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मोदी सरकार की पीएलआई योजना से उत्पादन, रोजगार सृजन और आर्थिक विकास में वृद्धि में आई तेजी

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मोदी सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम यानी पीएलआई योजनाओं के कारण देश में उत्पादन, रोजगार सृजन, आर्थिक विकास और निर्यात में तेज वृद्धि हुई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने के लिए पीएलआई योजना को अमल में लाया गया है। PLI यानी उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना मोदी सरकार की एक क्रांतिकारी पहल है। बजट में पीएलआई स्कीम से जुड़ी योजनाओं के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।

देश में पीएलआई स्कीम के लिए फिलहाल 14 क्षेत्रों का चुनाव किया गया है। आगे इसमें और क्षेत्रों को शामिल किए जाने की संभावना है। इनमें ऑटोमोबाइल, लैपटॉप, मोबाइल फोन और दूरसंचार उपकरण, व्हाइट गुड्स इंडस्ट्री, रासायनिक सेल, टेक्सटाइल, फूड प्रोडक्शन सहित आईटी हार्डवेयर जैसे क्षेत्र शामिल हैं। भारत में विदेशी कंपनियों को आमंत्रित करने के अलावा, इस योजना का उद्देश्य स्थानीय कंपनियों को मौजूदा मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों की स्थापना या विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित करना भी है।

क्या है PLI स्कीम?
देश में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और वर्क फोर्स को रोजगार से जोड़ने के लिए केंद्र सरकार ने अलग-अलग सेक्टर में पीएलआई स्कीम यानि प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम की शुरुआत की है। PLI स्कीम भारत को आत्मनिर्भर बनाएगा और इसके लिए जरूरी है कि आयात कम हो और देश में ही सामानों का उत्पादन बढ़ाया जाए। इस योजना में केंद्र अतिरिक्त उत्पादन पर प्रोत्साहन के साथ कंपनियों को भारत में बने उत्पादों को निर्यात करने की अनुमति देता है। PLI स्कीम का लक्ष्य प्रतिस्पर्धात्मक माहौल बनाने के लिए निवेशकों को प्रोत्साहित करना है।

कैसे काम करती है यह योजना
कंपनियों को हर साल उत्‍पादन का लक्ष्‍य दिया जाएता है और इसे पूरा करने पर सरकार उत्‍पादन के मूल्‍य का 4 प्रतिशत तक नकद प्रोत्‍साहन के रूप में वापस कर सकती है। इसमें भारतीय कंपनियों के अलावा विदेशी कंपनियों को भी मौका दिया जाता है, हालांकि, उन्‍हें अपनी इकाई भारत में ही लगानी पड़ेगी।

पीएलआई से बढ़ेगा रोजगार का अवसर
पीएलआई स्कीम से भारत में रोजगार पैदा करने में बड़ी सफलता हाथ लगी है। जिन सेक्टर के लिए पीएलआई योजना बनाई गई है, उन सेक्टर के वर्क फोर्स में वृद्धि हुई है। इस स्कीम का एक व्यापक असर देश की MSME सेक्टर पर होने वाला है। दरअसल, हर सेक्टर में जो सहायक यूनिट बनेंगे, उनको पूरी वैल्यू चेन में नए सप्लायर बेस की जरूरत होगी। ये जो सहायक यूनिट होंगे, ज्यादातर MSME सेक्टर में ही बनेंगी। MSME को ऐसे ही अवसरों के लिए तैयार करने का काम पहले ही शुरू किया जा चुका है। उम्मीद है कि इस योजना के तहत अगले 5 साल में 6 लाख से ज्‍यादा नौकरियां पैदा होंगी।

एफडीआई में 76 प्रतिशत की वृद्धि
उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) के अनुसार पीएलआई योजनाओं के कारण वित्त वर्ष 2021-22 में विनिर्माण क्षेत्र में एफडीआई में वित्त वर्ष 2020-21 के मुकाबले 76 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह 12.09 बिलियन डॉलर से बढ़कर 21.34 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया है। जिन क्षेत्रों के एफडीआई प्रवाह में वृद्धि देखी गई है, वे ड्रग्स और फार्मास्यूटिकल्स (+46 प्रतिशत), खाद्य प्रसंस्करण उद्योग (+26 प्रतिशत) और चिकित्सा उपकरण (+91 प्रतिशत) हैं। पीएलआई योजनाओं ने भारत की निर्यात की सूची को पारंपरिक वस्तुओं से उच्च मूल्य वर्धित उत्पादों जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स और दूरसंचार सामान, प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों आदि में बदल दिया है।

अब तक 14 क्षेत्रों में 3.65 लाख करोड़ रुपये के निवेश के साथ 733 आवेदन को मंजूरी दिए गए हैं। बल्क ड्रग्स, मेडिकल डिवाइसेज, फार्मा, टेलीकॉम, व्हाइट गुड्स, फूड प्रोसेसिंग, टेक्सटाइल्स और ड्रोन जैसे क्षेत्रों में पीएलआई लाभार्थियों में 176 एमएसएमई शामिल हैं। मार्च 2023 तक 62,500 करोड़ रुपये का निवेश हो चुका है जिससे 6.75 लाख करोड़ रुपये से अधिक का उत्पादन और बिक्री हुई है। इससे करीब 3,25,000 रोजगार सृजन हुआ है।

वित्त वर्ष 2022-23 में 8 क्षेत्रों के लिए पीएलआई योजनाओं के तहत करीब 2,900 करोड़ रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप में दिए गए हैं। ये 8 क्षेत्र इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण (एलएसईएम), आईटी हार्डवेयर, थोक दवाएं, चिकित्सा उपकरण, फार्मास्यूटिकल्स, दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पाद, खाद्य प्रसंस्करण और ड्रोन और ड्रोन हैं।

पीएलआई योजना ने प्रमुख स्मार्टफोन कंपनियों जैसे, फॉक्सकॉन, विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन को अपने आपूर्तिकर्ताओं को भारत में लाने के लिए प्रेरित किया है। इससे अब भारत में भी टॉप हाई-एंड फोन का निर्माण किया जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप बैटरी और लैपटॉप जैसे आईटी हार्डवेयर में महिलाओं के रोजगार में 20 गुना वृद्धि हुई है।

पीएलआई योजना के कारण इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में 23 प्रतिशत और स्मार्टफोन निर्माण में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो मोदी सरकार बनने के समय 2014-15 में नही के बराबर थी। वित्त वर्ष 2022-23 में 101 अरब डॉलर के कुल इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में स्मार्टफोन निर्यात के रूप में इसका हिस्सा 44 बिलियन डॉलर का है।

दूरसंचार क्षेत्र में भारत एंटीना, जीपीओएन (गीगाबिट पैसिव ऑप्टिकल नेटवर्क) और सीपीई (ग्राहक परिसर उपकरण) में लगभग आत्मनिर्भर हो गया है। ड्रोन क्षेत्र ने पीएलआई योजना के कारण टर्नओवर में 7 गुना वृद्धि देखी है। खाद्य प्रसंस्करण के लिए पीएलआई योजना के तहत भारत से कच्चे माल की सोर्सिंग में तेज वृद्धि देखी गई है। इसके साथ ही पीएलआई योजना के कारण फार्मा क्षेत्र में कच्चे माल के आयात में भारी कमी आई है।

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