कांग्रेस के अयोग्य सांसद राहुल गांधी पिछले कुछ दिनों से अडानी नाम की माला जप रहे थे। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के बेटे राहुल गांधी लगातार अडानी को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी सवाल कर रहे थे। राहुल गांधी हर जगह लगातार पूछ रहे थे कि आखिर अडानी ग्रुप के पास 20 हजार करोड़ रुपए कहां से आए हैं? अब कांग्रेस नेता के बचकाना सवालों से तंग आकर आखिर अडानी ग्रुप ने करारा जवाब दिया है। अडानी ग्रुप ने 2019 से लेकर अब तक पिछले 4 सालों का पूरा हिसाब सार्वजनिक कर दिया है। इसके साथ ही अडानी ग्रुप ने फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट को भी झूठा करार दिया है। फाइनेंशियल टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में एफडीआई को लेकर आरोप लगाए थे।
फाइनेंशियल टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि 2017 से 2022 के बीच ग्रुप में विदेशी बेनामी कंपनियों के जरिए 20 हजार करोड़ रुपये निवेश किए गए। अडाणी ग्रुप ने फाइनेंशियल टाइम्स को लिखी चिट्ठी सार्वजनिक करते हुए बताया है कि ये रिपोर्ट गलत है और इसके रिपोर्टरों ने जानबूझकर तथ्यों की अनदेखी की है। ग्रुप ने कहा है कि दरअसल कंपनी के प्रमोटरों ने ग्रुप की दो कंपनियों में हिस्सेदारी बेचकर जो पैसा कमाया, वही पैसा ग्रुप की नई कंपनियों में लगाया।
अडाणी ग्रुप ने पत्र में लिखा है कि 18 जनवरी, 2021 और 23 जनवरी, 2021 को यह सार्वजनिक किया गया था कि अडाणी ग्रुप के प्रमोटर्स ने अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी फ्रांस की टोटल एनर्जी को बेचकर 2 बिलियन डॉलर जुटाए थे। इस रिपोर्ट को फाइनेंशियल टाइम्स ने उस समय छापा था, लेकिन 22 मार्च, 2023 की स्टोरी में इसे नजरअंदाज कर दिया गया। इसके बाद अक्टूबर 2019 में प्रमोटर्स ने अडाणी टोटल गैस में 37.4 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर 700 मिलियन डॉलर जुटाए। ये भी अडाणी ग्रुप की प्रेस रिलीज में बताया गया था। फाइनेंशियल टाइम्स ने इसे भी जानबूझकर नजरअंदाज किया, जबकि पहले वो इस खबर को छाप चुके थे।
इन फंड्स का निवेश प्रमोटर्स की कंपनियों में किया गया। जिसमें अडाणी एंटरप्राइजेज, अडाणी पोर्ट्स और अडाणी स्पेशल इकोनॉमिक जोन, अडाणी ट्रांसमिशन और अडाणी पावर शामिल हैं। लेकिन फाइनेंशियल टाइम्स ने प्राइमरी और सेकेंडरी निवेशों में घालमेल कर दिया और 2 बिलियन डॉलर के लेन-देन को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया। ऐसा कंपनी को बदनाम करने के लिए किया गया।
विदेशी मीडिया के प्रोपेगंडा की पोल खोलते हुए अडाणी ग्रुप ने पत्र में यह भी लिखा है कि रिपोर्ट ने कई जगह खुद को ही गलत साबित किया है। जैसे कि ग्रुप में एफडीआई कर रही विदेशी शेल कंपनियां अडाणी प्रमोटर्स ग्रुप का हिस्सा हैं, मतलब उनका अडाणी से करीबी संबंध है। लेकिन आगे यह भी कहती है कि मॉरीशस की अज्ञात संस्थाओं से पैसा आना चिंताजनक था क्योंकि ये पता लगाना असंभव था कि फंड राउंडट्रिप किया गया था या नहीं। अडाणी ग्रुप ने सवाल किया है कि अगर ये विदेशी कंपनियां प्रमोटरों से जुडी हैं तो फिर अज्ञात कैसे हो गईं?
अडानी ग्रुप ने अपने जवाब में यह भी लिखा है कि ये सारी जानकारियां सार्वजनिक हैं और संबंधित रेगुलेटरी फाइलिंग में हैं। ग्रुप ने पत्र में यह भी लिखा है कि चूंकि इस स्टोरी से ग्रुप की इमेज- साख को नुकसान हुआ और यह एक राजनीतिक मुद्दा बन गया। इसलिए फाइनेंशियल टाइम्स इसे तुरंत अपने वेबसाइट से हटा ले। ग्रुप ने यह भी कहा है कि अडानी ग्रुप के खिलाफ गलत नैरिटव गढ़ा जा रहा है।