जिन विवादित मुद्दों को पिछली सरकारों ने छूने तक की हिम्मत नहीं दिखाई, उन्हें मोदी सरकार ने एक झटके में जड़ से खत्म कर दिया। मोदी सरकार ने पिछले नौ साल में ऐसे बड़े फैसले लेकर सबको चौंका दिया जिससे न केवल देश की तस्वीर बदली है बल्कि दुनिया ने भारत को ग्लोबल लीडर माना है। इनमें प्रमुख रूप से जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाना, नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन अभियान, जीएसटी लागू करना, नोटबंदी, तीन तलाक की प्रथा खत्म, एयर स्ट्राइक कर पाकिस्तान को सबक सिखाया, डोकलाम, गलवान में चीन को सबक सिखाया और रूस-यूक्रेन युद्ध में कूटनीति से दुनिया को चित करना शामिल हैं।
नागरिकता संशोधन कानून शुरू से ही विवादों में रहा लेकिन मोदी सरकार ने इसे अमलीजामा पहनाया। आर्टिकल 370 जो 70 सालों से देश के लिए नासूर बन चुका था उसे हटाने का साहस मोदी सरकार ने ही दिखाया। रूस-यूक्रेन जंग के दौरान दिल्ली दुनियाभर के देशों का कूटनीति का केंद्र बन गई थी। इसी तरह पाकिस्तान हो या चीन, उनको सबक सिखाया गया और मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से मुक्ति दिलाई। अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर जीएसटी लागू किया, आर्थिक सिस्टम को स्वच्छ करने के लिए नोटबंदी की। स्वास्थ्य के मोर्चे पर दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन अभियान चलाया गया। यह सब पीएम मोदी के विजन से ही संभव हो पाया।
1- अनुच्छेद 370 को हटाना
पीएम मोदी ने कश्मीर का कलंक बनी अनुच्छेद 370 को हटाया
हम अक्सर एक नारा सुनते हुए या नारा लगाते हुए बड़े हुए हैं और वो नारा था- ”जहां हुए बलिदान मुखर्जी वो कश्मीर हमारा है” लेकिन 5 अगस्त 2019 से पहले हमारा होते हुए भी कश्मीर पूरी तरह से हमारा नहीं था। इसकी कारण था जम्मू कश्मीर राज्य में लगा हुआ आर्टिकल 370। इसे जम्मू कश्मीर का कलंक कहा जाए तो अतोश्योक्ति नहीं होगी। Article 370 के कारण जम्मू कश्मीर भारत का हिस्सा होते हुए भी पूरी तरह से भारत का नहीं था।
मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर खंडों को समाप्त कर दिया था जो जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करते थे। इसके साथ ही जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू कश्मीर और लद्दाख) में बांट दिया था। जम्मू कश्मीर 70 साल तक आर्टिकल 370 की जंजीरों में जकड़ा रहा। 5 अगस्त 2019 को मोदी सरकार ने कश्मीर को आर्टिकल 370 से मुक्ति दे दी। इसी के साथ जम्मू-कश्मीर में देश के वो सभी कानून लागू हो गए, जिन्हें 70 साल तक लागू नहीं किया जा सका था। साथ ही जम्मू-कश्मीर का अलग झंडा हटाकर अब वहां के सरकारी दफ्तरों में तिरंगा लहराने लगा। आर्टिकल 370 की बेड़ी टूटने के साथ ही जम्मू-कश्मीर के लोगों को अब केंद्र सरकार की लाभकारी योजनाओं का भी फायदा मिलने लगा, जिनसे कई सालों तक कश्मीर के लोगों को वंचित रखा गया।
2- नागरिकता संशोधन कानून (सीएए)
नागरिकता संशोधन कानून दूसरे देशों के अल्पसंख्यकों के लिए बना मददगार
नागरिकता संशोधन कानून शुरू से ही विवादों में रहा है। मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून को 10 जनवरी 2020 को अमलीजामा पहनाया। इस कानून से पाकिस्तान, अफगानिस्तान और अन्य देशों में रह रहे हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी और यहूदी को भारतीय नागरिकता मिल सकती है। सरकार का कहना है कि यह विधेयक उन सभी लोगों के लिये एक वरदान के रूप में है, जो विभाजन के शिकार हुए हैं और अब ये तीन देश लोकतांत्रिक इस्लामी गणराज्यों में परिवर्तित हो गए हैं। सरकार ने इस विधेयक को लाने के कारणों के रूप में पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों एवं सम्मान की रक्षा करने में धार्मिक विभाजन तथा बाद में नेहरू-लियाकत संधि की 1950 की विफलता पर भारत के विभाजन का हवाला दिया है।
क्या है नागरिकता संशोधन कानून (CAA) 2019
नागरिकता संशोधन कानून 2019 में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और क्रिस्चन धर्मों के प्रवासियों के लिए नागरिकता के नियम को आसान बनाया कर दिया गया है। पहले किसी व्यक्ति को भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए कम से कम पिछले 11 साल तक यहां रहना अनिवार्य था। लेकिन CAA के तहत इस नियम को बदलकर नागरिकता हासिल करने की अवधि को एक साल से लेकर 6 साल किया गया है।
CAA से किस धर्म के लोगों को फायदा?
इस कानून के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में छह धर्मों के बीते एक से छह सालों में भारत आकर बसे लोगों को नागरिकता मिल सकेगी। इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि भारत के तीन मुस्लिम बहुसंख्यक पड़ोसी देशों से आए गैर मुस्लिम प्रवासियों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और क्रिस्चन) को नागरिकता देने के नियम को आसान बनाया गया है।
मोदी सरकार ने कैसे कराया CAA पास
इस विधेयक को गृह मंत्री ने 19 जुलाई, 2016 को लोकसभा में पेश किया था और 12 अगस्त, 2016 को इसे संयुक्त संसदीय कमिटी के पास भेजा गया था। कमिटी ने 7 जनवरी, 2019 को अपनी रिपोर्ट सौंपी। उसके बाद अगले दिन यानी 8 जनवरी, 2019 को विधेयक को लोकसभा में पास किया गया। लेकिन उस समय राज्य सभा में यह विधेयक पेश नहीं हो पाया था। इस विधेयक को शीतकालीन सत्र में सरकार ने फिर से नए सिरे पेश किया गया। सीएए को लोकसभा ने 9 दिसंबर, 2019 को और राज्यसभा ने 11 दिसंबर को पारित किया था और 12 दिसंबर को राष्ट्रपति ने इसे मंजूरी दी थी।
कानून पर मोदी सरकार का रुख
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर मोदी सरकार ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान और बांग्लादेश इस्लामिक गणराज्य हैं जहां मुसलमान बहुसंख्यक हैं इसलिये उन्हें उत्पीड़ित अल्पसंख्यक नहीं माना जा सकता है। सरकार के अनुसार, इस विधेयक का उद्देश्य किसी की नागरिकता लेने के बजाय उन्हें सहायता देना है।
3- दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन अभियान
दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीनेशन अभियान 220.17 करोड़ टीके लगाए गए
COVID-19 के खिलाफ दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान 16 जनवरी 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया। दिल्ली स्थित ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज (एम्स) के 34 वर्षीय सफाई कर्मी मनीष कुमार भारत में कोविड – 19 की वैक्सीन लेने वाले पहले व्यक्ति बने। भारत में इसके साथ ही दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण ड्राइव की शुरुआत की गई थी। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि देश में आज से दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू होने जा रहा है। भारत में दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान के दौरान 220.17 करोड़ टीके लगाए गए। इस सफल टीकाकरण अभियान की वजह से इसे इतिहास की किताबों में हमेशा याद किया जाएगा। इसके साथ ही भारत ने अपने देश में टीकाकारण के साथ ही दुनियाभर के करीब 100 देशों को भी वैक्सीन उपलब्ध कराया।
पीएम मोदी के विजन से देश में कोरोना की दो वैक्सीन हुई तैयार
विपक्षी पार्टियों, लेफ्ट लिबरल गैंग के लगातार विरोध और दूसरे देशों से वैक्सीन आयात करने के दबाव के बीच पीएम ने मोदी ने देश में वैक्सीन बनाने की ठानी और देश के टीका विशेषज्ञों, डाक्टरों एवं वैज्ञानिकों को इस काम तेजी से करने करने के लिए कहा। जब देश में वैक्सीन बनकर तैयार हो गई तो पीएम मोदी ने कहा कि आज वो वैज्ञानिक, वैक्सीन रिसर्च से जुड़े अनेकों लोग विशेष प्रशंसा के हकदार हैं, जो बीते कई महीनों से कोरोना के खिलाफ वैक्सीन बनाने में जुटे थे। आमतौर पर एक वैक्सीन बनाने में बरसों लग जाते हैं। लेकिन इतने कम समय में एक नहीं, दो मेड इन इंडिया वैक्सीन तैयार हुई हैं।
वैक्सीनेशन का खर्चा भारत सरकार ने उठाया
भारत का टीकाकरण अभियान बहुत ही मानवीय और महत्वपूर्ण सिद्धांतों पर आधारित रहा। जिसे सबसे ज्यादा जरूरत थी, उसे सबसे पहले कोरोना का टीका लगाया गया। सभी के वैक्सीनेशन का खर्च भारत सरकार द्वारा उठाया गया। टीकाकरण अभियान की पुख्ता तैयारियों के लिए राज्य सरकार के सहयोग से देश के कोने-कोने में ट्रायल किए गए। विशेष तौर पर बनाए गए डिजिटल कोविन में ट्रैकिंग तक की व्यवस्था की गई थी।
4- जीएसटी लागू करना
मोदी सरकार ने 2017 में लागू किया ‘वन नेशन वन टैक्स’
भारत में GST 1 जुलाई 2017 को लागू हुआ। 30 जून और 1 जुलाई की मध्य रात्रि को संसद के सेंट्रल हाल में आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे लांच किया। इससे पहले GST से संबंधित विधेयकों को संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्य सभा) में पारित कराया गया था। मोदी सरकार द्वारा शुरू किए गए ‘वन नेशन वन टैक्स’ को भारत में अब तक का सबसे बड़ा कर सुधार बताया गया। भारत को एक एकीकृत बाजार बनाने के इरादे से पेश किया गया। इस सुधार ने पूरे देश के लिए एक अप्रत्यक्ष कर की व्यवस्था पेश की। हालांकि इसे एक साथ पूरे देश में लागू करना इतना आसान नहीं था लेकिन पीएम मोदी के नेतृत्व में इसे भी सफलता से लागू किया गया।
जीएसटी कलेक्शन: लागू होने के बाद से अब तक का रिकॉर्ड संग्रह
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर भारत लगातार तरक्की के रास्ते पर है। टैक्स कलेक्शन के मामले में नया कीर्तिमान बना है। वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी कलेक्शन अप्रैल, 2023 में 1.87 लाख करोड़ रुपये रहा जो अब तक का रिकॉर्ड है। यह पिछले साल अप्रैल 2022 के मुकाबले 12 प्रतिशत अधिक है। जीएसटी देश में पहली बार 1 जुलाई, 2017 को लागू किया गया था। तब से पिछले 6 साल में पहली बार रिकॉर्ड जीएसटी का कलेक्शन हुआ है।
5- यूक्रेन, सूडान में बचाव अभियान
मोदी सरकार ने 18,000 भारतीयों को बचाने के लिए चलाया ‘ऑपरेशन गंगा’
मोदी सरकार ने यूक्रेन संघर्ष क्षेत्र से लगभग 18,000 भारतीयों को बचाने के लिए ‘ऑपरेशन गंगा’ के तहत 26 फरवरी 2022 को एक निकासी मिशन चलाया। यूक्रेन के पूर्वी भाग में फंसे भारतीय छात्रों को वहां से निकालने के लिए मोदी सरकार ने पूरा जोर लगा दिया था। इसके लिए भारतीय वायुसेना के साथ ही अन्य कमर्शियल फ्लाइट चलाई गईं। इनमें एयर इंडिया, इंडिगो, स्पाइस जेट, गो एयर और गो फर्स्ट की फ्लाइट शामिल थी। इसके साथ ही खार्किव और सूमी शहरों में फंसे भारतीय और अन्य देशों के नागरिकों को निकालने के लिए भारत के अनुरोध पर रूस ने 130 बसें मुहैया कराई थी। रूसी राष्ट्रीय रक्षा नियंत्रण केंद्र के प्रमुख कर्नल-जनरल मिखाइल मिज़िन्त्सेव ने कहा था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात करके यूक्रेन के युद्ध प्रभावित क्षेत्रों से भारतीयों की सुरक्षित निकालने के लिए बात की थी। उसी के तहत ये बसें मुहैया कराई गईं।
सूडान में गृहयुद्ध के बीच से अपने नागरिकों को बचा लाई मोदी सरकार
सूडान में गृह युद्ध जैसे हालात बन गए। टीवी, रेडियो सब बंद हो गए। सत्ता के लिए दो गुटों में बंटी फौजें सरकारी मुख्यालयों, एयरपोर्ट्स, टीवी और रेडियो सेंटर जैसी जरूरी इमारतों पर कब्जा करने लगी। इस संघर्ष में फौजियों और आम लोगों को मिलाकर हजारों की जान जा चुकी है। आम नागरिकों की हालत ज्यादा खराब हो गई। जान के खतरे के साथ उन्हें बुनियादी चीजों की किल्लत का भी सामना करना पड़ा। हालत ये है कि पीने के लिए पानी तक नहीं मिल रहा। ऐसे में भारत भारत सरकार ने भी अपने हजारों नागरिकों को सूडान से सुरक्षित बाहर निकालने के लिए ऑपरेशन चलाया, जिसका नाम है- ऑपरेशन कावेरी। इसके तहत 3500 से अधिक नागरिकों को सुरक्षित स्वदेश लाया गया।
6. तीन तलाक की प्रथा खत्म
मोदी सरकार ने तीन तलाक से मुस्लिम महिलाओं को दिलाया छुटकारा
मुस्लिम समाज में पिछले लंबे समय से चलते आ रहे तीन तलाक पर कानून बनाने की मांग के बाद 1 अगस्त 2019 को मोदी सरकार ने तीन तलाक के खिलाफ कानून लाया। बीजेपी सरकार की इस पहल से देश की उन तमाम मुस्लिम महिलाओं को राहत मिली, जिन्हें एक झटके में तीन तलाक कहकर छोड़ दिया जाता था। इस कानून का सीधा मतलब ये है कि अब कोई मुस्लिम पुरुष एक साथ तीन तलाक देकर अपनी पत्नी को छोड़ नहीं सकता है और अगर ऐसा करता है तो उसे जेल जाना होगा और जुर्माना भी भरना होगा।
अब तीन बार तलाक कहकर तत्काल तलाक देना अवैध
दूसरी बार सत्ता में आने के तत्काल बाद मोदी सरकार ने राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाई और मुस्लिम महिलाओं को ट्रिपल तलाक के दंश से छुटकारा दिलाने का काम किया। उन्होंने कम से कम इतना संदेश देने की कोशिश की है कि भारत संविधान के आधार पर चलने वाला देश है। जहां हर इंसान के मौलिक अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की जाएगी। धार्मिक आधार पर महिलाओं के अधिकारों में कोई अंतर नहीं किया जा सकता है। वैसे भी ट्रिपल तलाक कानून का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। यह कानून विशुद्ध रूप से एक सामाजिक बुराई, अमानवीय, क्रूर और असंवैधानिक प्रथा को समाप्त करके लैंगिक समानता सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है। मौखिक रूप से तीन बार तलाक कहकर तत्काल तलाक देना अवैध है। कई ऐसी घटनाएं भी सामने आई थीं जिनमें महिलाओं को पत्र, फोन या मैसेज और व्हाट्सएप के जरिए भी तलाक दिया गया था। इस तरह की घटनाएं एक संवेदनशील देश और समाज में स्वीकार नहीं की जा सकती हैं।
7. एयर स्ट्राइक कर पाकिस्तान को सबक सिखाया
एयर स्ट्राइक में बालाकोट और मुजफ्फराबाद में मारे गए 300 आतंकवादी
पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद मोदी सरकार ने पाकिस्तान को सबक सिखाने की ठान ली। इसी इरादे से भारतीय एयर फोर्स ने 26 फरवरी 2019 को तड़के पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में घुस कर बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया। सर्जिकल स्ट्राइक पार्ट 2 में वायुसेना के 12 मिराज विमानों ने जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों पर ताबड़तोड़ बमबारी की। इस दौरान बालाकोट और मुजफ्फराबाद के आस-पास आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया और इस हमले में 300 से ज्यादा आतंकियों के मारे जाने की खबर सामने आई थी। इससे पहले मोदी सरकार ने 2016 में पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक किया था।
पीएम मोदी ने दिए थे कार्रवाई के संकेत
बीते 14 फरवरी 2019 को पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा भारतीय जवानों पर हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ी कार्रवाई के संकेत दिए थे। पीएम मोदी ने साफ कर दिया था कि पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के खिलाफ सेना अपने तय वक्त और जगह पर जवाब देगी।
Indian Air Force violated Line of Control. Pakistan Air Force immediately scrambled. Indian aircrafts gone back. Details to follow.
— DG ISPR (@OfficialDGISPR) February 25, 2019
बालाकोट हमले की पाकिस्तान ने खुद दी जानकारी
दिलचस्प यह है कि पाकिस्तान की ओर से खुद इसकी जानकारी दी गई। पाकिस्तान इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) के महानिदेशक आसिफ गफूर ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी थी। गफूर ने लिखा कि ‘भारतीय वायु सेना ने नियंत्रण रेखा का उल्लंघन किया। पाकिस्तान वायु सेना ने तुरंत कार्रवाई की। भारतीय विमान वापस चले गए। वहीं रेडियो पाकिस्तान ने दावा किया कि वायुसेना के विमानों ने लौटने से पहले जल्दबाजी में विमान में रखे बम गिरा दिए जो खैबर पख्तूनख्वा में बालाकोट के पास गिरे।
भारतीय जवानों ने चीनियों को ऐसा धोया की चीनी सैनिक उल्टे पांव भागे ।
इसी लिए तो कहते है
ये देश है वीर जवानों का अलबेलों का मस्तानों का इस देश के यारो क्या कहना
जय जवान ,🙏🙏🚩🚩 pic.twitter.com/3JU8jtZcww— praveen pandey, bhajapa (@praveen16787126) December 14, 2022
8. डोकलाम, गलवान, तवांग में चीन को सबक सिखाया
डोकलाम, गलवान, तवांग में भारतीय सेना ने चीन को सबक सिखाया
चीन लगातार वास्तविक सीमा को बदलने के लिए सलामी स्लाइसिंग करता रहा है। आमतौर पर पड़ोसी देश भूमि पर कब्जे के लिए इस तरह की रणनीति बनाकर उसको अंजाम देते रहते हैं, इसे ही सलामी स्लाइसिंग कहा जाता है। लेकिन 2014 में पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद चीन अपनी इस कुनीति में सफल नहीं हो रहा है। उल्टे उसे मुंहतोड़ जवाब मिल रहा है जिससे चीनी सैनिकों का मनोबल अब गिर चुका है। डोकलाम, गलवान, तवांग, 5 साल में 3 बार भारतीय सेना ने चीन को सबक सिखाया है। 9 दिसंबर 2022 को तवांग में झड़प हुई थी। इससे पहले 2017 में डोकलाम और 2020 में गलवान घाटी में दोनों सेनाएं आमने-सामने आ गई थीं और भारतीय सेना चीनी सैनिकों पर भारी पड़े थे। चीन को ज्यादा क्षति हुई थी।
भारतीय सेना के साहस के आगे टिक न सके चीनी
भारतीय सेना के बयान के मुताबिक, भारत और चीन के सैनिकों में ये झड़प तवांग सेक्टर के यांगत्से में हुई। चीन के सैनिक घुसपैठ के इरादे से आए थे। चीन के सैनिकों के पास नुकीले तार लगी लाठियां भी थीं। चीन के सैनिक तवांग सेक्टर में भारतीय सेना की एक चौकी को उखाड़ना चाहते थे, जिसका भारतीय सेना ने मजबूती से जवाब दिया और उन्हें वापस पीछे धकेल दिया।
गलवान और डोकलाम में भी चीन ने टेक दिए थे घुटने
वैसे तो डोकलाम भूटान और चीन का विवाद है, लेकिन ये सिक्किम सीमा के पास पड़ता है। ये एक तरह से ट्राई-जंक्शन है, जहां से चीन, भूटान और भारत नजदीक हैं। डोकलाम एक पहाड़ी इलाका है, जिस पर भूटान और चीन दोनों ही अपना दावा करते हैं। डोकलाम पर भूटान के दावे का भारत समर्थन करता है। जून 2017 में चीनी सैनिकों ने यहां सड़क बनाने का काम शुरू किया तो भारतीय सेना ने इसे रोक दिया था। भारत का कहना था कि अगर डोकलाम में सड़क बनती है तो इससे सुरक्षा समीकरण बदल सकते हैं और अगर भविष्य में संघर्ष की स्थिति बनती है तो चीन इस सड़क का इस्तेमाल सिलिगुड़ी कॉरिडोर पर कब्जे के लिए कर सकता है।
डोकलाम में दो महीने के बाद चीन घुटने टेके
डोकलाम में सड़क निर्माण को लेकर हुए विवाद के बाद भारत और चीन की सेनाएं 73 दिनों तक आमने-सामने डटी रही थीं। हालांकि, कोई हिंसा नहीं हुई थी। दो महीने तक टकराव जैसी स्थिति होने के बाद चीन ने घुटने टेक दिए और डोकलाम से सैनिकों के पीछे हटाने की बात कही।
गलवान में चीन के 38 सैनिक मारे गए
पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून 2020 को भारत-चीन के सैनिकों में खूनी संघर्ष हुआ। चार दशकों का ये सबसे गंभीर संघर्ष माना गया था। गलवान घाटी लद्दाख और अक्साई चीन के बीच पड़ती है। इस घाटी पर चीन अपना दावा करता है। गलवान घाटी में संघर्ष को चीन ने ही बढ़ाया था। अप्रैल 2020 से ही की सेना ने गलवान घाटी के नजदीक अपनी तैनाती बढ़ा दी थी। 15-16 जून 2020 की रात को ये संघर्ष हिंसक हो गया। इस झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे। हालांकि, चीन ने आधिकारिक तौर पर सिर्फ अपने चार जवानों के मारे जाने की बात ही कबूल की थी। लेकिन ऑस्ट्रेलिया की न्यूज साइट ‘द क्लैक्सन’ ने अपनी एक इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट में इसका खुलासा किया कि पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुए हिंसक संघर्ष में चीन के 38 सैनिक मारे गए थे।
9. रूस-यूक्रेन युद्ध में कूटनीति से दुनिया चित
पीएम मोदी के विजन से दिल्ली बन गई थी कूटनीति का केंद्र
दुनिया की कूटनीति तेजी से उलट पलट रही है। लेकिन आज पीएम मोदी की कूटनीति से पूरी दुनिया चित हो गई है। 24 फरवरी, 2022 को रूस ने जिस हमले की शुरुआत की वो थमी नहीं है लेकिन दुनिया के लगभग सभी देशों को अपनी विदेश नीति जरूर बदलनी पड़ी है। एक साल के भीतर यूक्रेन में जारी जंग ने दोस्ती और दुश्मनी के सारे समीकरण बदल कर रख दिए हैं। एक साल के भीतर तो बहुत कुछ हुआ। यूएन में रूस-यूक्रेन जंग पर जब भी वोटिंग हुई भारत ने देशहित को चुना। भले इसे कोई रूस हित बता जाए, फर्क नहीं पड़ता। एक समय ऐसा भी आया कि भारत की राजधानी दिल्ली दुनिया भर के राष्ट्राध्यक्षों, विदेश मंत्रियों और रक्षा मंत्रियों की पसंदीदा जगह बन गई थी। दिल्ली कूटनीति का केंद्र बन गई थी।
आज पूरी दुनिया भारत की तरफ देख रहा
पीएम मोदी के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में भारत की पोजिशनिंग ऐसी हो गई है कि पूरी दुनिया भारत की तरफ देख रहा है। और अमेरिका चाहे प्यार से माने या पीड़ा से, उसे कहना पड़ता है कि अगर भारत सरकार रूस से तेल खरीद रही है तो ये उनकी जरूरत के हिसाब से लिया गया फैसला है।
मोदी से मुनादी, प्लीज जंग रोक लीजिए! चीन ने ओढ़ा शांति दूत का चोला
अमेरिका और यूरोप ने भारत को खूब सुनाया भी और मुनादी भी की कि प्लीज जंग रोक लीजिए। तो मोदी जी ने व्लादिमीर पुतिन को उनके घर में सुना दिया कि ये काल युद्ध का नहीं है। इसका असर इतना हुआ कि शांति दूत चीन ने जंग खत्म करने के लिए जो 12 पॉइंट फॉर्म्युला पेश कर दिया जिसमें मोदी की दो टूक बातचीत की परछाई दिखाई पड़ती है। यानी गोल-गोल घूम रही वैश्विक कूटनीति में भारत से परेशान चीन ने भी दांव खेल दिया। दूसरों की जमीन पर नजर रखने वाला चीन विश्व शांति दूत का चोला पहनने का नाटक करने को मजबूर हो गया।
मोदी विजन से भारत ने किया तेल का खेल, यूरोप का सबसे बड़ा ईंधन सप्लायर बना
पीएम मोदी ने आपदा में अवसर तलाशने का विजन दिया था। भारत उसी नक्शेकदम पर चलते हुए रूस से तेल खरीदकर और उसे अपने यहां रिफाइन कर यूरोप को बेच रहा है। रूस-यूक्रेन संघर्ष के समय अमेरिका ने रूस पर प्रतिबंध लगाए और सभी देशों से रूस से तेल नहीं खरीदने का दबाव बनाया। यूरोप ने तेल खरीदना बंद कर दिया लेकिन भारत ने इस दबाव को ठेंगा दिखा दिया। हाल ही में आए एनालिटिक्स फर्म केपलर (Kpler) के आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं। केपलर के आंकड़ों के मुताबिक भारत अप्रैल 2023 में रिफाइंड ईंधन का यूरोप का सबसे बड़ा सप्लायर बन गया है, और इसके अलावा रूसी कच्चे तेल की भी रिकॉर्ड मात्रा खरीद रहा है। भारत से यूरोप का रिफाइंड ईंधन आयात प्रति दिन 3,60,000 बैरल से ऊपर जाने वाला है।