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मीडिया के सामने बाप-बेटे के ड्रामे में कहीं छिप न जाएं अखिलेश यादव के गुनाह

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समाजवादी पार्टी में पिता-पुत्र की नौटंकी को देखकर आपका मन भर गया हो तो ये खबर आपके लिए बेहद जरूरी है।अगर आपका मन अब भी लग रहा हो तो ये समझ लीजिए कि पांच साल के कामकाज पर कहीं चंद दिनों का ये ड्रामा आपका भविष्य न बर्बाद कर दे। जो खबरें सामने आ रही हैं उसके मुताबिक यह तय माना जा रहा है कि इसकी स्क्रिप्टिंग अमेरिका में बैठे अखिलेश यादव के एडवाइजर ने लिखा है। ऐसे में आम जनता और मीडिया का दायित्व बनता है कि अखिलेश यादव के पांच साल का रिपोर्ट कार्ड तैयार किया जाए। आप ये रिपोर्ट पढ़िए और तय कीजिए कि अखिलेश यादव विकास पुरुष हैं या विनाश पुरुष।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट में अखिलेश यादव फेल

  • राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आकड़ों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार बनने के बाद सलाना दंगे की घटनाओं की संख्या 5,676 से बढ़कर 6089 हो गई।
  • इस रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में हर दिन 6433 अपराध होते हैं।
  • राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रदेश में 70 फीसदी घटनाएं सपा विधायकों और सपा मंत्रियों के इलाके में हुई है।

अपनी ही रिपोर्ट में अखिलेश सरकार का गुंडाराज उजागर 

  • उत्तर प्रदेश के राज्य अपराध ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक 2014 में दुष्कर्म की 3467 घटनाएं हुई जो कि 2015 में बढ़कर 9075 हो गई।
  •  चार सालों में 93 लाख से ज्यादा आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया गया, जिसमें प्रदेश की राजधानी सबसे आगे रही।
  • अखिलेश राज में अकेले लखनऊ में 2.78 लाख आपराधिक घटनाएं दर्ज हुई, यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि लखनऊ में 9 मे से 7 विधायक सपा के हैं, इसमें से तीन के पास तो मंत्री का दर्जा है।

अखिलेश यादव सरकार के कुछ काले अध्याय देखिए

बुलंदशहर गैंगरेप की घटना

चंद महीने पहले ही दिल्ली-कानपुर हाईवे पर बुलंदशहर जिले में एक पिता को मजबूर करके उसकी नाबालिग बेटी और पत्नी के साथ बदमाशों ने घिनौनी वारदात को अंजाम दिया। वीभत्स और ह्रदय को चीर देने वाली इस घटना पर अखिलेश यादव की कई दिनों तक नींद ही नहीं टूटी, लगातार मीडिया में खबर दिखाए जाने के बाद अखिलेश के सबसे खासम खास मंत्री आजम खान का बेशर्मी से भरा एक बयान आया और उन्होंने इसे राजनीतिक साजिश बता दिया। बाद में सिर्फ दिखावे के लिए यूपी पुलिस ने रहीसुद्दीन, शहवाज और जबर सिंह सहित पांच अपराधियों को गिरफ्तार किया। जरा सोचिए जब मंत्री ही अपराधियों को संरक्षण दे तो पुलिस क्या करेगी।

अखिलेश के गृह जिले में गैंगरेप के बाद युवती को जिंदा जलाया

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के गृह जनपद में ही अपराधियों के हौसले किस तरह बुलंद है। इसकी बानगी उस समय दिखी जब एक लड़की को चार लोगों ने गैंगरेप किया और फिर उसे जिंदा जला दिया। लेकिन राज्य के आला अधिकारियों का ध्यान कार्रवाई की जगह लीपापोती में ही लगा रहा। इतनी बड़ी घटना के बाद भी अखिलेश के कान में जूं तक नहीं रेंगी। इसके बाद प्रतापगढ़ में भी रेप के बाद युवती की जुबान काट दी। बिजनौर में भी रेप में नाकाम होने के बाद लड़की जिंदा जला दिया। यह अखिलेश यादव के संरक्षण में फलता-फूलता अपराध का परिचायक है।

रेप के बाद बदायूं में दो किशोरियों को पेड़ पर लटकाया 

बदायूं में हुई नाबालिग बहनों के साथ बलात्कार के बाद पेड़ पर लटका दिया गया। इस घटना ने उत्तरप्रदेश न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में थू-थू हुई। इस घटना से ऐसा लगा जैसे बलात्कार के बाद उन मासूमों को फांसी पर नहीं बल्कि राज्य की कानून व्यवस्था ही पेड़ पर लटकी हुई हो।

बदायूं में ही दिनदहाड़े नाबालिग से गैंग रेप

अपराधियों पर लगाम कसने में नाकाम अखिलेश यादव के राज में बदायूं के सिविल लाइन जैसे पॉश क्षेत्र से दिनदहाड़े किशोरी को अपहरण कर लिया और उसके साथ कुछ युवकों ने गैंग रेप किया। लड़की को बदमाशों ने इतना डराया कि वह कुछ बोल नहीं पाई थी। इसमें पीड़िता की किडनी तक क्षतिग्रस्त हो जाती है। इस मामले को यूपी प्रशासन का रवैया ढुलमुल रहा। घटना के पांच दिन बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की।

बरेली में रेप के बाद तीन बहनों की हत्या

बरेली जिले में नेशनल हाईवे 24 पर हावड़ा नदी के किनारे तीन नाबालिग बहनों का शव अलग-अलग स्थानों पर मिला। रेप के बाद तीनों की हत्या की गई। रेप और हत्या के बाद तीनों बहनों के चेहरे भी तेजाब से जला दिया गया था। तीनों बहनों को दिनदहाड़े अगवा किया गया था। परिजनों ने शिकायत दी तो मीरगंज थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज की। तीनों लडकियों की उम्र 13 से 15 साल के बीच थी। अखिलेश यादव की पुलिस इस मामले में आज तक खाली हाथ है।

निर्भया जैसी हैवानियत, कानपुर पुलिस के लिए मामूली

कानपुर के मंगलापुर थाना क्षेत्र में एक ग्रामीण महिला के साथ दबंगों ने दुराचार किया। उसे परिजनों के साथ बांधकर मारा पीटा। हैवानियत यहीं नहीं रूकी। आरोपियों ने महिला के प्राइवेट पार्ट पर डंडे और ब्लेड से हमला किया। इसके बाद भी अखिलेश की यूपी पुलिस को ये घटनाएं मामूली लगती है।

अपराधियों के खौफ से पढ़ाई छोड़ रहीं छात्राएं

मुलायम सिंह यादव ने मुरादाबाद रैली में अखिलेश यादव की मौजूदगी में कहा था कि बच्चों से गलती हो जाती है। मुलायम सिंह के इन ‘बच्चों’ का इतना मन बढ़ा हुआ है कि स्कूल की लड़कियों को पढ़ाई तक छोड़नी पड़ रही है। गोरखपुर में स्कूली छात्राओं ने पुलिस से शिकायत की तो अपराधियों ने छात्रा के पिता को धमकाया। स्कूल जा रही छात्रा को इन बदमाशों ने 28 नवम्बर, 2016 को सरेराह अगवा करने की कोशिश की। इस घटना के बाद परिजनों ने लड़कियों को स्कूल भेजना बंद कर दिया। छात्रा स्कूल जा सके, ऐसा माहौल न दे पाने वाले अखिलेश यादव पांच साल में कौन सा विकास किया।

दादरी कांड पर अखिलेश का मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति  

दादरी कांड तो आज भी देश भर के लोगों के जहन में है। जरा याद कीजिए अखिलेश यादव की नाकामी और तुष्टिकरण की नीति की वजह से देश को कितना नुकसान हुआ। सच तो ये है कि एक तरफ जहां अखिलेश की नीतियों के वजह से दंगों को हवा मिली, वहीं दूसरी तरफ अखिलेश ने उस इंसान को पुरस्कृत करने का काम किया, जो कानून की नजर में आरोपी दोषी है।

कैराना से हिन्दु परिवारों का पलायन

दिल्ली से 100 किमी की दूरी पर शामली जिला है। यहां मुस्लिम बहुल क्षेत्र कैराना में अखिलेश सरकार के दौरान 250 से अधिक हिन्दुओं का परिवार पलायन कर गए। मामला संज्ञान में आने पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने अखिलेश सरकार को नोटिस भी भेजा था। लेकिन अखिलेश यादव ने इस मामले पर एक शब्द तक नहीं बोला। हकीकत ये है कि खौफ और दहशत आज भी इस इलाके में पसरा हुआ है।

अखिलेश के गृह जिले में चार की नृंशस हत्या पर प्रशासन की लीपापोती 

मई, 2016 में पंचायत चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री अखिलेश का गृह जिला और शिवपाल सिंह यादव का चुनाव क्षेत्र जनपद इटावा के जसवंतनगर में एक दिन में चार लोगों की हत्याएं होती है। अखिलेश सरकार के ही मंत्री राजा भैया उर्फ रघुराज प्रताप सिंह ने एक सार्वजनिक मंच से हत्या होने की बात कहते हैं। लेकिन पुलिस इस मामले को दबाने में ही लगी रही।

मथुरा का जवाहर कांड – रामवृक्ष यादव

ये अखिलेश यादव के शासन की ही बात है जब मथुरा में रामवृक्ष यादव ने अपनी ही सत्ता स्थापित कर ली, लेकिन अखिलेश यादव की नींद तक नहीं टूटी। राम वृक्ष यादव ने 270 एकड़ सरकारी जमीन पर कब्जा कर रखा था। जब जमीन खाली कराने की बारी आई तो इसमें 35 लोगों की मौत हुई। इसमें सिटी एसपी और थाना प्ऱभारी भी शामिल हैं। जरा सोचिए इन मौतों का गुनहगार कौन है।

अखिलेश यादव के राज की ये वो घटनाएं हैं, जो मीडिया की सुर्खिया बनीं। छिटपुट घटनाओं की फेहरिस्त इतनी लंबी है कि उसे गिनाने में पूरे पांच साल लग जाएंगे। लेकिन अखिलेश यादव ने अपने अमेरिकी एडवाइजर की सलाह पर ऐसी गोटी सेट की है कि अब सारे लोग इन गुनाहों को भूल गए हैं और सबको पिता-पुत्र की लड़ाई दिख रही है। इस लड़ाई में कोई बाप को महान बता रहा है तो कोई बेटे को। और जनता को बेवकूफ बनाने की कोशिश की जा रही है। लेकिन अखिलेश यादव और मुलायम यादव को ये याद रखना जरूरी है कि जनता अगर किसी सिर आंखों पर बिठाती हैं तो उसे उतारने में भी देर नहीं लगाती।

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