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कोरोना संकट काल में तेज हुई रिकवरी, आठ कोर सेक्टर के उत्पादन में 56 प्रतिशत की जबरदस्त उछाल

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है। भारतीय अर्थव्यस्था में रिकवरी की रफ्तार जोर पकड़ती जा रही है। कोरोना संकट के कारण औद्योगिक गतिविधियों पर असर जरूर हुआ है, लेकिन यह पूरी तरह रुका नहीं है। आठ बुनियादी उद्योगों का उत्पादन इस साल अप्रैल में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 56.1 प्रतिशत बढ़ा है। अप्रैल में प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पादों, इस्पात, सीमेंट और बिजली के उत्पादन में बढ़ोतरी हुई। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अनुसार, अप्रैल 2021 में प्राकृतिक गैस का उत्पादन 25 प्रतिशत, रिफाइनरी उत्पादों का उत्पादन 30.9 प्रतिशत, इस्पात का उत्पादन 400 प्रतिशत, सीमेंट का उत्पादन 548.8 प्रतिशत और बिजली का उत्पादन 38.7 प्रतिशत बढ़ा। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर का कहना है कि उम्मीद के मुताबिक अप्रैल 2021 में देशव्यापी लॉकडाउन के कम आधार ने कोर सेक्टर के विस्तार को आगे बढ़ाया।

आइए एक नजर डालते हैं देश की अर्थव्यवस्था एक बार फिर से किस प्रकार पटरी पर लौटने लगी है…

रिकॉर्ड स्तर पर विदेशी मुद्रा भंडार
कोरोना संकट काल में भी मोदी सरकार की नीतियों के कारण विदेशी मुद्रा भंडार ने एक बार फिर रिकॉर्ड बनाया है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 21 मई को खत्म हफ्ते में 2.865 अरब डॉलर बढ़कर 592.894 अरब डॉलर हो गया है। यह अबतक का सबसे ऊंचा स्तर है। रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार इस दौरान विदेशी मुद्रा भंडार का महत्वपूर्ण हिस्सा यानी विदेशी मुद्रा एसेट्स 1.649 अरब डॉलर बढ़कर 548.519 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इस सप्ताह में स्वर्ण भंडार में 1.187 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई और यह 36.841 अरब डॉलर मूल्य का हो गया। विदेशी मुद्रा भंडार ने 5 जून, 2020 को खत्म हुए हफ्ते में पहली बार 500 अरब डॉलर के स्तर को पार किया था। इसके पहले यह आठ सितंबर 2017 को पहली बार 400 अरब डॉलर का आंकड़ा पार किया था। जबकि यूपीए शासन काल के दौरान 2014 में विदेशी मुद्रा भंडार 311 अरब डॉलर के करीब था।

कोरोना काल में हुआ 81.72 अरब डॉलर का रिकॉर्ड विदेशी निवेश
विदेशी निवेशकों ने कोरोना काल में भी भारतीय अर्थव्यवस्था पर भरोसा जताया है। मोदी सरकार बनने के बाद से एफडीआई नीति में सुधार, निवेश के लिए बेहतर माहौल और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस जैसे कदम उठाने का परिणाम है कि वे कोरोना काल में भी भारत में जमकर निवेश कर रहे हैं। कोरोना महामारी के बीच प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में 10 प्रतिशत का बड़ा उछाल आया है। वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान देश में अब तक का सबसे अधिक 81.72 अरब अमेरिकी डॉलर (करीब 6 लाख करोड़ रुपये) का एफडीआई आया है और यह पिछले वित्त वर्ष 2019-20 में आए कुल एफडीआई 74.39 अरब अमेरिकी डॉलर की तुलना में 10 प्रतिशत अधिक है। इसके साथ ही पिछले वर्ष वित्त वर्ष 2019-20 में 49.98 अरब अमेरिकी डॉलर की तुलना में वित्त वर्ष 2020-21 में 59.64 अरब अमेरिकी डॉलर का एफडीआई इक्विटी प्रवाह आया, जो 19 प्रतिशत ज्यादा है।

PMI सर्विस सूचकांक में जबरदस्त सुधार
भारतीय अर्थव्यवस्था कोरोना संकट से अब बाहर निकल चुकी है। देश के सर्विस सेक्टर में जबरदस्त सुधार दिखाई दे रहा है। भारत में सेवा संबंधी गतिविधियों में फरवरी महीने में एक साल की सबसे तेज वृद्धि दर्ज की गई है। एक मासिक सर्वेक्षण के मुताबिक फरवरी में सर्विस सेक्टर का PMI Index 55.3 अंक रहा, जो जनवरी में 52.8 अंक था। फरवरी में सूचकांक लगातार पांचवें महीने 50 से ऊपर रहा। इसी बीच भारत के प्राइवेट सेक्टर के आउटपुट में फरवरी में पिछले चार महीने में सबसे ज्यादा तेज गति से वृद्धि दर्ज की गई। कम्पोजिट पीएमआई आउटपुट इंडेक्स फरवरी में 57.3 पर पहुंच गया, जो जनवरी में 55.8 पर था। इसमें मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज सेक्टर दोनों से जुड़े आंकड़े शामिल होते हैं।

जीएसटी कलेक्शन लगातार पांचवें महीने एक लाख करोड़ के पार
वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी कलेक्शन फरवरी में लगातार पांचवें महीने एक लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया। फरवरी में जीएसटी कलेक्शन का आंकड़ा 1.13 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा। फरवरी में 1,13,143 करोड़ रुपये के सकल जीएसटी राजस्व की वसूली हुई, जिसमें सीजीएसटी 21,092 करोड़ रुपये, एसजीएसटी 27,273 करोड़ रुपये, आईजीएसटी 55,253 करोड़ रुपये, 9,525 करोड़ रुपए की उपकर राशि शामिल है। यह सालाना आधार पर सात प्रतिशत की वृद्धि को दिखाता है। जीएसटी राजस्व लगातार पांचवी बार एक लाख करोड़ को पार किया और महामारी के बावजूद फरवरी के महीने में राजस्व संग्रह लगातार तीसरी बार 1.1 लाख करोड़ को पार कर गया।

नई ऊंचाई पर शेयर बाजार
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है। 1 जून, 2021 को शेयर बाजार ने 52,228 अंके पर पहुंच कर रिकॉर्ड बना दिया। इसके पहले 15 फरवरी, 2021 को शेयर बाजार ने 52,000 के लेवल को पार कर रिकॉर्ड बनाया था। नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के साथ ही सेंसेक्स ने जून 2014 में पहली बार 25 हजार के स्तर को छुआ था। मोदी राज में पिछले 6 साल में 25 हजार से 50 हजार तक के सफर तय कर सेंसेक्स दो गुना हो गया है। पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के दौरान अप्रैल 2014 में सेंसेक्स करीब 22 हजार के आस-पास रहता था।

रोज रिकॉर्ड तोड़ता शेयर बाजार इस बात का सबूत है कि प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में जिस तरह देश आगे बढ़ रहा है, उससे तमाम क्षेत्रों की कंपनियों में विश्वास जगा है। नोटबंदी और जीएसटी जैसे आर्थिक सुधारों के कदम उठाने के बाद कोरोना काल में भी आर्थिक जगत में मोदी सरकार की साख मजबूत हुई है, और कंपनियां, शेयर बाजार, आम लोग सभी सरकार की नीतियों पर भरोसा कर रहे हैं। जाहिर है यह भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेशकों के भरोसे को दिखाता है।

एशियाई देशों में भारत की विकास दर सबसे बेहतर रहने की संभावना
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत बनी हुई है। कोरोना महामारी और तमाम विपरीत परिस्थियों के बावजूद मोदी सरकार की नीतियों के चलते देश की इकोनॉमी वृद्धि कर रही है। मोदी राज में एशियाई देशों में भारत की विकास दर सबसे बेहतर रहने की संभावना है। जापान की ब्रोकरेज कंपनी नोमुरा ने कहा है कि साल 2021 में देश की विकास दर 12.8 प्रतिशत हो सकती है। नोमुरा की भारत और एशिया पूर्व जापान एमडी और मुख्य अर्थशास्त्री सोनल वर्मा ने कहा है कि हमने भारतीय बाजार में एक महत्वपूर्ण रैली देखी है। अंग्रेजी अखबार इकनॉमिक टाइम्स के अनुसार सोनल वर्मा ने कहा कि हमें लगता है कि भारत की वृद्धि इस वर्ष एशिया के अन्य देशों को पीछे छोड़ देगी और हम कैलेंडर वर्ष 2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए 12.8 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं।

अगले साल चीन को पीछे छोड़ देगा भारत- आईएमएफ
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने ‘विश्व आर्थिक परिदृश्य’ पर जारी अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि भारत अगले साल चीन को पीछे छोड़ देगा। आईएमएफ ने कहा कि कोरोना के कारण चालू वित्त वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था में गिरावट का अंदेशा है, लेकिन अगले वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था लंबी छलांग लगाने में सक्षम होगी। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा है कि 2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 8.8 प्रतिशत की जोरदार बढ़त दर्ज हो सकती है और यह चीन को पीछे छोड़ते हुए सबसे तेजी से बढ़ने वाली उभरती अर्थव्यवस्था का दर्जा फिर से हासिल कर लेगी। चीन के 2021 में 8.2 प्रतिशत वृद्धि दर हासिल करने का अनुमान है।

सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा भारत- आईएमएफ
दुनिया भर में कोरोना संकट के बीच भी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने इसके पहले हाल ही में भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर बड़ी बात कही। आईएमएफ ने कहा कि भारत में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर सबसे तेज रहेगी। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की ओर से जारी वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना महामारी के चलते 2020 का साल वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए काफी खराब रहने वाला है, लेकिन इसके बाद भी भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा। आइएमएफ के मुताबिक, इस साल वैश्विक अर्थव्यवस्था में 1930 के महामंदी के बाद की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिलेगी।

आईएमएफ को भरोसा, वैश्विक अर्थव्यवस्था की अगुवाई करेगा भारत
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने कहा कि भारत की अगुवाई में दक्षिण एशिया वैश्विक वृद्धि का केंद्र बनने की दिशा में बढ़ रहा है और 2040 तक वृद्धि में इसका अकेले एक-तिहाई योगदान हो सकता है। आईएमएफ के हालिया शोध दस्तावेज में कहा गया कि बुनियादी ढांचे में सुधार और युवा कार्यबल का सफलतापूर्वक लाभ उठाकर यह 2040 तक वैश्विक वृद्धि में एक तिहाई योगदान दे सकता है। आईएमएफ की एशिया एवं प्रशांत विभाग की उप निदेशक एनी मेरी गुलडे वोल्फ ने कहा कि हम दक्षिण एशिया को वैश्विक वृद्धि केंद्र के रूप में आगे बढ़ता हुए देख रहे हैं।

2021-22 में 9.5 प्रतिशत रह सकती है विकास दर-फिच
रेटिंग एजेंसी फिच ने कहा है कि वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की विकास दर 9.5 प्रतिशत रह सकती है। फिच रेटिंग्स ने हालांकि कोरोना संकट के कारण चालू वित्त वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था के पांच प्रतिशत सिकुड़ने का अनुमान जताया है। लेकिन फिच ने कहा कि कोरोना संकट के बाद देश की जीडीपी वृद्धि दर के वापस पटरी पर लौटने की उम्मीद है। इसके अगले साल 9.5 प्रतिशत की दर से वृद्धि करने की उम्मीद है।

स्टैंडर्ड ऐंड पूअर्स ने जताया भारत पर भरोसा
रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड ऐंड पूअर्स ने (S&P) ने भारत की सॉवरिन रेटिंग को BBB माइनस पर बरकरार रखा है। S&P ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर विश्वास जताते हुए आउटलुक को स्थिर रखा है। स्टैंडर्ड ऐंड पूअर्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि फिलहाल ग्रोथ रेट पर दबाव है, लेकिन अगले साल 2021 से इसमें सुधार दिखने को मिलेगा। फिच ने कहा है कि वित्त वर्ष 2021-22 के लिए विकास दर का 8.5 प्रतिशत रह सकती है।

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