Home समाचार कांग्रेस अपना कब्र खुद खोद रही, जनभावना के खिलाफ तुष्टिकरण में जुटी,...

कांग्रेस अपना कब्र खुद खोद रही, जनभावना के खिलाफ तुष्टिकरण में जुटी, कर्नाटक में 31 साल बाद राम भक्तों की गिरफ्तारी

SHARE

देश पर 60 साल से अधिक समय तक शासन करने वाली कांग्रेस पार्टी का जनाधार लगातार घटता जा रहा है। केंद्र में 10 सालों से सत्ता से बेदखल कांग्रेस इस कदर हताश है कि उलजलूल फैसले से अपना कब्र खुद ही खोद रही है। अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है समूचा देश राममय होता जा रहा है वहीं कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार ने तुष्टिकरण के चक्कर में राम मंदिर आंदोलन से जुड़े 31 साल पुराने मामले को फिर से खोल दिया है। इस मामले में 300 से अधिक राममंदिर समर्थकों के नाम हैं। पुलिस ने अब तक दो लोगों को गिरफ्तार किया है। वहीं बाकियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने विशेष टीमों का गठन किया है। कर्नाटक पुलिस यह कार्रवाई उस समय कर रही है, जब अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। पुलिस की यह कार्रवाई राज्य के हिंदू कार्यकर्ता के मन में भय पैदा करने और उन्हें अयोध्या में रामलला मूर्ति प्रतिष्ठापना कार्यक्रम में भाग लेने से रोकने की साजिश है।

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले कर्नाटक में रामभक्तों पर कार्रवाई
अयोध्या में राममंदिर का काम अंतिम चरण में है। 22 फरवरी 2024 को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। इसी बीच कर्नाटक में मंदिर आंदोलन से जुड़े लोगों की गिरफ्तारियां भी शुरू हो गई है। कर्नाटक पुलिस ने 31 साल बाद मंदिर आंदोलन के दौरान हुई हिंसा की फाइल खोल दी है। इस फाइल में 300 से अधिक लोगों के नाम हैं। इनमें से दो लोगों को साल के पहले दिन 1 जनवरी 2024 को गिरफ्तार भी कर लिया गया। वहीं बाकियों की गिरफ्तारी के लिए स्पेशल टीमों का गठन किया गया है।

षडयंत्र के तहत 31 साल पुरानी फाइल खुली
आपको बता दें कि साल 1992 में अयोध्या में राम मंदिर के लिए बड़ा आंदोलन हुआ था। इस आंदोलन के तहत देशभर में हिंसक घटनाएं हुईं। कई राज्यों में राम मंदिर समर्थकों पर केस भी दर्ज किये गये। अकेले कर्नाटक में कई जगहों पर हिंसक घटनाएं हुईं। इनमें 300 से ज्यादा लोगों को नामित किया गया था। अब कर्नाटक पुलिस ने उन 31 साल पुरानी फाइलों को खोल दिया है। साथ ही सभी आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए विशेष टीमों का गठन किया गया है।

पहला मामला 5 दिसंबर 1992 का
कर्नाटक पुलिस के मुताबिक, सभी हिंसक घटनाएं 1992 से 1996 के बीच हुईं। इसमें पहला मामला 5 दिसंबर 1992 का है। इसमें हुबली में अल्पसंख्यक समुदाय के एक शख्स की दुकान जला दी गई थी। इस मामले में आरोपी श्रीकांत पुजारी और उसके एक साथी को पुलिस ने 1जनवरी 2024 को गिरफ्तार कर लिया। इस घटना में 8 अन्य आरोपी भी हैं। बताया जा रहा है कि इन घटनाओं के वक्त आरोपियों की उम्र करीब 30 साल थी, चूंकि ये मामले 31 साल बाद दोबारा खोले गए हैं, इसलिए अब सभी आरोपी 60 साल की उम्र पार कर चुके हैं।

आपातकाल और 1984 दंगा करने वाले खुलेआम घूम रहे, राम भक्तों पर कार्रवाई
एक तरफ इंदिरा गांधी द्वारा देश पर थोपे गए आपातकाल और 1984 के दंगों के कर्ताधर्ता न केवल खुलेआम घूम रहे हैं, बल्कि संवैधानिक पदों पर भी आसीन हो गए। वहीं दूसरी तरफ कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने राम मंदिर कारसेवकों के खिलाफ तीस साल पुराना मामला फिर से खोल दिया है।

बीजेपी राम मंदिर बनवा रही, कांग्रेस राम भक्तों पर कार्रवाई कर रही
देश में दो प्रमुख राजनीतिक दल हैं बीजेपी और कांग्रेस। बीजेपी अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण से जुड़ी है वहीं कांग्रेस 31 साल पहले राम मंदिर आंदोलन में भाग लेने वाले राम भक्तों को कर्नाटक में गिरफ्तार करवा रही है। देश की जनता यह सब देख रही है। कांग्रेस जिस तरह आम लोगों की भावनाओं का अनादर कर रही है उससे यह तय है कि आने वाले दिनों में जनता उसे जरूर सबक सिखाएगी।

सिद्धारमैया ने कहा- राम मंदिर विवादित भूमि पर 
ऐसा लगता है कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी नहीं मानते। उन्होंने कहा, मैंने राम मंदिर के लिए दान नहीं दिया है क्योंकि यह विवादित भूमि पर है। रिपोर्टर सिद्धारमैया से कहता भी है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका है और अब यह विवादित नहीं है। लेकिन वे अपनी ही बात कहते रहे। यानि कांग्रेस अब भी राम मंदिर जगह को विवादित मानती है। इससे समझा जा सकता है कि उनके मन में सनातन के प्रति कितनी घृणा है।

राम मंदिर निर्माण एक राजनीतिक स्टंटः कर्नाटक के मंत्री डी सुधाकर
कर्नाटक के मंत्री डी सुधाकर ने अपने बयान से विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर का निर्माण केवल “पुलवामा हमले की तरह एक राजनीतिक स्टंट है, जिसका इस्तेमाल लोकसभा चुनावों में चुनावी लाभ के लिए भी किया गया था”।

सिद्धारमैया तो खुद राम हैं, अयोध्या वाले राम बीजेपी केः कांग्रेस नेता
राम मंदिर और सनातन धर्म को लेकर कांग्रेस और इंडी अलायंस के नेताओं के नफरत भरे बयान सामने आते रहे हैं। अब कांग्रेस नेता और कर्नाटक के पूर्व मंत्री एच. अंजनेय का अहंकार देखिए। उन्होंने कहा कि सिद्धारमैया तो खुद राम हैं, हमें अयोध्या जाकर पूजा क्यों करनी चाहिए? अयोध्या वाले राम बीजेपी के हैं, हमारे नहीं।

कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाई रामलला की मूर्ति
क्या संयोग है कि एक तरफ कर्नाटक की कांग्रेस सरकार राम भक्तों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है वहीं कर्नाटक के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई ‘राम लला’ की मूर्ति अयोध्या में भव्य राम मंदिर की शोभा बढ़ाएगी। भगवान राम की मूर्ति बनाकर सुर्खियों में आए योगीराज अरुण मैसूर के रहने वाले हैं। वह प्रसिद्ध मूर्तिकारों की पांच पीढ़ियों के वंश से आने वाले एक प्रतिष्ठित मूर्तिकार हैं। राम मंदिर में योगीराज अरुण द्वारा बनाई गई मूर्ति प्राण-प्रतिष्ठा में स्थापित की जाएगी। अरुण के पोर्टफोलियो में प्रभावशाली मूर्तियों की एक श्रृंखला है। इनमें सुभाष चंद्र बोस की 30 फीट की मूर्ति भी शामिल है। जो इंडिया गेट के पास अमर जवान ज्योति के पीछे प्रमुखता लगी है। मूर्तिकला की दुनिया में उनके अन्य उल्लेखनीय योगदानों में केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की 12 फीट ऊंची मूर्ति से लेकर मैसूर में 21 फीट ऊंची हनुमान प्रतिमा शामिल है।

योगीराज ने कृष्ण शिला पर 5 साल के राम लला की मूर्ति बनाई
अरुण योगीराज ने कृष्ण शिला पर 5 साल के राम लला की मूर्ति बनाई है। कृष्ण शिला को कर्नाटक के कारकाला से निकाला गया है। पिछले साल फरवरी-मार्च में इस शिला का चयन राम लला की मूर्ति बनाने के लिए किया गया था। इसके बाद कर्नाटक से 10 टन वजनी, 6 फीट चौड़ी और 4 फीट श्याम शिला अयोध्या लाई गई थी जिसपर अरुण योगीराज ने भगवान रामलला का विग्रह तराशा है।

योगीराज की मां ने कहा- यह हमारे लिए खुशी का पल
मीडिया से बात करते हुए योगीराज की मां सरस्वती ने कहा, ‘यह हमारे लिए खुशी का पल है। मैं उसे मूर्ति बनाते हुए देखना चाहती थी, लेकिन उसने बोला कि वह मुझे आखिरी दिन ले जाएगा। मैं स्थापना के दिन जाऊंगी।’ उन्होंने आगे कहा, ‘मैं अपने बेटे की प्रगति और सफलता को देखकर बहुत खुश हूं। उनकी सफलता देखने के लिए उनके पिता हमारे बीच नहीं है। मेरे बेटे को आयोध्या गए हुए छह महीने हो गए।’

कर्नाटक में राम भक्त कर रहे राम मंदिर मंत्ररक्षा की पैकिंग
एक तरफ कर्नाटक की कांग्रेस सरकार राम भक्तों पर कार्रवाई कर रही है वहीं कर्नाटक में राम भक्त लगातार राम मंदिर मंत्ररक्षा की पैकिंग कर रही है जो कि सभी घरों में भेजी जाएगी। इससे यह साफ है कि कांग्रेस सरकार जनभावना के खिलाफ काम कर रही है।

राम मंदिर पर फैसला पांच न्यायाधीशों ने सर्वसम्मति से लियाः सीजेआई चंद्रचूड़
सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक अयोध्या फैसले के चार साल से अधिक समय बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने अहम टिप्पणी की है। 1 जनवरी 2024 को CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि विवादित स्थल पर एक ट्रस्ट द्वारा राम मंदिर के निर्माण के पक्ष में फैसला सुनाने वाले पांच न्यायाधीशों ने सर्वसम्मति से फैसला किया था। एक इंटरव्यू में संविधान पीठ में शामिल सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, जब न्यायाधीश एक साथ बैठे, जैसा कि वे किसी फैसले से पहले करते हैं, तो सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि यह ‘अदालत का निर्णय’ होगा। गौरतलब है कि, 9 नवंबर, 2019 को, एक सदी से भी अधिक समय से चले आ रहे एक विवादास्पद मुद्दे का निपटारा किया गया था। इसके लिए तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने मंदिर के निर्माण पर फैसला सुनाया था। पीठ ने सुनवाई मेंउत्तर प्रदेश के पवित्र शहर में एक मस्जिद के लिए वैकल्पिक पांच एकड़ का भूखंड खोजा जाएगा।

Leave a Reply