जनवेदना सम्मेलन के बहाने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधने के लिए राहुल गांधी ने जिस तरह बाबा रामदेव और अनिल बोकिल पर तंज कसा है। वह राहुल गांधी की बौखलाहट को दर्शाता है। राहुल गांधी का यह व्यवहार बचकाना और राजनीतिक अपरिपक्वता को दर्शाता है। राहुल गांधी दरअसल जनवेदना के बहाने सत्ता वियोग का विधवा विलाप कर रहे थे। चांदी का चम्मच लेकर सत्ता के गलियारों में पैदा हुए राहुल गांधी को लगता है कि नोटबंदी के पीछे बाबा रामदेव और अर्थशास्त्री अनिल बोकिल का हाथ है।
अनिल बोकिल ने तो राहुल गांधी से मिलने के लिए समय मांगा था। राहुल गांधी ने दिया था मिलने का समय। कुछ सेकेंड में अनिल बोकिल के आइडिया से ऊब गए। ऊबने का कारण एक तो आलू की फैक्टरी लगाने वाला दिमाग है, तो दूसरा लोकतांत्रिक देश के इकलौते युवराज होने का दंभ। दंभ हो भी क्यों ना राजदंड पकड़कर सत्ता के आंगन में पले बढ़े राहुल गांधी के लिए अनिल बोकिल थे भी क्या? देश का एक सामान्य नागरिक, एक चार्टेड एकाउंटेंट की राहुल के सामने भला हैसियत ही क्या है।
राहुल की बात मान भी लें तो भी अनिल बोकिल ने जो सलाह दी थी, वह तो राहुल कभी करते नहीं। राहुल का इतिहास रहा है… भट्टा पारसौल जाना हो, पद यात्रा करनी हो, दलित के घर भोजन करना हो, ये सब तो उनके मनोरंजन के साधन हैं। नहीं तो 10 साल तक जिस व्यक्ति के हाथ में सत्ता की लगाम रही हो, क्या नहीं कर सकता था। जिस व्यक्ति ने मीडिया के सामने भारत सरकार के कैबिनेट के अध्यादेश को छुट्टी के आवेदन की तरह फाड़ दिया हो और इसके बाद पूरा कैबिनेट राहुल गांधी के लिए मिमयाना शुरू कर दिया हो… वह व्यक्ति कुछ चाहता तो नहीं होता… ऐसा हो ही नहीं सकता है।
अब करते हैं बाबा रामदेव की बात। कहां बाबा रामदेव जिन्होंने अपनी मेहनत, तप और योग के बल पर एक सामान्य नागरिक से ऊपर उठकर योगी और योगपुरुष के रूप में विश्व के सामने खड़े हुए। आज बाबा रामदेव योग के बल पर पूरे विश्व में योगगुरु बने। पतंजलि योगपीठ और पतंजलि जैसी संस्थाएं बनाकर करोड़ों रुपए का व्यावसायिक संस्थान खड़ा कर दिया और निस्वार्थ देखिए। उसका मालिक कौन है… । कम से कम बाबा रामदेव तो नहीं हैं। वह सिर्फ ट्रस्टी की भूमिका में हैं। दोनों ऐसी संस्थाएं जिसके हर रग, हर ईंट में भारतीयता रची बसी है।
राहुल गांधी का देश के प्रति योगदान क्या है। केवल यह कि वह उस परिवार से हैं जिस परिवार ने तीन प्रधानमंत्री दिए। देश के विकास में उनका क्या योगदान है। केवल यह कि नेशनल हेराल्ड की संपत्ति को गलत तरीके से कब्जा जमाया। दस साल तक संविधान को ताक पर रखकर मनमोहन सरकार की लगाम को मां-बेटे यानि सोनिया-राहुल अपने हाथ में लेकर रखा। और देश को विकास की ओर ले जाने के बजाय घोटाले पर घोटाले होने दिया। तब आपकी जनवेदना कहां थी राहुल गांधी।