अरविंद केजरीवाल देश के अकेले ऐसे नेता हैं जिन पर सबसे ज्यादा हमले हुए। कभी इन हमलों में वे घायल हुए हों, ऐसा नहीं है। लेकिन इसका सबसे बड़ा फायदा खुद केजरीवाल को हुआ है कि वो तुरंत मीडिया की लाइमलाइट में आ गए। ये सच है कि कभी उन थप्पड़ पड़े तो कभी मुक्का पड़ा। कभी उन पर अंडे फेंके गये, तो कभी स्याही। कभी जूते खाने को मिले, तो कभी चप्पल। ये सिलसिला थमता भी नहीं है। लगभग दर्जन भर ऐसी घटनाओं का हासिल ये है कि न तो केजरीवाल को कोई चोट नहीं और न फेंकने वाले के खिलाफ उन्होंने कोई बड़ी कार्रवाई की। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या केजरीवाल की हालत शोले फिल्म की बसंती जैसी हो गई है जिसमें गब्बर ये कहता है कि जब तक तेरे पैर चलेंगे तब तक वीरू की सांस चलेगी। यहां जब तक केजरीवाल पर जूते-चप्पल फेंके जाएंगे तब तक उन्हें मीडिया की सहानुभूति मिलेगी। आज हम इन्हीं घटनाओं का विश्लेषण करेंगे।
केजरीवाल पर जूते-चप्पल फेंकने, थप्पड़ मारने या फिर इंक फेंकने की घटना कब होती है
1. जब चुनाव हो रहा होता है
2. जब केजरीवाल को मीडिया कवरेज की जरूरत होती है
3. जब पार्टी को घटता डोनेशन बढ़ाने की जरूरत होती है
4. जब भ्रष्टाचार जैसे मामलों में उनका सहयोगी फंसा होता है और जवाब देना मुश्किल हो रहा होता है
5. जब ऑड-ईवन जैसे फार्मूले को पोपुलर करना होता है
अब आइये एक-एक घटना की पड़ताल करते हैं-
घटना नम्बर 1 – जब रोहतक में केजरीवाल पर उछला जूता
घटना क्या थी? – साल 2017 की शुरूआत हो रही है, लेकिन पिछले कुछ महीने से केजरीवाल मीडिया से पूरी तरह गायब हैं। मीडिया के पास यादव परिवार के झगड़े का मसाला है। ठीक इसी वक्त खबर आती है कि रोहतक की रैली में केजरीवाल पर जूता फेंका गया। जूता केजरीवाल को न लगना था और लगा।
घटना से क्या हुआ? – अचानक से मीडिया से गायब हुए केजरीवाल फिर से मीडिया में छा गए। जूते के बहाने ही सारे अखबारों और टीवी चैनलों में अपनी बाइट देने का मौका मिल गया। ममता समेत बाकी नेता भी मोदी जी के खिलाफ उनके सुर में सुर मिलाने लगे।
केजरीवाल ने शुरू किया नमो-नमो – जूता फेंके जाने के फौरन बाद केजरीवाल ने हमेशा की तरह मोदी पर ट्वीट कर जहर उगला। मोदी जी को अपशब्द लिखा और कहा कि वो चमचों से जूता फिंकवा रहे हैं।
हमलावर के खिलाफ कोई शिकायत नहीं – दादरी के रहने वाले 26 साल के विकास का आरोप है कि उसने जूता इसलिए फेंका क्योंकि उन्होंने एसवाईएल के मसले पर हरियाणा के खिलाफ बोला था। बाद में उस युवक ने कहा कि उसने केजरी पर नहीं तिजोरी पर जूता फेंका था। गौरतलब है कि केजरीवाल ने इस युवक के खिलाफ कोई शिकायत तक दर्ज नहीं कराई, क्योंकि उनका फायदा हो चुका था। खुद पुलिस ने अपनी तरफ से कार्रवाई की।
घटना नम्बर 2 – बीकानेर में ‘काली स्याही’ से होली
घटना क्या थी?- ये वो वक्त था जब सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल खड़ा कर केजरीवाल देश की जनता के सामने विलेन बने हुए थे। अपने ही देश की सेना को कठघरे में खड़ा करने की वजह से केजरीवाल की थू-थू हो रही थी। इसी दौरान 4 अक्टूबर, 2016 को राजस्थान के बीकानेर में उन पर काली स्याही फेंकी गयी, जब वे अपने कार्यकर्ता के घर शोकसभा में जा रहे थे।
घटना से क्या हुआ?– घटना से पहले जहां केजरीवाल जनता की नजर में विलेन बने हुए थे, स्याही फेंके जाने के बाद उन्होंने तुरंत सहानुभूति अर्जित करने की कोशिश की। साथ ही सर्जिकल स्ट्राइक से ध्यान हटाने के अलावा बीजेपी पर निशाना साधने का भी मौका मिल गया।
केजरीवाल ने शुरू किया नमो-नमो – इतनी बड़ी घटना के बाद भी दिल्ली के मुख्यमंत्री ने आरोपी को माफ कर दिया, लेकिन सत्ताधारी पार्टी बीजेपी को फिर से खरी खोटी सुनाई।
आरोपी का क्या हुआ? – इस घटना में केजरीवाल ने आरोपी को माफ कर दिया, जिससे ये सवाल उठे कि कहीं आरोपी केजरीवाल से मिला हुआ तो नहीं था। क्योंकि जिस तरीके से केजरीवाल के खिलाफ इस तरह की घटनाएं बढ़ रही हैं, इस मामले में उन्हें मिसाल तैयार करनी चाहिए थी।
घटना नम्बर 3 प्रेस कान्फ्रेस में केजरीवाल की ओर उछाला जूता
घटना क्या थी?– 9 अप्रैल 2016 एक बार फिर अरविन्द केजरीवाल ऑड-ईवन लागू करने जा रहे थे। इसके लिए प्रेस कान्फ्रेन्स चल रहा था। तभी वेद प्रकाश शर्मा नाम के पूर्व आप कार्यकर्ता ने उनकी ओर जूता उछाल दिया। फिर सीडी भी फेंके। जूता किसी अधिकारी ने बीच में रोक लिया।
घटना से क्या हुआ?- केजरीवाल ने ऑड-ईवन से जुड़े सवाल उठने नहीं दिए। जनता जो परेशानियां बताने वाली थी, उस पर बात होने के बजाए हमलों की चर्चा होने लगी। बीजेपी को निशाना बनाया जाने लगा। आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया। मीडिया का एक बार फिर केजरीवाल ने अपने लिए इस्तेमाल कर लिया। केजरीवाल सुर्खियों में फिर आ गए।
केजरीवाल ने शुरू किया नमो-नमो – टीम केजरीवाल ने आरोप लगाने में कोई देरी नहीं की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस घटना के लिए जिम्मेदार बताया और कहा कि हमलावर ने घटना से पहले बीजेपी नेता को फोन किया था। हालांकि बाद में कभी ये बात न दोबारा उठी और न साबित ही हुई।
आरोपी का क्या हुआ? – आरोपी वेद प्रकाश पर कोई केस दर्ज नहीं हुआ। बीजेपी नेता से फोन पर बातचीत की जांच वाली बात भी छोड़ दी गयी। आखिरकार खुद को आम आदमी सेना का कार्यकर्ता बता रहा आरोपी युवक छूट गया।
घटना नम्बर 4 छत्रसाल स्टेडियम में केजरीवाल पर इंक अटैक
घटना क्या थी?- ऑड इवन का पहला दौर बीत चुका था। केजरीवाल सरकार के खिलाफ शिकायतें जमा थीं और जवाब देना मुश्किल हो रहा था। तभी दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में 7 जनवरी 2016 को केजरीवाल पर इंक अटैक हो जाता है। हमलावर इस बार भावना नाम की लड़की है।
घटना से क्या हुआ?-घटना के बाद सबका फोकस बदल गया। ऑड-ईवन के दौरान शिकायतें हवा हो गयीं। इंक अटैक बड़ा मुद्दा बन गया। यहां तक कि हमलावर लड़की भावना ने खुद को आम आदमी सेना का पंजाब प्रभारी कहते हुए जिस सीएनजी घोटाले की बात उठायी थी, उसकी भी चर्चा नहीं हुई। केजरीवाल अपने मकसद में कामयाब रहे।
केजरीवाल ने शुरू किया नमो-नमो – आम आदमी पार्टी ने पीएम मोदी को जिम्मेदार बताना जारी रखा। हमले की जिम्मेदारी थोप दी। पर्यटन मंत्री कपिल मिश्रा हों या मनीष सिसौदिया या फिर खुद केजरीवाल सबने पीएम मोदी पर निशाना साधा।
आरोपी का क्या हुआ – घटना के तुरंत बाद मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा- “उनको छोड़ दीजिए, छोड़ दीजिए…वो किसी घोटाले की बात कर रही हैं, उनसे ले लीजिए कागज।” कोई केस दर्ज नहीं किया गया। महिला को पूछताछ की औपचारिकता के बाद थाने से ही छोड़ दिया गया।
घटना नम्बर 5 सुल्तानपुरी में केजरीवाल को थप्पड़ पड़े
घटना क्या थी?- अभी चार दिन पहले ही हमले का शिकार हुए थे केजरीवाल। पर, मानो चुनाव के मौसम में कसर बाकी रह गयी थी। 8 अप्रैल 2014 को दिल्ली लोकसभा क्षेत्र के सुल्तानपुरी में केजरीवाल को थप्पड़ जड़ दिया, जब वे राखी बिड़लान के समर्थन में रोड शो कर रहे थे। हमलावर लाली ऑटो चलाया करता था और आम आदमी पार्टी का समर्थक था।
घटना से क्या हुआ?- चुनाव प्रचार के दौरान पब्लिसिटी बड़ी स्ट्रैटजी होती है जिसे हासिल करने में केजरीवाल कामयाब रहे। मीडिया ने कभी घटना के बहाने तो कभी उनके मोदी विरोधी बयान के बहाने केजरीवाल को सुर्खियों में बनाए रखा। ऑटो ड्राइवर को माफ करने से पहले उसके घर जाकर केजरीवाल दिल्ली में ऑटो ड्राइवरों को खुश करने की कोशिश की, जिनकी बड़ी संख्या है।
केजरीवाल ने शुरू किया नमो-नमो – हमले का ठीकरा फिर केजरीवाल ने पीएम मोदी पर फोड़ा। उन्होंने हमलों पर सवाल उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र दी की ओर निशाना साधा।
आरोपी का क्या हुआ? – केजरीवाल एक और नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते रहे, वहीं हमलावर के घर जाकर उन्होंने उन्हें माफी देने का प्रपंच भी किया। न कोई शिकायत की, ना कोई केस दर्ज कराया- चूकि मकसद हमेशा नरेन्द्र मोदी पर निशाना था।
घटना नम्बर 6 चुनाव प्रचार के दौरान केजरीवाल को मुक्का
घटना क्या थी?- चुनाव के मौसम में केजरीवाल पर हमलों का दौर चला। सहानूभूति पाने के लिए तिकड़म करते रहे केजरीवाल पर 4 अप्रैल 2014 को पर हमला तब हुआ जब वे दक्षिणी दिल्ली के दक्षिणपुरी इलाके में रोड शो कर रहे थे। हमलावर ने पहले उनकी पीठ पर मुक्का मारा और फिर थप्पड़ मारने की कोशिश की। कार्यकर्ताओं ने वहीं हमलावर को पकड़ लिया और मारपीट करते हुए उसे पुलिस के हवाले कर दिया।
घटना से क्या हुआ?- केजरीवाल ने लोकसभा चुनाव में इस हमले को भुनाने की कोशिश की। घटना के बहाने नरेन्द्र मोदी पर हमला बोला। आम आदमी पार्टी के चंदे में बढ़ोतरी हो गयी। उस दिन 35.13 लाख रुपये के मुकाबले ऑनलाइन से 1 करोड़ 35 लाख रुपये डोनेशन प्राप्त हुए।
केजरीवाल ने शुरू किया नमो-नमो – केजरीवाल ने बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी को नीचा दिखाने की हरसंभव कोशिश की। हर हमले के बाद नरेन्द्र मोदी को जिम्मेदार ठहराया और सहानुभूति बटोरने की कोशिश की।
आरोपी का क्या हुआ?-आरोपी के खिलाफ कोई केस दर्ज नहीं हुआ। थाने से ही उसे छोड़ दिया गया।
घटना नम्बर 7 बनारस में केजरीवाल का अंडे और काली स्याही से ‘स्वागत’
घटना क्या थी?- 25 मार्च 2014 में वाराणसी में लोकसभा चुनाव प्रचार कर रहे थे जब उन पर अंडे फेंके गये, काली स्याही फेंकी गयी। केजरीवाल वाराणसी में नरेन्द्र मोदी के खिलाफ चुनाव मैदान में थे। बीजेपी पहले से कह रही थी कि केजरीवाल खुद पर हमला कराने का ड्रामा कर सकते हैं और वैसा ही हुआ।
घटना से क्या हुआ?- वाराणसी में रोड शो करते हुए कथित हमले का शिकार होकर केजरीवाल ने अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बटोरीं। खुद को नरेन्द्र मोदी के मुकाबले खड़ा करने की कोशिश की। उस दिन केजरीवाल की टीम को 48 लाख रुपये का डोनेशन हासिल हुआ।
केजरीवाल ने शुरू किया नमो-नमो– हमले के बाद एक बार फिर अरविन्द केजरीवाल ने निशाना नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधा और उन्हें हमले के लिए जिम्मेदार बताया।
आरोपी का क्या हुआ?- इस घटना में भी किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई और ना ही किसी को नामजद किया गया।
घटना नम्बर 8 नजफगढ़ में केजरीवाल को पड़े अंडे
घटना क्या थी?- लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद केजरीवाल हताश थे। दिल्ली चुनाव में सहानुभूति की सख्त जरूरत थी। तभी चुनाव प्रचार के दौरान 25 दिसंबर 2014 में दिल्ली के नजफगढ़ में ये हमला हुआ। तब रैली कर रहे अरविन्द केजरीवाल पर बदमाशों ने अंडे फेंके। हालांकि अंडे उन तक पहुंचे नहीं और कोई बड़ा बवाल नहीं हुआ। हमलावरों ने वहां से भागते हुए बिजली भी काट दी।
घटना से क्या हुआ?- केजरीवाल ने खुद को बार-बार विरोधियों का ‘निशाना’ साबित करने की कोशिश की। मीडिया ने भी इसे पूरी तवज्जो दी। बीजेपी को हमले के लिए जिम्मेदार बताया।
केजरीवाल ने शुरू किया नमो-नमो – अरविन्द केजरीवाल ने इस घटना के लिए नरेन्द्र मोदी और उनकी पार्टी बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया।
आरोपी का क्या हुआ?- इस घटना में बदमाश अंधेरे का फायदा उठाकर भाग निकले। चूकि आप ने कोई शिकायत दर्ज नहीं करायी, इसलिए हमलावरों की खोजबीन भी नहीं हुई।
घटना नम्बर 9 रोड शो के दौरान केजरीवाल की गर्दन पर हमला
घटना क्या थी?- 28 मार्च, 2014 को हरियाणा के चरखी दादरी में रोड शो के दौरान एक युवक ने केजरीवाल की जीप पर चढ़कर उनकी गर्दन पर जोरदार हमला कर दिया। हमले के बाद आम आदमी कार्यकर्ताओं ने उसे दबोच लिया और उसकी जमकर पिटाई कर दी। पुलिस को उस युवक ने अपना नाम अब्दुल बैस्त बताया और उसने कहा कि वह आम आदमी पार्टी का कार्यकर्ता है लेकिन पार्टी की नीतियों से नाराज है।
घटना से क्या हुआ?- हरियाणा में हमले के बाद केजरीवाल ने लोकसभा चुनाव के मौसम में सहानुभूति पाने की कोशिश की। हमले के लिए बीजेपी को जिम्मेदार बताया। मीडिया में छाए रहे। पार्टी फंड में चंदा बढ़ गया। उस दिन 39 लाख रुपये चंदे के अलावा ऑनलाइन चंदा 42 लाख हासिल हुआ।
केजरीवाल ने शुरू किया नमो-नमो – हमले के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने नरेन्द्र मोदी पर हमला बोल दिया। कहा कि हताश होकर उन पर हमले कराए जा रहे हैं।
आरोपी का क्या हुआ? – केजरीवाल ने हर घटना की तरह इस बार भी सिर्फ नरेन्द्र मोदी पर आरोप लगाया, पर आरोपी को छोड़ दिया गया। उसके खिलाफ कोई केस दर्ज नहीं कराया गया।
घटना नम्बर 10 कच्छ में केजरीवाल के काफिले पर हमला
घटना क्या थी?- केजरीवाल पर गुजरात के भुज में हमला हुआ। 5 मार्च 2014 की शाम कच्छ के पास भचाऊ में केजरीवाल के काफिले पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया। इस हमले में केजरीवाल की कार के शीशे टूट गये। हालांकि केजरीवाल को कोई चोट नहीं आयी। हमले की इस घटना से पहले अरविन्द केजरीवाल को पुलिस ने धारा 144 का उल्लंघन करने के आरोप में हिरासत में लिया था।
घटना से क्या हुआ?- मोदी के गृहराज्य गुजरात पहुंचकर वहां से उन पर हमला बोलने का मौका मिला। चुनावी लाभ लेने के लिए माहौल बनाने की कोशिश की गयी। गुजरात जैसे राज्य में जहां आप का बिल्कुल जनाधार नहीं है केजरीवाल ने अपने दौरे को चर्चा में ला दिया।
केजरीवाल ने शुरू किया नमो-नमो – गुजरात जाकर नरेन्द्र मोदी पर हमला बोलने का इससे बेहतरीन मौका और क्या हो सकता था। टीम केजरीवाल ने कहा कि मोदी डरे हुए हैं और इसलिए हमला करा रहे हैं।
आरोपी का क्या हुआ?-इस घटना की कोई शिकायत दर्ज नहीं करायी गयी। कोई गिरफ्तारी नहीं हुई। हमलावर पकड़ में नहीं आए।
घटना नम्बर 11 अन्ना समर्थक ने केजरीवाल पर फेंकी स्याही
घटना क्या थी?- तब देश में मोदी वेब चल रही थी। ये खबर भी सार्वजनिक हुई कि केजरीवाल किसी से टेलीफोन पर बात कर रहे थे कि ‘कुछ करना’ होगा। बस 18 नवंबर 2013 को ‘कुछ’ हो गया। नचिकेता नाम के युवक ने अरविन्द केजरीवाल पर तब स्याही फेंक दी जब वे प्रेस कान्फ्रेन्स कर रहे थे।
घटना के बाद क्या हुआ?- केजरीवाल को उम्मीद के अनुरूप टीवी पर खूब कवरेज मिला। केजरीवाल पर स्याही फेंकी जाने वाली फुटेज, उनकी बाइट, समर्थकों की बाइट, एक्शन-रिएक्शन हर बुलेटिन का हिस्सा बन गये। केजरीवाल देशभर में सेंटर ऑफ एट्रेक्शन बनने में कामयाब रहे।
केजरीवाल ने शुरू किया नमो-नमो – केजरीवाल ने इस हमले के लिए अपने नरेन्द्र मोदी और बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया। डींग हांकी कि उनकी लोकप्रियता से घबराकर ये हमले कराए गये हैं।
आरोपी का क्या हुआ?- अन्ना समर्थक नचिकेता के खिलाफ कोई शिकायत नहीं की गयी। न केजरीवाल अन्ना को नाराज करना चाहते थे और नही नरेन्द्र मोदी को जिम्मेदार बताने के अपने प्रपंच को कमजोर करना चाहते थे। लिहाजा नचिकेता छूट गया।
इतना तो समझ गए होंगे कि इन घटनाओं का निहितार्थ क्या है। अगर आरोपी को सजा नहीं हो रही है तो आखिर ऐसी घटनाओं का उद्देश्य क्या है। आइये सबसे पहले ये समझते हैं कि जूते फेंकने की घटना से केजरीवाल को क्या फायदा होता है
1. तत्काल वो लाइमलाइट में आ जाते हैं। मीडिया की कवरेज होने लगती है। जबकि सामान्य तौर पर वो कभी अपने काम की वजह से मीडिया में सुर्खियां हासिल नहीं कर पाते हैं।
2. केजरीवाल को पता है कि ऐसे वक्त में मीडिया को मसाला चाहिए होता है और ऐसे वक्त में जब वो नरेंद्र मोदी की सीधे सीधे आलोचना करते हैं तो मीडिया भी बिना किसी जांच पड़ताल के उनके ट्रैप में फंस जाता है
3. ऐसी घटनाओं से वो उनके काम से नाराज हो रहे और छिटक रहे कार्यकर्ताओं को इमोशनल तरीके से जोड़ने में कामयाब हो जाते हैं
4. इस तरह की घटनाओं के बाद उनकी पार्टी को मिल रहे चंदे में इजाफा हो जाता है