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महिला आरक्षण बिल- ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ लोकसभा में पेश, प्रधानमंत्री ने कहा इससे लोकतंत्र मजबूत होगा

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज 19 सितंबर को नए संसद भवन में अपना पहला संबोधन दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने प्रथम संबोधन के साथ ही नए संसद भवन में पहले कानून को पेश करने का एलान किया। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार नारी शक्ति वंदन विधेयक पेश करने जा रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि महिला सशक्तिकरण की हमारी हर योजना ने महिला नेतृत्व करने की दिशा में बहुत सार्थक कदम उठाए हैं। महिला नेतृत्व वाले विकास के अपने संकल्प को आगे बढ़ाते हुए, आज हमारी सरकार प्रमुख संविधान संशोधन विधेयक प्रस्तुत कर रही है। इस विधेयक का लक्ष्य लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी का विस्तार करना है। नारी शक्ति वंदन अधिनियम इस माध्यम से हमारा लोकतंत्र और मजबूत होगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अनेक वर्षों से महिला आरक्षण पर बहुत चर्चाएं और वाद-विवाद हुए हैं। 1996 में इससे जुड़ा बिल पहली बार पेश हुआ था। अटल जी के कार्यकाल में कई बार महिला आरक्षण बिल पेश किया गया, लेकिन उसे पास कराने के लिए आंकड़े नहीं जुटा पाए। जिस वजह से वो सपना अधूरा रह गया। महिलाओं को अधिकार देने और उनकी शक्ति का उपयोग करने के इस पवित्र काम के लिए शायद ईश्वर ने मुझे चुना है।

उन्होंने कहा कि एक बार फिर हमारी सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ाया है। कल ही कैबिनेट ने महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दी है। आज 19 सितंबर की ये तारीख इसीलिए इतिहास में अमरत्व को प्राप्त करने जा रही है। आज बहुत आवश्यक है कि नीति निर्धारण में हमारी माताएं-बहनें, नारीशक्ति अधिकतम योगदान दें और महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। आज इस ऐतिहासिक मौके पर नए संसद भवन में, सदन की पहली कार्यवाही के अवसर पर देश ने इस नए बदलाव का आह्वान किया है। देश की नारीशक्ति के लिए सभी सांसद मिलकर नए प्रवेश द्वार खोल दें, इसका प्रारंभ हम इस महत्वपूर्ण निर्णय से करने जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत नए संकल्प के साथ नए संसद भवन में आया है। हर देश की विकास यात्रा में ऐसे माइलस्टोन आते हैं, जब वो गर्व से कहता है कि आज के दिन हम सबने नया इतिहास रचा है। नए सदन के प्रथम सत्र के प्रथम भाषण में मैं बड़े विश्वास और गर्व से कह रहा हूं कि आज का ये पल, आज का ये दिवस इतिहास में नाम दर्ज कराने वाला है।

नए संसद भवन में अपने पहले संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र में राजनीति, नीति और शक्ति का इस्तेमाल समाज में प्रभावी बदलाव का एक बहुत बड़ा माध्यम होता है। इसलिए स्पेस हो या स्पोर्ट्स हो, स्टार्टअप्स हो या सेल्फ हेल्प ग्रुप हो, हर क्षेत्र में दुनिया भारतीय महिलाओं की ताकत देख रही है। सिर्फ महिलाओं के विकास की बात पर्याप्त नहीं है, हमें मानव जाति की विकास यात्रा में नए पड़ाव को अगर प्राप्त करना है, राष्ट्र की विकास यात्रा में नई मंजिलों को अगर पाना है, तो ये आवश्यक है कि महिला नेतृत्व वाले विकास को हम बल दें।

इसके पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नए संसद भवन का ये प्रथम और ऐतिहासिक सत्र है। मैं सभी माननीय सांसदों और देशवासियों को शुभकामनाएं देता हूं। ये अवसर कई मायनों में अभूतपूर्व है। आजादी के अमृतकाल का ये ऊषाकाल है और भारत अनेक सिद्धियों के साथ नए संकल्प लेकर, नए भवन में अपना भविष्य तय करने के लिए आगे बढ़ रहा है। ये भवन नया है, यहां सब कुछ नया है, सारी व्यवस्थाएं नई हैं, लेकिन आज और कल को जोड़ती हमारी एक बहुत बड़ी विरासत है, जो नई नहीं है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज आधुनिक भारत और हमारे लोकतंत्र के प्रतीक नए संसद भवन का शुभारंभ हुआ है। सुखद संयोग है कि आज गणेश चतुर्थी का शुभ दिन है। इस पावन दिवस पर हमारा ये शुभारंभ संकल्प से सिद्धि की ओर एक नए विश्वास के साथ यात्रा आरंभ करने का है। आज जब हम एक नई शुरुआत कर रहे हैं, तब हमें अतीत की हर कड़वाहट को भुलाकर आगे बढ़ना है। हम यहां से हमारे आचरण, वाणी और संकल्पों से जो भी करेंगे, वो देश के लिए, हर नागरिक के लिए प्रेरणा का कारण बनना चाहिए। हम सबको इस दायित्व को निभाने के लिए भरसक प्रयास भी करना चाहिए।

नए संसद भवन में पहला संबोधन देते हुए उन्होंने कहा भवन बदला है, भाव भी बदलना चाहिए, भावना भी बदलनी चाहिए। संसद राष्ट्रसेवा का सर्वोच्च स्थान है। ये संसद दलहित के लिए नहीं है। हमारे संविधान निर्माताओं ने इस पवित्र संस्था का निर्माण दलहित के लिए नहीं बल्कि सिर्फ और सिर्फ देशहित के लिए किया था। उन्होंने कहा कि अभी चुनाव दूर हैं, अभी हमारे पास समय बचा है। मैं मानता हूं कि इस सदन में जो व्यवहार होगा, वो निर्धारित करेगा कि कौन इधर बैठने के लिए व्यवहार करता है और कौन उधर बैठने के लिए व्यवहार करता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज संवत्सरी भी मनाई जाती है, यह एक अद्भुत परंपरा है। आज वह दिन है जब हम कहते हैं ‘मिच्छामी दुक्कड़म’, इससे हमें किसी ऐसे व्यक्ति से माफी मांगने का मौका मिलता है जिसे हमने जानबूझकर या अनजाने में ठेस पहुंचाई है। मैं संसद के सभी सदस्यों और देश की जनता से भी ‘मिच्छामी दुक्कड़म’ कहना चाहता हूं

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अभी चुनाव तो दूर है,और जितना समय हमारे पास बचा है मैं पक्का मानता हूं कि यहां जो व्यवहार होगा ये निर्धारित करेगा कि कौन यहां बैठने के लिए व्यवहार करता है और कौन वहां बैठने के लिए व्यवहार करता है।

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