बॉलीवुड बदल रहा है। उसे समझ में आने लगा है कि अब तथाकथित सेक्यूलर की चाशनी में लपेटी फिल्में देखना लोग पसंद नहीं करते। भारतीय दर्शकों ने यह संदेश दे दिया है कि अब ‘मुंह में राम बगल में छुरी’ नहीं चलेगी। अब लोग रियल स्टोरी को पसंद करते हैं। इसकी शुरुआत ‘द कश्मीर फाइल्स’ से हो चुकी है। इस लिस्ट में ‘केरला स्टोरी’, ‘अजमेर फाइल्स’, ‘स्वातंत्र्यवीर सावरकर’, ‘एक्सीडेंट या कांस्पीरेसी गोधरा’ ‘द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल’ , ‘भुज द प्राइड ऑफ इंडिया’, ‘द वैक्सीन वॉर’ और ’72 हूरें’ जैसी रियल स्टोरी फिल्मों की फेहरिस्त लंबी होती जा रही है। अभी हाल में ही फिल्म ’72 हूरें’ फिल्म का टीजर जारी हुआ है। यह फिल्म 7 जुलाई को रिलीज होगी। कश्मीर फाइल्स, केरला स्टोरी, अजमेर 92 का रोना धोना अभी ख़त्म नहीं हुआ था कि इस फिल्म का टीजर रिलीज होते ही लेफ्ट लिबरल गैंग का हायतौबा शुरू हो गया है। हर चीज को धर्मनिरपेक्षता के चश्मे से देखने वालों को ये फिल्में पच नहीं रही हैं। लेकिन कश्मीर फाइल्स से जो एक नई शुरुआत हुई थी वह अब अपने नए सफर पर निकल चुकी है।
जिहाद के नाम पर आतंकवाद को सामने लाएगी फिल्म ’72 हूरें’
‘द केरल स्टोरी’ के बाद आतंकवाद पर आधारित एक और फिल्म जल्द ही बड़े पर्दे पर दस्तक देने वाली है। यह फिल्म ’72 हूरें’ है और हाल ही में इसका एक टीजर सामने आया है, जिससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह आतंकवाद के मुद्दे पर है। ‘द केरल स्टोरी’ की तरह ही इस फिल्म दिखाया गया है कि किस तरह लोगों के दिमाग में जहर भरकर उनका ब्रेनवॉश किया जाता है और वे जिहाद के नाम पर आतंकवाद का रास्ता अपना लेते हैं। 72 हूरें फिल्म में यह भी दिखाने की कोशिश की जाएगी कि किस प्रकार आतंकियों को ट्रेनिंग के दौरान यह विश्वास दिलाया जाता है कि मरने के बाद जन्नत में उनकी सेवा 72 कुंवारी लड़कियां करेंगी। इस फिल्म को दो बार के राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता संजय पूरन सिंह बना रहे हैं।
फिल्म ‘अजमेर फाइल्स’ 300 लड़कियों के ब्लैकमेल का खोलेगी राज
फिल्म ‘अजमेर फाइल्स’ राजस्थान के अजमेर शहर में साल 1992 में घटी सच्ची घटना पर आधारित है। ‘भुज द प्राइड ऑफ इंडिया’ के निर्देशन से सुर्खियों में आए अभिषेक दुधैया ने इस फिल्म को बनाया है। राजस्थान के अजमेर में करीब 30 साल पहले की एक घटना ने पूरे देश में सनसनी मचा दी थी। इस मामले में अजमेर के एक रसूखदार परिवार, उनके रिश्तेदारों और परिचितों ने करीब 300 लड़कियों को ब्लैकमेल किया। पुलिस की तहकीकात में पता चला कि इन लड़कियों से बलात्कार किया गया और उनकी नंगी तस्वीरें खींचकर उनसे वह सब करवाया गया, जिसे समाज अपराध मानता है। कई लड़कियों को ब्लैकमेल करते हुए उन्हें जबरन वेश्यावृत्ति में भी धकेला गया। इस मामले में कुछ गिरफ्तारियां भी हुई। लेकिन अभी तब इस मामले के बहुत सारे दोषी पकड़ में नहीं आए हैं।
‘स्वातंत्र्यवीर सावरकर’: भारत का वह नायक जिससे डरती थी ब्रिटिश सत्ता
वीर सावरकर की जन्म जयंती पर स्वातंत्र्यवीर सावरकर फिल्म का टीजर जारी किया गया। इस फिल्म में उस नायक की कहानी है जो कि भारत के सबसे प्रभावशाली क्रांतिकारी थे और जिससे ब्रिटिश सत्ता डरती थी। लेकिन साजिश के तहत उनके इतिहास को मार दिया गया। इस फिल्म में रणदीप हुड्डा वीर सावरकर की भूमिका में नजर आएंगे। टीजर में रणदीप हुड्डा को बतौर वीर सावरकर देखा जा सकता है। वह ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा प्रताड़ित किए जा रहे हैं। टीजर में यह बात भी बताई गई है कि महात्मा गांधी बुरे नहीं थे लेकिन अगर वह अहिंसावादी सोच नहीं रखते तो भारत को स्वतंत्रता 35 वर्ष पहले मिल जाती। भारत में दो विचारधाराओं की लड़ाई हमेशा से रही है। इसमें वीर सावरकर और महात्मा गांधी शामिल हैं। जहां वीर सावरकर स्वतंत्रता के लिए सभी प्रयोग करने के पक्षधर थे। वहीं महात्मा गांधी इसे अहिंसा से पाना चाहते थे। इन दोनों के बीच विरोध का सबसे प्रमुख कारण भी यही था।
‘द केरला स्टोरी’: केरल में 10 साल में 32 हजार लड़कियों को इस्लाम में धकेला गया
फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ केरल में लव जिहाद और धर्मांतरण के जरिये 32 हजार हिंदू और ईसाई लड़कियां पिछले कुछ सालों में गायब होने को दिखाती है। यह अपने आप में दिल दहलाने वाला है। पहले लड़कियों को लव जिहाद में फंसाया गया फिर धर्मांतरण किया गया और उसके बाद उन्हें आतंकवादी संगठन ISIS को सुपुर्द कर दिया गया। केरल में लव जिहाद पर बनी फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ रिलीज हो चुकी है। एक साक्षात्कार में ‘द केरल स्टोरी’ फिल्म के निर्देशक सुदीप्तो सेन ने कहा था कि केरल से 32,000 लड़कियों के गायब होने के ये आंकड़े उनके नहीं हैं। वह राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी के साथ अपनी बातचीत के आधार पर केरल में हिंदू और ईसाई लड़कियों के 32,000 जबरन धर्मांतरण की संख्या तक पहुंचे। सेन के अनुसार, ओमन चांडी ने कहा था कि “हर साल लगभग 2,800 से 3,200 लड़कियां इस्लाम अपना रही हैं। इस तरह 10 साल में ये संख्या 32,000 तक पहुंच गई।”
‘द वैक्सीन वॉर’: कोरोना की लड़ाई की सच्ची कहानी
विवेक अग्निहोत्री की फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ ने बॉक्स ऑफिस सफलता के झंडे गाड़े थे। उसके बाद विवेक अग्निहोत्री ने अपनी नई फिल्म का एलान करते हुए फिल्म ‘द वैक्सीन वॉर’ के नाम से पोस्टर साझा किया था। यह इस वर्ष अगस्त में रिलीज होने की संभावना है। फिल्म के पोस्टर में देखा जा सकता है कि एक वैक्सीन की शीशी रखी है, जिसपर द वैक्सीन वॉर लिखा है। विवेक का कहना है कि ये फिल्म भी सच्ची कहानी पर आधारित होगी। इस फिल्म की घोषणा करते हुए विवेक अग्निहोत्री ने लिखा है- ये एक ऐसी लड़ाई है, जो आपने लड़ी, लेकिन आपको उसके बारे में पता नहीं है और इसे आपने जीता भी है। यह स्वतंत्रता दिवस 2023 पर 11 भाषाओं में रिलीज होगी। उन्होंने बताया कि भारत के सिनेमा इतिहास में पहली बार कोई फिल्म एक साथ 11 भाषाओं में रिलीज हो रही है। भारतीय फिल्म इंडस्ट्री को एक के साथ लाने के लिए ये हमारी नई पहल है।
‘भुज द प्राइड ऑफ इंडिया’: भारत-पाकिस्तान युद्ध के बीच 300 महिलाओं ने एयरबेस को फिर से खड़ा कर दिया
फिल्म ‘भुज: द प्राइड ऑफ इंडिया’ भारतीय वायुसेना के एक जांबांज अधिकारी विजय कार्णिक की कहानी कहती है। वह पाकिस्तान हमले के समय भुज हवाई अड्डे के प्रभारी थे और फिल्म में ये दिखाया जाएगा कि कैसे उन्होंने हमले के बाद पास के गांव माधापार की 300 महिलाओं की मदद से एक पूरे एयरबेस को फिर से खड़ा कर दिया। फिल्म की कहानी 1971 में इंडिया और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध की है। इस दौरान पाकिस्तानी सैनिकों ने भुज एयरबेस पर जोरदार हमला किया था, जिसके बाद वहां पास के गांव माधापार में रहने वाली 300 महिलाओं ने अपनी जिंदगी को दांव पर लगाकर इंडियन एयरफोर्स के रनवे की रातों-रात मरम्मत कर डाली ताकि वहां भारतीय सैनिक उनकी मदद के लिए पहुंच सकें। यह फिल्म संकट की घड़ी में देश के नागरिकों और इंडियन आर्म्ड फोर्सेस के सहयोग की याद दिलाती है।
फिल्म ‘एक्सीडेंट ऑर कॉन्सपिरेसी गोधरा’ के जरिये 59 रामभक्तों को जिंदा जलाने का सच सामने लाएगी
गुजरात के गोधरा में अयोध्या से लौट रहे 59 रामभक्तों को मुस्लिम भीड़ ने साबरमती एक्सप्रेस की S-6 बोगी में जिन्दा जला दिया था। इनमें 10 बच्चे और 27 महिलाएं भी थीं। इसके बाद गुजरात में दंगे भड़क गए थे। अब इस घटना पर ‘एक्सीडेंट ऑर कॉन्सपिरेसी गोधरा’ नाम से फिल्म आ रही है। इस फिल्म का टीजर 30 मई 2023 को जारी किया गया। फिल्म नानावती-मेहता आयोग की रिपोर्ट के तथ्यों पर आधारित है। इसकी रिलीज डेट अभी घोषित नहीं की गई है। टीजर देखने से लगता है कि 2002 के गोधरा कांड की पृष्ठभूमि पर बनी यह फिल्म दंगों के कारणों की गहराई से पड़ताल करने की कोशिश करती है। टीजर में उल्लेख किया गया है कि फिल्म सच्ची घटनाओं पर आधारित है। साबरमती एक्सप्रेस की भयावह घटना के बारे में बताती है। यह भी बताने की कोशिश करती है कि क्या यह घटना एक सुनियोजित साजिश थी जिसके परिणामस्वरूप सांप्रदायिक दंगे हुए थे।
फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ कश्मीरी हिन्दुओं के नरसंहार और पंडितों के पलायन की कहानी
इस फिल्म में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार और पलायन की कहानी को दर्शाया गया है। कश्मीर में आतंकवाद के चलते करीब 7 लाख से अधिक कश्मीरी पंडित विस्थापित हो गए और वे जम्मू सहित देश के अन्य हिस्सों में जाकर रहने लगे। इस दौरान हजारों कश्मीरी पंडितों को मौत के घाट उतार दिया गया। 19 जनवरी 1990 को कश्मीर के हर पंडितों और हिन्दुओं के घरों पर रातोरात एक पर्चा चिपका दिया गया कि कश्मीर छोड़कर चले जाओ वर्ना मौत के घाट उतार दिए जाओगे। 19 जनवरी 1990 को सुबह कश्मीर के प्रत्येक हिन्दू घर पर एक नोट चिपका हुआ मिला, जिस पर लिखा था- ‘कश्मीर छोड़ के नहीं गए तो मारे जाओगे।’ इस नोट के साथ ही मस्जिदों से ऐलान किया गया कि पंडितों कश्मीर छोड़ो। सभी ओर अफरा तफरी मच गई और पूरे कश्मीर में कत्लेआम का दौरा शुरु हो गया। सिर्फ भारत ही नहीं पाक अधिकृत कश्मीर में भी यह दौर शुरु हो गया। पनुन कश्मीर सहित 1989 से 1995 के बीच कत्लेआम का एक ऐसा दौर चला की पंडितों को कश्मीर से पलायन होने पर मजबूर होना पड़ा। पन्नुन कश्मीर, कश्मीर का वह हिस्सा है, जहां बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडित रहते थे।
इस नरसंहार में 6000 कश्मीरी पंडितों को मारा गया। 750000 पंडितों को पलायन के लिए मजबूर किया गया। 1500 मंदिरों नष्ट कर दिए गए। 600 कश्मीरी पंडितों के गांवों को इस्लामी नाम दिया गया। केंद्र की एक रिपोर्ट के अनुसार कश्मीर घाटी में कश्मीरी पंडितों के अब केवल 808 परिवार रह रहे हैं तथा उनके 59442 पंजीकृत प्रवासी परिवार घाटी के बाहर रह रहे हैं। कश्मीरी पंड़ितों के घाटी से पलायन से पहले वहां उनके 430 मंदिर थे। अब इनमें से मात्र 260 सुरक्षित बचे हैं जिनमें से 170 मंदिर क्षतिग्रस्त है।
‘द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल’ का ट्रेलर जारी होते ही मचा बवाल, फिल्म निर्देशक के खिलाफ एफआईआर
फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ से लेफ्ट लिबरल और मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाले राजनीतिक दलों को मिर्ची लगी थी। अब ‘द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल’ का ट्रेलर जारी होते ही बवाल मच गया। बंगाल में सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने फिल्म के ट्रेलर पर कड़ी आपत्ति जताई है। ट्रेलर में बंगाल के हालात की कश्मीर से तुलना की गई है। बंगाल से सटी बांग्लादेश की सीमा से रोहिंग्या मुसलमानों को कांटेदार बेड़े को पार करके राज्य में प्रवेश करते दिखाया गया है। यही नहीं कोलकाता में फिल्म के निर्देशक सनोज मिश्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
रोहिंग्या मुसलमानों को खास मकसद से पूरे देश में फैलाया जा रहा
सबसे पहले इस फिल्म का ट्रेलर लखनऊ में लॉन्च किया था। ट्रेलर लॉन्चिंग के समय के मौके पर फिल्म निर्माता जितेंद्र उर्फ वसीम रिजवी ने कहा था कि पिछले कुछ सालों में पश्चिम बंगाल के हालात बेहद खतरनाक होते जा रहे हैं। वहां पर बड़े स्तर पर बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठन रोहिंग्या मुसलमानों को बसाया जा रहा है। इतना ही नहीं जितेंद्र त्यागी ने बंगाल सीएम ममता बनर्जी पर आरोप लगाते हुए कहा कि वहां की सरकार रोहिंग्याओं को अपना वोट बैंक बना रही है। जिसके तहत इन लोगों के नाम आधार कार्ड और वोटर लिस्ट में डलवाए जा रहे हैं। यही कारण है कि बांग्लादेश सटे बंगाल के बॉर्डर इलाके में रोहिंग्या मुसलमानों की आबादी बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि बंगाल में आईडी बनवाकर ये रोहिंग्या मुसलमान पूरे देश में फैल रहे हैं जिन्हें एक खास मकसद के लिए पूरे देश में फैलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बंगाल में रह रहे हिंदू परिवार अपना घर छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं। उन पर जो जुल्म किए जा रहे हैं उसे इस फिल्म में दिखाया गया है। बंगाल की इस सच्चाई को फिल्म के माध्यम से पर्दे पर उतारा गया है।
भारत में बैन कल्चर और जेल कल्चर
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से लेकर कांग्रेस शासित राज्य सरकारों ने इन सच्ची घटनाओं पर आधारित फिल्म पर बैन लगाया। कुछ फिल्मों को कोर्ट के दखल के बाद उस राज्य में रिलीज किया गया। भारत में बैन कल्चर और जेल कल्चर हमेशा से रहा है। अंग्रेजों ने ऐसा किया और आजादी के बाद के शासकों ने भी किया। भारत के पहले प्रधानमंत्री ने इसे किया और देश पर शासन करने वाले बाकी परिवार ने इसका पालन किया। द केरला स्टोरी को कांग्रेस की राज्य सरकारों ने यह बहाना बनाकर बैन किया कि इससे सद्भाव बिगड़ेगा, अशांति फैलेगी और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचेगा आदि। फिल्म ‘द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल’ को लेकर तो फिल्म के निर्देशक के खिलाफ एफआईआर तक दर्ज करवाया गया। लेकिन अब चीजें बदल गई हैं और अब फिल्मों पर प्रतिबंध लगाने से इसके प्रति उत्सुकता बढ़ती है और फिल्म को उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन करने में मदद मिलती है। फिल्म द केरल स्टोरी की कहानी न केवल साल की सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर में से एक बन रही है, बल्कि भारतीय सिनेमा के इतिहास में भी बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त ट्रेंड दिखा रही है।