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स्टालिन के बेटे ने मधुमक्खी के छत्ते में हाथ डाला! मलेरिया से की सनातन धर्म की तुलना, 100 करोड़ हिंदुओं का अपमान

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तमिलनाडु सरकार में मंत्री और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म को लेकर विवादित बयान देकर मधुमक्खी के छत्ते में हाथ डाल दिया है। उदयनिधि ने एक सभा में सनातन धर्म की तुलना डेंगू, मलेरिया और कोरोना से की है। उदयनिधि ने कहा- ”मच्छर, डेंगू, फीवर, मलेरिया और कोरोना, ये कुछ चीजें ऐसी हैं, जिनका केवल विरोध नहीं किया जा सकता, बल्कि उन्हें खत्म करना जरूरी होता है। सनातन धर्म भी ऐसा ही है। इसे खत्म करना हमारा पहला काम होना चाहिए।” यह देश के 100 करोड़ हिंदुओं और सनातनी का अपमान है। तमिलनाडु में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई सनातन धर्म का झंडा बुलंद किए हुए हैं। राज्य में बीजेपी के पक्ष में बदलाव की हवा इस कदर चल रही है कि अगला विधानसभा चुनाव जब भी हो, भाजपा सत्ता में आएगी।

सत्ता खोने के डर से हिंदुओं को बांटने की साजिश
तमिलनाडु प्रोग्रेसिव राइटर्स एसोसिएशन ने 2 अगस्त को चेन्नई में एक सम्मेलन आयोजित किया था, जिसका नाम रखा गया था- सनातनम (सनातन धर्म) उन्मूलन सम्मेलन। इस सम्मेलन को उदयनिधि स्टालिन ने भी संबोधित करते हुए सनातन के खिलाफ यह जहरीला बयान दिया। सत्ता खोने के भय से बौखलाए स्टालिन परिवार ने अब हिंदुओं को बांटने और मुस्लिम और ईसाई वोट को एकजुट करने के मकसद से इस तरह बयान दिया है। यह सब तब है जबकि स्टालिन ने उत्तर भारत में अपनी छवि बनाने के लिए पिछले दिनों हिंदी के अखबारों में विज्ञापन दिया था। लेकिन कहते हैं विनाश काले विपरीत बुद्धि। इस बयान के बाद यह तो तय हो गया है कि तमिलनाडु के सनातनी इस बार परिवारवादी स्टालिन की सत्ता को उखाड़ फेकेंगे और सनातन के खिलाफ नफरत फैलाने वालों को सबक सिखाएंगे।

उदयनिधि को अपने बयान का कोई अफसोस नहीं, शिकायत दर्ज 
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन का बेटा और तमिलनाडु सरकार में युवा कल्याण और खेल विकास मंत्री उदयनिधि स्टालिन को अपने बयान का कोई अफसोस भी नहीं है। जब बाद में मीडिया ने उनसे पूछा तो उसने कहा- ”मैं फिर से कह रहा हूं, मैंने केवल सनातन धर्म की आलोचना की है और मैं सनातन धर्म को खत्म करने की पुरजोर कोशिश करूंगा और मुझे इस बात का कोई अफसोस नहीं है और मैं यही बात लगातार बोलता रहूंगा।” इस पर सुप्रीम कोर्ट के वकील विनीत जिंदल ने तमिलनाडु सरकार में खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।

DMK के दूसरे नेता भी कार्यक्रम में शामिल हुए
सनातन उन्मूलन सम्मेलन में उदयनिधि स्टालिन के अलावा डीएमके के कई अन्य नेता भी शामिल हुए। इसमें तमिलनाडु सरकार में मानव संसाधन मंत्री पीके शेखरबाबू ने भी भाग लिया। पीके शेखर बाबू तमिलनाडु में प्राचीन हिंदू मंदिरों को भी नियंत्रित करते हैं।

सीएम स्टालिन ने कहा- हम हिंदी के गुलाम नहीं
एक तरफ पीएम मोदी विश्व में तमिल भाषा का गौरव बढ़ा रहे हैं वहीं डीएमके अब भी हिंदी के मुद्दे पर ही राजनीति कर रही है। अभी कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा था कि हम हिंदी के गुलाम नहीं बन सकते। लेकिन यह बात तय है कि उन्हें हिंदी की ताकत का पता चल चुका है। इसीलिए अपनी छवि को चमकाने के लिए कुछ समय पहले उन्होंने हिंदी में विज्ञापन दिया था। तमिलनाडु की सत्ता पर क़ाबिज स्टालिन को यह बात देर-सबेर समझ आ ही रही है कि अब हिन्दी का विरोध करके राजनीति नहीं कर सकते। कभी हिन्दी में पत्र लिखने के कारण मुलायम यादव से अपने संबंधों को ख़त्म कर लिया था। इससे उनका दोमुंहापन ही सामने आ रहा है, और लोग इसे समझ रहे हैं।

किसी और मजहब को खत्म करने वाला बयान आता तो…
सनातन की जगह किसी और मजहब को खत्म करने वाला बयान दिया जाता तो सुप्रीम कोर्ट आधी रात को सुनवाई कर रहा होता। वकीलों का एक वर्ग तुरंत सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाता। कुछ लोगों के ‘सर तन से जुदा’ कर दिए जाते। सड़कों पर भीड़ दंगा कर रही होती। मीडिया में बड़े-बड़े लेख लिखे जाते कि सेकुलरिज्म खतरे में है। विदेशी नेताओं के बयान आते कि वो चिंतित हैं। उस मजहब के प्रति सद्भावना दिखाने के लिए मानवाधिकार संगठनों द्वारा कार्यक्रम आयोजित किए जाते। सारे राजनीतिक दल एक सुर में निंदा करते। पत्रकारों का एक समूह ट्वीट पर ट्वीट करता। किसान नेता महापंचायत कर के ट्रैक्टर उतारने की धमकियां दे रहे होते। विश्वविद्यालयों में नुक्कड़ नाटकों का मंचन होता। और न जाने क्या-क्या होता।

सनातन को ख़त्म करने की मंशा रखने वाले दफन हो गए
नादिर शाह अफ़्शार, बाबर, मुहम्‍मद बिन कासिम, मोहम्‍मद गौरी, अहमदशाह अब्दाली और औरंगजेब तक सब यही मंशा रखते हुए दफन हो गए कि सनातन को ख़त्म करना है। अब I.N.D.I.A. गठबंधन के तहत तमिलनाडु से यह स्वर उठे हैं तो यह तय मानकर चलिए कि इनका भी अंत निकट आ गया है। लेकिन इसके साथ ही अब देश के 100 करोड़ हिंदुओं को भी अब जागना ही होगा। जिस तरह तमिलनाडु में अन्नामलाई सनातन का झंडा बुलंद कर रहे हैं, अब सभी हिंदुओं को एकजुट होकर उनका हाथ मजबूत करना चाहिए जिससे स्टालिन परिवार को सबक सिखाया जा सके।

I.N.D.I.A. गठबंधन के दल सनातन का अपमान करते रहे हैं। इस पर एक नजर-

राहुल गांधी ने कहा था- ये देश तपस्वी का है पुजारी का नहीं
कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने कहा था कि “भारत देश तपस्वी का है पुजारी का नहीं है”। राहुल गांधी के इस बेतुके बयान पर विवाद काफी बढ़ गया। देशभर में पुजारी राहुल गांधी के विरोध में उतर आए तो वहीं संत समाज ने कहा कि पुजारी और तपस्वी में कोई अंतर नहीं होता है। देश के प्रदानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी तपस्या की है तभी आज वो इस मुकाम पर हैं।

बिहार के शिक्षा मंत्री ने किया भगवान राम का अपमान
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सिंह ने बीते दिनों रामचरितमानस पर विवादित टिप्पणी की। शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने 11 जनवरी 2023 को कहा कि तुलसीदास की रामचरितमानस “समाज में नफरत फैलाती है”। बिहार के शिक्षा मंत्री की टिप्पणी राष्ट्र के राम भक्तों और सर्व समाज के भक्तों का घोर अपमान है। यह बयान जातीय विवाद पैदा करने, हिंदुओं को जातियों में बांटने के घृणित सोच के तहत दिया गया जिससे चुनावी लाभ हासिल किया जा सके।

केजरीवाल के करीबी ने शपथ दिलाई- मैं किसी हिंदू देवी-देवता को नहीं मानूंगा
केजरीवाल के करीबी और दिल्ली सरकार में तब मंत्री रहे राजेंद्र पाल गौतम ने 5 अक्तूबर 2022 को एक कार्यक्रम में लोगों को हिंदू देवी-देवताओं को ईश्वर ना मानने की शपथ दिलाई थी। शपथ दिलाते हुए उन्होंने कहा, ‘मैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश को नहीं मानूंगा। मैं राम-कृष्ण की पूजा नहीं करूंगा। मैं किसी हिंदू देवी-देवता को नहीं मानूंगा।’ वीडियो सामने आने के बाद काफी विवाद हुआ था।

ममता बनर्जी को जय श्रीराम के नारे से चिढ़ है
पश्चिम बंगाल कि सीएम ममता बनर्जी को सनातन प्रतीकों और जय श्रीराम से चिढ़ है। मुंबई की बैठक में पहुंचे ममता ने तिलक लगाने से इनकार कर दिया वहीं उन्होंने 2019 में इंटेलिजेंस एजेंसियों को निर्देश देते हुए कहा है कि जो लोग जय श्रीराम के नारे लगाते दिखें उन पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। पश्चिम बंगाल की हिंदू विरोधी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हिंदुओं की आस्था पर लगातार प्रहार करती रहती हैं। ममता राज में राज्य में पूरी तरह से तालिबानी शासन है। पश्चिम बंगाल में हिंदू देवी-देवताओं का नाम लेना अपराध बन गया है। यहां हिन्दुओं को न तो मंदिरों में पूजा करने की आजादी है और न ही सार्वजनिक रूप से जय श्री राम बोलने की।

सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को बताया बकवास
समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य लगातार हिंदू धर्म, रामचरितमानस और ब्राह्मणों पर विवादित बयान दे रहे हैं। रामचरितमानस पर समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने बयान देकर विवाद को बढ़ा दिया है। सपा नेता ने कहा, रामचरितमानस में दलितों और महिलाओं का अपमान किया गया है। तुलसीदास ने ग्रंथ को अपनी खुशी के लिए लिखा था। करोड़ों लोग इसे नहीं पढ़ते। इस ग्रंथ को बकवास बताते हुए कहा कि सरकार को इस पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। स्वामी प्रसाद मौर्य के विवादित बयानों के खिलाफ पार्टी के अंदर से ही विरोध के सुर उठने लगे। अमेठी से सपा विधायक राकेश प्रताप ने मौर्य कहा कि राम के चरित्र पर टिप्पणी करने वाला न तो सनातनी हो सकता है और न ही समाजवादी हो सकता है। ऐसा करने वाला सिर्फ एक विक्षिप्त प्राणी हो सकता है। लेकिन अखिलेश के करीबी स्वामी प्रसाद मौर्य अपने एजेंडे में लगे हुए हैं।

उद्धव ने कहा था- अयोध्या में भूमि पूजन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हो
अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन समारोह के पहले महाराष्ट्र के तत्कालीन सीएम उद्धव ठाकरे के एक मशविरे पर विवाद शुरू हो गया। उद्धव ठाकरे ने राम मंदिर का भूमि पूजन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कराने का सुझाव दिया था जिस पर विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि ये बयान शिवसेना के पतन का परिचायक है। यह सुझाव केवल एक अंधे विरोध करने की भावना से आया है। आलोक कुमार ने कहा कि यह शिवसेना का कैसा पतन है, जिसे कभी बाला साहब ठाकरे ने प्रखर हिंदुत्व की राजनीति के लिए गढ़ा था।

पीएम मोदी सनातन के उत्थान से दिला रहे भारत का प्राचीन वैभव
वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी ने जब देश की बागडोर संभाली तो तीर्थक्षेत्र के अर्थशास्त्र को नई ऊंचाई देने का काम शुरू किया। मोदी सरकार ने पिछले नौ साल के कार्यकाल में ऐसे कई तीर्थक्षेत्रों का विकास किया है जिससे न केवल देश में पर्यटन को नई ताकत मिली है बल्कि सनातन संस्कृति के उत्थान से अर्थव्यवस्था को भी गति मिल रही है। पिछले कुछ सालों में तीर्थ क्षेत्रों में विस्तार और सुविधाओं में बढ़ोतरी से भक्तों की संख्या यहां इतनी अधिक हो गई है कि अब पर्यटन से इतर हिंदू तीर्थ क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था में एक अलग आर्थिक क्षेत्र भी बनता दिख रहा है और इस पर न रिसेशन की माया है न ही NPA का काला साया। यह सब पीएम मोदी के विजन से संभव हो पाया है। भारत की यह अनोखी अर्थव्यवस्था सैकड़ों सालों से चली आ रही है और अब 2014 के बाद पीएम मोदी भारत को प्राचीन वैभव दिला रहे हैं।

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