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अमेरिका के डॉक्टर ने खोला केजरीवाल के खिलाफ मोर्चा

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विदेशों से आम आदमी पार्टी को चंदा दिलाने वाले शिकागो के एक डॉक्टर ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ अमेरिका में मोर्चा खोल दिया है.

शिकागो में आम आदमी पार्टी की एनआरआई सेल के सह संयोजक और पार्टी से निलंबित डॉ मनीष रायजादा ने चंदा बंद सत्याग्रह (नो लिस्ट, नो डोनेशन) शुरू किया है.

आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को हाल ही में लिखे पत्र में उन्होंने पार्टी को अब तक मिले चंदे को सार्वजनिक करने की मांग की थी…और ऐसा ना होने पर आंदोलन करने की धमकी दी थी.

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उन्होंने केजरीवाल से मांग की थी कि पार्टी के स्थापना दिवस 26 नवंबर को वे चंदे का ब्योरा सार्वजनिक करें. लेकिन चंदे का ब्योरा आम ना होने पर उन्होंने चंदा बंद सत्याग्रह शुरू कर दिया है.

वह शिकागो में चार दिसंबर से चंदा बंद सत्याग्रह कर रहे हैं. उनके इस अभियान को अमेरिका में रह रहे भारतीयों का भरपूर समर्थन मिल रहा है.

रायजादा ने लोगों से अपील की है कि अगर आम आदमी पार्टी दान में मिली राशि की जानकारी सार्वजनिक नहीं करती है तो उसे चंदा नहीं दिया जाए.

केजरीवाल को लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि मैं और मेरे जैसे हजारों समर्थक पार्टी को चंदा भेजते रहे हैं लेकिन इस साल जून से पार्टी ने चंदे की लिस्ट वेबसाइट से हटा ली है.

क्या यह संयोग था कि इनकम टैक्स विभाग की पूछताछ के बाद ही ऐसा किया गया क्योंकि वेबसाइट पर डाली गई डोनेशन की जानकारी चुनाव आयोग के रिकॉर्ड से मेल नहीं खाती.

परफर्म इंडिया के साथ बात में उन्होंने कहा है कि पार्टी बनाते वक्त कहा गया था की हम ईमानदारी के लिए राजनीति में उतर रहे हैं. फंडिंग में पारदर्शिता हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज थी. मेरे जैसे काफी लोगों ने अपना करियर और काम छोड़कर पार्टी को अपना कीमती वक्त दिया, लेकिन इन सभी के साथ धोखा हुआ.

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मुनीश ने कहा कि वह जल्दी ही दिल्ली आ रहे हैं और इस अभियान को आगे बढ़ाएंगे.

पार्टी में रहने के दौरान मुनीश ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर आप को विदेश से चंदा दिलाने के लिए काम किया था. लेकिन पिछले साल नवंबर में लालू यादव के खिलाफ एक लेख लिखने पर केजरीवाल ने उन्हें अनुशासनहीनता के आरोप में पार्टी से निलंबित कर दिया.

व्यवस्था परिवर्तन के दावे हुए फुस्स

इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन के बाद 2012 में आम आदमी पार्टी का उदय हुआ. व्यवस्था परिवर्तन के इस दावे के साथ की चंदे के रूप में सिर्फ सफेद धन लेंगे… पार्टी में हाईकमान की संस्कृति को खत्म करेंगे और आंतरिक स्वराज की स्थापना करेंगे.

जनलोकपाल बिल लाने की प्रतिबद्धता के साथ 2014 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में 70 में से 67 सीटें जीतकर पार्टी ने धमाकेदार जीत दर्ज की, लेकिन केजरीवाल के शासन करने के तरीके से पार्टी की छवि लोगों में दिन पर दिन खराब होती जा रही है. सरकार के कामकाज करने के तरीके से लोग परेशान हैं.

पार्टी के कई विधायकों के खिलाफ मामले चल रहे हैं. केजरीवाल खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं जिसके कारण पार्टी की दूसरी लाइन तैयार ना कर हर काम खुद देख रहे हैं. चाहे गोवा या पंजाब में चुनाव लड़ने की बात क्यों ना हो.

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जेएनयू में राष्ट्रविरोधी नारे का मामला हो या दादरी बीफ कांड या फिर रोहित वेमुला की मौत का मामला और अब नोटबंदी पर जिस तरह से पार्टी कूद रही है… लोगों में ये मैसेज जा रहा है कि वे मीडिया में आने के लिए हर मुद्दे को भुनाने की ताक में रहते हैं.

यहां तक की केजरीवाल हर मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी धसीट लेते हैं. बताया जाता है कि जब-जब केजरीवाल मोदी का नाम लेकर हल्ला बोलते हैं पार्टी के चंदे की रकम बढ़ जाती है.

चंदे में आई कमी

मुनीश के अभियान के बाद अमेरिका और यूरोप में चंदा मिलने में कमी आई है. अब पार्टी विदेशी चंदे के लिए पाकिस्तान और खाड़ी के देशों पर ज्यादा निर्भर है. लेकिन पाकिस्तान के व्यक्ति को चंदा किसी दूसरे देश का नाम सेलेक्ट करके देना पड़ता है क्योंकि लिस्ट में पाकिस्तान का नाम नहीं है.

मुनीश का कहना है कि चन्दे की पारदर्शिता आम आदमी पार्टी का मूल भूत सिद्धान्त रहा है लेकिन अब हम अपने डोनर्स की लिस्ट ही दबा के बैठ गए हैं. अपनी पार्टी को सत्य पथ पर वापस लाने के लिए हम ऐसा कर रहे हैं. अगर पैसों के कारण पार्टी अपने रास्ते से भटक गई तो जो दोष पैदा होंगे इसकी कल्पना आप अच्छी तरह से कर सकते हैं.

मुनीश लोगों से लिस्ट सार्वजनिक होने तक चंदा ना देना का शपथ दिला रहे हैं जो इस तरह है-

जब तक आम आदमी पार्टी अपने दानकर्ताओं (डोनर्स) की लिस्ट सार्वजनिक नहीं करती, तब तक मैं पार्टी को को चन्दा न देने प्रण लेता/लेती हूँ.

आप इस लिंक पर जाकर शपथ पत्र पर दस्तखत कर इनके इस अभियान में शामिल हो सकते हैं- शपथ पत्र

आप संयोजक यह मानते हैं कि पार्टी को मिलने वाला 92 प्रतिशत चंदा बैंक के मार्फत या चेक से मिलता है. लेकिन अपनी पार्टी को मिले चंदे को सार्वजनिक करने के बजाय केजरीवाल दूसरी पार्टियों से अपनी लिस्ट सार्वजनिक करने को कह रहे हैं.

फिलहाल भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने के साथ पारदर्शिता और ईमानदारी के दावे करने वाले केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी घर में ही घिरती नजर आ रही है.

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