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पीएम मोदी के खिलाफ नैरेटिव बनाने और विक्टिम कार्ड खेलने के लिए राहुल गांधी ने जानबूझकर गंवाई सदस्यता! अब खुद को बताया – डिस्क्वालीफाईड MP

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जार्ज सोरोस के राष्ट्रवादी सरकारों को हटाने के लिए 100 करोड़ डॉलर खर्च करने और पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ बयान देने के बाद यह साफ हो गया था कि भारत में उसके लिए कौन-कौन काम कर रहा है। राहुल गांधी पूरा जोर लगाने के बाद भी लोकसभा चुनाव 2024 से पहले मोदी सरकार के खिलाफ कोई नैरेटिव बनाने में सफल नहीं हो पाए। जबकि उन्हें भारत जोड़ो, बीबीसी डॉक्यूमेंट्री, हिंडनबर्ग रिपोर्ट, हैप्पीनेस इंडेक्स, हंगर इंडेक्स जैसे न जाने कितने टूल दिए गए। लेकिन वे इन टूल से भी मोदी सरकार के खिलाफ कोई माहौल बनाने में नाकामयाब रहे और इसके साथ ही जार्ज सोरोस को भी खुश करने में नाकाम रहे। अब जब कोई पैसा खर्च करता है तो उसे रिजल्ट भी चाहिए होता है। लेकिन इसमें राहुल अब तक फेल ही रहे। यही वजह है कि राहुल ने सूरत कोर्ट में माफी मांगने से इनकार कर दिया और जानबूझकर अपनी संसद सदस्यता गंवा दी, जिससे खुद को शहीद बता सकें और मोदी सरकार के खिलाफ सत्याग्रह कर नैरेटिव बनाया जा सके। इसकी गवाही देते हैं सदस्यता खत्म होने के बाद उनका प्रेस क्रांफ्रेंस जिसमें उन्होंने खुद को शहीद साबित करने की कोशिश की और अब उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर खुद को डिस्क्वालीफाईड MP बताया है।

राहुल गांधी ने जानबूझकर सदस्यता क्यों गंवाई, इसे वे किस तरह भुना रहे हैं, उसकी बानगी देखिए-

राहुल ने सोशल मीडिया पर खुद को डिस्क्वालीफाईड MP बताया

कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी को उनकी ‘मोदी सरनेम’ टिप्पणी पर आपराधिक मानहानि के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद संसद सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया। अब राहुल ने अपने बायो में खुद को डिस्क्वालीफाईड एमपी बताया है। यह मोदी सरकार के खिलाफ नैरेटिव बनाने और विक्टिम कार्ड खेलते हुए अपने लिए संवेदना हासिल करने की एक चाल है। लोकसभा सेक्रिटेरिएट ने 24 मार्च को राहुल गांधी को डिसक्वालिफाइड कर दिया था। राहुल केरल के वायनाड से सांसद थे। यह एक्शन मानहानि केस में राहुल को 2 साल की सजा सुनाए जाने के बाद लिया गया। राहुल ने 2019 में कर्नाटक की सभा में मोदी सरनेम को लेकर बयान दिया था और पिछड़े समुदाय का अपमान किया था।

नाखून कटाकर राहुल गांधी ने शहीद होने की कोशिश की

पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि देश में कानून है कि दो साल की सजा होगी तो आप तुरंत डिस्क्वालिफाई हो जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट यह बात कह चुका है। तो कांग्रेस पार्टी की तरफ से राहुल के मामले में स्टे हासिल करने की कोशिश क्यों नहीं की गई। यह नाखून कटाकर शहीद होने की कोशिश की गई है। यह जो पूरा प्रकरण है, यह सब सोची-समझी रणनीति है कि राहुल को बलिदानी बताओ और कर्नाटक चुनाव में इसका फायदा लो। राहुल को पीड़ित दिखाओ और कांग्रेस बचाओ। इसका जवाब तो आपको देना पड़ेगा। आपके दोषी ठहराए जाने के बाद आपके लिए वकीलों की फौज ने स्टे की कोशिश क्यों नहीं की। अगर देश में सबके लिए एक ही कानून है तो क्या आपके लिए अलग से कानून बनेगा?

पार्टी में जान फूंकने के लिए राहुल ने माफी की जगह सजा चुनी 

देश में सबसे लंबे समय तक केन्द्र की सत्ता पर राज करने वाली कांग्रेस पार्टी आज हाशिए है। इसमें संजीवनी फूंकने के लिए जी-जान से मेहनत की जा रही है। पीएम मोदी के आह्वान के बाद अब चूंकि देशवासी परिवारवादी पार्टियों को स्वीकार करने के मूड में नहीं है इसीलिए कांग्रेस गांधी खानदान से बाहर के खरगे को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने को मजबूर हुई। इसके बाद भी कुछ खास फायदा नहीं मिला। अब कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और केरल के वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने पार्टी में जान फूंकने के लिए ही अपनी संसद सदस्यता कुर्बान कर दी।

राहुल को अयोग्य ठहराए जाने के विरोध में ‘संकल्प सत्याग्रह’

मोदी सरकार के खिलाफ नैरेटिव बनाने और विक्टिम कार्ड खेलते हुए कांग्रेस पार्टी ने राहुल गांधी को अयोग्य ठहराए जाने के विरोध में 26 मार्च 2023 को महात्मा गांधी की प्रतिमाओं के सामने एक दिवसीय सत्याग्रह किया। आप सोचिए अगर राहुल गांधी अयोग्य करार नहीं दिए जाते तो उन्हें सत्याग्रह करने का मौका मिलता? यह ‘संकल्प सत्याग्रह’ सभी प्रांतों एवं जिलों में आयोजित किया गया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि राहुल गांधी इस देश की जनता के हर मुद्दे पर लड़ रहे हैं। उनके ऊपर केस किया जाता है। उन्होंने कहा कि ये सब राहुल का मुंह बंद करने कि लिए किया गया है।

राहुल की ढाल बनकर आई बहन प्रियंका ने खेला विक्टिम कार्ड

राहुल की ढाल बनकर आई बहन प्रियंका गांधी ने विक्टिम कार्ड खेलते हुए परिवार के अपमान का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि शहीद पिता का अपमान भरी संसद में किया जाता है। उस शहीद के बेटे को आप देशद्रोही कहते हैं। मीरजाफर कहा जाता है। उसकी मां का अपमान किया जाता है। आपके मंत्री मेरी मां का अपमान भरी संसद में करते हैं। आपके एक मंत्री कहते हैं कि राहुल गांधी को पता भी नहीं है कि उनका पिता कौन है। आज तक हम चुप रहे हैं, आप हमारे परिवार का अपमान करते गए। मैं पूछना चाहती हूं कि एक आदमी का कितना अपमान करोगे। मेरा भाई पीएम के पास गया, उन्हें गले लगाया और कहा कि मुझे आपसे नफरत नहीं है। हमारी विचारधारा अलग है, लेकिन हमारे पास नफरत की विचारधारा नहीं है। क्या भगवान राम और पांडव परिवारवादी थे। हमारा परिवार देश के लिए शहीद हुआ तो क्या हमें शर्म आनी चाहिए।

प्रियंका की जुबां पर आ ही गया परिवारवाद

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने दिल्ली में सत्याग्रह कार्यक्रम के दौरान अपने परिवार के त्याग के बारे में बात की। यानि दिल की बात जुबां पर आ ही गई। जिस परिवारवाद की वजह से देश 60 सालों तक विकास को तरसता रहा, जिस परिवारवाद ने देश को भ्रष्टाचार रूप घुन दिया जो दीमक की तरह देश को खाता रहा। पीएम मोदी ने सत्ता में आने के बाद ही परिवारवादी राजनीति पर गहरा चोट किया। और अब जनता ने भी इसे नकारना शुरू कर दिया है। इससे तिलमिलाए गांधी परिवार को अब समझ नहीं आ रहा है कि वे पीएम मोदी का मुकाबला कैसे करें।

विवेक अग्निहोत्री ने कहा- परिवार, परिवार, परिवार तुमने क्या किया?

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने दिल्ली में सत्याग्रह कार्यक्रम के दौरान अपने परिवार के त्याग के बारे में बात की। अब फिल्ममेकर विवेक अग्निहोत्री ने लिखा है कि- ‘परिवार, परिवार, परिवार तुमने क्या किया है। फैमिली से इतना फेक प्यार है तो मेरा सुझाव है कि गांधी परिवार करण जौहर की फिल्मों में काम करना शुरू कर दे। कम से कम फैमिली का इकोसिस्टम मैच करेगा, क्या पता करण जौहर को भी ले डूबें।

कांग्रेस का सत्याग्रह कोर्ट के फैसले के खिलाफ

सत्याग्रह के दौरान प्रियंका के बयानों पर पलटवार करते हुए बीजेपी नेता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि राहुल की सांसदी कानून के अनुसार गई है। कोर्ट के फैसले के विरोध में ही कांग्रेस सत्याग्रह कर रही है। ये सत्याग्रह के नाम पर दुराग्रह है। गांधी परिवार खुद को कानून से ऊपर समझता है। राहुल पहले चोर कहकर जातिसूचक गालियां देते हैं। कोर्ट ने इस पर माफी मांगने को कहा तो उन्होंने माफी नहीं मांगी। यह उनके अंहकार को दिखाता है।

क्या संविधान से ऊपर है गांधी फैमिली?

मोदी सरनेम मामले में राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता खत्म होते ही कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि राहुल गांधी, गांधी फैमिली से आते हैं, इसलिए सजा देते वक्त यह विचार किया जाना जरूरी था। गांधी परिवार के करीबी इस नेता ने कहा कि अगर दो साल से कम की सजा होती तो उनकी लोकसभा सदस्यता बच जाती। उन्होंने कहा कि सजा देने से पहले उनके परिवार की पृष्ठभूमि पर गौर किया जाना चाहिए था। किसी सम्मानित व्यक्ति को सजा देने से पहले उसकी और परिवार के बारे में देखना चाहिए। कांग्रेस नेताओं के इस तरह के बयान से यह सवाल उठता है कि क्या गांधी फैमिली कानून से, संविधान से ऊपर हैं?

राहुल गांधी के पास कानूनी रूप से अभी कई विकल्प मौजूद हैं, लेकिन वे इसका उपयोग नहीं कर रहे, क्योंकि अभी उन्हें इस सजा का भुनाना है। इस पर एक नजर-

राहुल स्पीकर के फ़ैसले को चैलेंज कर सकते हैं

राहुल गांधी के पास अधिकार है कि अपनी सदस्यता रद्द करने के स्पीकर के फ़ैसले के ख़िलाफ़ हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं। राहुल गांधी के पास अपील का अधिकार है। भारतीय संविधान में अगर किसी के अधिकारों का हनन होता है तो संवैधानिक कोर्ट (हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट) में जा सकते हैं। वो अनुच्छेद 226 के तहत हाईकोर्ट भी जा सकते हैं और अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट भी जा सकते हैं। लेकिन यह आश्चर्य की बात है कि छोटे-छोटे मामलों में वकीलों की फौज खड़ी करने वाली कांग्रेस पार्टी राहुल के मुद्दे कानूनी विकल्प अपनाने में इतनी ढिलाई क्यों बरत रही है।

हाईकोर्ट से बरी होने के बाद भी सदस्यता बहाल नहीं होगी

राहुल गांधी सूरत की कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं। अगर हाईकोर्ट से वो बरी हो जाते हैं, या फिर उनकी सज़ा को कम कर दिया जाता है, तो भी खुद ब खुद उनकी सदस्यता फिर से बहाल नहीं होगी। इसके लिए राहुल गांधी को फिर से हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ेगा और स्पीकर के फैसले को चुनौती देनी पड़ेगी। बीबीसी से बातचीत में पूर्व एडिशिनल सॉलिसिटर जनरल के सी कौशिक ने कहा, “मेरा मानना है स्पीकर खुद अपने ऑर्डर को रिव्यू नहीं करेंगे। वो किसी हाई कोर्ट या संविधान पीठ के फ़ैसले का इंतज़ार करेंगे।”

हाईकोर्ट सजा दो साल से कम कर दे तो चुनाव लड़ने के योग्य रह सकते हैं राहुल

राहुल गांधी की सज़ा अगर हाईकोर्ट दो साल से कम कर देता है, तो मुमकिन है कि वो भविष्य में चुनाव लड़ने के योग्य रहें या फिर अपनी मौजूदा सीट बचा लें।

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 क्या कहता है-

•धारा 8(1) के मुताबिक़ दो समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना, रिश्वत लेना या फिर चुनाव में अपने प्रभाव का ग़लत इस्तेमाल करने पर सदस्यता जा सकती है।

•धारा 8 (2) के तहत जमाखोरी, मुनाफ़ाखोरी, खाने-पीने की चीज़ों में मिलावट या फिर दहेज निषेध अधिनियम के तहत दोषी ठहराए जाने और कम से कम छह महीने की सज़ा मिलने पर सदस्यता रद्द हो जाएगी।

•धारा 8 (3) के तहत किसी अगर किसी व्यक्ति को दोषी ठहराया जाता है और उसे दो साल या उससे अधिक की सज़ा मिलती है तो वह सदन के सदस्य बने के योग्य नहीं रह जाएगा। अंतिम निर्णय सदन के स्पीकर का होगा।

राहुल गांधी सांसदी खत्म होने को पूरी तरह भुनाने के बाद ही कानूनी विकल्पों का उपयोग करेंगे-

राहुल गांधी संसद सदस्यता बचाने के लिए चौथी बार मांगेंगे माफी!

गुजरात की सूरत कोर्ट ने ‘सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है’ वाले बयान से जुड़े मानहानि केस में राहुल गांधी को दोषी करार देते हुए दो साल सजा सुनाई तो उनकी संसद सदस्यता भी समाप्त हो गई। कोर्ट ने हालांकि उन्हें माफी मांगने का अवसर दिया था लेकिन अहंकार में उन्होंने माफी मांगने से इनकार करते हुए कहा कि मैं माफी नहीं मांगूंगा, मुझे कोर्ट की दया नहीं चाहिए। राहुल गांधी हालांकि इससे पहले तीन बार माफी मांग चुके हैं। 2019 में लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी ने कहा था- ‘चौकीदार चोर है’। इस मामले में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर माफी मांग ली थी। इसे देखते हुए ऐसा लग रहा है कि राहुल गांधी जब इस घटनाक्रम से राजनीतिक लाभ ले लेंगे उसके बाद कानूनी विकल्प अपनाएंगे और हो सकता है वे चौथी बार माफी मांग लें।

मैं ‘राहुल सावरकर’ नहीं राहुल गांधी हूं, कभी माफी नहीं मांगने वाला

एक तरफ राहुल गांधी कहते हैं- मैं ‘राहुल सावरकर’ नहीं राहुल गांधी हूं, कभी माफी नहीं मांगने वाला। वहीं दूसरी तरफ वह सुप्रीम कोर्ट में अवमानना मामले में तीन बार बिना शर्त माफी मांगते हैं। इससे यह बात साफ होती है कि इस बार जो उन्होंने माफी नहीं मांगी इसमें कोई सिद्धांत की बात नहीं है। अगर उनका माफी नहीं मांगने का सिद्धांत होता तो वे पहले भी माफी नहीं मांगते। इसका मतलब यह है कि इस बार उनके सलाहकारों ने माफी मांगने से रोक दिया था। इस बार उनके सलाहकार शायद ज्यादा ताकतवर हैं। जबकि 2019 में जब उन्होंने माफी मांगी थी तब कांग्रेस नेता और वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने उन्हें यह सलाह दी थी।

राहुल ने ‘चौकीदार चोर है’ मामले में तीन बार मांगी माफी

2019 के लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान राहुल गांधी ने ‘चौकीदार चोर है’ का नारा दिया था। राहुल ने फ्रांस के साथ राफेल लड़ाकू विमान के सौदे में घोटाला होने का दावा किया था। साथ ही कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने भी मान लिया है कि चौकीदार चोर है। राहुल गांधी के इस चौकीदार चोर है वाले बयान को लेकर मानहानि का केस दर्ज हुआ। मामला जब सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो तीन बार माफीनामा दाखिल किया। अंतिम माफीनामे में लिखा था कि वो बिना शर्त अपने बयान के लिए क्षमा चाहते हैं।

कोर्ट ने राहुल को दी थी नसीहत, कहा था- भविष्य में सावधान रहें

राहुल गांधी के माफीनामा को मंजूर करते हुए जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा था, ”दुर्भाग्यपूर्ण है कि बिना पुष्टि के आरोपी ने पीएम के बारे में कोर्ट के हवाले से ऐसी बात कही। भविष्य में ध्यान रखें। इतनी ज़िम्मेदार राजनीतिक स्थिति वाले व्यक्ति को सावधान रहना चाहिए।” कोर्ट ने कहा कि हमारे सामने बिना शर्त माफी रखी गई। हम इसे स्वीकार करते हैं। कोर्ट ने राहुल गांधी को हिदायत देते हुए कहा कि बड़ी राजनीतिक पार्टी के नेता को ज़िम्मेदारी दिखानी चाहिए, भविष्य में सावधान रहें। दरअसल राहुल ने बयान दिया था कि कोर्ट ने भी मान लिया है कि चौकीदार चोर है, यानी राहुल ने सुप्रीम कोर्ट के हवाले से कहा- ‘चौकीदार चोर है’।

राहुल ने माफीनामे में कहा था- भूलवश गलती हुई, मैं माफी चाहता हूं

राहुल ने अपने माफीनामे में कहा था, ‘कोर्ट का अपमान करने की न तो मेरी कोई मंशा थी और न ही मैंने जानबूझकर ऐसा किया। मैं अदालत की न्यायिक प्रक्रिया में किसी तरह की बाधा नहीं पहुंचाना चाहता। भूलवश मुझसे ये गलती हुई, लिहाजा इसके लिए मैं माफी चाहता हूं।

राहुल गांधी को पहले भी मुश्किल में डाल चुके हैं उनके बोल

‘मोदी सरनेम’ पर विवादित टिप्पणी

13 अप्रैल 2019 को कर्नाटक में चुनावी रैली में राहुल गांधी ने ‘मोदी सरनेम’ पर विवादित टिप्पणी की थी। राहुल ने कहा था, ‘नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी का सरनेम कॉमन क्यों है? सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?’ इस पर बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था। सूरत सेशन कोर्ट ने राहुल गांधी को दोषी करार दिया। उन्हें दो साल की सजा सुनाई गई।

वीर सावरकर पर की थी विवादास्पद टिप्पणी

भारत जोड़ो यात्रा के दौरान 17 नवंबर, 2022 को राहुल गांधी ने स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर को लेकर टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा कि सावरकर ने सजा से डरकर अंग्रेजों से माफी मांग ली थी। ऐसा करके उन्होंने महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल समेत सभी को धोखा दिया। राहुल के इस बयान पर सावरकर के पौत्र रणजीत सावरकर उनके खिलाफ मामला दर्ज कराया है। लखनऊ में एक अधिवक्ता ने भी इस मामले में केस दर्ज कराया है।

आरएसएस पर महात्मा गांधी की हत्या का आरोप

2014 में चुनावी रैली के दौरान राहुल गांधी ने आरएसएस को महात्मा गांधी की हत्या का जिम्मेदार ठहराते हुए टिप्पणी की थी। रैली महाराष्ट्र के भिवंडी में थी। वहीं के एक स्थानीय आरएसएस कार्यकर्ता ने इस मामले में राहुल पर मामला दर्ज कराया था। यह मामला अभी लंबित है। हाल ही में लंदन में आरएसएस की तुलना मुस्लिम ब्रदरहुड से करने के मामले में भी राहुल पर मामला दर्ज कराया गया है। 2018 में ठाणे की अदालत ने राहुल गांधी पर आरोप तय किए थे। ये मामला अब तक अदालत में चल रहा है।

‘चौकीदार चोर है’ पर मांग ली थी माफी

2019 में लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी ने ‘चौकीदार चोर है’ का नारा दिया था। राहुल ने फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमान सौदे में घोटाले का दावा करते हुए कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने भी मान लिया है कि चौकीदार चोर है। इस मामले में भी उन पर मानहानि का मामला दर्ज हुआ था। हालांकि बाद में राहुल ने हलफनामा देकर माफी मांग ली थी। उन्होंने लिखा था, ‘अदालत का अपमान करने की मेरी कोई मंशा नहीं थी और न ही मैंने जानबूझकर ऐसा किया। मैं न्यायिक प्रक्रिया में बाधा नहीं पहुंचाना चाहता। भूलवश मुझसे ये गलती हुई। इसके लिए मैं माफी चाहता हूं।’

भारत जोड़ो यात्रा में KGF-2 का गाना इस्तेमाल करने पर केस

भारत जोड़ो यात्रा में KGF-2 का गाना इस्तेमाल करने के खिलाफ राहुल गांधी के अलावा जयराम रमेश और सुप्रिया श्रीनेत के खिलाफ ये केस दर्ज कराया गया था। ये केस एमआरटी म्यूजिक कंपनी ने दर्ज कराया था। KGF-2 के म्यूजिक का कॉपीराइट इसी के पास है। कंपनी का आरोप है कि बिना परमिशन के गानों का इस्तेमाल किया गया। कॉपीराइट के इस मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट ने राहुल गांधी समेत कांग्रेस नेताओं के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी किया था।

राहुल गांधी पर अभी दर्ज हैं मानहानि के 6 अलग-अलग केस

1. महात्मा गांधी की हत्या में संघ का हाथ

राहुल गांधी पर ये आरोप है कि उन्होंने 6 मार्च, 2014 को महाराष्ट्र के ठाणे जिले में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए महात्मा गांधी की हत्या के पीछे आरएसएस का हाथ बताया था। कांग्रेस नेता ने कहा था कि आरएसएस के लोगों ने गांधी जी को मारा था, और वो आज गांधीजी की बात करते हैं। इस मामले में आरएसएस की भिवंडी इकाई के आरएसएस सचिव राजेश कुंटे ने राहुल गांधी पर 2018 में मानहानि का मुकदमा दायर किया था। राजेश कुंटे का ये कहना है कि राहुल ने संघ की प्रतिष्ठा और मान-सम्मान पर सवाल उठाया है। इस मामले की सुनवाई भी अभी शुरू नहीं हुई है।

2. राफेल पर टिप्पणी

नवंबर 2018 में, महाराष्ट्र भाजपा नेता महेश श्रीश्रीमल ने ‘कमांडर-इन-चोर’ वाले बयान को लेकर राहुल पर मानहानि का मुकदमा दायर किया था। महेश श्रीश्रीमल का ये कहना है कि राफेल विवाद के दौरान दिया गया राहुल का ये बयान नरेंद्र मोदी पर सीधा निशाना था। कुछ दिनों की सुनवाई के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। महेश श्रीश्रीमल का ये कहना है कि राहुल गांधी ने बॉम्बे हाईकोर्ट से संपर्क किया था और शिकायत को रद्द करने की मांग भी की थी। इस मामले की सुनवाई भी अभी शुरू नहीं हुई है।

3. नोटबंदी को लेकर अमित शाह पर टिप्पणी

23 जून, 2018 के एक ट्वीट के आधार पर राहुल के खिलाफ यह मामला दर्ज किया गया था। राहुल ने अपने ट्वीट में ये कहा था कि अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक के निदेशक अमित शाह जी को बधाई। पुराने नोटों को नई दौड़ में बदलने में आपके बैंक को प्रथम पुरस्कार मिला 750 रुपये। पांच दिनों में करोड़! लाखों भारतीय जिनके जीवन को आपने नष्ट कर दिया, नोटबंदी आपकी इस उपलब्धि को सलाम करती है। #ShahZyadaKhaGaya”. राहुल के वकील अजीत जडेजा ने कहा है कि मामले पर अभी पूछताछ जारी है। केस की अगली सुनवाई एक जुलाई को होगी।

4. असम मठ पर टिप्पणी

दिसंबर 2015 में राहुल के खिलाफ असम में आरएसएस के एक स्वयंसेवक ने आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था। आरएसएस के इस स्वयंसेवक ने केस दर्ज कर ये कहा था कि उन्हें असम के बरपेटा सतरा में जाने से ये कह कर रोक दिया गया था कि वो आरएसएस से जुड़े हुए हैं। उसी दौरान स्वयंसेवक संघ के सदस्य ने असम की लोकल अदालत में राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था। राहुल गांधी के वकील अंशुमन बोरा के मुताबिक यह मामला अभी भी लोकल कोर्ट में चल रहा है। ये मामला सुनवाई के अंतिम चरण में है।

5. संघ करवा देती है विरोधियों की हत्या

फरवरी 2019 में राहुल और सीपीआई (एम) जनरल सीताराम येचुरी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया गया था। ये मुकदमा महाराष्ट्र के आरएसएस कार्यकर्ता और वकील धृतिमान जोशी ने दायर किया था। धृतिमान जोशी ने याचिका में ये कहा था कि पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के 24 घंटे बाद राहुल ने ये बयान दिया था कि कोई आरएसएस और भाजपा की विचारधारा के खिलाफ बोलता है, तो उसे चुप कराने की कोशिश की जाती है। उस पर दवाब डाला जाता है। उसे पीटा जाता है। उसपर हमले कराए जाते हैं। यहां तक की उसे जान से भी मार दिया जाता है।

शिकायतकर्ता ने सीताराम येचुरी पर आरोप लगाते हुए कहा था कि लंकेश दक्षिणपंथी राजनीति की तीखी आलोचना के लिए जानी जाती थी। लंकेश की हत्या के पीछे आरएसएस की विचारधारा और आरएसएस के लोग हैं। उसी साल नवंबर में, मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट पी आई ने राहुल और येचुरी की उस दलील को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने केस खारिज करने की मांग की थी। इस मामले की सुनवाई अभी शुरू नहीं हुई है।

6. भाजपा नेता अमित शाह पर टिप्पणी

अहमदाबाद से भाजपा के एक निगम पार्षद कृष्णवदन ब्रह्मभट्ट ने राहुल के खिलाफ मई 2019 में अहमदाबाद की एक अदालत में मानहानि का मुकदमा दायर किया था। कृष्णवदन ब्रह्मभट्ट ने याचिका में ये कहा कि राहुल गांधी ने जबलपुर में लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान अमित शाह को “हत्या का आरोपी” बताया था। राहुल की इस टिप्पणी को कृष्णवदन ब्रह्मभट्ट ने बहुत ही निंदात्मक बताया था। ब्रह्मभट्ट का ये कहना था कि 2015 में सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में शाह को बाइज्जत बरी कर दिया गया है। अब राहुल पर लगे मानहानि के केस की सुनवाई एक मजिस्ट्रेट अदालत में होने वाली है।

इन 7 मामलों में जमानत पर हैं राहुल गांधी

1. ‘मोदी सरनेम’ मानहानि मामलाः 23 मार्च 2023 को ‘मोदी सरनेम’ मानहानि मामले में 2 साल की सजा मिलने के बाद राहुल गांधी को जमानत मिली। अदालत ने 15 हजार रुपये के मुचलके पर उनकी जमानत मंजूर कर ली। राहुल को फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए 30 दिन की मोहलत दी है।

2. नेशनल हेराल्ड केसः राहुल गांधी को जिन मामलों में जमानत मिली है, उसमें सबसे प्रसिद्ध मामला नेशनल हेराल्ड का है। इस मामले में राहुल गांधी और सोनिया गांधी दोनों को ही 50 हजार के निजी मुचलके पर जमानत मिली हुई है। यह केस दिसंबर 2015 में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने दायर किया था।

3. सभी मोदी चोर मामलाः 6 जुलाई 2019 को राहुल गांधी को पटना की एक अदालत ने मानहानि के एक मामले में जमानत दी थी। यह केस भाजपा नेता और बिहार के तात्कालीन डिप्टी सीएम ने उनकी एक टिप्पणी के बाद किया था। अपनी टिप्पणी में राहुल ने कहा था कि सभी मोदी चोर हैं।

4. सहकारी बैंक मामलाः 12 जुलाई 2019 को राहुल गांधी को मानहानि के मामले में अहमदाबाद की एक अदालत से जमानत मिली थी। यह मामला अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक ने दर्ज कराया था। दरअसल, राहुल ने आरोप लगाया था कि बैंक नोटबंदी के दौरान नोटों की अदला-बदली के एक घोटाले में शामिल था।

5. RSS गौरी लंकेश मामलाः मुंबई की एक अदालत में आरएसएस कार्यकर्ता ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दाखिल किया था। इस मामले में 4 जुलाई 2019 को राहुल को जमानत मिली राहुल ने गौरी लंकेश की हत्या को ‘बीजेपी-आरएसएस विचारधारा’ से जोड़ते हुए टिप्पणी की थी। उन्हें इस मामले में 15 हजार रुपये के मुचलके पर जमानत मिली थी।

6. RSS महात्मा गांधी मामलाः आरएसएस के एक और कार्यकर्ता ने महाराष्ट्र के भिवंडी में राहुल गांधी के खिलाफ केस किया था। इस मामले में राहुल को नवंबर 2016 में जमानत दी गई थी। राहुल गांधी ने कहा था कि RSS ने महात्मा गांधी की हत्या की है। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी उन्हें इस तरह की टिप्पणी के लिए फटकार लगाई थी। कोर्ट ने यह भी कहा था कि राहुल को मुकदमे का सामना करना पड़ेगा और अदालत में अपनी बात साबित करनी होगी

7. आरएसएस पर आरोप मामलाः आरएसएस ने राहुल गांधी के खिलाफ गुवाहाटी कोर्ट में मानहानि का केस दाखिल किया था। राहुल गांधी ने दावा किया था कि उन्हें दिसंबर 2015 में असम के बारपेट सतरा में प्रवेश करने से आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने रोका था। इस मामले में उन्हें सितंबर 2016 में 50 हजार रुपये के मुचलके पर जमानत दी गई थी।

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