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सबसे बड़े महाअस्त्र अग्नि-5 का नाइट ट्रायल सफल, चीन-पाकिस्तान से लेकर आधी दुनिया तक हमला कर सकता है भारत का ये हथियार

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अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारतीय और चीनी सैनिकों में झड़प से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। इसी बीच भारत ने अपने सबसे बड़े महाअस्त्र अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का सफलतापूर्वक नाइट ट्रायल कर चीन सहित पूरी दुनिया को संदेश दिया है कि भारत हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सशक्त और सक्षम भारत को चीन अब हल्के में लेने की जुर्रत नहीं करेगा। वजह भी साफ है, भारत ने रक्षा क्षेत्र में जबरदस्त विकास किया है, न सिर्फ अन्य मित्र देशों के सहयोग से, बल्कि भारत अपने बलबूते भी रक्षा क्षेत्र में लगातार सशक्त होता जा रहा है। 

दरअसल 15 दिसंबर, 2022 की रात में किए गए परीक्षण में पहली बार अग्नि-5 मिसाइल को इसकी पूरी रेंज में दागा गया। यानी इसने टारगेट को 5500 किलोमीटर दूर जाकर ध्वस्त कर दिया। इस मिसाइल को डीआरडीओ और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (बीडीएल) ने संयुक्त रूप से मिलकर बनाया है। मुद्दा ये नहीं है कि इसकी रेंज कितनी है, चीन और कई देशों को यह डर है कि इस मिसाइल की जद में उनका पूरा का पूरा क्षेत्रफल आ रहा है। भारत अगर इस मिसाइल को दागता है तो वह पूरे एशिया, यूरोप का कुछ हिस्सा, यूक्रेन, रूस, जापान, इंडोनेशिया तक हमला कर सकता है।

इस मिसाइल की सबसे खास बात है इसकी MIRV तकनीक (मल्टिपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल्स)। इस तकनीक में मिसाइल के ऊपर लगाए जाने वॉरहेड (Warhead) की संख्या बढ़ाई जा सकती है। यानी एक मिसाइल एक साथ कई टारगेट पर निशाना लगा सकता है। अग्नि-5 मिसाइल की विशेषता है कि यह 29,401 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दुश्मन पर हमला करती है। इसमें रिंग लेजर गाइरोस्कोप इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम, जीपीएस, NavIC सैटेलाइट गाइडेंस सिस्टम लगा हुआ है। अग्नि-5 मिसाइल टारगेट पर सटीकता से हमला करता है। अगर टारगेट अपनी जगह से हटकर 10 से 80 मीटर तक भी जाता है तो उसका बचना मुश्किल है।

अग्नि-5 मिसाइल का वजन 50 हजार किलोग्राम है। यह 17.5 मीटर लंबी है। इसका व्यास 2 मीटर यानी 6.7 फीट है। इसके ऊपर 1500 किलोग्राम वजन का परमाणु हथियार लगा सकते हैं। इस मिसाइल में तीन स्टेज के रॉकेट बूस्टर हैं जो सॉलिड फ्यूल से उड़ते हैं। इसकी गति साउंड की स्पीड से 24 गुना ज्यादा है। यानी एक सेकेंड में 8.16 किलोमीटर की दूरी तय करती है। अग्नि-5 मिसाइल (Agni-V) को लॉन्च करने के लिए मोबाइल लॉन्चर का उपयोग करते हैं। इसे ट्रक पर लोड करके किसी भी स्थान पर पहुंचाया जा सकता है।

गौरतलब है कि भारत अब तक आठ बार इस मिसाइल का सफल परीक्षण कर चुका है। अग्नि-5 मिसाइल का पहला सफल परीक्षण 19 अप्रैल 2012 को हुआ था। उसके बाद 15 सितंबर, 2013, 31 जनवरी 2015, 26 दिसंबर 2016, 18 जनवरी 2018, 3 जून 2018, 10 दिसंबर 2018 और 27 अक्टूबर 2021 को सफल परीक्षण हुए। इन परीक्षणों में मिसाइल को विभिन्न मानकों पर जांचा गया। जिसमें पता चला कि यह मिसाइल दुश्मन को बर्बाद करने के लिए बेहतरीन हथियार है।

देश की सुरक्षा को मजबूत करने के साथ साथ मोदी सरकार रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया को भी बढ़ावा दे रही है ताकि आत्मनिर्भर और सुरक्षा के साथ साथ देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिले। आइए मोदी सरकार की ऐसी परियोजनाओं पर एक नजर डालते हैं। 

पहली बार 24 घंटे के भीतर दो बैलिस्टिक मिसाइलों का सफल परीक्षण

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन में हर रोज नया इतिहास रचा जा रहा है। नए-नए कीर्तिमान स्थापित हो रहे हैं। जो कभी असंभव लग रहा था, वो अब मेड इन इंडिया के तहत मुमकिन हो रहा है। 23 दिसंबर, 2021 को भी एक नया इतिहास रचा गया। भारत ने 24 घंटे के भीतर लगातार दूसरा अर्ध बैलिस्टिक मिसाइल ‘प्रलय’ का ओडिशा तट के डॉ एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से सफलतापूर्वक परीक्षण किया। इसके अलावा पूरी तरह स्वदेश में बने हाई-स्पीड एक्सपैंडेबल एरियल टारगेट (HEAT) ‘अभ्यास’ का भी सफल टेस्ट किया गया। भारत के इतिहास में यह पहली बार हुआ जब 24 घंटे के भीतर दो बैलिस्टिक मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण हुआ। स्वदेशी रूप से विकसित ‘प्रलय’ मिसाइल सतह से सतह पर मार करने वाली है और 150 से 500 किलोमीटर के बीच टारगेट को तबाह कर सकती है।

मिसाइलों का टारगेट ‘अभ्यास’ 

डीआरडीओ ने 23 दिसंबर, 2021 को ओडिशा के चांदीपुर तट पर स्वदेशी रूप से विकसित उच्च गति वाले हवाई लक्ष्यभेदी ‘अभ्यास’ का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। ‘अभ्यास’ एक बिना पायलट का एरियल टारगेट है। इसका इस्तेमाल कई तरह के मिसाइल को टेस्ट करने में किया जाएगा। इसके साथ ही ‘अभ्यास’ का इस्तेमाल अलग-अलग तरीके की मिसाइल और एयरक्राफ्ट का पता लगाने के लिए हो सकता है। इसमें एक छोटा गैस टरबाइन इंजन लगा है। यह MEMS नेविगेशन सिस्टम पर काम करता है। डीआरडीओ के मुताबिक यह एक बेहतरीन एयरक्राफ्ट है, जो नवीन तकनीक का उदाहरण है और देश की रक्षा प्रणाली को मजबूती प्रदान करेगा। जमीन से इसे एक लैपटॉप के जरिए कंट्रोल किया जा सकता है।

स्वदेशी एंटी रेडिएशन मिसाइल रुद्रम का सफल परीक्षण

भारत ने अक्टूबर 2020 में अपनी पहली स्वदेशी एंटी रेडिएशन मिसाइल- रुद्रम का ओडिशा के तट से दूर व्हीलर द्वीप पर सफल रेडिएशन परीक्षण किया। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने भारतीय वायु सेना के लिए यह देश का पहला स्वदेशी एंडी ​रेडिएशन ​मिसाइल रुद्रम विकसित की है। इस मिसाइल को लॉन्च प्लेटफॉर्म के रूप में सुखोई एसयू-30 एमकेआई लड़ाकू विमान में एकीकृत किया गया है, इसमें लॉन्च स्थितियों के आधार पर अलग-अलग रेंज की क्षमता है। इसमें अंतिम हमले के लिए पैसिव होमिंग हेड के साथ आईएनएस-जीपीएस नेविगेशन है। ‘रुद्रम’ ने रेडिएशन लक्ष्य को पिनपॉइंट सटीकता से मारा।

के-4 परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण

भारत ने 19 जनवरी, 2020 को परमाणु हमला करने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया। आंध्र प्रदेश के समुद्री तट से दागी गई इस मिसाइल की रेंज 3,500 किलोमीटर है और यह पनडुब्बी से दुश्मन के ठिकानों को निशाना बनाने में सक्षम है। मिसाइल को नौसेना की स्वदेशी आईएनएस अरिहंत-श्रेणी की परमाणु-संचालित पनडुब्बी पर तैनात किया जाएगा। पनडुब्बी से छोड़े जाने वाली इस मिसाइल को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने तैयार किया है। के-4 पानी के नीचे चलने वाली उन दो स्वदेशी मिसाइल में से एक है, जिन्हें समुद्री ताकत बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। ऐसी ही अन्य पनडुब्बी बीओ-5 है, जो 700 किलोमीटर से अधिक की दूरी पर मौजूद अपने लक्ष्य पर हमला सकती है।

ब्रह्मोस और आकाश का सफल परीक्षण

विश्‍व की सबसे तेज सुपर-सोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस ने नवंबर 2017 में उस समय इतिहास रच दिया, जब पहली बार भारतीय वायुसेना के अग्रणी युद्धक विमान सुखोई-30 एमके-1 से उसकी सफल परीक्षण उड़ान हुई। हवा से सतह पर मार करने में सक्षम ब्रह्मोस मिसाइल को दुश्मन के इलाके में बने आतंकी शिविरों पर दागा जा सकता है। इसके साथ ही जमीन से हवा में मार करने वाली आकाश मिसाइल को भी सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया।

इंटरसेप्टर मिसाइल का सफल परीक्षण

भारत ने सितंबर 2019 में रात को ओडिशा तट पर एक इंटरसेप्टर मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण कर रक्षा क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की। इसके साथ ही कम और अधिक उंचाई से लक्ष्‍य भेदने में सक्षम द्विस्‍तरीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली विकसित करने में भारत को एक बड़ी कामयाबी मिली है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के अनुसार यह पृथ्वी रक्षा यान (पीडीवी) मिशन पृथ्वी के वायुमंडल में 50 किमी से ऊपर की ऊंचाई पर लक्ष्य को निशाना बनाने के लिए है।

अंधेरे में लक्ष्य भेदने में सक्षम पृथ्वी-2 मिसाइल का परीक्षण

भारत अब अंधेरे में मिसाइल से दुश्मन का लक्ष्य भेदने में भी सक्षम हो गया है। 21 फरवरी, 2018 को देश में निर्मित और परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम पृथ्वी-2 मिसाइल का ओडिशा के केंद्र से सफल परीक्षण किया गया। रक्षा अधिकारियों के अनुसार सतह से सतह पर मार करने वाली पृथ्वी-2 मिसाइल अंधेरे में 350 किलोमीटर तक लक्ष्य भेदने में सक्षम है।

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