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अनुच्छेद 370 हटाने के PM MODI के दूरदर्शी फैसले के अब हो रहे फायदे, जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले एक-तिहाई रह गए, युवाओं की बदलने लगी सोच…जानिए ‘स्वर्ग’ में क्या आए 15 प्रमुख बदलाव

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शिता और विजनरी सोच की ही कमाल है कि ‘भारत का भाल’ जम्मू-कश्मीर अब सचमुच ही ‘स्वर्ग’ बनने के रास्ते पर चल पड़ा है। सवा दो साल पहले लिए गए ऐतिहासिक निर्णय का ही सुपरिणाम है कि जम्मू-कश्मीर में बदलाव की बयार बहने लगी है। दशकों से भारतीय नागरिकता और सरकारी सुविधाओं से वंचित दलितों को अब सभी सुविधाएं मिलने लगी हैं। वहां के सियासी दल भी अब कश्मीरी पंडितों की घर वापसी की बात करने लगे हैं। केंद्रीय स्तर पर कानून बनने के बाद जम्मू—कश्मीर चुनाव में भी एससी और एसटी श्रेणी के लोगों को अब आरक्षण का लाभ मिलने लगा है। शांति-अमन के बीच भारत का स्वर्ग फिर से दुनियाभर के पर्यटकों को आवाज दे रहा है।

4जी इंटरनेट स्पीड से इंटरनेट क्रांति का उठा रहे लाभ
यह सब जम्मू-कश्मीर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से संभव हुआ है। भारत सरकार ने पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त कर दिया था। कुछ छुट-पुट घटनाओं को छोड़ दें तो अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद से जम्मू और कश्मीर में अभूतपूर्व शांति-अमन में प्रगति हुई है। जम्मू कश्मीर में विशेष दर्जा बहाल रहने तक केंद्र की सरकारें इंटरनेट की टूजी स्पीड से आगे देने के बारे में सोच भी नहीं पाती थीं। वहीं इन प्रावधानों की समाप्ति के बाद अब वहां के लोग 4जी इंटरनेट स्पीड से इंटरनेट क्रांति का लाभ उठा रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी के ‘ऐतिहासिक दिन’ की महत्ता को समझ रहे कश्मीरी युवा, नहीं होती पत्थरबाजी
जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने की दूसरी वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर इसे ‘एक ऐतिहासिक दिन’ बताया था। सबसे बड़ी बात है कि जम्मू-कश्मीर के युवाओं की सोच में अभूतपूर्व बदलाव आया है। अब वे समझने लगे हैं कि पहले कुछ ‘सिरफिरे’ उन्हें भटकाव के रास्ते पर ले जा रहे थे। यह रास्ता ही आगे चलकर आतंक की अंधी गलियों से उनको जोड़ता था। अब भटके हुए कश्मीरी युवाओं का सामना सच से हो रहा है। इसीलिए जम्मू-कश्मीर में अब पत्थरबाजी की घटनाएं होने की सूचना अपवाद का विषय हो गया है। कश्मीर घाटी बंद के आह्वान अब नहीं होते। युवा अब आतंकियों के स्लीपर सेल बनने के बजाए अपने कैरियर और रोजगार पर तवज्जो दे रहे हैं।

जम्मू-कश्मीर में एक तिहाई ही रह गए हैं आतंकी हमले
स्थानीय युवाओं के आतंक से न जुड़ने और सुरक्षा बलों द्वारा ज्यादा चौकस रहने का ही सुपरिणाम है कि आतंकियों के हौंसले पस्त हो रहे हैं। आंकड़ों में बात करें तो अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद आतंकवादी हमले करीब एक तिहाई ही रह गए हैं। जम्मू और कश्मीर में 2019 में 594 आतंकवादी हमले हुए थे। 2020 में यह घटकर 244 ही रह गए। इस कैलेंडर वर्ष में 15 नवंबर तक 195 हमले ही हुए हैं। इसी प्रकार आतंकवाद विरोधी अभियानों में 2019 में 80 केंद्रीय बलों की मौत हुई थी। 2020 में यह घटकर 62 हुई और इस साल 23 नवंबर तक 35 केंद्रीय बलों की मौत हुई है। इससे स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के निर्णय ने काम किया है।

अनुच्छेद-370 व 35ए खत्म होने से ये आए 15 महत्वपूर्ण बदलाव

1. अब जम्मू-कश्मीर में देश के अन्य राज्यों के लोग भी जमीन ले सकते हैं। जम्मू-कश्मीर में स्थानीय लोगों की दोहरी नागरिकता समाप्त हो गई है।
2. कश्मीर का अब अलग झंडा नहीं है. मतलब वहां भी अब तिरंगा शान से लहराता है. जम्मू-कश्मीर में अब तिरंगे का अपमान या उसे जलाना या नुकसान पहुंचाना संगीन अपराध है।
3. अनुच्छेद-370 के साथ ही जम्मू-कश्मीर का अलग संविधान भी इतिहास बन गया है. अब वहां भी भारत का संविधान लागू है।
4. बेहतर शासकीय प्रबंधन के लिए जम्मू-कश्मीर को दो भागों में बांटा गया है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अब अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं।
5. महिलाओं पर पर्सनल कानून बेअसर हो गया. इस संशोधन से सबसे बड़ी राहत जम्मू-कश्मीर की महिलाओं को ही मिली है। इसको जम्मू-कश्मीर की महिलाओ की आजादी के तौर भी देखा जा सकता है।
6. अनुच्छेद-370 की पहचान इसके सबसे विवादित खंड 2 व 3 से थी, जो भेदभाव से भरी थी। इन दोनों खंडों के समाप्त होने से प्रभावी रूप से अनुच्छेद 370 से आजादी मिल गई है।
7. जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी, लेकिन लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी. मतलब जम्मू-कश्मीर में राज्य सरकार बनेगी, लेकिन लद्दाख की कोई स्थानीय सरकार नहीं होगी.

8. जम्मू-कश्मीर की लड़कियों को अब दूसरे राज्य के लोगों से भी शादी करने की स्वतंत्रता है। दूसरे राज्य के पुरुष से शादी करने पर उनकी नागरिकता खत्म नहीं होगी।
9. जम्मू-कश्मीर सरकार का कार्यकाल अब छह साल का नहीं, बल्कि भारत के अन्य राज्यों की तरह पांच वर्ष का ही होगा।
10. भारत का कोई भी नागरिक अब जम्मू-कश्मीर में नौकरी भी कर सकता है। अब तक जम्मू-कश्मीर में केवल स्थानीय लोगों को ही नौकरी का अधिकार था।
11. अन्य राज्यों से जम्मू-कश्मीर जाकर रहने वाले लोगों को भी वहां मतदान करने का अधिकार मिल सकेगा। साथ ही अन्य राज्यों के लोग भी अब वहां से चुनाव लड़ सकेंगे।
12. जम्मू-कश्मीर व लद्दाख के लोग भी अब शिक्षा के अधिकार, सूचना के अधिकार जैसे भारत के हर कानून का लाभ उठा रहे हैं।
13. केंद्र सरकार की कैग जैसी संस्था अब जम्मू-कश्मीर में भी भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के लिए ऑडिट कर सकेगी। इससे वहां भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी।
14. अब जम्मू-कश्मीर व लद्दाख में भी सुप्रीम कोर्ट का हर फैसला लागू होगा। पहले विशेष दर्जे के कारण जनहित में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले वहां लागू नहीं होते थे।
15. अब तक यहां की कानून-व्यवस्था मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी थी। अब दिल्ली की तरह जम्मू-कश्मीर व लद्दाख की कानून-व्यवस्था भी सीधे केंद्र के हाथ में होगी। गृहमंत्री, उपराज्यपाल के जरिये इसे संभालेंगे।दो साल में पूरी हुईं 1200 से अधिक परियोजनाएं, कुछ दो दशक से लटकी थीं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब से जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए वहां से अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला किया है उसके बाद दो साल में ही 1200 से अधिक परियोजनाएं पूरी की गई हैं। इनमें से 5 परियोजनाएं तो ऐसी हैं जो पिछले 20 साल से लटकी पड़ी थीं। पीएम मोदी ने 15 ऐसी परियोजनाओं को गति देकर उन्हें पूरा कराया है जो 15 सालों से लटकी पड़ी थी। 165 परियोजनाएं जो 10 सालों से लटकी थी, उसे भी मोदी सरकार ने पूरा किया है।

सेना और पुलिस ने मिलकर आतंकियों को जहन्नुम की राह दिखाई
सवा दो साल की अवधि में कश्मीर घाटी में हालात बदले हैं। इसी के साथ जम्मू-कश्मीर प्रशासन का मिजाज भी बदला है। ऐसा केंद्र सरकार के सख्त रवैये को देखते हुए स्थानीय आतंकी संगठनों का सफाया और उनके आकाओं का हुक्का-पानी पूरी तरह से बंद करने की वजह से हुआ है। कश्मीर घाटी में सक्रिय आतंकी अपनी जमीन खो चुके हैं। उनके चंगुल से निकल स्थानीय लोग और प्रशासनिक मशीनरी नए ढर्रे पर चल पड़ी है। सोच में बदलाव का ही असर है कि ऑपरेशन ऑल आउट के तहत सेना और स्थानीय पुलिस ने मिलकर आतंकियों को जहन्नुम की राह दिखाने का काम किया। 2020 में 221 आतंकी ढेर किए गए, जबकि एक साल पहले 2019 में 157 आतंकी मारे गए थे। पंचायतों, ब्लॉकों और डीडीसी चुनाव स्थानीय प्रशासन की देखरेख में संपन्न हुए हैं।वोटर सर्वेक्षण में 47.5% लोगों ने माना था सही कदम
अगर हम एबीपी-सी वोटर सर्वेक्षण पर गौर फरमाएं तो खुद ब खुद पता चल जाता है कि वहां पर हालात बदले हैं। हर स्तर पर लोग बदलाव का स्वीकार करने लगे हैं और नए माहौल के अनुरूप आगे बढ़ना चाहते हैं। ऐसा इसलिए कि एबीपी-सी वोटर सर्वेक्षण में 47.4 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि अनुच्छेद 370 और 35A को निरस्त करना मोदी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि है। जबकि 23.7 प्रतिशत का मानना है कि राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सबसे बड़ी उपलब्धि है। 543 लोकसभा सीटों पर किए गए सर्वे में 1.39 लाख लोगों से बातचीत की गई। यह सर्वे एक जनवरी से 28 मई 2021 के बीच किया गया था।

 

 

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