आयकर विभाग ने कालेधन के खिलाफ कार्रवाई के तहत देशभर में अब तक 1833 करोड़ रुपये की बेनामी संपत्तियां जब्त की है। यह जानकारी केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने दी है। सीबीडीटी के अनुसार अक्टूबर तक उपलब्ध आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 1833 करोड़ रुपये की 541 संपत्तियां जब्त की गईं। इसके लिए 517 से अधिक नोटिस जारी किए गए थे।
इस तरह के सर्वाधिक 136 मामले अहमदाबाद में हुए। भोपाल में 93 मामले, कर्नाटक और गोवा में 76-76 मामले, चेन्नई में 72, जयपुर में 62, मुंबई में 61 और दिल्ली में 55 मामले सामने आए।
क्षेत्र | संपत्ति |
अहमदाबाद | 136 |
भोपाल | 93 |
कर्नाटक और गोवा | 76 |
चेन्नई | 72 |
जयपुर | 62 |
मुंबई | 61 |
दिल्ली | 55 |
20 हजार से ज्यादा रिटर्न की जांच
आयकर विभाग 20 हजार से अधिक संदिग्ध आईटी रिटर्न की जांच कराएगा। नोटबंदी से पहले और बाद में इन लोगों के रिटर्न में भारी अंतर देखने को मिला है, जिसके बाद यह फैसला लिया गया है। विभाग ने 20,572 आईटी रिटर्न को विस्तृत जांच के लिए चुना है। इनके अलावा विभाग ने कर चोरी की सबसे अधिक आशंका वाले एक लाख रिटर्न की भी पहचान की है, जिनकी जांच की जा सकती है।
23.22 लाख संदिग्ध खातों की पहचान
बताया जा रहा है कि नोटबंदी के बाद 23.22 लाख खातों में से 17.73 लाख संदिग्ध मामलों की पहचान की है। इनमें 3.68 लाख करोड़ रुपये की राशि जमा कराई गई। इन मामलों में संबंधित लोगों को नोटिस भेजा गया। इनमें से 11.8 लाख ने ऑनलाइन माध्यमों से जवाब दाखिल कर दिया है।
900 सर्च अभियान चलाए गए
आयकर विभाग ने 9 नवंबर 2016 से लेकर मार्च 2017 के बीच करीब 900 सर्च अभियान चलाए थे। इसमें 900 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई थी, जिसमें 636 करोड़ रुपये की नकदी शामिल है। इस दौरान 7961 करोड़ रुपये की ऐसी संपत्ति का पता चला जिसका खुलासा नहीं किया गया था।
दो लाख से ज्यादा फर्जी कंपनियों का पंजीकरण रद्द
नोटबंदी के बाद कालेधन को सफेद करने में लगी 2.24 लाख फर्जी (शेल) कंपनियों का पंजीकरण रद्द किया जा चुका है। 3.09 लाख शेल कंपनियों के निदेशकों को अयोग्य करार दिया जा चुका है। नोटबंदी के बाद इन कंपनियों में नवंबर-दिसंबर 2016 के दौरान 1238 करोड़ रुपये नकद जमा हुए। देश में करीब 15 लाख कंपनियां रजिस्टर्ड हैं जिनमें से 09 लाख कंपनियां आयकर रिटर्न नहीं दाखिल करतीं।