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पीएम मोदी ने दूल्हा-दुल्हन से क्यों की भारत में ही शादी करने की अपील? 38 लाख शादियों पर खर्च होंगे 4.74 लाख करोड़ रुपये

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भारत में शादियों का सीजन भी शुरू हो गया है। यहां अलग-अलग शहरों में शादी के जो आंकड़े सामने आ रहे हैं उसके अनुसार अगले कुछ दिनों में यहां कम से कम 38 लाख शादियां होंगी और इन पर कम से कम 4.74 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे। एक वक्त था जब लोग अपने गृह नगर से पूरी परंपरा और रिवाज के साथ शादियां करते थे, लेकिन जैसे-जैसे वक्त बदल रहा है लोगों की पसंद भी बदलती जा रही है। अब नव धनाढ्य वर्ग के लोग डेस्टिनेशन वेडिंग करने विदेशों में जाना पसंद कर रहे हैं। ऐसा करना भले ही उन्हें या उनके परिवार को अच्छा लग रहा हो लेकिन ऐसी शादियां देश की अर्थव्यवस्था पर जरूर असर डाल रही हैं। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 नवंबर, 2023 को मन की बात के 107वें एपिसोड में देश से बाहर होने वाले डेस्टिनेशन वेडिंग और देश से बाहर जाकर शादी करने को लेकर चिंता जाहिर की। उन्होंने नागरिकों से विदेशों में शादियां आयोजित नहीं करने की अपील की। प्रधानमंत्री की अपील पर कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि पीएम मोदी ने एक बहुत ही जरूरी मुद्दा उठाया है जो निश्चित रूप से भारतीय रुपये के देश से बाहर खर्च को रोक देगा जिससे अर्थव्यवस्था और मजबूत होगी।

पीएम की अपील- देश में मनाएं शादी ब्याह, वोकल फॉर लोकल को मिलेगा विस्तार
प्रधानमंत्री मोदी ने नवंबर, 2023 को मन की बात के 107वें एपिसोड में कहा, शादियों का सीजन आ चुका है और एक बात मुझे लंबे समय से परेशान कर रही है। प्रधानमंत्री ने कहा, इन दिनों ये जो कुछ परिवारों में विदेशों में जाकर के शादी करने का एक नया वातावरण बनता जा रहा है। क्या, ये जरूरी है ? भारत की मिट्टी में, भारत के लोगों के बीच, अगर हम शादी ब्याह मनाएं, तो देश का पैसा, देश में रहेगा। देश के लोगों को आपकी शादी में कुछ न कुछ सेवा करने का अवसर मिलेगा, छोटे -छोटे गरीब लोग भी अपने बच्चों को आपकी शादी की बातें बताएंगे। क्या आप वोकल फॉर लोकल के इस मिशन को विस्तार दे सकते हैं ? क्यों न हम शादी ब्याह ऐसे समारोह अपने ही देश में करें ? प्रधानमंत्री ने कहा, मैं आशा करता हूं मेरी ये पीड़ा उन बड़े-बड़े परिवारों तक जरूर पहुंचेगी।

पीएम ने अभी ही क्यों किया इस बात का जिक्र
दरअसल डेस्टिनेशन वेडिंग को लेकर पीएम मोदी ने अभी इसलिए भी चिंता जताई है, क्योंकि भारत में तेजी से अमीरों की संख्या बढ़ती जा रही है। साल 2022 में 8 करोड़ या उससे ज्यादा की नेटवर्थ वाले अमीरों की संख्‍या 7,97,714 थी। अनुमान है कि साल 2027 तक यह बढ़कर 16,57,272 हो जाएगी। ऐसे में जाहिर है कि पैसा आने के साथ ही लोग डेस्टिनेशन वेडिंग करना चाहेंगे और अपनी शादी को ज्यादा से ज्यादा यादगार बनाना चाहेंगे। दरअसल लोगों के हाथों में जब पैसा आ जाता है तो लोग लड़के-लड़की की शादी में हाथ खोल कर खर्च करते हैं।

इस साल 38 लाख शादियों पर खर्च होंगे 4.74 लाख करोड़ रुपये
कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि देश में 23 नवंबर से 15 दिसंबर के बीच लगभग 38 लाख शादियां होंगी। विभिन्न राज्यों में खासतौर से 11 तारीखों पर बैंड-बाजा और बारात की धूम रहेगी। 38 लाख शादियों पर करीब 4.74 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे। शादी सीजन के चलते मेनलाइन रिटेल व्यापार में वस्तुओं और सेवाओं का खूब कारोबार होगा। ये आंकड़े, विभिन्न राज्यों के 30 शहरों, जिन्हें प्रमुख वितरण केंद्र के रूप में जाना जाता है, में सर्वे करने के बाद जारी किए गए हैं। इसके लिए प्रमुख व्यापारी संगठनों, वस्तुओं और सेवाओं, दोनों में विभिन्न स्टेकहोल्डर्स से बात करने के बाद यह अनुमान लगाया गया है। इस आंकड़े में कई पहाड़ी एवं रिमोट एरिया शामिल नहीं हैं।

दिल्ली में 4 लाख से अधिक शादियां, 1.25 लाख करोड़ रुपये का होगा कारोबार
अगर दिल्ली की बात करें, तो इस सीजन में 4 लाख से अधिक शादियां होने की उम्मीद है। इसमें लगभग 1.25 लाख करोड़ रुपये का कारोबार होने की संभावना है। कैट द्वारा निकाले गए अनुमान के आधार पर, खंडेलवाल ने कहा, इस सीजन के दौरान लगभग 7 लाख शादियां 3 लाख रुपये के खर्च पर होंगी। लगभग 8 लाख शादियां ऐसी रहेंगी, जिनमें प्रत्येक पर 6 लाख रुपये खर्च होंगे। 10 लाख शादियां, 10 लाख रुपये प्रति शादी के खर्च के हिसाब से होंगी। 7 लाख शादियां ऐसी होंगी, जिन पर 15 लाख रुपये के हिसाब से खर्च किया जाएगा। पांच लाख शादियां, ऐसी होंगी, जिन पर 25 लाख रुपये के हिसाब से खर्च होगा। 50 हजार शादियां, 50 लाख रुपये के खर्च वाली होंगी। इसके अलावा 50 हजार शादियां, 1 करोड़ रुपये या उससे अधिक के खर्च के साथ होने की उम्मीद है।

शादियों में कहां कितना होता है खर्च
विवाह समारोह पर आमतौर से 50 फीसदी सामान की खरीद पर खर्च होगा। बाकी की 50 फीसदी राशि सेवाओं की खरीद पर व्यय की जाएगी। एक नजर में, माल क्षेत्र में व्यापार का अनुमानित प्रतिशत कपड़ा, साड़ी, लहंगा और गारमेंट्स में 10 फीसदी, आभूषण में 15 फीसदी, इलेक्ट्रॉनिक्स व इलेक्ट्रिकल्स एवं उपभोक्ता वस्तुओं में 5 फीसदी, ड्राई फ्रूट, फल, मिठाई और नमकीन में 5 फीसदी, खाद्यान्न, किराना व सब्जियों में 5 फीसदी, उपहार वस्तुओं में 4 फीसदी और बाकी 6 फीसदी अन्य विविध वस्तुओं में व्यापार होने की संभावना है। जहां तक सेवा क्षेत्र का सवाल है, एक मोटे अनुमान के अनुसार, बैंक्वेट हॉल, होटल और अन्य विवाह स्थलों पर 5 फीसदी, इवेंट मैनेजमेंट पर 5 फीसदी, टैंट सजावट पर 12 फीसदी, खानपान सेवाओं पर 10 फीसदी, फूलों की सजावट पर 4 फीसदी, 3 फीसदी ट्रैवल एवं कैब सेवाओं पर, फोटो और वीडियो शूट पर 2 फीसदी, ऑर्केस्ट्रा, बैंड आदि पर 3 फीसदी, लाइट और साउंड पर 3 फीसदी व अन्य विविध सेवाओं पर शेष 3 फीसदी राशि खर्च होगी।

भारत में शादी पर औसतन 3 लाख से लेकर 1 करोड़ रुपये खर्च
कैट ने जो शादियों का अनुमान लगाया है उसके आधार पर, इस साल लगभग 7 लाख शादियां 3 लाख रुपये के खर्च पर होंगी। वहीं 8 लाख शादियां ऐसी हो सकती है, जिनमें हर शादियों पर 6 लाख रुपये खर्च होंगे और 10 लाख शादियां, 10 लाख रुपये प्रति शादी के खर्च के हिसाब से होंगी। रिपोर्ट के अनुसार 7 लाख शादियां ऐसी होंगी, जिन पर 15 लाख रुपये के हिसाब से खर्च किए जाएंगे। पांच लाख शादियां, ऐसी होंगी, जिन पर 25 लाख रुपये के हिसाब से खर्च होगा और 50 हजार शादियां, 50 लाख रुपये के खर्च वाली होंगी। वहीं 50 हजार शादियां ऐसा होंगी जिसमें 1 करोड़ रुपये या उससे ज्यादा के खर्च होने की उम्मीद है।

देश में शादियां देती हैं रोजगार
मन की बात में प्रधानमंत्री के संबोधन पर कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि पीएम मोदी ने एक बहुत ही जरुरी मुद्दा उठाया है जो निश्चित रूप से भारतीय रुपये के देश से बाहर खर्च को रोक देगा जिससे अर्थव्यवस्था और मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि कोई भी शादी बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार देती है जो भारत में शादियां करने पर देश के लोगों को ही मिलेगा। उन्होंने कहा कि एक शादी में लगभग 80 प्रतिशत खर्च वस्तुओं और सेवाओं दोनों पर किया जाता है और जब बाजार में यह पैसा प्रवाहित होता है तो ऐसा पैसा लोगों के हाथों में वित्तीय तरलता प्रदान करता है, इसलिए इससे अर्थव्यवस्था एवं भारतीय व्यापार को मदद मिलती है।

विदेश में शादी करने पर भारत की अर्थव्यवस्था को नुकसान
किसी भी शादी में 50 प्रतिशत का खर्च सामान की खरीदारी में हो जाती है। बाकी बचे 50 प्रतिशत होटल बुकिंग वगैरह में जाती है। अब इसे ऐसे समझिए कि अगर किसी व्यक्ति ने शादी की खरीदारी पूरी तरह भारत में ही की है और शादी किसी और देश में करने जा रहे हैं तो भले ही उन्होंने सामान का 50 प्रतिशत खर्च भारत में किए हों लेकिन होटल से लेकर रहने की व्यवस्था का जो खर्च है वो दूसरे देश के पास जा रहा है।

शादी का सीजन कई लोगों के लिए साल भर की कमाई का जरिया
शादी का सीजन कई लोगों के लिए साल भर की कमाई का जरिया भी होता है। उदाहरण के लिए इवेंट कंपनी, फोटोग्राफर, शादी जुड़े कपड़े बनाने वाले, शादी से जुड़े अन्य उत्पाद बनाने वाले लोगों की ज्यादातर कमाई शादियों के सीजन में ही होती है। शादी के सीजन में ये इतना कमा लेते हैं कि किसी महीने काम कम भी मिला तो उनके पास बैकअप होता है। ऐसे में अगर ज्यादातर दुल्हा दुल्हन देश से बाहर शादियां करने लगें तो इन्हें भी नुकसान झेलना पड़ता है।

डेस्टिनेशन वेडिंग क्यों बन रहा सबकी पहली पसंद
डेस्टिनेशन वेडिंग आजकल लोगों की पहली पसंद बनता जा रहा है। इसके पीछे कई कारण हैं। एक कारण तो सबको पता है कि हर किसी को अपनी शादी का दिन खास और यादगार बनाना होता है। इसके अलावा एक और कारण ये भी है कि ज्यादातर शादी में सजावट से लेकर हर छोटी छोटी चीजों की झंझट से खुद को बचाना चाहते हैं। अपने घर के बजाय वह किसी होटल में शादी करते हैं तो ये होटल मैनेजमेंट की जिम्मेदारी होगी कि शादी से जुड़े सारे सामानों का बंदोबस्त ठीक तरीके से हो। ऐसे में परिवारों को न सिर्फ इन जिम्मेदारियों से छुटकारा मिलता है बल्कि वह इस खास दिन को इंजॉय भी कर पाते हैं।

भारत से बाहर कहां ज्यादातर लोग कर रहे हैं शादियां
दरअसल जिस व्यक्ति के पास जितना पैसा है वह अपनी शादियों में भी उसी हिसाब से जगह चुनते हैं। कुछ लोग कम खर्च करने के लिए आसपास के देशों में चले जाते हैं। पिछले कुछ सालों में दुबई, आबू धाबी, कतर, मलेशिया, थाईलैंड, वियतनाम, इंडोनेशिया जैसे जगह पर शादी की डिमांड काफी बढ़ी हैं।

प्रतिवर्ष करीब 5 हज़ार डेस्टिनेशन शादियां विदेशों में
विदेशों में भारतीय लोगों द्वारा डेस्टिनेशन शादियों के बारे में अभी तक कोई अधिकृत सर्वे नहीं हुआ है। ऐसे में यह अंदाजा लगाना मुश्किल हैं कि यह कारोबार कितना होगा, लेकिन फिर भी प्रधानमंत्री श्री मोदी के वक्तव्य के बाद जब मामले को खंगालने की कोशिश हुई तो यह मोटा अनुमान निकलता है कि प्रतिवर्ष करीब 5 हज़ार डेस्टिनेशन शादियां विदेशों में होती हैं। इनमें लगभग 50 हज़ार करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान लगाया जा सकता है।

भारत में डेस्टिनेशन वेडिंग के कई स्थान
जो कपल अपने देश में ही लक्जरी वेडिंग करना चाहते हैं तो वह किसी पैलेस या फोर्ट में शादी करते हैं। ऐसे लोग उदयपुर, जयपुर, गोवा, केरल आदि डेस्टिनेशन पसंद करते हैं। इससे कम बजट वालों के बीच कलिमपोंड, वायनाड, धर्मशाला, आगरा जैसे जगह लोकप्रिय हैं। इसके अलावा देश के विभिन्न राज्यों में कुछ प्रमुख स्थान ऐसे हैं जहां बड़े पैमाने पर डेस्टिनेशन शादियां होती हैं। इनमें मुख्य रूप से गोवा, महाराष्ट्र में लोनावाला, महाबलेश्वर, मुंबई, शिरडी, नासिक, नागपुर, गुजरात में द्वारिका, अहमदाबाद, सूरत, बड़ौदा, मध्य प्रदेश में ओरछा, ग्वालियर, उज्जैन, भोपाल, इंदौर, राजस्थान में जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, जैसलमेर, पुष्कर, उत्तर प्रदेश में मथुरा, वृंदावन, आगरा, वाराणसी, कानपुर, दक्षिण भारत में चेन्नई, यादगिरी हिल, ऊटी, बंगलौर, हैदराबाद, तिरूपति, कोचीन, त्रिची, कोयंबतूर, पॉण्डिचेरी सहित दिल्ली एनसीआर में दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुड़गाँव, मानेसर, बहादुरगढ़, फरीदाबाद और पंजाब-हरियाणा में चंडीगढ़, मोहाली, अमृतसर तथा जम्मू के नाम उल्लेखनीय है।

प्रियंका चोपड़ा और निक जोनस ने राजस्थान में की रॉयल वेडिंग
पीएम मोदी की अपील के मद्देनजर देशवासियों को यह सोचना चाहिए कि जब अमेरिका में रहने वाली अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा और निक जोनस राजस्थान आकर शादी करते हैं तो उन्हें भी भारत के स्थानों को ही शादी के लिए चुनना चाहिए। 2 दिसंबर 2018 प्रियंका और निक ने राजस्थान के उमेद भवन में सात फेरे लिए थे। उमेद भवन में प्रियंका चोपड़ा की शादी में देश-विदेश के कई मेहमानों ने शिरकत की थी।

पीएम की अपील से स्थानीय उत्पादों को खरीदने का बढ़ा चलन
मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पिछले महीने मन की बात में मैंने वोकल फॉर लोकल यानी स्थानीय उत्पादों को खरीदने पर जोर दिया था। बीते कुछ दिनों के भीतर ही दिवाली, भैया दूज और छठ पर देश में चार लाख करोड़ से ज्यादा का कारोबार हुआ है और इस दौरान भारत में बने उत्पादों को खरीदने का जबरदस्त उत्साह लोगों में देखा गया।

पीएम मोदी ने देशवासियों से कई अवसरों पर अपील है और लोगों ने उस अपील पर अमल करके दिखाया है। इस पर एक नजर-

स्वच्छता के लिए 9 लाख स्थानों पर 8.75 करोड़ लोगों की भागीदारी
प्रधानमंत्री मोदी ने 1 अक्टूबर की सुबह 10 बजे एक घंटे के लिए ‘स्वच्छता के लिए श्रमदान’ करने की अपील की थी। इस कार्यक्रम को लेकर जनता में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में आयोजित इस मेगा स्वच्छता अभियान में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों, गांवों और शहरों की भागीदारी देखी गई। साफ-सफाई के इस कार्यक्रम में 8.75 करोड़ लोगों ने हिस्सा लिया। जनता की सामूहिक भागीदारी से 9 लाख से अधिक स्थलों को साफ-सुथरा भी बनाया गया। इसके तहत सड़कों, राजमार्गों और टोल प्लाजा, रेलवे ट्रैक और स्टेशनों, टोल प्लाजा, स्वास्थ्य संस्थानों, आंगनवाड़ी केंद्रों, विरासत और पर्यटक स्थानों, आवासीय कॉलोनियों, जल निकायों, पूजा स्थलों, मलिन बस्तियों, बाजार क्षेत्रों, हवाई अड्डों और आसपास के क्षेत्रों, चिड़ियाघर और वन्यजीव क्षेत्र, गौशालाएं आदि में सफाई अभियान चलाया गया।

कनॉट प्लेस के खादी आउटलेट से एक दिन में 1.52 करोड़ रुपये की रिकॉर्ड बिक्री
प्रधानमंत्री मोदी की खादी खरीदने की लगातार अपील के कारण खादी की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है। गांधी जयंती के अवसर पर 2 अक्टूबर, 2023 को खादी इंडिया के कनॉट प्लेस स्थित आउटलेट ने बिक्री के सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए। खादी इंडिया के इस आउटलेट ने सिर्फ एक दिन में 1.52 करोड़ रुपये की रिकॉर्ड बिक्री की है। देश भर में बड़े पैमाने पर खादी की बिक्री हो रही है। आजादी के बाद पहली बार केवीआईसी के उत्पादों का कारोबार 1.34 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है। मोदी सरकार बनने के बाद पिछले 9 साल में ग्रामीण क्षेत्र के कारीगरों द्वारा बनाए गए स्वदेशी खादी उत्पादों की बिक्री में 332 प्रतिशत की अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2013-14 में जहां खादी और ग्रामोद्योग उत्पादों का कारोबार 31154 करोड़ रुपये था, वहीं वित्त वर्ष 2022-23 में यह बढ़कर 1,34,630 करोड़ रुपये के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। इसी तरह से ग्रामीण क्षेत्र में 9,54,899 नये रोजगार का सृजन कर, केवीआईसी ने नया मील का पत्थर स्थापित किया है।  

जन आंदोलन बना वोकल फॉर लोकल, कपड़ा क्षेत्र को मिली नई गति
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वोकल फॉर लोकल अपील एक जन आंदोलन बन गया है जिसने देश में कपड़ा क्षेत्र को नई गति दी है। 7 अगस्त 2023 को दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम में 9वें राष्ट्रीय हथकरघा दिवस समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कपड़ा क्षेत्र में जो योजनाएं शुरू की गई हैं, वे बुनकरों और कारीगरों को न्याय दिलाती हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने आज राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान- NIFT द्वारा विकसित ई-पोर्टल ‘भारतीय वस्त्र एवं शिल्प कोष-कपड़ा और शिल्प का भंडार’ का भी शुभारंभ किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन से देश में कपड़ा उद्योग तेजी से फल-फूल रहा है। देश में खपत के साथ ही निर्यात भी लगातार बढ़ रहा है। भारत ने तैयार कपड़े (रेडीमेड गारमेंट) का अप्रैल-मई 2023 में 566.68 करोड़ रुपये का निर्यात किया। वर्ष 2013 में इसी अवधि में 179.76 करोड़ रुपये का निर्यात किया गया था। इस तरह पिछले 10 सालों में तैयार कपड़ों के निर्यात में 3.2 गुना वृद्धि हुई है। इससे जहां देश की अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है वहीं रोजगार के अवसर भी बढ़ रहे हैं। 

कोरोना संकट के समय दिखा पीएम मोदी की अपील का असर
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना के खिलाफ जंग में एक दिन का जनता कर्फ्यू और कोरोना योद्धाओं का हौसला बढ़ाने के लिए देशवासियों से ताली और थाली बजाने की अपील की थी। प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी सहित देशभर में इस अपील को व्यापक जन समर्थन मिला। अपने प्रिय प्रधानमंत्री के एक अपील पर देशभर के लोगों ने जनता कर्फ्यू को समर्थन दिया। पूरे देश की जनता ने जनता कर्फ्यू में हिस्सा लिया और इसे सफल बनाया। कोरोना वायरस से लड़ रहे लोगों के समर्थन में जनता ने ठीक शाम 5 बजे तालियां और थालियां बजाईं। इसकी गूंज विदेशी मीडिया को भी सुनाई पड़ी।

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