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‘धरती के स्वर्ग’ का दीदार करने उमड़े सैलानी, जनवरी से अब तक 1.62 करोड़ पर्यटकों ने तोड़ा 75 साल का रिकॉर्ड, PM MODI के युगांतकारी फैसले से जम्मू-कश्मीर के आए खुशहाल दिन

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यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का युगांतरकारी और बहु-प्रतीक्षित फैसला ही था, जिसके सुखद परिणाम अब सामने आ रहे हैं। तीन साल पहले लिए ऐतिहासिक फैसले का ही कमाल है कि जम्मू-कश्मीर अब सचमुच ही ‘स्वर्ग’ बनने की दिशा में अग्रसर है। शांति-अमन के बीच जम्मू-कश्मीर की वादियां न सिर्फ देशी-विदेशी पर्यटकों को आवाज देकर बुला रही हैं, बल्कि दुनियाभर से इस साल आए 1.62 करोड़ पर्यटकों ने भी 75 साल का रिकार्ड तोड़कर धरती के स्वर्ग के साथ कदम से कदम मिलाए हैं। काबिले जिक्र है कि तीन साल पहले मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 व 35ए हटाने का अप्रत्याशित, अविश्वसनीय और अकल्पनीय फैसला लिया था। तब राज्यसभा में बहुमत न होने के बावजूद पीएम मोदी ने साबित कर दिखाया कि जो वो ठान लेते हैं, उसे पूरा करके ही दम लेते हैं। उनका फैसला अब रंग ला रहा है।अमन-शांति के बीच आतंकी घटनाएं कम, युवाओं के लिए रोजगार के अवसर खुले
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के खात्मे के चलते इस पूरे क्षेत्र और खासकर घाटी में बेहद सकारात्मक बदलाव आए। स्थानीय युवाओं के आतंक से न जुड़ने और सुरक्षा बलों द्वारा ज्यादा चौकस रहने का ही सुपरिणाम है कि जम्मू-कश्मीर से आतंकियों के हौंसले पस्त हो रहे हैं। आंकड़ों में बात करें तो अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद आतंकवादी हमले करीब एक तिहाई से भी कम रह गए हैं। इसी प्रकार आतंकवाद विरोधी अभियानों में केंद्रीय सुरक्षा बलों की मौत के मामलों में भी कमी आई है। पत्थरबाजी की घटनाएं लगभग खत्म ही हो गई हैं। इन सबसे देशी-विदेशी पर्यटकों ने कश्मीर घाटी की ओर रुख किया तो युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी खुल गए।

जम्मू-कश्मीर ने बनाया सर्वकालिक रिकॉर्ड, नौ माह में ही आए 1.62 करोड़ पर्यटक
जम्मू-कश्मीर सरकार के सूचना और जनसंपर्क विभाग की ओर से जारी किए गए ताजा आंकड़ों में बताया गया है कि जनवरी-2022 से लेकर अब तक जम्मू-कश्मीर में एक करोड़ 62 लाख पर्यटक विजिट कर चुके हैं। इसमें सुखद आश्चर्य यह है कि आजादी के बाद यानी पिछले 75 सालों में इतनी अवधि में इनते ज्यादा पर्यटक आज तक नहीं आए हैं। पीएम मोदी के बड़े और विजनरी निर्णय के घाटी पर्यटकों का अमृतकाल मना रही है। अभी पर्यटन का सीजन गुलजार है, ऐसे में आने वाले समय में यहां काफी पर्यटकों के आने और नए रिकॉर्ड बनने की उम्मीद की जा रही है।डल लेक से पहलगांव, ट्यूलिप गार्डन से कश्मीर की बर्फीली वादियों का लुत्फ उठा रहे पर्यटक
पर्यटन अधिकारियों के मुताबिक धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर में पर्यटकों ने 75 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। इस बार एशिया के सबसे बड़े ट्यूलिप गार्डन, डल लेक, पहलगांव और कश्मीर की वादियों और बर्फ का पर्यटक खूब लुत्फ उठा रहे हैं। कश्मीर की डल झील के किनारे जबरवान पहाड़ियों से घिरे ट्यूलिप गार्डन में 15 लाख से ज्यादा फूल हैं। इसे मार्च से पर्यटकों के लिए खोला गया है। पर्यटन को बढ़ावा मिलने, रोजगार के अवसर बढ़ने से कश्मीर की इकोनॉमी भी बेहतर हुई है।

कश्मीर अमन की ओर…32 साल के बाद साकार हुआ बड़े पर्दे पर फिल्में देखना

अनुच्छेद 370 हटाने के पीएम मोदी के दूरदर्शी फैसले के अब फायदे हो रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले एक-तिहाई रह गए हैं और रोजगार के अवसर बढ़ने से युवाओं की सोच बदलने लगी है। पिछले तीन साल में ऐसे कई बदलाव आए हैं, जिनसे कश्मीरियों को तो सुकून मिला ही है, देश भर के पर्यटक भी कश्मीर की वादियों में घूमने के ख्वाब को पूरा कर रहे हैं। पीएम मोदी राज से पहले हमेशा मुश्किल हालातों में घिरे रहने वाले कश्मीर और कश्मीरियों के अब अच्छे दिन आ चुके हैं। कुछ समय पहले ही 32 साल के इंतजार के बाद कश्मीरवासियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी आ गई थी। कश्मीरियों को एक और संगीतमय सौगात मिली, जिसका उन्हें तीन दशक से ज्यादा समय से इंतजार था। अनुच्छेद 370 व 35ए हटने के बाद जम्मू-कश्मीर के शोपियां व पुलवामा में सिनेमाघरों की शुरुआत हुई। आंतकियों की धमकी और हमलों के कारण आज से 32 साल पहले 19 सिनेमाहॉल को एक के बाद एक बंद कर दिया गया था। कांग्रेस सरकार ने इस दिशा में कोई प्रभावी कदम उठाने की जरूरत ही नहीं समझी।

कश्मीर घाटी का पहला मल्टीप्लेक्स इनोक्स श्रीनगर में बनकर तैयार

कश्मीर घाटी का पहला मल्टीप्लेक्स इनोक्स श्रीनगर में शुरू हो चुका है।  इसकी क्षमता 520 सीट की है। इसमें तीन आडिटोरियम हैं। इसके शुरू होने से दर्शक बड़े पर्दे पर सिनेमा देखने का आनंद उठा सकेंगे। इसके अलावा शोपियां व पुलवामा में सिनेमाघरों की शुरुआत हुई है। सिनेमाहॉल के लोकार्पण के बाद सभी आयु वर्ग के लोगों ने पुलवामा और एमसी शोपियां में नए सिनेमाहॉल का दौरा किया। इस दौरान, सैकड़ों लोगों को भाग मिल्खा भाग, आरआरआर, स्वदेस, लाल सिंह चढ्डा और बोस: द फॉरगॉटन हीरो के ट्रेलर दिखाए गए। साथ ही छात्रों के लिए एस एस राजामौली की फिल्म आरआरआर की स्क्रीनिंग भी आयोजित कराई गई। यानी तीन दशक बाद कश्मीर में स्क्रीनिंग पाने वाली पहली फिल्म आरआरआर है।

4जी इंटरनेट स्पीड से इंटरनेट क्रांति का उठा रहे लाभ
यह सब जम्मू-कश्मीर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से संभव हुआ है। भारत सरकार ने अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त कर दिया था। कुछ छुट-पुट घटनाओं को छोड़ दें तो अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद से जम्मू और कश्मीर में अभूतपूर्व शांति-अमन में प्रगति हुई है। जम्मू कश्मीर में विशेष दर्जा बहाल रहने तक केंद्र की सरकारें इंटरनेट की टूजी स्पीड से आगे देने के बारे में सोच भी नहीं पाती थीं। वहीं इन प्रावधानों की समाप्ति के बाद अब जम्मू-कश्मीर के लोग 4जी इंटरनेट स्पीड से इंटरनेट क्रांति का लाभ उठा रहे हैं। इसके साथ ही अब 5जी आने की भी बातें करने में लगे हैं।370 से आजादी की महत्ता को समझ रहे कश्मीरी युवा, नहीं होती पत्थरबाजी
जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने की दूसरी वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर इसे ‘एक ऐतिहासिक दिन’ बताया था। सबसे बड़ी बात है कि जम्मू-कश्मीर के युवाओं की सोच में अभूतपूर्व बदलाव आया है। अब वे समझने लगे हैं कि पहले कुछ ‘सिरफिरे’ उन्हें भटकाव के रास्ते पर ले जा रहे थे। यह रास्ता ही आगे चलकर आतंक की अंधी गलियों से उनको जोड़ता था। अब भटके हुए कश्मीरी युवाओं का सामना सच से हो रहा है। इसीलिए जम्मू-कश्मीर में अब पत्थरबाजी की घटनाएं होने की सूचना अपवाद का विषय हो गया है। कश्मीर घाटी बंद के आह्वान अब नहीं होते। युवा अब आतंकियों के स्लीपर सेल बनने के बजाए अपने कैरियर और रोजगार पर तवज्जो दे रहे हैं।

अनुच्छेद-370 व 35ए खत्म होने से ये आए 15 महत्वपूर्ण बदलाव

1. अब जम्मू-कश्मीर में देश के अन्य राज्यों के लोग भी जमीन ले सकते हैं। जम्मू-कश्मीर में स्थानीय लोगों की दोहरी नागरिकता समाप्त हो गई है।
2. कश्मीर का अब अलग झंडा नहीं है. मतलब वहां भी अब तिरंगा शान से लहराता है. जम्मू-कश्मीर में अब तिरंगे का अपमान या उसे जलाना या नुकसान पहुंचाना संगीन अपराध है।
3. अनुच्छेद-370 के साथ ही जम्मू-कश्मीर का अलग संविधान भी इतिहास बन गया है. अब वहां भी भारत का संविधान लागू है।
4. बेहतर शासकीय प्रबंधन के लिए जम्मू-कश्मीर को दो भागों में बांटा गया है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अब अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं।
5. महिलाओं पर पर्सनल कानून बेअसर हो गया. इस संशोधन से सबसे बड़ी राहत जम्मू-कश्मीर की महिलाओं को ही मिली है। इसको जम्मू-कश्मीर की महिलाओ की आजादी के तौर भी देखा जा सकता है।
6. अनुच्छेद-370 की पहचान इसके सबसे विवादित खंड 2 व 3 से थी, जो भेदभाव से भरी थी। इन दोनों खंडों के समाप्त होने से प्रभावी रूप से अनुच्छेद 370 से आजादी मिल गई है।
7. जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी, लेकिन लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी. मतलब जम्मू-कश्मीर में राज्य सरकार बनेगी, लेकिन लद्दाख की कोई स्थानीय सरकार नहीं होगी.

8. जम्मू-कश्मीर की लड़कियों को अब दूसरे राज्य के लोगों से भी शादी करने की स्वतंत्रता है। दूसरे राज्य के पुरुष से शादी करने पर उनकी नागरिकता खत्म नहीं होगी।
9. जम्मू-कश्मीर सरकार का कार्यकाल अब छह साल का नहीं, बल्कि भारत के अन्य राज्यों की तरह पांच वर्ष का ही होगा।
10. भारत का कोई भी नागरिक अब जम्मू-कश्मीर में नौकरी भी कर सकता है। अब तक जम्मू-कश्मीर में केवल स्थानीय लोगों को ही नौकरी का अधिकार था।
11. अन्य राज्यों से जम्मू-कश्मीर जाकर रहने वाले लोगों को भी वहां मतदान करने का अधिकार मिल सकेगा। साथ ही अन्य राज्यों के लोग भी अब वहां से चुनाव लड़ सकेंगे।
12. जम्मू-कश्मीर व लद्दाख के लोग भी अब शिक्षा के अधिकार, सूचना के अधिकार जैसे भारत के हर कानून का लाभ उठा रहे हैं।
13. केंद्र सरकार की कैग जैसी संस्था अब जम्मू-कश्मीर में भी भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के लिए ऑडिट कर सकेगी। इससे वहां भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी।
14. अब जम्मू-कश्मीर व लद्दाख में भी सुप्रीम कोर्ट का हर फैसला लागू होगा। पहले विशेष दर्जे के कारण जनहित में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले वहां लागू नहीं होते थे।
15. अब तक यहां की कानून-व्यवस्था मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी थी। अब दिल्ली की तरह जम्मू-कश्मीर व लद्दाख की कानून-व्यवस्था भी सीधे केंद्र के हाथ में होगी। गृहमंत्री, उपराज्यपाल के जरिये इसे संभालेंगे।दो साल में पूरी हुईं 1200 से अधिक परियोजनाएं, कुछ दो दशक से लटकी थीं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब से जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए वहां से अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला किया है, उसके बाद से विकास को पंख मिले हैं और दो-ढाई साल में ही 1200 से अधिक परियोजनाएं पूरी की गई हैं। इनमें से 5 परियोजनाएं तो ऐसी हैं जो पिछले दो दशक से भी ज्यादा समय से लटकी पड़ी थीं। पीएम नरेन्द्र मोदी ने 15 ऐसी परियोजनाओं को मिशन मोड में लेकर तेज गति से पूरा कराया है, जो 15 सालों से लटकी पड़ी थी। 165 परियोजनाएं जो 10 सालों से लटकी थी, उसे भी मोदी सरकार ने पूरा किया है। 

 

 

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