प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन का लोहा आज पूरी दुनिया मानती है। 2014 में देश की सत्ता संभालने के बाद उन्होंने ‘नमामि गंगे’ मिशन की शुरुआत की थी। अब भारत सरकार की ओर से पवित्र नदी गंगा को साफ करने लेकर चलाई जाने वाली ‘नमामि गंगे’ परियोजना की दुनिया कायल हो गई है। संयुक्त राष्ट्र ने नमामि गंगे परियोजना को 10 अभूतपूर्व प्रयासों में शामिल किया है जिन्होंने प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र (natural ecosystem) को बहाल करने को लेकर अहम भूमिका निभाई। इसको लेकर संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन (COP15) के दौरान एक रिपोर्ट जारी की गई है। संयुक्त राष्ट्र की इस मान्यता के बाद गंगा नदी के संरक्षण एवं जैव विविधता को बचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र समर्थित प्रमोशन, कंसल्टेंसी और डोनेशन प्राप्त हो सकेगा। कनाडा के मॉन्ट्रियल में चल रहे संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन (COP15) में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने इस दौरान कहा कि यह पृथ्वी के प्राकृतिक स्थानों के क्षरण को रोकने और उसे पुन: पूर्व की भांति प्राकृतिक स्थिति में करने के लिए बनाया गया है। नमामि गंगे कार्यक्रम के अन्तर्गत सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल को भी अपनाया गया है। इसके तहत प्रवासी, अनिवासी और भारतीय मूल के अन्य व्यक्तियों, संस्थाओं और कारपोरेट घरानों को गंगा संरक्षण में योगदान करने को प्रोत्साहित करने हेतु ‘स्वच्छ गंगा कोष’ की भी स्थापना की गई है। नमामि गंगे कार्यक्रम के अन्तर्गत गंगा ग्राम नामक पहल भी की गई है। इस कार्यक्रम के तहत स्थायी स्वच्छता के बुनियादी ढांचे और साफ-सफाई की प्रक्रियाओं के विकास के माध्यम से मॉडल गांव विकसित किए जा रहे हैं। पहले चरण में सरकार ने 306 गांवों में गंगा-ग्राम पहल की शुरुआत कर दी है। गंगा की विशाल तलहटी वाले इलाकों के आसपास रह रहे 52 करोड़ लोगों को व्यापक फायदे पहुंचाने के लिए यह अहम है। नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत 31,098.85 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से कुल 374 परियोजनाएं शुरू की गई हैं, जिनमें से 210 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। इसके अलावा अभी तक 30,000 हेक्टेयर जमीन का वनीकरण किया जा चुका है और 2030 तक 1,34,000 हेक्टेयर भूमि का वनीकरण करने का लक्ष्य है।
आइये देखें मोदी ने कैसे बढ़ाया 'नमामि गंगे' का मान..
The United Nations Decade on Ecosystem Restoration has selected India's #NamamiGange initiative among the first ten World Restoration Flagships! Let us know more.. pic.twitter.com/XfyV08Oze2
— Know The Nation (@knowthenation) December 14, 2022
UNEP ने कहा ‘नमामि गंगे’ महत्वपूर्ण कार्यक्रम
‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम को लेकर संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने कहा कि यह भारत की पवित्र नदी गंगा की सेहत सुधारने, इसके प्रवाह को बहाल करने, प्रदूषण को कम करने, वन क्षेत्र के पुनर्निर्माण और इसके विशाल बेसिन के आसपास रहने वाले 52 करोड़ लोगों को लाभ पहुंचाने की एक विस्तृत श्रृंखला वाला महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि इसे धरती के प्राकृतिक स्थानों के क्षरण को रोकने के लिए बनाया गया है। उसने कहा कि इन 10 परियोजनाओं का उद्देश्य 6.8 करोड़ हेक्टेयर से अधिक प्राकृतिक स्थान को बहाल करना है। यह क्षेत्र म्यांमार, फ्रांस या सोमालिया से बड़ा है। यूएनईपी के कार्यकारी निदेशक इंगर एंडरसन ने कहा, ‘‘प्रकृति के साथ हमारे संबंधों में बदलाव, जलवायु संकट, प्रकृति और जैवविविधता के क्षरण, प्रदूषण तथा कचरे के तिहरे संकट से निपटने के लिए अहम है।’’ इन परियोजनाओं को संयुक्त राष्ट्र द्वारा परामर्श और वित्त पोषण दिया जाएगा। इन्हें पारिस्थतिकी बहाली पर संयुक्त राष्ट्र दशक के बैनर तले चुना गया है जो संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) और संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा समन्वित वैश्विक आंदोलन है।
गंगा की सफाई एक आर्थिक एजेंडा भी हैः पीएम मोदी
उत्तर प्रदेश में गंगा के तट पर स्थित वाराणसी से संसद के लिए मई 2014 में निर्वाचित होने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, ‘मां गंगा की सेवा करना मेरे भाग्य में है।’ गंगा नदी का न सिर्फ़ सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व है बल्कि देश की 40 प्रतिशत आबादी गंगा नदी पर निर्भर है। 2014 में न्यूयॉर्क में मैडिसन स्क्वायर गार्डन में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था, “अगर हम इसे साफ करने में सक्षम हो गए तो यह देश की 40 फीसदी आबादी के लिए एक बड़ी मदद साबित होगी। अतः गंगा की सफाई एक आर्थिक एजेंडा भी है”। इस सोच को कार्यान्वित करने के लिए सरकार ने गंगा नदी के प्रदूषण को समाप्त करने और नदी को पुनर्जीवित करने के लिए ‘नमामि गंगे’ नामक एक एकीकृत गंगा संरक्षण मिशन का शुभारंभ किया।
संयुक्त राष्ट्र ने एक बयान में कहा कि गंगा नदी पुनर्जीवन परियोजना में गंगा के मैदानी हिस्सों की सेहत बहाल करना प्रदूषण कम करने, वन्य क्षेत्र का पुन: निर्माण करने तथा इसके विशाल तलहटी वाले इलाकों के आसपास रह रहे 52 करोड़ लोगों को व्यापक फायदे पहुंचाने के लिए अहम है। इसमें कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण में वृद्धि, औद्योगिकीकरण और सिंचाई ने हिमालय से बंगाल की खाड़ी तक 2,525 किलोमीटर तक फैले गंगा क्षेत्र का क्षरण किया है। बयान के अनुसार, ‘‘सरकार की 2014 में शुरू ‘नमामि गंगे’ योजना गंगा और उसकी सहायक नदियों के मैदानी हिस्सों के पुनर्जीवन और संरक्षण, गंगा बेसिन के कुछ हिस्सों के वनीकरण और सतत कृषि को बढ़ावा देने की पहल है।’’
2030 तक 1,34,000 हेक्टेयर भूमि का वनीकरण है लक्ष्य
संयुक्त राष्ट्र ने बताया कि इस परियोजना का उद्देश्य अहम वन्यजीव प्रजातियों को पुनर्जीवित करना भी है। अभी तक 4.25 अरब डॉलर के निवेश वाली इस पहल में 230 संगठन शामिल हैं। इसके अलावा अभी तक 30,000 हेक्टेयर जमीन का वनीकरण किया जा चुका है और 2030 तक 1,34,000 हेक्टेयर भूमि का वनीकरण करने का लक्ष्य है।
परियोजना से डॉल्फिन, कछुए, ऊदबिलाव जैसे जीवों का संरक्षण
संयुक्त राष्ट्र के बयान के अनुसार, सरकार के नेतृत्व वाली नमामि गंगे पहल गंगा और उसकी सहायक नदियों का कायाकल्प, संरक्षण कर रही है, गंगा बेसिन के कुछ हिस्सों में वनीकरण कर रही है और टिकाऊ खेती को बढ़ावा दे रही है। इस परियोजना का उद्देश्य प्रमुख वन्यजीव प्रजातियों को पुनर्जीवित करना है, जिनमें नदी डॉल्फिन, कछुए, ऊदबिलाव और हिलसा शाद मछली शामिल हैं।
नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत 31,098.85 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से कुल 374 परियोजनाएं शुरू की गई हैं, जिनमें से 210 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत शुरू की गई परियोजनाओं में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) क्षमता के 5,015.26 मिलियन लीटर प्रति दिन (एमएलडी) के निर्माण और पुनर्वास और 5,134.29 किलोमीटर सीवरेज नेटवर्क बिछाने के लिए 24,581.09 करोड़ रुपये की स्वीकृत लागत वाली 161 सीवरेज इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं शामिल हैं। इनमें से 92 सीवरेज परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं, जिसके परिणामस्वरूप 1,642.91 एमएलडी एसटीपी क्षमता का निर्माण और पुनर्वास हुआ है और 4,155.99 किलोमीटर सीवरेज नेटवर्क बिछाया गया है।
नमामि गंगे को लंदन में ग्लोबल वाटर समिट में सम्मानित किया गया
लंदन में ग्लोबल वाटर समिट में 09 अप्रैल 2019 को ग्लोबल वाटर इंटेलिजेंस ने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) को ‘पब्लिक वाटर एजेंसी ऑफ द ईयर-डिस्टिंक्शन’ से सम्मानित किया है। ग्लोबल वाटर समिट के दौरान प्रसिद्ध ग्लोबल वाटर अवार्ड्स दिया जाता है। यह कार्यक्रम जल के क्षेत्र में दुनिया के सबसे बड़े बिजनेस कॉन्फ्रेंस में से एक है। ग्लोबल वाटर अवार्ड्स पूरे अंतर्राष्ट्रीय जल उद्योग में उत्कृष्टता को पहचान देता हैं। पानी, अपशिष्ट जल प्रबंधन(वेस्ट वाटर मैनेजमेंट) और डीसेलिनेशन क्षेत्रों में उन पहलों को पुरस्कृत करते हैं, जो लोगों के जीवन में उल्लेखनीय सुधार लाते हैं।
306 गांवों में गंगा ग्राम की पहल
सरकार ने नमामि गंगे कार्यक्रम के अन्तर्गत गंगा ग्राम नामक एक नई पहल की है। इस कार्यक्रम के तहत स्थायी स्वच्छता के बुनियादी ढांचे और साफ-सफाई की प्रक्रियाओं के विकास के माध्यम से मॉडल गांव विकसित किये जाएंगे। पहले चरण में सरकार ने 306 गांवों में गंगा-ग्राम पहल की शुरुआत कर दी है।
गंगा-ग्राम के साथ स्मार्ट गंगा-नगर योजना की शुरुआत
गंगा-ग्राम के साथ स्मार्ट गंगा-नगर योजना की शुरुआत भी की गई है। इसके तहत गंगातट के दस शहरों को स्मार्ट नगर बनाने की योजना है। वे शहर हैं- हरिद्वार, ऋषिकेश, मथुरा-वृंदावन, वाराणसी, कानपुर, इलाहाबाद, लखनऊ, पटना, साहिबगंज और बैरकपुर। राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण की अधिकार सम्पन्न संचालन समिति ने घाटों और श्मशानों के विकास के लिये अनेक परियोजनाओं को मंजूर किया है जिनकी कुल अनुमानित लागत 2446 करोड़ रुपए है।
नमामि गंगे कार्यक्रम में पीपीपी मॉडल उपलब्धि
नमामि गंगे कार्यक्रम के अन्तर्गत सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल को मंजूरी दी गई है। पीपीपी मॉडल अपनाने का उद्देश्य अपशिष्ट जल शोधन के क्षेत्र में सुधार लाना बताया गया है। उसके बाद नमामि गंगे कार्यक्रम को लागू करने की दिशा में प्रमुख पहल के रूप में गंगा टास्क फोर्स बटालियन की पहली कम्पनी का गढ़ मुक्तेश्वर में तैनाती है।
प्रवासी, अनिवासी और भारतीय मूल के अन्य व्यक्तियों, संस्थाओं और कारपोरेट घरानों को गंगा संरक्षण में योगदान करने को प्रोत्साहित करने हेतु ‘स्वच्छ गंगा कोष’ की स्थापना की गई।
97 शहरों और 4465 गांवों में समाधान प्रदान करेगा नमामि गंगे मिशन
नमामि गंगे मिशन का मुख्य उद्देश्य गंगा की मुख्य धारा पर बसे 97 शहरों और 4465 गांवों के मुख्य प्रदूषण वाली जगहों का व्यापक और स्थायी समाधान प्रदान करना है। यह मिशन न सिर्फ नई आधारिक संरचना (इंफ्रास्ट्रक्टर) का निर्माण कर रहा है, बल्कि पुरानी और खराब हो चुके सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट(एसटीपी) का रख-रखाव, संचालन को सुनिश्चित करता है। इस परियोजना का उद्देश्य गंगा नदी में पर्यावरण विनियमन और जल गुणवत्ता की निगरानी रखना है।
प्रधानमंत्री मोदी को 22 फरवरी 2019 को दक्षिण कोरिया के सोल में 2018 के सियोल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें अंतरराष्ट्रीय सहयोग, ग्लोबल आर्थिक प्रगति और भारत के लोगों के मानव विकास को तेज करने के लिए प्रतिबद्धता दिखाने के लिए दिया गया है। दक्षिण कोरिया के सियोल पीस प्राइज कल्चरल फाउंडेशन ने अमीरों और गरीबों के बीच सामाजिक और आर्थिक खाई को कम करने के लिए मोदीनॉमिक्स की प्रशंसा भी की है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज इस सम्मान के साथ जो राशि सम्मान निधि के रूप में मिली है, वो मैं नमामि गंगे को समर्पित करता हूं। प्रधानमंत्री मोदी को सियोल शांति पुरस्कार के तहत एक प्रशस्त्रि पत्र और 2 लाख डॉलर (करीब 1 करोड़ 30 लाख रुपये) की सम्मान निधि दिया गया। उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि यह पुरस्कार उस साल मिला जब हम लोग महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह अवॉर्ड उस धरती को जाता है जहां भगवत गीता का संदेश मिला और हमेशा शांति की बात की गई। हर दो साल में यह पुरस्कार दिया जाता है। प्रधानमंत्री मोदी यह पुरस्कार पानेवाले दुनिया के 14वें और भारत के पहले व्यक्ति हैं।
जिसका दिमाग कंप्यूटर से भी तेज है….जो हर चुनौती का हल चुटकियों में निकाल लेते हैं ..चाचा चौधरी बच्चों के सबसे प्यारे कॉमिक कैरेक्टर , अब गंगा की सफाई के महा अभियान में जुटे दिखाई देंगे। गंगा में प्रदूषण के स्तर को कम करने और नदी को पुनर्जीवित करने के लक्ष्य के साथ शुरू की गई नमामि गंगे योजना में चाचा चौधरी को शुभंकर बनाया गया है। मोदी सरकार के जल संसाधन मंत्रालय ने कॉमिक कैरेक्टर चाचा चौधरी को शुभंकर बनाने का फैसला किया है। अब चाचा चौधरी स्वच्छ गंगा के राष्ट्रीय अभियान में लोगों को जागरूक करेंगे । सरकार की योजना के तहत कॉमिक्स, ई-कॉमिक्स और कार्टून कैरेक्टर वाले एनिमेडेट वीडियो तैयार किए जाएंगे, जिन्हें देश के कोने-कोने तक पहुंचाया जाएगा। इससे बच्चों को नदियों के संरक्षण की सीख मिलेगी। इस परियोजना के लिए सरकार ने अनुमानित बजट 2.26 करोड़ रुपये रखा है। चाचा चौधरी का कैरेक्टर कई दशकों से बच्चों में बेहद लोकप्रिय है। बेहद तेज दिमाग वाले चाचा चौधरी की रचना प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट प्राण ने की थी। डायमंड बुक्स के साथ ‘नमामि गंगे’ मिशन ने करार किया है।
पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मिले तोहफों व स्मृति चिह्नों की ई-नीलामी 17 अक्टूबर तक चलनी थी, लेकिन अब सरकार ने इसे 3 अक्बटूर तक जारी रखने का फैसला किया है। मंत्रालय की तरफ से 27 सितंबर को चालू की गई नीलामी में प्रधानमंत्री को मिले 2700 से ज्यादा तोहफों व स्मृति चिह्नों के लिए ऑनलाइन बोली मांगी जा रही है। नीलामी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को तोहफे में मिली पेंटिंगों, मूर्तियों, शॉलों, जैकेटों और पारंपरिक वाद्य यंत्रों समेत बहुत सारी वस्तुएं शामिल हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 13 मई 2015 को गंगा और इसकी सहायक नदियों के संरक्षण के लिए ‘नमामि गंगे’ परियोजना को मंजूरी दी थी। वहीं गंगा नदी की स्वच्छता के लिए शुरू किए गए ‘नमामि गंगे’ अभियान के तहत पिछले छह साल में मंजूर की गईं 347 परियोजनाओं में काम तेजी से चल रहा है।
गंगा में ठोस और तरल कचरा न जाए इसके लिए व्यापक प्रयास
नमामि गंगे मिशन के तहत नदी की उपरी सतह की सफ़ाई से लेकर बहते हुए ठोस कचरे की समस्या को हल करने; ग्रामीण क्षेत्रों की सफ़ाई से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों की नालियों से आते मैले पदार्थ (ठोस एवं तरल) और शौचालयों के निर्माण; शवदाह गृह का नवीकरण, आधुनिकीकरण और निर्माण ताकि अधजले या आंशिक रूप से जले हुए शव को नदी में बहाने से रोका जा सके, लोगों और नदियों के बीच संबंध को बेहतर करने के लिए घाटों के निर्माण, मरम्मत और आधुनिकीकरण का लक्ष्य निर्धारित है। नगर निगम से आने वाले कचरे की समस्या को हल करने के लिए अतिरिक्त ट्रीटमेंट कैपेसिटी का निर्माण किया जाएगा। इसके साथ ही लंबी अवधि में इस कार्यक्रम को बेहतर और टिकाऊ बनाने के लिए प्रमुख वित्तीय सुधार किये जा रहे हैं। औद्योगिक प्रदूषण की समस्या के समाधान के लिए बेहतर प्रवर्तन के माध्यम से अनुपालन को बेहतर बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं। गंगा के किनारे स्थित ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को गंदे पानी की मात्रा कम करने या इसे पूर्ण तरीके से समाप्त करने के निर्देश दिए गए हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इन निर्देशों के कार्यान्वयन के लिए कार्य योजना पहले से ही तैयार कर चुका है और सभी श्रेणी के उद्योगों को विस्तृत विचार-विमर्श के साथ समय-सीमा दे दी गई है। सभी उद्योगों को गंदे पानी के बहाव के लिए रियल टाइम ऑनलाइन निगरानी केंद्र स्थापित करना होगा। लंबी अवधि के तहत ई-फ़्लो के निर्धारण, बेहतर जल उपयोग क्षमता, और सतही सिंचाई की क्षमता को बेहतर बना कर नदी का पर्याप्त प्रवाह सुनिश्चित किया जाएगा।
इस कार्यक्रम के तहत इन गतिविधियों के अलावा जैव विविधता संरक्षण, वनीकरण (वन लगाना), और पानी की गुणवत्ता की निगरानी के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं। महत्वपूर्ण प्रतिष्ठित प्रजातियों, जैसे – गोल्डन महासीर, डॉल्फिन, घड़ियाल, कछुए, ऊदबिलाव आदि के संरक्षण के लिए कार्यक्रम पहले से ही शुरू किये जा चुके हैं। इसी तरह ‘नमामि गंगे’ के तहत जलवाही स्तर की वृद्धि, कटाव कम करने और नदी के पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिति में सुधार करने के लिए 30,000 हेक्टेयर भूमि पर वन लगाये जाएंगे।
गंगा नदी की सफ़ाई इसके सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक महत्व और विभिन्न उपयोगों के लिए इसका दोहन करने के कारण अत्यंत जटिल है। विश्व में कभी भी इस तरह का जटिल कार्यक्रम कार्यान्वित नहीं किया गया है और इसके लिए देश के सभी क्षेत्रों और हरेक नागरिक की भागीदारी आवश्यक है। इसके लिए हम सभी को हमारी सभ्यता, हमारी संस्कृति और विरासत के प्रतीक हमारी राष्ट्रीय नदी गंगा को सुरक्षित करने के लिए एक साथ आगे आना होगा।
विभिन्न तरीके हैं जिसके माध्यम से हर नागरिक गंगा नदी की सफ़ाई में अपना योगदान दे सकते हैं:
• धनराशि का योगदान: विशाल जनसंख्या और इतनी बड़ी एवं लंबी नदी गंगा की गुणवत्ता को बहाल करने के लिए भारी निवेश की आवश्यकता है। सरकार ने पहले ही बजट को चार गुना कर दिया है लेकिन अभी भी आवश्यकताओं के हिसाब से यह पर्याप्त नहीं होगा। स्वच्छ गंगा निधि बनाई गई है जिसमें आप सभी गंगा नदी को साफ़ करने के लिए धनराशि का योगदान कर सकते हैं।
• रिड्युस (कमी), रि-यूज (पुनः उपयोग) और रिकवरी (पूर्ववत स्थिति): हममें से अधिकांश को यह पता नहीं है कि हमारे द्वारा इस्तेमाल किया गया पानी और हमारे घरों की गंदगी अंततः नदियों में ही जाती है अगर उसका सही से निपटान न किया गया हो। सरकार पहले से ही नालियों से संबंधित इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण कर रही है लेकिन नागरिक कचरे और पानी के उपयोग को कम कर सकते हैं। उपयोग किए गए पानी, जैविक कचरे एवं प्लास्टिक की रिकवरी और इसके पुनः उपयोग से इस कार्यक्रम को काफ़ी लाभ मिल सकता है।
नमामि गंगे के बारे में:
• नमामि गंगे एक व्यापक पहल है जो गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों के प्रदूषण उन्मूलन और संरक्षण के उद्देश्य पर पहले से चल रहे और वर्तमान में शुरू किए गए प्रयासों को एकीकृत करती है।
• नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत नदी की सतही गंदगी की सफाई सीवरेज उपचार हेतु बुनियादी ढांचे, नदी तट विकास, जैव विविधता, वनीकरण और जन जागरूकता जैसी प्रमुख गतिविधियां सम्मिलित हैं।
• नमामि गंगे योजना को जून 2014 को हरी झंडी दिखाई गई जिसमें एकीकृत होकर व्यापक तरीके से गंगा नदी को साफ करना व बचाना है।
• नमामि गंगे के तहत 28,377 करोड़ रुपए की कुल लागत से 289 प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई है। 23,158.93 करोड़ रुपए की लागत से 151 सीवरेज प्रोजेक्ट मंजूर किए गए हैं, जिनमें गंगा के मुख्य धारा पर 112 और सहायक नदियों पर 39 प्रोजेक्ट है।
• गंगा को 64 फीसदी प्रदूषित करने में हरिद्वार, कानपुर, वाराणसी, प्रयागराज और कोलकाता समेत 10 शहरों का बड़ा योगदान था। नमामि गंगे मिशन के तहत इन शहरों में सारे पहलूओं को व्यापक रूप से शामिल किया गया है।