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तमिलनाडु में बाढ़ से संकट, सनातन बना सहारा, सनातन को गाली देने वाले गायब!

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तमिलनाडु में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) की सरकार द्रविड़ मॉडल के नाम पर ईसाई धर्म को बढ़ावा देती रही है। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे और युवा कल्याण और खेल विकास मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने 22 दिसंबर 2022 को यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि वह और उनकी पत्नी ईसाई हैं और यह सुनकर संघी आग-बबूला हो जाएंगे। ऐसा उन्होंने उत्तर भारत, सनातन और बीजेपी के प्रति नफरत जाहिर करने के लिए कहा था। जिस सनातन को उदयनिधि ने मच्छर, डेंगू, मलेरिया और न जाने क्या-क्या कहा था और जिस सनातन को खत्म करने की बात कही थी। आज तमिलनाडु जब बाढ़ की तबाही झेल रहा है तब सनातन ही सहारा बन रहा है। खुद को ईसाई कहने वाले स्टालिन के ईसाई मिशनरी कहीं गायब हो गए हैं!उनका काम केवल धर्म परिवर्तन कराना है!4 दिसंबर को मिचौंग तूफान से आई बाढ़ के बाद जमीनी स्तर पर आरएसएस और रामकृष्ण मठ के स्वयंसेवक और भाजपा नेता ही लोगों तक मदद पहुंचाते दिखे। सोशल मीडिया पर ये वीडियो वायरल होते गए इसके तीन दिन बाद मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की नींद 7 दिसंबर को खुली उन्होंने भी राहत सामग्री बांटने का एक फोटो सेशन करवा लिया।

तमिलनाडु में बाढ़ से 1.2 करोड़ लोग प्रभावित
बंगाल की खाड़ी से उठे मिचौंग तूफान के कारण आई बाढ़ से तमिलनाडु के 1.2 करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं। चेन्नई, तिरुवल्लूर, कांचीपुरम और चेंगलपट्टू जिले में सबसे ज्यादा तबाही हुई। 4 दिसंबर से सभी स्कूल-कॉलेज बंद हैं। भारतीय वायु सेना के हेलिकॉप्टर से बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है। चेन्नई में एक दिन में सबसे ज्यादा 50 सेमी बारिश रिकॉर्ड की गई। इसके चलते आई बाढ़ से 20 लोगों की मौत हो चुकी है। शहर के कई हिस्सों में तीन दिन से बिजली और इंटरनेट बंद है। लोग परेशान हैं लेकिन स्टालिन सरकार इन लोगों तक मदद पहुंचाने में विफल साबित हुई है।

चेन्नई बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए सड़कों पर उतरे सनातनी
तमिलनाडु में 4 दिसंबर को बाढ़ आने के समय से ही रामकृष्ण मठ के स्वयंसेवक के साथ ही अन्य सनातनी चेन्नई बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए सड़कों पर हैं। वे दिन-रात लोगों तक खाना पहुंचा रहे हैं। अब ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कहां हैं तमिलनाडु की ईसाई मिशनरियां? वे लोगों की मदद के लिए आगे क्यों नहीं आ रही हैं?

रामकृष्ण मठ ने बाढ़ प्रभावित इलाकों में पहुंचाया भोजन
रामकृष्ण मठ केवल चेन्नई में ही बाढ़ पीड़ितों को मदद पहुंचा रही है ऐसा नहीं है। मठ के स्वयंसेवक तमिलनाडु के अन्य बाढ़ प्रवाभित क्षेत्रों में भी लगातार लोगों तक खाना एवं अन्य मदद पहुंचा रही है। श्री रामकृष्ण मठ की चेन्नई शाखा ने 7 दिसंबर 2023 को ट्वीट कर जानकारी दी कि श्री रामकृष्ण मठ, चेन्नई द्वारा 6 दिसंबर 2023 को चक्रवात मिचौंग प्रभावित पट्टिनापक्कम, सेम्मनचेरी और पेरुंबक्कम में राहत कार्य किया गया।

सनातनी 4 दिसंबर से ही बाढ़ पीड़ितों की सेवा में जुट गए
रामकृष्ण मठ ने तो खुद सोशल मीडिया पर 7 दिसंबर को राहत कार्य किए जाने की जानकारी दी। लेकिन वे बाढ़ आते ही सेवा कार्य में जुट गए थे। सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो वायरल हैं जिसमें रामकृष्ण मठ के स्वयंसेवक विभिन्न इलाकों में पीड़ित लोगों तक खाना पहुंचाते देखे जा सकते हैं। सनातन में मानव सेवा को ही ईश्वर की सेवा कहा गया है जिसे रामकृष्ण मठ के स्वयंसेवक चरितार्थ कर रहे हैं। रामकृष्ण मठ, चेन्नई ने निकटवर्ती निचले इलाकों में 4 दिसंबर को ही राहत कार्य शुरू कर दिया था। मठ के स्वामी गौतमानंद जी महाराज की देखरेख में इस सेवा कार्य का संचालन किया गया।

पशुओं को भी बाढ़ग्रस्त क्षेत्र से बाहर निकालने में जुटे सनातनी
सनातन धर्म में न केवल मानव सेवा श्रेष्ठ कहा गया है बल्कि पशु सेवा को भी धर्म का विषय बताया गया है। तमिलनाडु के सनातनी न केवल बाढ़ में फंसे लोगों की मदद कर रहे हैं बल्कि पशुओं को बाढ़ग्रस्त क्षेत्र से बाहर निकालकर उन्हें सुरक्षित जगह पर पहुंचा रहे हैं।

तिरुवल्लीश्वरर मंदिर ट्रस्टी समिति 500 लोगों को खिला रहा भोजन
बाढ़ पीड़ितों को भोजन मुहैया कराने के लिए बड़ी, अरुलमिकु तिरुवल्लीश्वरर मंदिर ट्रस्टी समिति (Badi, Arulmiku Tiruvalleeswarar Temple Trustee Committee) भी आगे आई है। वह उत्तरी चेन्नई में बाढ़ प्रभावित 500 लोगों को भोजन मुहैया करा रहा है।

एनडीआरएफ के हिंदीभाषी जवान बचा रहे तमिल लोगों की जान
यही नहीं, डीएमके पार्टी हिंदीभाषी राज्यों के साथ ही हिंदी भाषा के खिलाफ जहर उगलती रही है। लेकिन जब तमिलनाडु में आपदा आई तो एनडीआरएफ के हिंदीभाषी जवान ही सहारा बन रहे हैं और मुश्किल हालातों में बाढ़ पीड़ितों की जान बचा रहे हैं। नीचे वीडियो में देखा जा सकता है हिंदी भाषी एनडीआरएफ कर्मी चेन्नई बाढ़ में किन मुश्किल हालातों में तमिल लोगों को बचा रहे हैं। उन्हें भाषा की नहीं बल्कि मानवता और राष्ट्रीयता की परवाह है। कई तमिल भाषी लोग भारत के अन्य हिस्सों में भी देश की सेवा करते हैं। दुःख की बात है कि स्टालिन परिवार सत्ता के लिए लोगों को उत्तर-दक्षिण में बांटने का कुचक्र कर रही है।

आरएसएस और बीजेपी नेता पहुंचा रहे खाना, पानी और दवाएं
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के स्वयंसेवक चेन्नई में बाढ़ प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं। खाद्यान्न, पेयजल, दवाएं एवं अन्य आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध करायी जा रही हैं। वहीं दक्षिण चेन्नई से बीजेपी नेता डॉ. एसजी सूर्या पिछले तीन दिनों से बाढ़ से प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने और उन्हें बचाने के लिए जमीन पर काम कर रहे हैं। उनकी टीम अब तक 5000 लोगों को भोजन उपलब्ध करा चुकी है और 2000 परिवारों को राशन पहुंचा रही है। वह बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे हैं।

मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राहत सामग्री बांटने का किया दिखावा
सोशल मीडिया पर सनातनी लोगों द्वारा पहुंचाई जा रही मदद की तस्वीरें वायरल होने लगीं तब जाकर राज्य के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की नींद खुली और लाइट,कैमरा,एक्शन के साथ ही वो लोगों के बीच राहत सामग्री और भोजन बांटने पहुंच गए। इन तस्वीरों को गौर से देखेंगे तो पता चलेगा ये मदद कम और दिखावा ज्यादा है। जो काम पहले एमके स्टालिन और उनकी टीम को करना चाहिए था वो काम मठ और मंदिर में रहने वाले पुजारी और स्वयंसेवकों ने किया। इन लोगों के पास कोई कैमरा नहीं था कोई दिखावा नहीं था, बस एक ही भावना थी कि लोगों की मदद करना है।

एक्ट्रेस अदिति बालन ने कहा- डीएमके सरकार गैर जिम्मेदार
‘मिचौंग’ तूफान के कारण चेन्नई में आई बाढ़ से स्थिति बदहाल है। ऐसे में एक्ट्रेस अदिति बालान ने तमिलनाडु की डीएमके सरकार पर गैर-जिम्मेदाराना रवैया दिखाने का आरोप लगाया है। एक्ट्रेस ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी भी जाहिर की है। एक्ट्रेस ने दावा किया कि वो जब बाढ़ प्रभावित इलाके में परिवारों की मदद कर रहीं थीं कि तभी उनसे कहा गया कि वो मुख्यमंत्री के काफिले के लिए जगह छोड़ दें। अदिति बालान ने सोशल मीडिया पर लिखा, “जब मैं बाढ़ में फंसे परिवार को वहां से निकालने के लिए उनका इंतजार कर रही थी तब सीएम स्टालिन के काफिले की वजह से मुझसे मेरी कार हटाने के लिए कहा गया।”

अदिति बालन ने एक अन्य पोस्ट में पूछा- “सरकार आखिर कहां हैं?
अदिति बालन ने एक अन्य पोस्ट में पूछा- “सरकार आखिर कहां हैं? मैं राधाकृष्णन नगर, तिरुवामियूर गई, इस क्षेत्र के आसपास के इलाकों का पानी भी इसी क्षेत्र में डाल दिया गया। पानी में मरे हुए जानवर तैर रहे थे। हमें दो बच्चों और उनकी दादी को बचाने के लिए बाढ़ के पानी से होकर गुजरना पड़ा। इस बीच, 6 पुलिसकर्मियों के साथ एक नाव एक प्रभावशाली महिला को लेने के लिए कोट्टूरपुरम में रिवर व्यू रोड पर पहुंची।”

स्टालिन सरकार बाढ़ पीड़ितों तक मदद पहुंचाने में नकारा साबित
तमिलनाडु की स्टालिन सरकार बाढ़ पीड़ितों तक मदद पहुंचाने में इतनी नकारा साबित हुई है कि लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। बुजुर्ग लोगों यहां तक कि पानी में खड़े होकर विरोध प्रदर्शन करना पड़ रहा है। एक 70 से अधिक वर्ष की बुजुर्ग ने राधाकृष्णन नगर और मालवीय एवेन्यू, तिरुवन्मियूर में पानी कम नहीं होने को लेकर प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि पानी कम नहीं हुआ है और सीवरेज है जबकि पास की एलबी रोड पूरी तरह सूखी है। सरकार की कोई हेल्पलाइन भी कनेक्ट नहीं हो रही।

48 घंटे से बिजली बंद, मोबाइल का नेटवर्क नहीं, लोगों का गुस्सा फूटा
एक अन्य सोशल मीडिया यूजर PG Things ने 5 दिसंबर को लिखा कि अभी भी मेरे दोस्त से संपर्क नहीं हो पा रहा है। ग्रैंड मॉल, वेलाचेरी के पास की यह जगह बुरी तरह प्रभावित है। पूछताछ करने के लिए भी नेटवर्क नहीं है। यहां बिजली बंद हुए 48 घंटे से अधिक हो गए हैं। कृपया इस स्थान पर बचाव नौकाएं ले जाएं और सभी की मदद करें। मेरा दोस्त, उसकी पत्नी और बच्चा – 2 साल का लड़का यहां फंसा हुआ है। जैसे ही मैं इस स्थान पर पहुंचा और उसे कॉल करने का प्रयास किया, तब भी नेटवर्क ने साथ नहीं दिया।

गुजरात में ड्रोन का उपयोग तो तमिलनाडु में क्यों नहीं ?
एक अन्य सोशल मीडिया यूजर @KoSesha ने स्टालिन सरकार से सवाल किया कि 2022 की बाढ़ के दौरान आंध्र और गुजरात में बाढ़ के पानी से कटे लोगों को आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए ड्रोन का उपयोग किया गया था। मेरा मानना ​​है कि इसे चेन्नई स्थित स्टार्ट-अप द्वारा संचालित किया गया था। हम चेन्नई में ऐसा क्यों नहीं कर रहे हैं? इससे राहत कार्य निश्चित रूप से आसान हो जाएगा।

चार दिन बाद भी लोग लगा रहे मदद की गुहार
सोशल मीडिया पर जयराम वेंकटेशन ने 7 दिसंबर को लिखा- गोविंदपुरम पट्टालम के निवासियों का कहना है कि अब तक कोई भी अधिकारी या राजनेता उनकी मदद के लिए नहीं आया। यह सबसे बुरी तरह प्रभावित जगहों में से एक है। आज भी जल स्तर कूल्हे स्तर तक है। सरकार को तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।

राजनाथ सिंह ने किया हवाई सर्वेक्षण, 450 करोड़ जारी करने का निर्देश
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तमिलनाडु में चेन्नई और उसके आसपास के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया। ये क्षेत्र चक्रवात मिचौंग से बर्बाद हो गये हैं। तमिलनाडु के वित्त और मानव संसाधन प्रबंधन मंत्री थंगम थेनारासु और मुख्य सचिव शिव दास मीना भी हवाई सर्वेक्षण के दौरान रक्षा मंत्री के साथ रहे। राजनाथ सिंह ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के साथ आयोजित बैठक के दौरान मौजूदा स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने गृह मंत्रालय को राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की दूसरी किस्त का तमिलनाडु को 450 करोड़ रुपये अग्रिम रूप से जारी करने का निर्देश दिया है।

एक तरफ जहां तमिलनाडु में संकट के समय सनातन सहारा बन रहा है वहीं डीएमके के दो नेता पोनमुडी और उदयनिधि स्टालिन की बात सुनिए जो सनातन को खत्म करने की बात कर रहे हैं। क्या देश को बांटने वाले ऐसे लोगों को सत्ता में होना चाहिए? 

सनातन धर्म के विरोध के लिए 26 विपक्षी दल एकजुटः पोनमुडी
चेन्नई में 2 सितंबर को सनातन धर्म के उन्मूलन को समर्पित सम्मेलन में डीएमके नेता पोनमुडी ने कहा कि सनातन धर्म का विरोध करने की विचारधारा INDI Alliance के भीतर एक साझा उद्देश्य था, जो इसके सदस्य दलों के बीच किसी भी आंतरिक मतभेद से परे था। उन्होंने बताया कि गठबंधन के सभी सदस्य समानता को बढ़ावा देने, अल्पसंख्यक अधिकारों की रक्षा करने और लैंगिक समानता सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता में एकजुट हैं। इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर सामाजिक जागरूकता और चेतना बढ़ाने के लिए 26 राजनीतिक दलों वाले I.N.D.I. Alliance की स्थापना की गई थी।


सनातन धर्म मच्छर, डेंगू, फ्लू, मलेरिया की तरहः स्टालिन
तमिलनाडु सरकार में मंत्री और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म को लेकर विवादित बयान देकर मधुमक्खी के छत्ते में हाथ डाल दिया है। उदयनिधि ने एक सभा में सनातन धर्म की तुलना डेंगू, मलेरिया और कोरोना से की है। उदयनिधि ने कहा- ”मच्छर, डेंगू, फीवर, मलेरिया और कोरोना, ये कुछ चीजें ऐसी हैं, जिनका केवल विरोध नहीं किया जा सकता, बल्कि उन्हें खत्म करना जरूरी होता है। सनातन धर्म भी ऐसा ही है। इसे खत्म करना हमारा पहला काम होना चाहिए।” यह देश के 100 करोड़ हिंदुओं और सनातनी का अपमान है।

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