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MODI Government का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सेक्टर में भारत को ग्लोबल लीडर बनाने का मेगा प्लान, दो साल में AI देश की जीडीपी में 40 लाख करोड़ रुपये जोड़ेगा

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन के अनुरूप आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के क्षेत्र में ग्लोबल लीडर बनने के लिए भारत का मेगा प्लान तैयार किया गया है। इसके मुताबिक सब कुछ योजना के अनुरूप हुआ तो भारत दो साल में एआई की मदद से जीडीपी में 40 लाख करोड़ रुपये जोड़ लेगा। 2035 तक ये आंकड़ा 80 लाख करोड़ रूपये तक जा पहुंचेगा। ‘इंडिया एआई’ नाम की इस रिपोर्ट को सात विशेषज्ञ समूहों ने बनाया है। इन्होंने अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को दे दी है। रिपोर्ट में गैर-व्यक्तिगत डेटासेट दुनिया को बेचने का भी सुझाव है। समूहों ने 5 साल में 725 एआई स्टार्टअप शुरू करने, तीन एआई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस को गवर्नेंस, हेल्थकेयर, कृषि के लिए मौलिक शोध, तकनीकी विकास पर फोकस करने और 24,500 ग्राफिक प्रोसेसिंग यूनिट बनाने का सुझाव दिया है। एएआई बेस्ड चिप कृषि और स्वास्थ्य में उपयोग होगी। ये सामान्य सीपीयू से हजारों गुना तेजी से काम करती हैं।

मानव के साथ एआई का टीम वर्क पृथ्वी के लिए कर सकता है चमत्कार-पीएम
पीएम मोदी का मानना है कि प्रौद्योगिकी ने कार्य स्थलों में परिवर्तन और सम्पर्क में सुधार किया है। सामाजिक जिम्मेदारी और एआई के बीच विलय से मानवीय सम्पर्क मजबूत हो सकता है। मानव के साथ एआई का टीम वर्क पृथ्वी के लिए चमत्कार कर सकता है। भारत ने ज्ञान और शिक्षा में दुनिया का नेतृत्व किया है और अब भारत दुनिया को डिजीटल रूप से उत्कृष्ट और खुशहाल बनाने में अहम भूमिका निभाएगा। प्रधानमंत्री ने भारत को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का वैश्विक केंद्र बनाने पर जोर दिया और कहा कि भारत ने अनुभव किया है कि तकनीक पारदर्शिता और सेवा वितरण में सुधार करने में किस तरह से मदद करती है। बता दें कि अप्रैल 2020 में शुरू किए गए ‘युवाओ के लिये उत्तरदाई आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस’ कार्यक्रम के तहत स्कूलों के हजारों छात्रों ने बुनियादी पाठ्यक्रम पूरा किया है। वे अब अपनी एआई परियोजनाओं का निर्माण कर रहे हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर दुनिया का सबसे बड़ा डेटा सेट बनाने की योजना
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर सात विशेषज्ञ समूहों ने रिपोर्ट में दुनिया का सबसे बड़ा गैर व्यक्तिगत डेटा सेट यानी डेटा संग्रह प्लेटफार्म बनाने का सुझाव दिया है। ये भारत का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है। इसका उपयोग भारतीय शोधकर्ता मल्टी पैरामीटर मॉडल के प्रशिक्षण के लिए कर सकेंगे। इसे ओपन सोर्स आर्किटेक्चर, कोडबेस पर बनाने को कहा गया है ताकि ये ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच सके। डेटा बेचने का मॉडल भी बनेगा। मोदी सरकार ने पिछले साल इंडिया डेटासेट प्लेटफॉर्म पर एक मसौदा नीति जारी की थी।

राष्ट्रीय डेटा प्रबंधन कार्यालय नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करेगा
एक्सपर्ट रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले दो महीने में राष्ट्रीय डेटा प्रबंधन कार्यालय (एनडीएमओ) का गठन हो। ये एक नोडल निकाय होगा और भारत डेटासेट प्लेटफॉर्म को संभालेगा। सरकार दो महीनों में – 1,000 एआई रिसर्च फेलोशिपः सभी मंत्रालयों, इकाइयों में डेटा प्रबंधन शुरू कराए। अधिकारी डेटा की गुणवत्ता पर काम शुरू करेंगे। इसके साथ ही डिजाइन लिंक्ड इंसेटिव योजना में घरेलू कंपनियों, स्टार्ट-अप्स, एमएसएमई को वित्तीय प्रोत्साहन के साथ-साथ डिजाइन किए गए बुनियादी ढांचे में मदद मिलेगी। विशेषज्ञों के मुताबिक एआई कंप्यूटर ग्रिड बनेगा।

दो महीने में सभी मंत्रालय डेटा प्रबंधन का काम शुरू करेंगे
इसके तहत 17 केंद्रों में 24,500 ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (जीपीयू) बनेगी। इससे स्टार्टअप और शिक्षाविदों को तकनीकी क्षेत्र में इनोवेशन के लिए मदद मिलेगी। इसमें से 14,500 जीपीयू एआई मॉडल के ट्रेनिंग के लिए होंगे। इसके अलावा 1000 एआई रिसर्च फेलोशिप होंगी। सालाना 100 संस्थानों को इनोवेशन के लिए आर्थिक मदद देंगें। दो महीने में सभी मंत्रालय डेटा प्रबंधन का काम शुरू करेंगे। इसके साथ ही मॉडल पाठ्यक्रम के तहत विशेषज्ञ समूहों ने स्कूलों, कॉलेजों और व्यावसायिक संस्थानों के लिए एक मॉडल पाठ्यक्रम भी दिया है। इसमें एआई, गणित और सांख्यिकी, मशीन लर्निंग, डीप लर्निंग, प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण पर फोकस रहेगा।

 

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