बिहार में लालू-राज की कारगुजारियां एक बार फिर सामने आईं हैं। चुनाव जीतने के लिए उनके राज में ऐसे-ऐसे लोगों के बोगस मतदाता पहचान पत्र बना दिए गए, जो बिहार में रहते ही नहीं हैं। इतना ही नहीं जांच में अब मृतकों तक के वोटर आईकार्ड मिले हैं, जिनके माध्यम से राजद उम्मीदवारों को जिताने के प्रयास किए जाते थे। बिहार में मतदाता पुनरीक्षण के लिए एक महीने चले विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) में बिहार के 7.89 करोड़ में से 7.24 करोड़ मतदाताओं (91.69 प्रतिशत) ने गणना प्रपत्र जमा करा दिए हैं। निर्वाचन आयोग ने ताजा रिपोर्ट जारी कर बताया कि इस दौरान 22 लाख (2.83 प्रतिशत) ऐसे मतदाताओं की पहचान हुई है, जिनकी मौत हो चुकी है। 36 लाख (4.59 प्रतिशत) लोग या तो पिछले पते से स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गए है या उनका पता नहीं चला। सात लाख (0.89 प्रतिशत) मतदाताओं ने कई जगह पंजीकरण कराया हुआ है। इनके नाम हटाए जाएंगे। इधर बिहार की तर्ज पर विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम 2025 (एसआईआर) को राजस्थान में भी लागू कराने का खाका चुनाव आयोग ने तैयार कर लिया है। सिर्फ औपचारिक तिथि का ऐलान बाकि है। इसके तहत राजस्थान के 5 करोड़ 48 लाख वोटरों में से 2 करोड़ 57 लाख 14461 वोटरों को इस दायरे में लाया जाएगा।
बिहार में 7.9 करोड़ में से 91 प्रतिशत फॉर्म जमा, 22 लाख मृतकों की पहचान
बिहार में इस साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव के दौरान शत-प्रतिशत सही वोटिंग के लिए चुनाव आयोग ने विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम 2025 (एसआईआर) शुरू किया था। इस पर कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल समेत विपक्षी पार्टियों ने काफी हायतौबा मचाई। यहां तक कि सर्वोच्च न्यायालय तक में याचिका दायर कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने 4 दिन पहले वोटर लिस्ट रिवीजन जारी रखने की अनुमति दे दी। अदालत ने इसे संवैधानिक जिम्मेदारी बताया। चुनाव आयोग की ओर से यह विशेष अभियान 24 जून 2025 को शुरू हुआ था, जिसका उद्देश्य फर्जी, दोहरे नामांकन और स्थानांतरित मतदाताओं को सूची से हटाना और नए योग्य मतदाताओं को जोड़ना था। निर्वाचन आयोग ने एसआईआर की जारी रिपोर्ट बताया है कि 36 लाख लोग या तो पिछले पते से स्थायी स्थानांतरित हो गए हैं या उनका पता नहीं है। इसके साथ ही 7 करोड़ से ज्यादा फॉर्म जमा हुए हैं और अब तक 22 लाख मृत वोटरों की पहचान हो चुकी है।
व्यापक स्तर पर चला अभियान, 5.7 करोड़ नंबरों पर भेजे मैसेज
चुनाव आयोग के मुताबिक विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम 2025 (एसआईआर) व्यापक स्तर पर चलाया गया। इसके तहत करीब 5.7 करोड़ मोबाइल नंबरों पर पुनरीक्षण समझाने वाले एसएमएस भेजे गए। बिहार के प्रवासियों में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से देशभर में 246 अखबारों में विज्ञापन दिए गए। कुल 29 लाख गणना फॉर्म ऑनलाइन भरे गए। इसमें 16 लाख से अधिक फॉर्म ऑनलाइन, जबकि 13 लाख से अधिक फॉर्म डाउनलोड किए गए। बिहार के सभी 261 शहरी व स्थानीय निकायों के सभी 5683 वाडों में विशेष शहरी शिविर लगाए गए। आयोग ने यह भी तय किया कि बिना किसी स्पष्ट आदेश और वाजिब कारण के ड्रॉफ्ट मतदाता सूची से कोई भी नाम नहीं हटाया जाएगा। चुनाव आयोग के मुताबिक, बूथ स्तर के अधिकारियों को ये मतदाता नहीं मिले और न ही उन्हें गणना फार्म वापस मिले, क्योंकि या तो वे अन्य राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता बन गए थे, या वहां मौजूद नहीं थे। इनकी वास्तविक स्थिति 1 अगस्त तक फॉमों की जांच के बाद पता चलेगी। आयोग ने कहा है कि 1 अगस्त को ड्राफ्ट मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी। साथ ही हर बूथ की मुद्रित और डिजिटल प्रतियां सभी 12 दलों को दी जाएगी। कोई मतदाता या दल 1 अगस्त से 1 सितंबर तक अपने दावे आपत्तियां दर्ज करा सकते हैं।
व्यापक पुनरीक्षण के तहत 7.24 करोड़ नागरिकों के वैधता फॉर्म इकट्ठे
इस व्यापक पुनरीक्षण के तहत 7.24 करोड़ नागरिकों के वैधता फॉर्म इकट्ठे किए गए। इसके लिए बूथ स्तर अधिकारी (BLO) और बूथ स्तर एजेंट (BLA) ने अहम भूमिका निभाई। इन्होंने घर-घर जाकर नागरिकों से आवश्यक जानकारी एकत्र की। 25 जुलाई 2025 तक पहले चरण को 99.8% कवरेज के साथ सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया। अब चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट की विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के पहले चरण के आंकड़े जारी कर दिए हैं। इसके मुताबिक बिहार में अब 7.24 करोड़ वोटर हैं। पहले यह आंकड़ा 7.89 करोड़ था। वोटर लिस्ट रिवीजन के बाद 65 लाख नाम सूची से हटा दिए गए हैं। हटाए गए नामों में वे लोग शामिल हैं, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं या फिर कहीं और स्थायी रूप से रह रहे हैं या जिनका नाम दो वोटर लिस्ट में दर्ज था। इनमें से 22 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। 36 लाख मतदाता स्थानांतरित पाए गए, जबकि 7 लाख लोग अब किसी और क्षेत्र के स्थायी निवासी बन चुके हैं।
बिहार में 1 अगस्त को जारी होगी प्री-वोटर लिस्ट, एक महीने का मौका
बिहार राज्य निर्वाचन आयोग से जुड़े लोगों का कहना है, ‘अभी ज्यादा से ज्यादा फॉर्म कलेक्ट कराए जा रहे हैं। इसके बाद जांच होगी। सूची में जो भी शिकायत आएगी, उसकी जांच होगी। कोई गलत तरीके या जाली कागजात के सहारे वोटर लिस्ट में शामिल होगा तो वैधानिक कार्रवाई होगी।’ निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी (ERO) 1 अगस्त 2025 को प्रारूप निर्वाचक नामावली प्रकाशित करेंगे और उसमें किसी भी सूची में सुधार के लिए सुझाव आमंत्रित करेंगे। इसमें सुधार के लिए राजनीतिक दलों/मतदाताओं को एक महीने का समय दिया जाएगा। चुनाव आयोग के मुताबिक, यदि किसी मतदाता को ERO के निर्णय से कोई आपत्ति हो तो वह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 24 के तहत जिला मजिस्ट्रेट एवं मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के समक्ष अपील कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने इसे संवैधानिक जिम्मेदारी बताया, फाइनल फैसला आज
सुप्रीम कोर्ट ने 4 दिन पहले वोटर लिस्ट रिवीजन जारी रखने की अनुमति दी थी। अदालत ने इसे संवैधानिक जिम्मेदारी बताया था। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा कि विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) यानी वोटर लिस्ट रिवीजन के लिए SIR के दौरान आधार, वोटर आईडी, राशन कार्ड को भी पहचान पत्र माना जाए। दूसरी ओर बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट का फाइनल फैसला आज (सोमवार) को आ सकता है। आयोग ने इस प्रक्रिया को लोकतंत्र की शुचिता के लिए जरूरी बताया है। दूसरी ओर बोगस वोटर का मतदाता सूची से नाम कटने के कारण राजद सांसद मनोज झा अंट-शंट आरोप लगा रहे हैं। इससे पहले 10 जुलाई को कोर्ट ने कहा था कि आधार, राशन कार्ड और वोटर आईडी को पहचान पत्र के रूप में माना जा सकता है।
बिहार में अभियान की सफलता के बाद पूरे देश में लागू करने की तैयारी
चुनाव आयोग ने इस सफलता का श्रेय राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, 38 जिलों के डीएम, 243 ERO, 2,976 AERO, 77,895 BLO, और 12 प्रमुख राजनीतिक दलों के 1.60 लाख BLA को दिया है। इस दौरान BLA की संख्या में 16 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। अब अगले चरण में, 1 अगस्त से 1 सितंबर 2025 के बीच ऐसे सभी योग्य नागरिक जिनका नाम किसी कारणवश सूची में शामिल नहीं हो सका है, उन्हें ड्राफ्ट लिस्ट में नाम जुड़वाने का मौका मिलेगा। वहीं जिनके नाम एक से अधिक स्थानों पर दर्ज हैं, उनका नाम केवल एक स्थान पर रखा जाएगा। आयोग ने यह भी बताया कि बिहार में इस अभियान की सफलता को देखते हुए इसे अब पूरे भारत में लागू करने की योजना बनाई जा रही है।
राजस्थान ने बाजी मारी, एसआईआर कार्यक्रम के लिए खाका तैयार
बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम 2025 (एसआईआर) के शानदार परिणाम आने के बाद अब राजस्थान में भी इसी की तर्ज पर अभियान चलाने का खाका चुनाव आयोग ने तैयार किया है। प्रदेश में SIR शुरू करने की तिथि जल्द ही घोषित की जाएगी। वेरिफाई होने वाले वोटर्स को माता-पिता में से एक का डॉक्यूमेंट दिखाना होगा। पहले चरण में प्रदेश के 5 करोड़ 48 लाख वोटरों में से 2 करोड़ 57 लाख से अधिक को इसके दायरे में लाने की तैयारी है। प्रदेश के 47 प्रतिशत वोटरों को चिह्नित कर दो कैटेगरी बनाई गई है। पहली कैटेगरी में 44 प्रतिशत को चिह्नित किया है, जिन्हें खुद का और माता-पिता में से किसी एक का डॉक्यूमेंट वेरिफाई कराना होगा। दूसरी कैटेगरी में 3 प्रतिशत वोटर वो रहेंगे, जिसमें माता-पिता दोनो के डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन की अनिवार्यता लागू होगी। राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवीन महाजन के मुताबिक जल्द विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। सभी संभागीय आयुक्त, 41 जिला निर्वाचन अधिकारियों के साथ चर्चा की जा चुकी है। राज्य स्तर पर 271 मास्टर ट्रेनर्स को भी प्रशिक्षित किया जा चुका है। ये मास्टर ट्रेनर 28 जुलाई से बूथ स्तरीय अधिकारी एवं पर्यवेक्षकों का प्रशिक्षण प्रारंभ करेंगे।