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सिद्धू मुश्किलों के भंवर में : 34 साल पहले का गैर इरादतन हत्या का मामला फिर खुला, सलाहकार मुस्तफा के फिर बिगड़े बोल, सिद्धू सब कुछ छोड़ वैष्णो माता की शरण में पहुंचे-मां दुष्टां दा विनाश कर

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कहते हैं कि आपकी गलतियां और पाप कभी आपका पीछा नहीं छोड़ते। वे मुश्किलें बनकर आपके रास्ते की बाधा बनने ऐन वक्त पर पहुंच ही जाते हैं। पंजाब कांग्रेस प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। उनके लाख चाहने के बावजूद कांग्रेस के सीएम फेस के लिए उनके नाम की घोषणा कांग्रेस हाईकमान नहीं कर रहा है। अमृतसर ईस्ट सीट पर उन्हें इस बार मजीठिया से कड़ी टक्कर मिल रही है। अचानक प्रकट हुई उनकी बहन सुमन तूर ने सिद्धू पर गंभीर आरोप लगाए हैं और अब 34 साल पहले हुआ रोड रेज का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। इन मुश्किलों से घबराए सिद्धू अचानक मां वैष्णों की शरण में पहुंच गए हैं।माता वैष्णो से ट्वीट कर मांगा आशीर्वाद…मां सच धर्म दी स्थापना कर
वैष्णों मां दरबार जाने के लिए सिद्धू ने चुनाव प्रचार के पहले से निर्धारित सारे कार्यक्रम निरस्त कर दिऐ पंजाब कांग्रेस प्रधान सिद्धू ने जम्मू जाने से पहले ट्वीट किया, ‘माता वैष्णो देवी जाते हुए. धर्म के पथ पर माता की कृपा ने हमेशा मेरी रक्षा की है। आशीर्वाद के लिए उनके चरण कमलों पर…दुष्टा दा विनाश कर, पंजाब दा कल्याण कर… सच धर्म दी स्थापना कर ।’ सिद्धू ने दुष्ट किनको कहा है, यह तो वही जाने, लेकिन ये सच है कि इस समय उनकी राजनीतिक राहों में कई तरह की मुश्किलें आई हुई हैं। जिनसे पार पाने के लिए सिद्धू ने मां वैष्णों देवी से आशीर्वाद मांगा है।

सिद्धू नई मुश्किल में…रोड रेज मामले में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका
कांग्रेस के सीएम चेहरे की दौड़ में शामिल सिद्धू के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रोड रेज मामले की पुनर्विचार याचिका दाखिल हो गई है। यह घटना साल 1988 का है। जिसमें झगड़े के दौरान एक बुजुर्ग की मौत हो गई थी। इस मामले में हाईकोर्ट से सजा होने के बाद सिद्धू को अमृतसर के सांसद की सीट तक छोड़नी पड़ी थी। पंजाब में कांग्रेस के लिए यह बड़ा झटका है। इससे पहले सीएम चरणजीत चन्नी के भतीजे भूपिंदर हनी पर अवैध रेत खनन मामले में ईडी की रेड हो चुकी है। अब सिद्धू भी कानूनी चक्कर में फंसते नजर आ रहे हैं।

1988 का मामला निचली अदालत से बरी, हाईकोर्ट ने दी सजा
सिद्धू के खिलाफ रोडरेज का मामला साल 34 साल पहले का है। सिद्धू का पटियाला में कार से जाते समय 65 साल के गुरनाम सिंह नामक बुजुर्ग व्यक्ति से झगड़ा हो गया। आरोप है कि उनके बीच हाथापाई भी हुई और बाद में गुरनाम सिंह की मौत हो गई। पुलिस ने नवजोत सिंह सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर सिंह सिद्धू के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया। सुनवाई के दौरान निचली अदालत ने नवजोत सिंह सिद्धू को सबूतों का अभाव बताते 1999 में बरी कर दिया था। इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। साल 2006 में हाईकोर्ट ने इस मामले में नवजोत सिंह सिद्धू को तीन साल कैद की सजा और एक लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।

पहले सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू पर जुर्माना लगाकर छोड़ दिया था
हाईकोर्ट से मिली सजा के खिलाफ नवजोत सिंह सिद्धू सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। सुप्रीम कोर्ट ने 16 मई 2018 को सिद्धू को गैर इरादतन हत्या के आरोप में लगी धारा 304IPC से बरी कर दिया। हालांकि धारा 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाने का) के मामले में सिद्धू को दोषी ठहराया गया। जिसके लिए उन्हें जेल की सजा नहीं हुई, लेकिन एक हजार रुपया जुर्माना लगाकर छोड़ दिया गया। हालांकि अब मृतक के परिवार की तरफ से याचिका दाखिल की गई कि सिद्धू को 304IPC के तहत सजा होनी चाहिए।

बहन भी लगा चुकी मां को लावारिस छोड़ने का गंभीर आरोप
इससे पहले नवजोत सिद्धू के खिलाफ उनकी एनआरआई बहन सुमन तूर भी गंभीर आरोप लगा चुकी है। उनका कहना था कि पिता की मौत के बाद सिद्धू ने संपत्ति के लालच में मां की देखभाल नहीं की। हालात यह हो गए कि उनकी दिल्ली के रेलवे स्टेशन पर लावारिस की तरह मौत हो गई। हालांकि सिद्धू ने इन आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि राजनीति के लिए 30 साल बाद उनकी मां को कब्र से निकाला जा रहा है।

अमृतसर ईस्ट विधानसभा में बिक्रम मजीठिया के कड़ा मुकाबला
इस बीच पंजाब कांग्रेस प्रधान नवजोत सिद्धू ने एक बार फिर राजनीति में चौंकाने वाला फैसला लिया है। अचानक सारे प्रचार कार्यक्रम छोड़कर सिद्धू वैष्णो देवी रवाना हो गए। उनके प्रचार के 10 कार्यक्रम रखे गए थे। ज्यादातर कार्यक्रम उनके अमृतसर ईस्ट विधानसभा क्षेत्र में थे,जहां से सिद्धू खुद चुनाव लड़ रहे हैं। इस बार अकाली नेता बिक्रम मजीठिया के उतरने के बाद यहां मुकाबला कड़ा हो चुका है। वैष्णो देवी माता के दरबार में पहुंचकर सिद्धू ने दर्शन करने के बाद श्रद्धालुओं के साथ सेल्फी और तस्वीरें खिंचवाईं।

कांग्रेस का सीएम चेहरा बनने की दौड़ में भी शामिल
कांग्रेस हाईकमान सिद्धू के लाख चाहने के बावजूद उन्हें सीएम फेक घोषित नहीं कर रहा है। नवजोत सिद्धू की चुनौती सिर्फ सीट बचानी नहीं बल्कि उससे पहले सीएम चेहरे की दौड़ जीतनी है। कांग्रेस पंजाब में सीएम चेहरे के लिए सर्वे करवा रही है। जिसमें चरणजीत चन्नी और नवजोत सिद्धू के बीच मुख्य मुकाबला है। इसमें भी चर्चा है कि सिद्धू पिछड़ रहे हैं। कल ही पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रधान सुनील जाखड़ ने भी यह कहकर चौंका दिया कि सीएम बनने के लिए सिर्फ 6 एमएलए सिद्धू के समर्थन में थे। ऐसे में सिद्धू की मुश्किलें यहां भी बढ़ी हुई हैं।

सिद्धू के सलाहकार के फिर बिगड़े बोल, श्री गुरु ग्रंथ साहिब को किताब कहा
उधर सिद्धू के रणनीतिक सलाहकार पूर्व डीजीपी मुहम्मद मुस्तफा फिर विवाद में घिर गए हैं। मुस्तफा ने अब मालेरकोटला में चुनाव प्रचार के दौरान श्री गुरु ग्रंथ साहिब को किताब कह दिया। इसका वीडियो सामने आते ही शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी भड़क गई है। कमेटी ने मुस्तफा को माफी मांगने के लिए कहा है। उन्हें चेतावनी दी गई है कि अगर सार्वजनिक माफी नहीं मांगी तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी। एसजीपीसी के प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब समूची मानवता के आध्यात्मिक गुरु हैं। दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने ज्योति ज्योत समाने से पहले श्री गुरु ग्रंथ साहिब को गुरता गद्दी सौंपकर सिखों को उनके साथ जोड़ा था। श्री गुरु ग्रंथ साहिब में धर्म की अथाह श्रद्धा है। उन्होंने कहा कि इससे सिख कौम की भावनाओं को भारी ठेस पहुंची है। कांग्रेस नेता मुहम्मद मुस्तफा को माफी मांगनी चाहिए। इससे पहले मुस्तफा हिंदुओं को लेकर दिए बयान पर घिर गए थे।

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