक उड़ाना शुरू कर दिया था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने GST पर चुटकी लेते हुए यहां तक कहा था कि GST मतलब ‘गब्बर सिंह टैक्स’। राहुल ने यहां तक कहा था कि नोटबंदी के टॉरपीडो के बाद जीएसटी दूसरा टॉरपीडो था, जिसने भारत की अर्थव्यवस्था को ध्वस्त कर दिया।

पीएम मोदी ने कहा- GST से टैक्स में कमी आई, देशवासियों पर घट गया बोझ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 मार्च 2023 को ‘फाइनेंशियल सेक्टर’ विषय पर पोस्ट बजट वेबीनार को संबोधित करते हुए कहा कि जीएसटी के चलते टैक्स प्रक्रिया में काफी सुधार हुआ है। एक समय तो हर तरफ यही बात छाई रहती थी कि भारत में टैक्स रेट कितना ज्यादा है। आज स्थिति बिल्कुल अलग है। GST की वजह से, इनकम टैक्स कम होने की वजह से, कॉर्पोरेट टैक्स कम होने की वजह से भारत में टैक्स बहुत कम हुआ है, वो बोझ नागरिकों पर बहुत कम होता जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 2013-14 के दौरान हमारा सकल कर राजस्व करीब 11 लाख करोड़ था, 2023-24 के अनुमानों के मुताबिक सकल कर राजस्व अब 33 लाख करोड़ से ज्यादा का हो सकता है। यानी भारत टैक्स रेट कम कर रहा है बावजूद इसके कलेक्शन बढ़ रहा है।

भारत में जीएसटी लागू होने से पहले अप्रत्यक्ष कर और जीएसटी लागू होने के बाद के स्वरूप पर एक नजर-

जीएसटी लागू होने से पहले अप्रत्यक्ष कर

सेवा कर- यह कुछ लेन-देन पर सरकार द्वारा लगाया जाने वाला एक अप्रत्यक्ष कर है, जो ग्राहकों द्वारा वहन किया जाता है। सेवा कर भारत सरकार द्वारा एकत्र और जमा किया जाता है।

सीमा शुल्क- यह भारत में आयातित उत्पादों पर कर है। भारत से बाहर निर्यात होने वाली वस्तुओं पर कभी-कभी सीमा शुल्क भी लिया जाता है।

उत्पाद शुल्क- भारत में फर्मों को किसी उत्पाद या वस्तु के निर्माण पर अप्रत्यक्ष कर का भुगतान करना पड़ता है। इस टैक्स को एक्साइज ड्यूटी के नाम से जाना जाता है। मैन्युफैक्चरिंग बिजनेस माल पर टैक्स का भुगतान करता है, जिसे वे फिर अपने ग्राहकों से चार्ज करते हैं।

मूल्य वर्धित कर- अप्रत्यक्ष कर का यह रूप, जिसे अक्सर वैट के रूप में जाना जाता है, किसी उपभोक्ता को सीधे बेचे जाने वाले किसी भी चल माल पर लगाया जाता है। VAT में दो भाग होते हैं: केंद्रीय बिक्री कर, जिसका भुगतान भारत सरकार को किया जाता है, और राज्य बिक्री कर, जिसका भुगतान राज्य सरकारों को किया जाता है।

मनोरंजन कर- राज्य सरकार मनोरंजन कर लगाती है, जो मनोरंजन उद्योग में सभी वस्तुओं और ट्रांस कार्यों पर लगाया जाता है। वीडियो गेम, मूवी शो, खेल गतिविधियों, आर्केड, मनोरंजन पार्क आदि की खरीद पर मनोरंजन कर लगाया जाता है।

स्टाम्प ड्यूटी- यह भारत के अनुसूचित जनजाति में किसी भी अचल संपत्ति के हस्तांतरण पर लगाया गया एक अप्रत्यक्ष कर है। जिस राज्य में संपत्ति स्थित है, वहां स्टांप ड्यूटी टैक्स लिया जाता है। सभी कानूनी दस्तावेजों पर भी स्टांप टैक्स लागू है।

प्रतिभूति लेन-देन कर- यह अप्रत्यक्ष कर तब लगाया जाता है, जब प्रतिभूतियों का भारतीय स्टॉक एक्सचेंज पर कारोबार किया जाता है।

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के कुछ प्रमुख बिंदूः 

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) वस्तुओं और सेवाओं पर कर है। यह एक अप्रत्यक्ष कर है, जिसने ज्यादातर भारत में कई अन्य अप्रत्यक्ष करों, जैसे उत्पाद शुल्क, वैट और सेवा कर का स्थान लिया है।

वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम संसद द्वारा 29 मार्च, 2017 को लागू किया गया था, और 1 जुलाई, 2017 को लागू हुआ था।

नई कर व्यवस्था के लागू होने के कारण, पूर्व में अनिवार्य वसूली को समाप्त कर दिया गया है। जीएसटी के सबसे महत्वपूर्ण फायदों में से एक यह है कि यह कर के व्यापक प्रभाव को समाप्त करता है, यह गारंटी देता है कि अंतिम उपभोक्ताओं को हर मूल्य वर्धन के लिए भुगतान नहीं करना पड़ता है।

सर्विस टैक्स, स्टेट एक्साइज ड्यूटी, काउंटरवेलिंग ड्यूटी, एक्साइज ड्यूटी और स्पेशल एडिशनल कस्टम चार्जेज सभी राज्य स्तर पर जीएसटी में शामिल हैं।

सेल्स टैक्स, सेंट्रल सेल्स टैक्स, खरीद कर, मनोरंजन कर, लग्जरी टैक्स, चुंगी और प्रवेश कर और सट्टेबाजी और लॉटरी गेमिंग पर लगने वाले टैक्स सभी केंद्रीय स्तर पर जीएसटी में शामिल हैं।

जीएसटी के चार प्रकार हैं:

सेंट्रल गुड्स एंड सर्विस टैक्स (सीजीएसटी)

राज्य वस्तु एवं सेवा कर

डी गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (आईजीएसटी) को एकीकृत करें

केंद्र शासित प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर (यूटीजीएसटी)

जीएसटी काउंसिल ने विभिन्न उत्पादों और सेवाओं के लिए 0 प्रतिशत से लेकर 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत तक कई दरें तय की हैं। जीएसटी व्यवस्था के तहत कुछ वस्तुओं पर टैक्स लगाने की छूट दी गई है।

भारत में, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) एक बहु-चरण, गंतव्य आधारित कर है, जो हर मूल्य वर्धन पर चार्ज किया जाता है। जीएसटी एक घरेलू अप्रत्यक्ष कर कानून है जो पूरे देश पर लागू होता है।

अप्रत्यक्ष कर की विशेषताएं

अप्रत्यक्ष कर में विभिन्न विशेषताएं हैं, जैसे:

प्रकृति: अप्रत्यक्ष कर शुरू में प्रतिगामी थे, लेकिन वे अब वस्तु एवं सेवा कर को अपनाने के कारण अपेक्षाकृत प्रगतिशील हैं।
कर की देयता: विक्रेता सरकार को अप्रत्यक्ष कर का भुगतान करता है और इस प्रकार, देयता उपभोक्ता को स्थानांतरित कर दिया जाता है।
कर की चोरी: कर सीधे उत्पादों और सेवाओं के माध्यम से लिया जाता है; इसलिए, किसी के लिए भी कर से बचना मुश्किल है।
कर भुगतान: कर सरकार को दिया जाता है।
बचत और निवेश: अप्रत्यक्ष कर विकास उन्मुख होते हैं, क्योंकि वे उपभोक्ताओं को बचत और निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

अप्रत्यक्ष कर के फायदे

संग्रह आसानी: अप्रत्यक्ष कर को प्रत्यक्ष करों की तुलना में एकत्र करना कम मुश्किल है, क्योंकि जब भी लोग खरीददारी करते हैं तो अप्रत्यक्ष कर ले लिया जाता है, इसलिए सरकार को उनके बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है।

सुविधा: अप्रत्यक्ष कर करदाता पर बोझ नहीं डालते हैं और भुगतान करने के लिए सरल होते हैं क्योंकि वे केवल तब एकत्र होते हैं जब खरीदारी की जाती है। इसके अलावा, राज्य सरकारों को अप्रत्यक्ष करों को लागू करना आसान लगता है क्योंकि वे दुकानों/कारखानों में तुरंत एकत्र किए जाते हैं, समय और प्रयास की बचत करते हैं।

उचित योगदान: अप्रत्यक्ष कर वस्तुओं और सेवाओं की कीमत के आनुपातिक हैं । इसका प्रभावी तात्पर्य यह है कि मौलिक आवश्यकता वाले तत्व पर कम दरों पर कर लगाया जाता है, जबकि लक्जरी उत्पादों पर उच्च दरों पर कर लगाया जाता है, उचित योगदान सुनिश्चित करता है।

हर किसी से संग्रह: प्रति वर्ष 2.5 लाख रुपये से कम कमाई करने वाले लोग आयकर का भुगतान करने से मुक्त हैं, जिसका अर्थ है कि वे सरकार में योगदान नहीं करते हैं, क्योंकि अप्रत्यक्ष करों बिक्री के बिंदु पर एकत्र कर रहे हैं, सभी व्यक्तियों को अर्थव्यवस्था के विकास में योगदान उनके में इनकम कर ब्रैकेट की परवाह किए बिना।

 

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