राजस्थान के युवा नेता सचिन पायलट के बागी तेवर से ये सवाल उठने लगे हैं कि क्या कांग्रेस में राहुल के एकछत्र राज के लिए जनाधार वाले युवा नेता किनारे लगाए जा रहे हैं? क्या जनाधार वाले लोकप्रिय नेताओं को पार्टी में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बेटे राहुल गांधी के लिए चुनौती माना जा रहा है? आप इस बात को कांग्रेस की करीबी पत्रकार बरखा दत्त के ट्वीट से भी समझ सकते हैं।
A senior Congress leader actually said to me “With Pilot and scindia out, Rahul Gandhi has got what he wanted, the party for himself, with no visible challenger” https://t.co/REvdCede62
— barkha dutt (@BDUTT) July 14, 2020
कांग्रेस से एक के बाद एक कई युवा नेताओं के पार्टी छोड़ने या आलाकमान से नाराजगी से यह सवाल उठना जायज है। कांग्रेस में उन सभी युवा नेताओं को साइडलाइन कर दिया जाता है, जिससे लगता है कि आगे गांधी परिवार को चुनौती मिल सकती है। आइए डालते हैं एक नजर-
सचिन पायलट
राजस्थान के युवा नेता सचिन पायलट ने पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी की जीत में अहम भूमिका निभाई, लेकिन जब सरकार बनाने की बात आई तो सीएम की कुर्सी अशोक गहलोत को दे दी गई। नाराज सचिन को मनाने के लिए डिप्टी सीएम बना दिया गया। इस बीच गहलोत ने सचिन पायलट को किनारे करना शुरू कर दिया। इससे नाराज होकर सचिन पायलट को बागी रुख अपनाना पड़ा।
मध्य प्रदेश में जनाधार वाले लोकप्रिय युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस की अनदेखी के कारण हाल ही में बीजेपी में शामिल हो गए हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ राज्य के कई अन्य विधायक और युवा नेता भी बीजेपी का दामन थाम चुके हैं। इससे राज्य में कांग्रेस काफी कमजोर हो गई है।
असम के लोकप्रिय नेता हेमंत बिस्वा शर्मा को भी मजबूर होकर पार्टी से निकलना पड़ा। यहां के बुजुर्ग कांग्रेसी नेता तरुण गोगोई के साथ मतभेदों के कारण उन्हों हाशिए पर डाल दिया गया था। 2001 से 2015 तक कांग्रेस के विधायक हेमंत बिस्वा शर्मा 2016 में बीजेपी में आ गए। राज्य में कांग्रेस को हराने में इनका अहम योगदान रहा है। हेमंत बिस्वा शर्मा अभी असम के स्वास्थ्य मंत्री हैं।
कांग्रेस की एक तेजतर्रार युवा प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी को भी पार्टी नेतृत्व की अनदेखी के कारण बाहर होना पड़ा। उन्हें पार्टी में दुर्व्यवहार का भी सामना करना पड़ा। आखिर में वे शिवसेना में शामिल हो गईं।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी एक समय पार्टी नेतृत्व की अनदेखी के कारण कांग्रेस छोड़ने के लिए विवश होना पड़ा था। पार्टी में किनारे किए जाने पर ममता बनर्जी ने 1997 में कांग्रेस से अलग होकर तृणमूल कांग्रेस बना ली थी। ममता बनर्जी के कांग्रेस छोड़ने के बाद पार्टी का राज्य से एक तरह से सफाया हो गया है।
वाईएस जगन मोहन रेड्डी वर्तमान में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। इनके पिता वाईएस राजशेखर रेड्डी दो बार राज्य के सीएम रह चुके हैं। 2009 में वाईएस राजशेखर रेड्डी की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु के बाद लोगों ने जगन मोहन रेड्डी को मुख्यमंत्री बनाने की मांग की लेकिन पार्टी आलाकमान ने इसे ठुकरा दिया। आखिर में पार्टी से नाराज होकर इन्होंने 2010 में अलग पार्टी बना ली और आज राज्य में इनकी सरकार है।
महाराष्ट्र के युवा नेता मिलिंद देवड़ा ने हाल में ही मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि उन्होंने पार्टी नहीं छोड़ी है, लेकिन पार्टी आलाकमान के रवैये से नाराज चल रहे हैं।