प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रोत्साहन और समर्थन से मेक इन इंडिया का जलवा पूरी दुनिया देख रही है। मेक इन इंडिया की वजह से भारत जहां मोबाइल की मैन्युफैक्चरिंग में विश्व में दूसरे नंबर पर पहुंच गया है, वहीं रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बन रहा है। आज रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी डीआरडीओ ने एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 जैसा घातक हथियार विकसित करने की दिशा में तेजी से आग बढ़ रहा है। इस एयर डिफेंस सिस्टम से दुश्मन के मिसाइल, फाइटर जेट, हेलिकॉप्टर और ड्रोन को पल भर में नष्ट किया जा सकता है। इस सिस्टम को भारतीय सेना में शामिल किए जाने के बाद भारत की हवाई सुरक्षा को अभेद बनाने में मदद मिलेगी।
डीआरडीओ ने मंगलवार (14 मार्च, 2023) को ओडिशा के समुद्र तट पर इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (ITR) चांदीपुर में बहुत कम दूरी की हवाई रक्षा प्रणाली का एक के बाद एक दो सफल परीक्षण किया। इससे पहले इसका सफल परीक्षण पिछले साल 27 सितंबर को किया गया था। इस एयर डिफेंस (VSHORADS) के सफल परीक्षण के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ के समस्त अधिकारियों, कर्मचारियों और वैज्ञानिकों को धन्यवाद दिया। यह रक्षा प्रणाली भारत की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए विकसित किया गया है। भारत की तरफ तेज गति से आने वाला कोई भी मिसाइल, फाइटर जेट, हेलिकॉप्टर और ड्रोन इसके प्रकोप से बच नहीं पाएगा।
#DRDO today successfully carried out two back-to-back tests of an indigenous air defence weapon, the very short-range air defence system (#VSHORADS) missile, from the Integrated Test Range at Chandipur off the #Odisha coast. pic.twitter.com/fdVtYIyaAW
— Defence Decode® (@DefenceDecode) March 14, 2023
दरअसल VSHORADS एक कम दूरी की मिसाइल है, जिसका स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकास डीआरडीओ ने हैदराबाद स्थित रिसर्च सेंटर इमारत की मदद से की है। इसकी खासियत यह है कि यह एक मैन पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम (MANPAD) है, जिससे कम दूरी पर कम ऊंचाई वाले हवाई खतरों को बेअसर किया जा सकता है। इस मिसाइल में कई तरह की अत्याधुनिक तकनीकें लगाई गई हैं, जिसमें ड्यूल बैंड IIR सीकर, मिनिएचर रिएक्शन कंट्रोल सिस्टम, इंटीग्रेटेड एवियोनिक्स शामिल है। तेज गति प्रदान करने के लिए इस मिसाइल सिस्टम में प्रोपल्शन सिस्ट ड्यूल थ्रस्ट सॉलिड मोटर लगाया गया है।
Defence Research and Development Organisation (DRDO) conducts two consecutive successful flight tests of Very Short Range Air Defence System (VSHORADS) missile at Chandipur off coast of Odisha: Defence Ministry
— Press Trust of India (@PTI_News) March 14, 2023
मिसाइल VSHORADS की लंबाई करीब 6.7 फीट है और व्यास 3.5 इंच है। इसका वजन 20.5 किलोग्राम है और यह अपने साथ 2 किलोग्राम वजन का हथियार ले जा सकता है। इसकी रेंज 250 मीटर से 6 किलोमीटर है। यह मिसाइल अधिकतम 11,500 फीट की ऊंचाई तक मार कर सकती है। इसकी गति 1800 किमी प्रतिघंटा यानी अधिकतम गति मैक 1.5 है। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक हाई स्पीड वाले मानव रहित हवाई टारगेट पर यह मिसाइल सिस्टम सेना के लिए काफी कारगर साबित होगी। कम रेंज के होने के बावजूद यह अन्य देशों की मिसाइलों की तुलना में काफी सस्ता और घातक है।
भारत की तीनों सेनाओं को भारत में निर्मित रक्षा उपकरण मिल रहे हैं, जिससे उनकी दूसरे देशों पर निर्भरता खत्म हो रही है। इसी कड़ी में 06 फरवरी, 2023 को देश ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की, जब स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस के नौसेना संस्करण को स्वदेशी विमान वाहक युद्ध पोत आईएनएस विक्रांत पर उतारा गया। स्वदेशी एलसीए की यह सफल लैंडिंग नौसेना की सामरिक क्षमता के लिए मील का पत्थर साबित होने जा रही है।
भारतीय नौसेना ने ट्विटर हैंडल @indiannavy पर तेजस की सफल लैंडिंग की तस्वीरें शेयर कीं। इन तस्वीरों में तेजस को आईएनएस विक्रांत पर लैंड करते हुए देखा जा सकता है। इंडियन नेवी ने इन तस्वीरों को शेयर करते हुए लिखा कि नौसेना के पायलटों द्वारा आईएनएस विक्रांत पर एलसीए की लैंडिंग करने के बाद भारतीय नौसेना ने आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर हासिल किया है। नौसेना के अनुसार इस सफल लैंडिंग ने स्वदेशी लड़ाकू विमानों के साथ स्वदेशी विमानवाहक पोत को डिजाइन, विकसित, निर्माण और संचालित करने की भारत की क्षमता को प्रदर्शित किया है।
Historical milestone achieved towards #AatmaNirbharBharat by #IndianNavy as Naval Pilots carry out landing of LCA(Navy) on @IN_R11Vikrant. Demonstrates #India’s capability to design, develop, construct & operate #IndigenousAircraftCarrier with indigenous Fighter Aircraft. pic.twitter.com/3HuwuGrZtx
— SpokespersonNavy (@indiannavy) February 6, 2023
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहले स्वदेशी विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत को राष्ट्र की सेवा में समर्पित करते हुए कहा था कि यहां केरल के समुद्री तट पर भारत, हर भारतवासी, नए भविष्य के सूर्योदय का साक्षी बना है। उन्होंने कहा कि पहला स्वदेश निर्मित आईएनएस विक्रांत विश्व क्षितिज पर भारत के बुलंद होते हौसलों की हुंकार है। हम सब स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को सच होते देख रहे हैं, जिसमें उन्होंने सक्षम और शक्तिशाली भारत की परिकल्पना की थी। प्रधानमंत्री ने कहा, “विक्रांत विशाल, विराट और विहंगम है। विक्रांत विशिष्ट है, विक्रांत विशेष भी है। विक्रांत केवल एक युद्धपोत नहीं है। यह 21वीं सदी के भारत के परिश्रम, प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है। यदि लक्ष्य दूरंत हैं, यात्राएं दिगंत हैं, समंदर और चुनौतियां अनन्त हैं- तो भारत का उत्तर है विक्रांत। आजादी के अमृत महोत्सव का अतुलनीय अमृत है विक्रांत। आत्मनिर्भर होते भारत का अद्वितीय प्रतिबिंब है विक्रांत।”
भारतीय नौसेना को मिला देश का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत ‘विक्रांत’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मजबूत इच्छाशक्ति और उनकी सरकार की मेक इन इंडिया पहल से समुद्री सुरक्षा के मामले में भारत आत्मनिर्भर बनता जा रहा है। इस दिशा में भारत ने गुरुवार (28 जुलाई, 2022) को एक मजबूत कदम बढ़ाया। कोचीन शिपयार्ड ने देश का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत ‘विक्रांत’ को भारतीय नौसेना को सौंप दिया। इसके साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों के ग्रुप में शामिल हो गया, जिनके पास स्वदेशी तौर से एयरक्राफ्ट कैरियर डिजाइन और निर्माण करने की बेहतर क्षमता है।
स्वदेशी विमानवाहक पोत ‘विक्रांत’ 1971 के युद्ध में अहम भूमिका निभाने वाले ‘विक्रांत’ की तुलना में बहुत बड़ा और अधिक बेहतर है। साल 1961-1997 तक पहला विक्रांत (ब्रिटिश मूल), 1987-2016 से आईएनएस विराट (ब्रिटिश मूल) और आईएनएस विक्रमादित्य (रूसी मूल) 2013 के बाद विक्रांत भारतीय नौसेना द्वारा संचालित होने वाला चौथा विमानवाहक पोत है।
डॉर्नियर सर्विलांस एयरक्राफ्ट से बढ़ी नौसेना की ताकत
भारतीय नौसेना में नया डॉर्नियर -228 स्क्वाड्रन INAS 313 शामिल किया गया। नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने जुलाई 2019 में मीनाम्बक्कम में पांचवें डॉर्नियर एयरक्राफ्ट स्वैड्रॉन को भारतीय नौसेना को सौंपा। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा स्वदेशी रूप से बनाए गए इन विमानों को आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित किया गया है। मल्टीरोल सर्विलांस डॉर्नियर एयरक्राफ्ट में आधुनिक सेंसर्स और उपकरण लगाए गए हैं, जिससे दुश्मन पर कड़ी नजर रखी जा सकेगी। यह बचाव और खोजी अभियानों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इससे नौसेना की निगरानी क्षमता काफी बढ़ गई है। डॉर्नियर विमान का इस्तेमाल पूर्वी समुद्री सीमा पर निगरानी के लिए किया जाएगा।
‘मेक इन इंडिया’ के तहत तैयार आईएनएस ‘करंज’
मेक इन इंडिया के तहत निर्मित स्कॉर्पीन श्रेणी की तीसरी पनडुब्बी आईएनएस ‘करंज’ को 31 जनवरी, 2018 को नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया था। ‘करंज’ एक स्वदेशी पनडुब्बी है। करंज पनडुब्बी कई आधुनिक फीचर्स से लैस है और दुश्मनों को चकमा देकर सटीक निशाना लगा सकती है। इसके साथ ही ‘करंज’ टॉरपीडो और एंटी शिप मिसाइलों से हमले भी कर सकती है। करंज पनडुब्बी में कई और खूबियां भी हैं। यह पनडुब्बी रडार की पकड़ में नहीं आ सकती। यह जमीन पर हमला करने में सक्षम है, इसमें ऑक्सीजन बनाने की भी क्षमता है, यही वजह है कि करंज पनडुब्बी लंबे समय तक पानी में रह सकती है। युद्ध की स्थिति में करंज पनडुब्बी हर तरह के हालात से सुरक्षित और बड़ी आसानी से दुश्मनों को चकमा देकर बाहर निकल सकती है।
पीएम मोदी ने लांच की आईएनएस ‘कलवरी’
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत में बनी स्कॉर्पीन श्रेणी की पहली पनडुब्बी आईएनएस कलवरी को 14 दिसंबर, 2017 को लांच किया था। वेस्टर्न नेवी कमांड में आयोजित एक कार्यक्रम में पीएम मोदी की मौजूदगी में इस पनडुब्बी को नौसेना में कमीशंड किया गया था। इस पनडुब्बी ने केवल नौसेना की ताकत को अलग तरीके से परिभाषित किया, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के लिए भी इसे एक मील का पत्थर माना गया। कलवरी पनडुब्बी को फ्रांस की एक कंपनी ने डिजाइन किया था, तो वहीं मेक इन इंडिया के तहत इसे मुंबई के मझगांव डॉकयॉर्ड में तैयार किया गया। आईएनएस कलवरी के बाद 12 जनवरी, 2019 को स्कॉर्पीन श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी आईएनएस खांदेरी को लांच किया गया था। कलवरी और खंडेरी पनडुब्बियां भी आधुनिक फीचर्स से लैस हैं। यह दुश्मन की नजरों से बचकर सटीक निशाना लगाने में सक्षम हैं, साथ ही टॉरपीडो और एंटी शिप मिसाइलों से हमले भी कर सकती हैं।
पूरी तरह देश में निर्मित धनुष तोप सेना में शामिल
अक्टूबर 2019 में भारतीय सेना ने संभावित खतरों को देखते हुए बोफोर्स से भी खतरनाक तोप धनुष को अपने आर्टिलरी विंग में शामिल कर लिया। स्वदेश में निर्मित इस तोप की मारक क्षमता इतनी खतरनाक है कि 50 किलोमीटर की दूरी पर बैठा दुश्मन पलक झपकते ही खत्म हो जाएगा। यह 155 एमएम और 45 कैलिबर की आर्टिलरी गन है। धनुष में इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम को जोड़ा गया है। इसमें आटो लेइंग सुविधा है। ऑनबोर्ड बैलिस्टिक गणना और दिन और रात में सीधी फायरिंग की आधुनिकतम क्षमता से लैस है। इसमें लगी सेल्फ प्रोपल्शन यूनिट पहाड़ी क्षेत्रों में धनुष को आसानी से पहुंचाने में सक्षम है। धनुष के ऊपर मौसम का कोई असर नहीं होता। यह -50 डिग्री सेल्सियस से लेकर 52 डिग्री की भीषण गर्मी में भी 24 घंटे काम कर सकती है। सेल्फ प्रोपेल्ड मोड में भी ये गन रेगिस्तान और हजारों मीटर ऊंचे खड़े पहाड़ों पर चढ़ सकती है।
K9 वज्र और M777 होवित्जर तोपें सेना में शामिल
K9 वज्र और M777 होवित्जर तोपों को 9 नवंबर 2018 को सेना में शामिल किया गया। इससे सेना की ताकत और बढ़ गई है। के9 वज्र तोप की रेंज 28-38 किमी है और तीन मिनट में 15 गोले दाग सकती है। यह पहली ऐसी तोप है जिसे भारतीय प्राइवेट सेक्टर ने बनाया है। इसके साथ एम 777 होवित्जर तोप 30 किमी तक वार कर सकती है। इसे हेलिकॉप्टर या प्लेन से आवश्यकतानुसार एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है। 9 नवंबर को देवलाली में आयोजित समारोह में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और तत्कालीन आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत समेत कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारी भी शामिल हुए।
आइए देखते हैं मोदी सरकार किस तरह रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया को बढ़ावा दे रही है…
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत को हथियारों और युद्ध तकनीक के बारे में आत्मनिर्भर होने की जरूरत पर बल दिया है। ताकि भारत भविष्य में आने वाली जंग जैसी चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हो सके। इसके लिए कई अहम निर्णय लिए गए हैं। रक्षा मंत्रालय ने अब तक 200 से अधिक रक्षा उपकरणों की सूची जारी की, जिन्हें अब विदेश से नहीं खरीदा जाएगा। इसके लिए देश में ही सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में रक्षा अनुसंधान, डिजाइन और विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है।
हथियार बनाने के लिए 494 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत हर क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर आगे बढ़ रहा है। वहीं भारत को लेकर दुनिया का दृष्टिकोण भी काफी आशावादी है। इसी का परिणाम है कि रक्षा क्षेत्र में तेजी से विदेशी निवेश हो रहा है। रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने सोमवार (25 जुलाई, 2022) को लोकसभा में बताया कि 2020 में संशोधित एफडीआई नीति पर अधिसूचना जारी होने के बाद से रक्षा क्षेत्र में लगभग 494 करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त हुआ है।
निवेश को आकर्षित करने के लिए कई नीतिगत सुधार
संसद में एक सवाल का जवाब देते हुए रक्षा राज्य मंत्री ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में मोदी सरकार ने घरेलू रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए हैं। 2020 में सरकार ने रक्षा क्षेत्र में स्वचालित मार्ग से एफडीआई की सीमा को 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत और सरकारी मार्ग से 100 प%E