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मृणाल पांडे ने अमेरिका में प्रवासी भारतीयों के जश्न को पेड बताकर हिन्दुओं का किया अपमान

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अयोध्या में भगवान श्री राम के भव्य मंदिर के निर्माण के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भूमि पूजन करना एजेंडा और चाटुकार पत्रकारों को नागवार गुजरा है। उन्हीं पत्रकारों में से एक मृणाल पांडे हैं, जो कांग्रेस परस्ती की वजह से कभी नहीं चाहती थी कि अयोध्या में राममंदिर का निर्माण हो। जब मंदिर निर्माण का काम विधिवत शुरू हो चुका है, तो वे अपनी कुंठा को छुपा नहीं पा रही है। अपनी भड़ास निकालने के लिए मृणाल पांडे ने एक ट्विट किया, जिसमें अमेरिका में भूमि पूजन के जश्न को पूरी तरह से पेड बताया और भारतीय समुदाय की भक्ति पर सवाल उठाया। 

मृणाल पांडे की इस ट्विट के बाद सोशल मीडिया में कोई लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। ट्विटर पर लोगों ने उनकी पत्रकारिता पर सवाल उठाते हुए कहा कि विदेशों में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोग अपनी मातृभूमि में राममंदिर निर्माण को लेकर खुश है, लेकिन भारत में रहने वाले कुछ लोगों को इससे परेशानी हो रही है।

दरअसल 05 अगस्त को अमेरिका के मशहूर टाइम्स स्क्वायर पर एक विशाल बिलबोर्ड पर भगवान राम की तस्वीर को प्रदर्शित किया गया। यहां पर जश्न मनाने के लिए लिए बड़ी संख्या में भारतीय समुदाय के लोग भी एकत्रित हुए। न्यूयॉर्क और कई अन्य राज्यों से भारतीय प्रवासी शाम को टाइम्स स्क्वायर पर एकत्रित हुए। आयोजकों ने यहां दीये जलाने, भजन गाने और मिठाइयां बांटने की व्यवस्था की थी। लोग यहां सांस्कृतिक परिधानों में सजे-धजे नजर आए। लोगों ने ‘‘जय श्री राम’’ के नारे लगा अपना उत्साह जाहिर किया। 

अयोध्या में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा भूमि पूजन समारोह को दुनिया भर में व्यापक रूप से देखा गया। भारत के साथ-साथ दुनिया की भी नजरें टिकी हुई थीं। भारत के अलावा राम मंदिर भूमि पूजन का प्रसारण ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, थाइलैंड, नेपाल सहित अन्य देशों में किया गया था। लोगों ने यूट्यूब सहित अन्य डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से भी भूमि पूजन के कार्यक्रम को देखा। सबसे ज्यादा अमेरिका और ब्रिटेन के दर्शकों ने इसे देखा। समाचर एजेंसी एएनआई के मुताबिक लगभग 1200 स्टेशनों और एसोसिएटेड प्रेस टेलीविजन न्यूज द्वारा दुनिया भर के 450 मीडिया समूहों को प्रसारण की इजाजत दी गई थी।

यह पहली बार नहीं है, जब मृणाल पांडे ने पत्रकारिता को कलंकित किया हो। मृणाल पांडे का एकमात्र मकसद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ एजेंडा चलाना है। कांग्रेस की यह पक्षकार प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ ओछी पत्रकारिता करने से बाज नहीं आती हैं। आइए आपको बताते हैं किस तरह मृणाल पांडे, आज नकारात्मक पत्रकारिता की जीती-जागती मिसाल बन चुकी हैं।

मृणाल पांडे की घटिया पत्रकारिता
मृणाल पांडे की घटिया पत्रकारिता का उदाहरण आप 17 सितंबर, 2017 को प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन के अवसर पर उनके Tweet से देख सकते हैं। कांग्रेस को खुश करने के लिए वह कितना नीचे गिर सकती हैं, आप खुद देख लीजिए-

अमेरिकी राष्ट्रपति ने जब पाकिस्तान को आतंकवादी गतिविधियों के लिए सबक सिखाने की बात कही, तो उस पर भाजपा की प्रतिक्रिया आई कि यह प्रधानमंत्री मोदी की कूटनीति का परिणाम है कि पाक को अमेरिका से इतना सख्त संदेश मिला है। इसपर मृणाल पांडे की टिप्पणी देखिए-

मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने मुस्लिम महिलाओं को अकेले हज पर जाने के अधिकार की घोषणा की, तो उन्हें यह किस तरह नागवार गुजरा आप खुद देख लीजिए-

मृणाल पांडे ओछी पत्रकारिता की आड़ में प्रधानमंत्री पर अभद्र टिप्पणी करने में ही अपनी शान समझती हैं।

कांग्रेस को खुश करने के लिए मृणाल पांडे प्रधानमंत्री मोदी के प्रति सारी सभ्यता और मर्यादाओं की सीमा तोड़ देती हैं। देखिए किस तरह से इस Tweet के जरिए उन्होंने प्रधानमंत्री पद के सम्मान को जबरदस्त ठेस पहुंचाई।

पूर्वाग्रहों से ग्रसित होकर पत्रकारिता की सभी मर्यादाओं को लांघ जाना मृणाल पांडे का व्यवहार बन गया है। ऐसी पत्रकारिता, भारत के प्रजातंत्र के लिए न केवल खतरनाक है बल्कि उसे कंलकित भी करती है।

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