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देश बदल रहा है! दुनिया का सबसे लंबा प्लेटफार्म, सबसे ऊंची प्रतिमा, सबसे लंबी टनल, सबसे ऊंचा ब्रिज बना कर भारत रच रहा कीर्तिमान

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारतीय अर्थव्यवस्था नित नए प्रतिमान गढ़ रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था ब्रिटेन को पछाड़कर दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी इकोनॉमी बनी। भारत दुनिया का सबसे आकर्षक मैन्यूफैक्चरिंग हब बना। इसी तरह आज भारत इंफ्रास्ट्रक्चर में नए कीर्तिमान बना रहा है। अब दुनिया का सबसे लंबा रेलवे प्लेटफार्म, सबसे ऊंची प्रतिमा, सबसे लंबी हाईवे टनल, सबसे ऊंचा रेल ब्रिज, सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम, सबसे बड़ा सोलर पावर प्लांट भारत के नाम दर्ज हो चुका है। इससे रिकार्ड बुक में तो भारत का नाम शामिल हो ही रहा है, इसके साथ ही भारत का नाम दुनिया में रोशन हो रहा है।

हुबली स्टेशन पर दुनिया का सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म

दुनिया का सबसे बड़ा रेलवे प्लेटफार्म भारत (world longest railway platform in india) के कर्नाटक राज्य के हुबली में है, जिसकी कुल लम्बाई 1,505 मीटर है। इससे पहले उत्तरप्रदेश के गोरखपुर रेलवे स्टेशन का प्लेटफॉर्म दुनिया का सबसे लंबा प्लेटफॉर्म था जिसकी लंबाई 1366.33 मीटर है लेकिन अब यह प्लेटफार्म दूसरे नंबर पर आ गया है। पहले उत्तर प्रदेश का गोरखपुर रेलवे स्टेशन दुनिया का सबसे लंबा रेलवे प्लेटफॉर्म था। अब भारत में इससे भी लंबा रेलवे प्लेटफॉर्म बन गया है। यह है कर्नाटक का हुबली जंक्शन। हुबली रेलवे स्टेशन का प्लेटफॉर्म नंबर 8 दुनिया का सबसे लंबा रेलवे प्लेटफॉर्म है। इसकी लंबाई 1507 मीटर है। यानी यह डेढ़ किलोमीटर से भी ज्यादा लंबा है। पीएम मोदी ने 12 मार्च 2023 को इस प्लेटफॉर्म को देश को समर्पित किया है। इस रेलवे स्टेशन का पूरा नाम सिद्धारूढ़ स्वामीजी हुबली स्टेशन है।

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड में दर्ज हुआ नाम

कर्नाटक के हुबली रेलवे स्टेशन का नाम दुनिया के सबसे लंबे रेलवे प्लेटफॉर्म के रूप में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड में दर्ज हो गया है। यह भारतीय रेलवे में दक्षिण-पश्चिम रेलवे जोन का जंक्शन है। पीएम मोदी ने इस पुनर्निर्मित रेलवे स्टेशन को देश को समर्पित किया है।

1507 मीटर है प्लेटफॉर्म की लंबाई

हुबली रेलवे स्टेशन में पुराने 5 प्लेटफॉर्म के अलावा तीन नए प्लेटफॉर्म जोड़े गए हैं। इनमें से एक प्लेटफॉर्म नंबर-8 की लंबाई 1507 मीटर है। इस तरह यह दुनिया का सबसे लंबा रेलवे प्लेटफॉर्म बन गया है। हुबली रेलवे स्टेशन के नए प्लेटफॉर्म्स का निर्माण 20.1 करोड़ रुपये की लागत से हुआ है। हुबली यार्ड के पुनर्निर्माण के हिस्से के रूप में यह निर्माण किया गया है।

हर साल होगी 250 करोड़ की बचत

रेलवे ने 519 करोड़ रुपये से होसपेटे-हुबली-तीनाईघाट रेलवे लाइन (245 आरकेएम) का विद्युतीकरण भी किया है। यह रूट विजयनगर, कोप्पल, गदग, धारवाड़, उत्तर कन्नड़ और बेलगावी जिलों से गुजरता है। यह कर्नाटक का एक प्रमुख कोल रूट है। यह रूट स्टील प्लांट और थर्मल पावर प्लांट को मोरमुगाओ पोर्ट से जोड़ता है। डबल-लाइन ट्रैक का विद्युतीकरण होने से जीरो प्रदूषण होगा। इससे डीजल पर निर्भरता घटेगी। इस तरह हर साल करीब 250 करोड़ रुपये की बचत होगी।

देश के पांच बड़े रेलवे प्लेटफार्म पर एक नजर-

हुबली जंक्शन रेलवे स्टेशन, कर्नाटक

कर्नाटक का हुबली जंक्शन रेलवे स्टेशन देश का सबसे बड़ा रेलवे कहा जाता है। यह देश ही नहीं बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन है। जिसकी लंबाई 1505 मीटर है।

गोरखपुर रेलवे स्टेशन, उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश का गोरखपुर रेलवे स्टेशन देश का दूसरा सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन है। यह रेलवे स्टेशन गोरखपुर शहर के केंद्र में स्थित हैं। बात अगर इस रेलवे स्टेशन की लंबाई की करें तो यह 1366.4 मीटर यानी 4,483 फीट लंबा है। इस स्टेशन पर टोटल 10 प्लेटफॉर्म हैं।

कोल्लम जंक्शन, केरल

केरल के सबसे पुराने रेलवे स्टेशन में कहा जाने वाला कोल्लम रेलवे स्टेशन 3837 फीट लंबा है। जहां पर 6 प्लेटफॉर्म और 17 ट्रैक हैं। यह केरल का दूसरा सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन भी हैं।

खड़गपुर जंक्शन, पश्चिम बंगाल

पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर जिले में स्थित खड़गपुर सबडिविजन का रेलवे स्टेशन है। जिसकी लंबाई 1,072.5 मीटर यानी 3519 फीट हैं। इस रेलवे स्टेशन पर कुल 12 प्लेटफॉर्म हैं। बता दें कि यह वहीं रेलवे स्टेशन है जहां महेंद्र सिंह धोनी ने अपने क्रिकेट की शुरुआत से पहले टिकट कलेक्टर का काम किया था।

पीलीभीत रेलवे स्टेशन, उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश में स्थित पीलीभीत रेलवे स्टेशन भी बड़े रेलवे स्टेशन में गिना जाता है। जिसकी लंबाई लंबाई लगभग 900 मीटर बताई जाती है। पीलीभीत रेलवे स्टेशन पर मात्र 4 प्लेटफॉम है, लेकिन फिर भी यह बड़े रेलवे स्टेशनों में गिना जाता है।

विश्व के 10 सबसे लंबे प्लेटफॉर्म

1. हुबली (कर्नाटक), प्लेटफार्म की लंबाई 1,505 मीटर है।
2. गोरखपुर (यूपी) है, प्लेटफार्म लंबाई 4483 फीट यानी 1366.33 मीटर।
3. कोल्लम (केरल) स्टेशन है, प्लेटफार्म लंबाई 3873 फीट यानी 1180.5 मीटर।
4. खड़गपुर (पश्चिम बंगाल) स्टेशन है, प्लेटफार्म लंबाई 3519 फीट यानी 1072.5 मीटर।
5. शिकागो (यूएस) का स्टेट स्ट्रीट सब-वे है, प्लेटफार्म लम्बाई 3501 फीट यानी 1067 मीटर (नार्थ अमेरिका में सबसे लंबा प्लेटफॉर्म)।
6. बिलासपुर (छत्तीसगढ़) स्टेशन है, प्लेटफार्म लंबाई 2631 फीट यानी 802 मीटर।
7. शेरेटन शटल टर्मिनल फोकस्टोन (यूके) का है, प्लेटफॉर्म लम्बाई 2595 फीट यानी 791 मीटर. यूरोप का सबसे लम्बा स्टेशन।
8. झांसी (यूपी) है, प्लेटफॉर्म लम्बाई 2526 फीट यानी 770 मीटर।
9. पर्थ (वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया) का ईस्ट पर्थ रेलवे स्टेशन प्लेटफॉर्म लंबाई 2526 फीट यानी 770 मीटर, ऑस्ट्रेलिया का सबसे लम्बा स्टेशन।
10. कैलगूर्ली स्टेशन (वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया), प्लेटफॉर्म की लंबाई 2493 फीट यानी 760 मीटर।

दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’

देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल के सम्मान में तैयार 182 मीटर ऊंची दुनिया की सबसे विशालकाय प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का 31 अक्टूबर 2018 को अनावरण हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार पटेल की जयंती पर इसका अनावरण किया। खास बात ये है कि ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के अनावरण के लिए देशभर की 30 छोटी-बड़ी नदियों का जल लाया गया था, जिसमें गंगा, यमुना, सरस्वती, सिंधु, कावेरी, नर्मदा, ताप्ती, गोदावरी और ब्रह्मपुत्र आदि शामिल हैं। पीएम मोदी ने इन्हीं 30 नदियों के जल से प्रतिमा के पास स्थित शिवलिंग का अभिषेक किया। इस दौरान 30 ब्राह्मणों ने मंत्रों का जाप भी किया। मूर्ति के निर्माण में 70,000 टन सीमेंट, 18,500 टन मजबूत लोहा, 6,000 टन स्टील और 1,700 मीट्रिक टन कांसे का प्रयोग किया गया है।

दुनिया के आठ अजूबों की लिस्ट में शामिल हुआ स्टैचू ऑफ यूनिटी

शंघाई कॉरपोरेशन ऑर्गनाइजेशन ने स्टैचू ऑफ यूनिटी को आठ अजूबों की लिस्ट में शामिल कर लिया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्वीट करते हुए कहा कि हम एससीओ के सदस्य देशों के बीच पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रयास की सराहना करते हैं। एससीओ के आठ अजूबों की लिस्ट में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी शामिल किया गया है। यह निश्चित तौर पर एक प्रेरणा के रूप में काम करेगा। एससीओ की लिस्ट में शामिल होने के बाद अब एससीओ खुद पूरी दुनिया में स्टैचू ऑफ यूनिटी के बारे में प्रचार करेगा।

स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से ज्यादा हुई स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के प्रतिदिन पर्यटकों की संख्या

स्टेच्यू ऑफ यूनिटी बनने के एक साल के भीतर ही इसे रोजाना देखने आने वाले पर्यटकों की संख्या अमेरिका के 133 साल पुराने स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी के पर्यटकों से ज्यादा हो गई है। एक साल के भीतर ही इस स्मारक को देखने औसतन 15,000 से अधिक पर्यटक रोज पहुंचे। पहली नवंबर, 2018 से 31 अक्टूबर, 2019 तक पहले साल में रोजाना आने वाले पर्यटकों की संख्या में औसतन 74 फीसदी वृद्धि हुई है और अब दूसरे साल के पहले महीने में पर्यटकों की संख्या औसतन 15,036 पर्यटक प्रतिदिन हो गई है। सप्ताहांत के दिनों में यह 22,430 हो गई है। वहीं अमेरिका के न्यूयार्क में स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी को देखने रोजाना 10,000 पर्यटक पहुंचते हैं।

कमाई में ताजमहल को पीछे छोड़ा

सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड ने इस स्मारक के पर्यटकों की संख्या में वृद्धि का श्रेय जंगल सफारी, बच्चों के न्यूट्रीशन पार्क, कैक्टस गार्डन, बटरफ्लाई गार्डन, एकता नर्सरी, नदी राफ्टिंग, बोटिंग आदि जैसे नये पर्यटक आकर्षणों को दिया है। उद्घाटन के एक साल के भीतर केवडिया में 30,90,723 पर्यटक पहुंचे और 85.57 करोड़ रुपए का राजस्व मिला।

दुनियां की 5 सबसे ऊंची मूर्तियां

1- स्टैचू ऑफ यूनिटी, भारत
मूर्ति ऊंचाई- 182 मीटर (597 फीट) आधार सहित: 240 मीटर (790 फीट)

भारत के गुजरात राज्‍य में नर्मदा जिले में नर्मदा नदी के तट पर भारतीय राजनेता और स्वतंत्रता कार्यकर्ता सरदार वल्लभभाई पटेल को चित्रित करते हुए बनी स्टैच्यू ऑफ यूनिटी वर्तमान में दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है। केवडिया कॉलोनी में सरदार सरोवर बांध के सामने नर्मदा नदी द्वीप पर स्थित इस प्रतिमा का उद्घाटन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 अक्टूबर 2018 पटेल की 143वीं जयंती पर किया था।

2- स्प्रिंग टेंपल बुद्धा, चीन
मूर्ति ऊंचाई- 128 मीटर (420 फीट) आधार सहित: 208 मीटर (682 फीट)

 

दुनिया में दूसरी सबसे ऊंची प्रतिमा स्प्रिंग टेम्पल बुद्ध वैरोचन बुद्ध का प्रतिनिधित्व करने वाली एक भव्य मूर्ति है। यह सिंहासन के बीच बनाया गया है। चीन के हेनान प्रांत के लुशान काउंटी में बने इस प्रतिमा का निर्माण वर्ष 1997 में शुरू हुआ और 2008 तक जारी रहा। प्रतिमा एक पहाड़ी पर बनाई गई है जिसे दो और पेडस्टल बनाने के लिए फिर से आकार दिया गया है। पूरी परियोजना की अनुमानित लागत 55 मिलियन डॉलर थी और लगभग 18 मिलियन डॉलर पूरी तरह से मूर्ति पर खर्च किए गए थे।

3- लेक्युन सेक्या, म्यांमार
मूर्ति ऊंचाई: 116 मीटर (381 फीट) आधार सहित: 129.2 मीटर (424 फीट)

तीसरे नंबर पर 13.5 मीटर के सिंहासन पर खड़े लेक्युन सेक्का की मूर्ति आती है। म्‍यांमार के खटाकन ताउंग में मोनिवा के पास स्थित यह सुनहरे रंग में गौतम बुद्ध की भव्य संरचना है। इस प्रतिमा का निर्माण 1996 में शुरू हुआ और 12 साल तक चला। मूर्ति आधिकारिक तौर पर फरवरी 2008 में सार्वजनिक यात्रा के लिए उपलब्ध थी। इस पूरे स्मारक के प्रत्येक तत्व को ठीक से विस्तृत किया गया है।

4- उशिकु दाईबुत्सु, जापान
मूर्ति ऊंचाई: 100 मीटर (330 फीट) आधार सहित: 120 मीटर (390 फीट)
जापान में उशीकू के इबाराकी में स्थित उशिकु दायबुत्सु भी दुनिया की सबसे ऊंची मूर्तियों में से एक है, जिसका निर्माण 1993 में किया गया था। भगवान बुद्ध की यह मूर्ति कमल के मंच पर स्थित है। यह प्रतिमा अमिताभ बुद्ध को चित्रित करती है और इसका निर्माण कांस्य से किया गया है। यह बौद्ध धर्म के “ट्रू प्योर लैंड स्कूल” के संस्थापक शिनरान के जन्म का जश्न मनाने के लिए बनाया गया था।

5- सेंदई दाईकैनन, जापान
मूर्ति ऊंचाई: मूर्ति: 100 मीटर (330 फीट)

जापान के ही सेंडाई में में स्थित सेंदाई डाइकनोन कन्नन के मणि-असर वाले न्योइरिन कन्नन रूप की एक बड़ी मूर्ति है। यह जापान में एक देवी की सबसे ऊंची प्रतिमा है और दुनिया की शीर्ष पांच सबसे ऊंची मूर्तियों में से एक है। शिंगोन बौद्ध धर्म के बोधिसत्व कन्नन को दर्शाने वाली प्रतिमा के शीर्ष पर आगंतुकों को ले जाने के लिए एक लिफ्ट है। इस प्रतिमा का निर्माण 1991 में पूरा हुआ था।

विश्व का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम, नरेंद्र मोदी स्टेडियम

विश्व का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम अहमदाबाद के मोटेरा इलाके में स्थित नरेंद्र मोदी स्टेडियम है। जिसे पहले सरदार पटेल स्टेडियम के नाम से जाना जाता था। जिसका उद्घाटन 2020 में किया गया था और इसमें 1,32,000 दर्शकों के बैठने की क्षमता है, जो दुनिया के किसी भी क्रिकेट स्टेडियम की तुलना में सबसे अधिक है। यह भारत का सबसे बड़ा स्टेडियम है। नरेन्द्र मोदी स्टेडियम को 700 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया हैं जो कि 63 एकड़ पर फैला एक विशाल मैदान हैं। इस मैदान में 76 कार्पोरेट बॉक्स, 4 ड्रेसिंग रूम के अलावा 3 प्रेक्टिस ग्राउंड भी बनाया गये हैं। एक साथ 4 ड्रेसिंग रूम वाला यह दुनिया का पहला स्टेडियम हैं, बारिश का पानी को बाहर निकलने के लिए यहां आधुनिक तकनीको का उपयोग किया गया हैं, जिसके चलते यहां बारिश बंद होने के आधे घंटे के भीतर मैच मैच शुरू किया जा सकता हैं।

दुनिया के पांच बड़े क्रिकेट स्टेडियम

1. नरेंद्र मोदी स्टेडियम, भारत

यह भारत का सबसे बड़ा स्टेडियम है। नरेन्द्र मोदी स्टेडियम को 700 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया हैं जो कि 63 एकड़ पर फैला एक विशाल मैदान हैं। यहां 1,32,000 दर्शकों के बैठने की क्षमता है।

2. मेलबर्न क्रिकेट मैदान, आस्ट्रेलिया

दुनिया का सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम की बात की जाए तो इसमें दूसरे नंबर पर आस्ट्रेलिया का मेलबर्न क्रिकेट मैदान हैं जहां दर्शको के बैठने की क्षमता 1 लाख से अधिक हैं। इस स्टेडियम को साल 1853 में बनाया गया था, इसी मैदान पर क्रिकेट इतिहास का पहला मैच जो कि टेस्ट क्रिकेट था को साल 1877 में खेला गया था, यह मैच आस्ट्रेलिया और इंग्लैण्ड टीम के बीच खेला गया था।

3. ईडन गार्डन अन्तराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम, भारत

दुनिया का तीसरा और भारत का दूसरा सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम भारत के कोलकाता शहर में स्थित हैं जो कि 50 एकड़ में फैला भारत का मौजूदा दौर का दूसरा सबसे बड़ा स्टेडियम हैं। भारत के इस दूसरे सबसे क्रिकेट मैदान में दर्शको की बैठने की क्षमता 80,000 से भी अधिक माना जाता हैं। भारत के इस ऐतिहासिक क्रिकेट मैदान में पहला अन्तराष्ट्रीय मैच भारत और पाकिस्तान के बीच साल 1987 को खेला गया था जो की वनडे मैच था।

4. शहीद वीर नारायण अन्तराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम, भारत

विश्व का चौथा और भारत का तीसरा सबसे बड़ा अन्तराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम जो कि भारत के छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी रायपुर राज्य में स्थित हैं जहाँ हाल ही में पहला अन्तराष्ट्रीय क्रिकेट मैच खेला गया था। यहां दर्शकों की क्षमता 65 हजार है। यहां पहला अन्तराष्ट्रीय मैच जनवरी 2023 में खेला गया, हालांकि इस बीच यहां रणजी और आईपीएल के मैच खेले जा चुके हैं।

5. पर्थ क्रिकेट स्टेडियम, आस्ट्रेलिया

आस्ट्रेलिया में स्थित विश्व का पांचवां सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम औपटस क्रिकेट स्टेडियम जिसे पर्थ क्रिकेट स्टेडियम भी कहा जाता हैं, एक मल्टीपरपस स्टेडियम हैं जहां क्रिकेट के अलावा अन्य कई खेल जैसे फुटबाल खेले जाते हैं। इस मैदान में दर्शको के बैठने की कुल क्षमता 65000 से भी अधिक हैं।

विश्व की सबसे लंबी सुरंग- अटल सुरंग

अटल सुरंग 10,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर स्थित विश्व की सबसे लंबी सुरंग है। यह टनल मनाली को लेह से जोड़ती है। यह सुरंग मनाली और लेह के बीच की दूरी को 46 किलोमीटर तक कम करती है और यात्रा के समय को भी 4 से 5 घंटे कम कर देती है। यह 9.02 किलोमीटर लंबी सुरंग है, जो कि मनाली को पूरे साल लाहौल-स्पीति घाटी से जोड़े रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किमी कम हुई

सुरंग को समुद्र तल से 3,000 मीटर (10,000 फीट) की ऊंचाई पर हिमालय की पीर पंजाल श्रेणी में आधुनिक तकनीक के साथ बनाया गया है। टनल के भीतर सुरक्षा पर भी खास ध्यान दिया गया है। इसके चालू होने के बाद मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किमी कम हो गई है। यह सुरंग सामरिक तौर पर भी काफी अहम मानी जाती है। यह करीब 10.5 मीटर चौड़ी और 5.52 मीटर ऊंची है। पीएम मोदी ने 3 अक्टूबर 2020 को किया इसका उद्घाटन किया था। यह देश की पहली ऐसी सुरंग है जिसमें मुख्य सुरंग के भीतर ही बचाव सुरंग बनाई गई है।

दुनिया की सबसे लंबी अटल सुरंग वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज

दुनिया की सबसे लंबी अटल सुरंग को आधिकारिक तौर पर वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स द्वारा 10 हजार फीट से ऊपर दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग’ के रूप में प्रमाणित किया गया है। सीमा सड़क संगठन के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने टनल के निर्माण के लिए बीआरओ की इस उपलब्धि के लिए पुरस्कार प्राप्त किया।

अटल टनल किसी अजूबे से कम नहीं

अटल टनल किसी अजूबे से कम नहीं है। यह अपनी विशेषताओं के लिए खास है। टनल में हर 500 मीटर पर आपातकाल सुरंग है जो टनल के दोनों छोरों पर निकलती है। हर 150 मीटर पर आपातकाल 4जी फोन की सुविधा है। हर 60 मीटर पर सीसीटीवी हैं। अटल टनल रोहताग के दोनों छोर पर कंट्रोल रूम हैं। यहा से हर किसी पर पैनी नजर रखी जाती है। अटल टनल में आपदा की सूरत में एस्केप टनल फंसे हुए लोगों को बाहर निकालेगी। इसे वैकल्पिक तौर पर बनाया गया है जिसका एक छोर नार्थ जबकि दूसरा छोर साउथ पोर्टल में खुलता है।

चिनाब रेल आर्क पुल दुनिया का सबसे ऊंचा पुल

चिनाब रेल पुल आर्क (Arch) पुल की कैटेगरी में यह दुनिया का सबसे ऊंचा रेल पुल है। चिनाब नदी पर बना रेलवे ब्रिज 3 किलोमीटर लंबा और 1,178 मीटर ऊंचा है। जम्मू कश्मीर के दो हिस्सों को जोड़ते इस पुल का एक हिस्सा रेयासी (Reasi) और दूसरा हिस्सा बक्कल, उधमपुर में है। यह पुल पेरिस के एफिल टावर से 35 मीटर ऊंचा है। चेनाब रेल पुल नदी तल से 359 मीटर ऊंचा है। बादलों के ऊपर और ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों के बीच शान से खड़ा यह पुल 260 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से बहने वाले हवा का भी मुकाबला कर सकता है।

‘ब्लास्ट प्रूफ’ मेटल से बना है दुनिया का सबसे ऊंचा चिनाब रेलवे पुल

इस पुल को इस तरह बनाया गया है कि अगर रिक्टर स्केल पर 8 की तीव्रता से भी भूकंप आए तो इसका बाल भी बांका नहीं होने वाला। कंक्रीट और स्टील से बने इस पुल को ब्लास्ट-प्रूफ बनाने में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन से परामर्श लिया गया। निर्माण कंपनी का दावा है कि यह पुल करीब 120 साल तक खड़ा रह सकता है। इस पुल पर 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन दौड़ सकती है। चिनाब रेलवे पुल में कुल 17 पिलर हैं। इसमें 28,660 मिट्रिक टन स्टील का इस्तेमाल किया गया है। चिनाब रेलवे पुल को उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेलवे लिंक प्रोजेक्ट के तहत तैयार किया गया है। इस पुल को 28,000 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है।

एफिल टावर और कुतुब मीनार से भी है ऊंचा चिनाब रेलवे पुल

जम्मू कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों में रेल कनेक्टिविटी से जोड़ने के क्रम में यह पुल बनाया गया है। रियासी जिले में चिनाब नदी के ऊपर इस पुल का निर्माण किया गया है। यह पुल पेरिस के एफिल टावर से 35 मीटर ऊंचा और दिल्ली के कुतुब मीनार (Qutub Minar) से 5 गुना ऊंचा है। पुल की कुल लंबाई 1,315 मीटर है। इसके अलावा पुल की लाइफ 120 साल है। इसका डिजाइन ऐसे किया गया है कि यह 100 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड का तूफान भी झेल ले। इस पर ऐसा पेंट किया गया है कि अगले 20 साल तक इसे फिर से रंगने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

दुनिया का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर पावर प्‍लांट ओंकारेश्‍वर डैम पर

मध्य प्रदेश में दुनिया का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट बन रहा है। यह फ्लोटिंग सोलर पावर प्‍लांट ओंकारेश्वर डैम पर बनाया जा रहा है। दुनिया में अब तक केवल 10 फ्लोटिंग पावर प्लांट हैं। ओंकारेश्वर दुनिया का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर प्लांट है, इसकी सबसे बड़ी खासियतों में से एक ये भी है कि इसको बनाने में कोई विस्थापन नहीं होगा। ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट की ये परियोजना 600 मेगावाट क्षमता की होगी। पहले चरण में 278 मेगावॉट का प्रोजेक्ट है। परियोजना का निर्माण दो चरणों में हो रहा है। इस पावर प्लांट से 12 लाख मीट्रिक टन कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन को रोका जा सकेगा।

नर्मदा नदी के बैक वाटर पर 2 हजार हेक्टेयर में सोलर पैनल्स लगेंगे

मध्यप्रदेश में अब नवकरणीय ऊर्जा की उत्पादन क्षमता 5,000 मेगावॉट से ज्यादा है, इसे बढ़ाकर 20,000 मेगावॉट करने की योजना है। इस परियोजना में नर्मदा नदी के बैक वाटर पर करीब 2 हजार हेक्टेयर में सोलर पैनल्स लगेंगे। हर साल करीब 1200 मिलियन यूनिट सोलर बिजली का उत्पादन होगा। इस प्लांट से बिजली के अलावा कई फायदे होंगे। भोपाल को 124 दिन पीने के पानी की जितनी जरूरत होगी उतना पानी बच जाएगा। चंबल में एक जमाने में डकैत घूमा करते थे। अब उस जमीन का उपयोग सोलर प्लांट के लिए भी होगा।

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