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भारत को कमजोर करने और पीएम मोदी का विरोध करने के लिए अब भारतीय उद्योगपति अडानी के पीछे पड़ी अमेरिकी संस्था, Hindenburg की रिपोर्ट देश के विकास को धीमा करने की साजिश

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भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी को पश्चिमी देश नरेंद्र मोदी के रॉकफेलर के रूप में मानते हैं। गौतम अडानी का आदर्श वाक्य राष्ट्र निर्माण है। अडानी भारत के सबसे बड़े प्राइवेट हवाई अड्डे के संचालकों में से एक है, सबसे बड़े प्राइवेट बंदरगाहों के संचालक और सबसे बड़े तापीय कोयला बिजली उत्पादक हैं। अब इन दिनों जब पश्चिमी देश भारत और पीएम मोदी के खिलाफ एजेंडा चलाए हुए है तो उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था पर हमला कर दिया। इसी क्रम में अमेरिकी फाइनेंशियल रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया कि अडानी ग्रुप शेयरों में गड़बड़ी और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है। हिंडनबर्ग रिसर्च ने इस रिपोर्ट जारी करने से पहले अडानी समूह से कोई टिप्पणी नहीं ली। अडानी ग्रुप ने इस आरोप को पूरी तरह से बेबुनियाद बताया। इस रिपोर्ट को जारी करने के समय को लेकर भी इस बात का अंदेशा बढ़ जाता है कि यह भारत के खिलाफ एक साजिश है।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के समय को लेकर उठ रहे सवाल

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ऐसे समय में आई है, जब अडानी समूह अपनी मूल कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज की FPO (Follow on Public Offer) बाजार में लेकर आई है। FPO स्टॉक एक्सचेंज में पहले से ही सूचीबद्ध कंपनी के नए शेयरों का ऑफर होता है, जिसके माध्यम से कंपनी बाजार से पैसे जुटाती है। अडानी ग्रुप भी FPO के माध्यम से बाजार से 20,000 करोड़ रुपए जुटाने में लगा हुआ है। यह देश का सबसे बड़ा FPO है। ऐसे वक्त में इस रिपोर्ट के आने से यह साफ हो जाता है कि यह कुछ और नहीं बल्कि कंपनी की शेयर बिक्री को नुकसान पहुंचाने के गलत इरादे से किया गया है।

अडानी ग्रुप के FPO पर रिपोर्ट का दिख रहा है असर

अडानी ग्रुप का यह FPO सब्सक्रिप्शन के लिए 27 जनवरी 2023 से 31 जनवरी 2023 तक डिस्काउंट पर उपलब्ध है। लेकिन अडानी के शेयरों को लेकर जिस तरह से लोगों में क्रेज था, उसके हिसाब से यह FPO सब्सक्राइब नहीं हुआ है। पहले दिन सिर्फ 0.01 प्रतिशत ही सब्सक्रिप्शन हुआ है। जाहिर सी बात है कि हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट का असर अडानी समूह के सिर्फ मार्केट कैपिटलाइजेशन पर ही नहीं, बल्कि उसके FPO सब्सक्रिप्शन पर भी हुआ है।

रिपोर्ट का मकसद पूरी तरीके से दुर्भावनापूर्णः अडानी ग्रुप

हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट पर अडानी ग्रुप के ग्रुप सीएफओ जुगेशिंदर सिंह ने कहा कि हम हिंडनबर्ग रिसर्च की छपी रिपोर्ट से हैरान हैं क्योंकि उन्होंने हमसे बिना संपर्क किए या फिर सही तथ्यों को वेरिफाई किए बगैर रिपोर्ट पब्लिश की है। अडानी ग्रुप ने कहा कि ये रिपोर्ट गलत सूचनाओं, बासी, निराधार और बदनाम करने वाले आरोपों का एक दुर्भावनापूर्ण मिश्रण है जिसे भारत के सुप्रीम कोर्ट में परखा गया है और उसे कोर्ट द्वारा खारिज किया जा चुका है। साथ ही उन्होंने कहा कि अडानी इंटरप्राइजेज के FPO को नुकसान पहुंचाने के इरादे से ये रिपोर्ट लाई गई है। अडानी ग्रुप ने रिपोर्ट के समय को लेकर भी सवाल उठाया है। उसने कहा कि एफपीओ से ठीक पहले जारी रिपोर्ट से साफ पता चलता है कि दुर्भावनापूर्ण इरादे से इसे लाया गया है जिसका मकसद अडानी ग्रुप के साख को बट्टा लगाना है।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग और टैक्स चोरी के आरोप

हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक, “अडानी ग्रुप के संस्थापक और चेयरमैन गौतम अडानी का नेटवर्थ 120 अरब डॉलर है। इसमें से 100 अरब डॉलर से ज्यादा का इजाफा पिछले तीन साल में हुआ। इसका कारण ग्रुप की लिस्टेड सात कंपनियों के शेयरों में तेजी है। इनमें इस दौरान औसतन 819 फीसदी की तेजी हुई है।” रिपोर्ट में अडानी परिवार के नियंत्रण वाली मुखौटा इकाइयों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी है। ये कंपनियां कैरेबियाई और मॉरीशस से लेकर संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) तक में है। इसमें दावा किया गया है कि इन इकाइयों का उपयोग भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग और टैक्स चोरी को अंजाम देने के लिये किया गया। साथ ही ग्रुप की लिस्टेड कंपनियों के धन की हेराफेरी के लिये भी इसका उपयोग किया गया।

क्या हिंडनबर्ग ने शॉर्ट सेलिंग और मुनाफे के लिए जारी की रिपोर्ट

हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट ऐसे समय में जारी की जब अडानी ग्रुप अगले 2 दिनों बाद ही देश का सबसे बड़ा FPO लॉन्च करने वाला था। रिपोर्ट जारी करने के समय को लेकर विश्लेषकों ने हिंडनबर्ग के इरादों पर सवाल उठाए हैं। हिंडेबर्ग पर सवाल एक नजर में इसलिए भी जायज दिख रहा है, क्योंकि यह कंपनी शॉर्ट सेलिंग का कारोबार करती है। हिंडेनबर्ग पर आरोप लगते रहे हैं कि रिसर्च फर्म के नाम पर कंपनियों की रिपोर्ट जारी करती है। इसमें वह कंपनियों की वित्तीय स्थिति का विवरण देती है। इसके कारण जब कंपनी के शेयर लुढ़कने लगते हैं तो वह मुनाफे कमाती है। शॉर्ट सेलिंग की बात खुद हिंडेनबर्ग ने कही है। हिंडेनबर्ग ने कहा था कि वह यूएस ट्रेडेड बॉन्ड और नन-इंडियन ट्रेडेड डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट्स के जरिए अडानी ग्रुप की कंपनियों में शॉर्ट पोजीशन रखेगी।

हिंडनबर्ग पर अमेरिका में चल रही आपराधिक जांच

हिंडनबर्ग की शॉर्ट-सेलिंग और हेज फंड के साथ मिलीभगत के लिए अमेरिकी सरकार के न्याय विभाग द्वारा जांच की जा रही है। फर्म के संस्थापक नैट एंडरसन कथित तौर पर कॉर्पोरेट आपदाओं की पहचान करने और उनसे मुनाफा कमाने में माहिर हैं। हिंडनबर्ग रिसर्च कॉर्पोरेट आपदाओं की पहचान करने और उनसे लाभ उठाने में माहिर है।

कुछ समय पहले अमेरिका के न्याय विभाग ने 30 इन्वेस्टमेंट एवं रिसर्च कंपनियों एवं उनसे जुड़े लोगों के खिलाफ जांच शुरू की थी। जिन कंपनियों के खिलाफ जांच शुरू हुई थी, उनमें हिंडनबर्ग रिसर्च भी शामिल है। ये कंपनियां किसी को टारगेट करके उसकी वित्तीय रिपोर्ट जारी करते थे और उसके स्टॉक पर अपना शॉर्ट पोजीशन बनाते थे। उस कंपनी का स्टॉक जितना ही गिरता उतना ही ये लाभ कमाते थे।

अडानी के नेटवर्थ में 23 बिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान

अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग ने अडानी समूह पर गंभीर आरोप लगाकर अपने एजेंडे में किस तरह सफल रही उसे इस बात से समझा जा सकता है कि इसके कारण गौतम अडानी को बड़ा नुकसान हुआ है। गौतम अडानी की संपत्ति गिरकर 96.6 अरब डॉलर पर पहुंच गई है। इस रिपोर्ट के कारण अडानी के नेटवर्थ में 23 बिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के कारण निवेशकों, लोगों में एक डर का माहौल सा बन गया, लेकिन अडानी ने एक विज्ञापन के जरिए उन डर को खत्म करने की कोशिश की है। उन्होंने बताने की कोशिश की है कि अडानी समूह की नींव कितनी मजबूत है।

अडानी समूह ने कहा- उसका फोकस ‘भारत पर निर्भर वर्ल्ड’ मिशन पर

गौतम अडानी की कंपनी अडानी समूह का साम्राज्य इतना कमजोर नहीं कि एक रिपोर्ट से उसकी नींव हिल जाए। जमीन से लेकर आसमान तक, पानी से लेकर सड़कों तक, तेल से लेकर ग्रीन एनर्जी तक अडानी समूह का कब्जा है। निवेशक घबराएं नहीं इसे लेकर अखबारों में अडानी ग्रुप ने विज्ञापन दिया है। इस विज्ञापन के जरिए उन्होंने अपनी कंपनियों के विस्तार की झलक दिखाई है। विज्ञापन में जरिए बताया गया है कि कैसे अडानी एंटरप्राइजेज देश निर्माण पर बल दे रहा है। अडानी समूह ने अपने विज्ञापन के जरिए बताया है कि उनका फोकस ‘भारत पर निर्भर वर्ल्ड’ मिशन पर है।

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