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मोदी सरकार ने गरीबों को अब तक वितरित किए 40 करोड़ एलईडी बल्ब, बिजली बिल 20 हजार करोड़ कम हुआ

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए न सिर्फ हर सेक्टर के ग्रोथ पर ध्यान दिया बल्कि गरीबों के कल्याण के लिए कई योजनाएं शुरू की, जिससे न केवल अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली बल्कि गरीबों का जीवनस्तर भी बेहतर हुआ है। पीएम मोदी के विजन से गरीब परिवार के हर घर को छत, हर घर को बिजली, हर घर को नल जल मिला। इसके साथ ही हर घर शौचालय हो, हर घर स्वस्थ हो, इस पर पूरा फोकस दिया गया। इसके अलावा भी कई अन्य योजनाएं चलाई गईं जिससे गरीबों का जीवन आसान हुआ है। इन्हीं योजनाओं में एक उजाला योजना है। इस योजना के तहत गरीब व मध्यम वर्ग का बिजली बिल कम हो, इसके लिए 40 करोड़ से अधिक सस्ते LED बल्ब वितरित किए गए हैं। पीएम मोदी की इस पहल से गरीब परिवारों का हर साल का करीब 20 हजार करोड़ रुपये बिजली बिल कम हुआ है। इन्हीं योजनाओं की बदौलत देश में गरीबों की संख्या तेजी से कम हुई है। पिछले पांच साल में 13.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं।

40 करोड़ LED बल्ब से गरीबों के 20 हजार करोड़ बचे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार लोगों को सस्ता और सुलभ बिजली उपलब्ध कराने के लिए लगातार कोशिश कर रही है। नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक प्रधानमंत्री उजाला योजना के तहत अब तक देशभर में 40 करोड़ से ज्यादा LED बल्ब वितरित किए जा चुके हैं। मोदी सरकार की इस ऐतिहासिक पहल से जहां बिजली की बचत हो रही हैं वहीं लोगों की बिजली बिल में कमी आई है। इस पहल से गरीब परिवारों का हर साल का करीब 20 हजार करोड़ रुपये बिजली बिल कम हुआ है।

एक करोड़ स्ट्रीट लाइट एलईडी से जगमग
प्रधानमंत्री मोदी ने 5 जनवरी 2015 को 100 शहरों में पारंपरिक स्ट्रीट और घरेलू लाइट के स्थान पर LED लाइट लगाने के कार्यक्रम की शुरूआत की थी। इस राष्ट्रीय स्ट्रीट लाइटिंग कार्यक्रम (NSLP) का उद्देश्य 1.34 करोड़ स्ट्रीट लाइट के स्थान पर LED लाइट लगाना है। देश में 1 करोड़ ऐसे खंभे हैं, जिन पर पुरानी ट्यूबलाइट की जगह स्मार्ट LED लाइट लगाई गई हैं। अब ये खंभे हर साल लगभग 3300 करोड़ रुपये की बिजली बचा रहे हैं। अब 2.7 लाख किलोमीटर की सड़क पर इन खंभों के जरिए LED रोशनी बिखेर रहे हैं।

सभी स्टेशनों पर LED लाइटें लगाने का काम पूरा
रेलवे ने देशभर के रेलवे स्टेशनों पर LED लाइट लगाने के अपने लक्ष्य को मार्च 2018 में ही हासिल कर चुका है। इस कदम से रेलवे को हर साल बिजली बिल में 50 करोड़ रुपये की बचत हो रही है और 60,000 टन तक कार्बन डायऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आएगी।

11.5 लाख ऊर्जा दक्ष पंखों का वितरण
ईईएसएल योजना के तहत 11.5 लाख ऊर्जा दक्ष पंखों का वितरण किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप प्रतिदिन 4.45 लाख किलोवाट प्रतिघंटा बिजली बचत हो रही है। उपभोक्ताओं को भी इसका लाभ मिल रहा है। कई राज्यों में ईईएसएल के उत्पाद डाकघरों, किराना दुकानों पर उपलब्ध हैं और जल्द ही ये उत्पाद देशभर में पेट्रोल पंप पर भी उपलब्ध होंगे।

एलईडी बल्ब अन्य बल्बों की तुलना में बेहतर
एलईडी बल्ब अन्य बल्बों की तुलना में बेहतर हैं। एक सामान्य पारंपरिक बल्ब को 350-400 ल्यूमन प्रकाश के उत्सर्जन के लिए करीब 60 वॉट की क्षमता की जरूरत होती है, वहीं सीएफएल में यह क्षमता 14-16 वॉट की होती है, जो कि 450-550 ल्यूमन तक का प्रकाश देते हैं। लेकिन अगर एलईडी की बात करें तो यह महज 6 वॉट की क्षमता में 600-700 ल्यूमन तक का प्रकाश पैदा करते हैं, जो कि पारंपरिक बल्बों की तुलना में 90 फीसदी तक की बचत करते हैं। इसके अलावा एलईडी बल्बों की लाइफ भी 15 हजार से 20 हजार घंटों की होती है।

एलईडी बल्ब के इस्तेमाल के लिए दो प्रोत्साहन योजना
लोगों को एलईडी बल्ब के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित करने के मकसद से फिलहाल दो तरह की प्रोत्साहन योजना चलाई जा रही है। पहली ‘ऑनबिल ईएमआई’ जिसके तहत उपभोक्ता से दस महीनों की ईएमआई में 105 रुपये लिए जाते हैं, और यह ईएमआई उनके बिजली बिल में जुड़कर आती है। जबकि दूसरी योजना के तहत एकमुश्त 100 रुपये प्रत्येक बल्ब के चुकाकर चार बल्ब ले सकते हैं। इन बल्बों की बाजार में कीमत 300 से 350 रुपयों तक है लेकिन 7.5 करोड़ यूनिट जैसी बड़ी मात्रा में इनके निर्माण के चलते सरकार को यह बल्ब सस्ते पड़ रहे हैं।

हर साल 10000 करोड़ यूनिट बिजली की बचत होगी
ऊर्जा दक्ष उपकरणों को बढ़ावा देने के अभियान के तहत 77 करोड़ एलईडी बल्ब लगाने की योजना है, जिससे हर साल 10000 करोड़ यूनिट बिजली की बचत होगी तथा उपभोक्ताओं को बिजली के कम बिल के रूप में सालाना 40000 करोड़ रुपए तक का फायदा होगा।

बिजली बचत के साथ कार्बन डाई आक्साइड उत्सर्जन में भी कमी
उजाला योजना के अंतर्गत एलईडी बल्ब 70 रुपए में मिलने लगा है। इस पर तीन साल की वारंटी है। इसके साथ ही 20 वॉट की एलईडी ट्यूब लाइट 220 रुपए में और 50 वॉट का पंखा 1200 रुपए में उपलब्ध है। इन उत्पादों के वितरण से न केवल बिजली खपत कम हुई है, बल्कि देश में कार्बन डाई आक्साइड उत्सर्जन में भी कमी आई है।

मोदी सरकार की कई पहलों से गरीबों का जीवन आसान हुआ है। इस पर एक नजर-

1. प्रधानमंत्री आवास योजनाः हर घर छत
तीन करोड़ से ज्यादा पक्के घरों का निर्माण
पीएम आवास योजना (ग्रामीण) के तहत पिछले साल तक गरीबों के लिए करीब 3 करोड़ पक्के घरों का निर्माण पूरा हो चुका है। इसके लिए केंद्र सरकार की तरफ से 1.95 लाख करोड़ रुपये की सहायता राशि जारी की जा चुकी है। इसके साथ ही पीएम आवास योजना (शहरी) के तहत कुल 58 लाख पक्के मकानों का निर्माण किया जा चुका है। इसके लिए अब तक 1.18 लाख करोड़ रुपये की राशि जारी की जा चुकी है। ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार कोरोना संकट काल में भी प्रधानमंत्री आवास योजना में रिकॉर्ड एक लाख घरों का निर्माण किया गया। इस योजना में प्रत्येक लाभार्थी को रसोई गैस के साथ शौचालय, बिजली और पानी की सुविधा भी दी गई है।

2. सौभाग्य योजनाः हर घर बिजली
सौभाग्य योजना से 2.82 करोड़ घर हुए ‘रोशन’
सौभाग्य दुनिया की सबसे बड़ी विद्युतीकरण योजनाओं में से है। इस योजना का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 सितंबर, 2017 को किया था। इस योजना का मकसद अंतिम छोर तक बिजली कनेक्शन पहुंचाकर ग्रामीण क्षेत्रों और शहरी इलाकों में गरीब परिवारों तक बिजली पहुंचाना है। इस योजना पर कुल खर्च करीब 16,320 करोड़ रुपये बैठेगा। सरकार की प्रमुख सौभाग्य योजना से 2.82 करोड़ परिवारों को बिजली मिली है। सौभाग्य योजना शुरू होने के बाद से अब तक 2.82 करोड़ घरों का विद्युतीकरण किया गया है। मार्च, 2019 तक देश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बिजली से वंचित 2.63 करोड़ इच्छुक परिवारों को 18 माह के रिकॉर्ड समय में बिजली कनेक्शन दिया गया।

3. जल जीवन मिशनः हर घर नल जल
जल जीवन मिशन से 12 करोड़ से अधिक घरों में पहुंचा नल से जल
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त, 2019 को लाल किले के प्राचीर से जल जीवन मिशन (जेजेएम) की घोषणा की थी। इस मिशन के तहत 2024 तक हर घर में पाइप के द्वारा पानी पहुंचाने का लक्ष्य है। इस जल जीवन मिशन के तहत 12 करोड़ से अधिक ग्रामीण घरों में नल से जल पहुंचा कर नया कीर्तिमान स्थापित किया गया है। इस मिशन की घोषणा होने के वक्त देश भर में 19.27 करोड़ घरों में से केवल 3.23 करोड़ यानी सिर्फ 17 प्रतिशत घरों में ही पानी का कनेक्शन था। मोदी सरकार ने कोरोना महामारी और लॉकडाउन के बाद भी जल जीवन मिशन के तहत ज्यादातर ग्रामीण घरों तक नल से जल उपलब्ध करा दिया है। इससे आज देश के 12 करोड़ से अधिक घरों को नल से साफ पानी की आपूर्ति का लाभ मिल रहा है।

4. स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण)
अब तक 11.68 करोड़ से अधिक घरेलू शौचालयों का निर्माण, गरीब महिलाओं को खुले में शौच से मिली मुक्ति
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) ने स्वच्छता के लिए एक जन आंदोलन का रूप लेकर ग्रामीण भारत की तस्‍वीर बदल दी है। इसने 2 अक्टूबर, 2019 को देश के सभी गांवों, जिलों और राज्यों द्वारा खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषणा की ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की, जिससे ग्रामीण भारत खुले में शौच की समस्‍या से पूरी तरह से मुक्‍त हो चुका है। 2 अक्टूबर, 2014 को एसबीएम (जी) की शुरुआत के समय ग्रामीण स्वच्छता कवरेज 38.7 प्रतिशत था, जो बढ़कर अब सौ प्रतिशत हो चुका है। 2 अक्टूबर, 2014 से अब तक 11.68 करोड़ से अधिक घरेलू शौचालयों का निर्माण किया गया है। खुले में शौच मुक्त गांवों की संख्या बढ़कर 6.03 लाख और जिलों की संख्या बढ़कर 706 हो गई है। खुले में शौच मुक्त राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या 35 है। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के आर्थिक प्रभाव का पहली बार विश्लेषण अक्टूबर 2020 के साइंस डायरेक्ट जर्नल में एक शोध प्रकाशित हुआ। शोध के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र के प्रत्येक भारतीय परिवार को सालाना 53 हजार रुपये तक का फायदा हुआ। इसके चलते डायरिया से बीमार पड़ने की घटनाएं कम हुईं और शौच के लिए घर से बाहर जाने में लगने वाले समय की बचत हुई।

5. आयुष्मान भारतः हर घर स्वस्थ
आयुष्मान भारत के तहत 5.63 करोड़ लोगों का इलाज, गरीबों के लिए बनी वरदान
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार चिकित्सा क्षेत्र में व्यापक सुधार करते हुए दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना ‘आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन-आरोग्य योजना’ (पीएमजेएवाई) की शुरुआत की। आयुष्मान भारत योजना गरीब-वंचितों के लिए वरदान साबित हो रही है। 23 सितंबर 2018 को लॉन्च किए गए आयुष्मान भारत पीएम-जय ने स्वास्थ्य और समृद्धि की नई गाथा लिखी है। इस योजना के 5.63 करोड़ लाभार्थी को मुफ्त इलाज मिला जिस पर सरकार द्वारा 69,000 करोड़ रुपये खर्च किया गया। जबकि 27 सितंबर 2021 को लॉन्च की गई एबीडीएम मोदी सरकार की एक बहुत ही महत्वाकांक्षी योजना है। पिछले 2 वर्षों में 45 करोड़ से अधिक आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाते (एबीएचए) बनाए गए हैं। इसके अलावा, 30 करोड़ से अधिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड इन एबीएचए खातों से जुड़े हुए हैं। योजना का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा वितरण को मजबूत करने के लिए डिजिटल टेक्नोलॉजी का लाभ उठाना है। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन-आरोग्य योजना’ के तहत 13 सितंबर, 2023 तक 24.81 करोड़ से अधिक आयुष्मान कार्ड दिए जा चुके हैं। देश में अब तक 5.63 करोड़ से अधिक लोग इस योजना का लाभ उठा चुके हैं। योजना के 49 प्रतिशत कार्ड महिलाओं के नाम जारी किए गए हैं और इस योजना का लाभ उठाने वालों में 48 प्रतिशत महिलाएं हैं। इस योजना में मरीजों को 27 विभिन्न विशेषताओं के तहत कुल 1,949 तरह के उपचार उपलब्ध हैं, जिनमें कैंसर, आपातकालीन देखभाल, आर्थोपेडिक और गुर्दे से संबंधित बीमारियां शामिल हैं।

6. जन औषधि केंद्र
जन औषधि केंद्र से गरीबों के 1 लाख करोड़ रुपये बचे
गरीबों को सस्ती और सुलभ दवाएं सुनिश्चित करना इस सरकार की प्राथमिकता में रही है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (2017) के तहत खोले गए प्रधानमंत्री जन-औषधि केंद्र के माध्यम से मामूली कीमतों पर जेनेरिक दवाइयां उपलब्ध हो रही हैं। जन औषधि स्टोर से गरीबों के लिए सस्ती दवाओं के साथ उन्हें मुफ्त जांच करवाने की सुविधा भी दी जा रही है। पिछले नौ सालों में 9 हजार जन औषधि केंद्र खोले जा चुके हैं। जन औषधि की बिक्री में 100 गुना बढ़ोतरी हुई है और इससे गरीब परिवारों के 20 हजार करोड़ रुपये बचे हैं। 2014-15 से लेकर अब तक इन सस्ती दवाइयों की बिक्री का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। पिछले नौ सालों में आयुष्मान भारत और जन औषधि से गरीब परिवार 1 लाख करोड़ रुपये की बचत करने में सफल हुए हैं। आज इस योजना के अन्तर्गत देश में 9000 से अधिक केंद्र शुरू किए जा चुके हैं। जो जनता को सस्ती व अच्छी दवाई उपलब्ध करवा रहे हैं। केंद्रों पर 2039 दवाइयां व सर्जिकल उपकरण उपलब्ध हैं।

कोरोना काल में 80 करोड़ देशवासियों को मुफ्त राशन
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने कोरोना काल में 80 करोड़ से अधिक देशवासियों को मुफ्त राशन की व्यवस्था करके दुनिया के सामने एक उदाहरण पेश किया है। मोदी सरकार ने अप्रैल 2020 में प्रधानमंत्री गरीब कल्‍याण अन्‍न योजना की शुरुआत की थी। 28 सितंबर, 2022 को सातवीं बार अक्टूबर से दिसंबर 2022 तक विस्तार दिया गया। इस चरण के विस्तार के लिए 44,762 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। इससे 122 लाख मीट्रिक टन अनाज वितरित किया जाएगा। इस योजना का लाभ देश के 80 करोड़ लोगों को मिलता है और यह तीन महीने आगे जारी रहेगा। पहले छह चरण में इस योजना पर 3.45 लाख करोड़ सब्सिडी के तौर पर खर्च हो चुका है। सातवें विस्तार के साथ यह 3.91 लाख करोड़ होगा। इस योजना के अंतर्गत 80 करोड़ देशवासियों को प्रति माह पांच किलो अनाज मुफ्त देने का काम प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में किया गया। इसके साथ ही वन नेशन- वन राशन कार्ड के कारण लगभग 65 करोड़ पोर्टेबिलिटी ट्रांसेक्शन से लोगों ने अपने अन्न को अपने घर की जगह कहीं और से लिया है।

जन धन योजना से 47.57 करोड़ से ज्यादा गरीबों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ा गया
प्रधानमंत्री मोदी ने 28 अगस्त, 2014 को गरीबों को बैंकों से जोड़ने के लिए जन धन योजना की शुरुआत की। जनधन खातों की संख्या और इसमे जमा पैसों का एक नया रिकॉर्ड बन चुका है। प्रधानमंत्री जनधन योजना (PMJDY) के तहत खोले गए बैंक खातों की संख्या 50 करोड़ से पार पहुंच गई है। पीएमजेडीवाई खातों की संख्या मार्च 2015 के 14.72 करोड़ से तीन गुना (3.4) बढ़कर 16 अगस्त 2023 तक 50.09 करोड़ हो गई है। 09 अगस्त 2023 तक जन धन खातों की कुल संख्या 50.09 करोड़ से अधिक हो गई है। मार्च 2015 के बाद खातों की संख्‍या में 3.34 गुना वृद्धि के साथ जमा राशि लगभग 13 गुना बढ़ गई है। इन खातों में जमा राशि 2.03 लाख करोड़ रुपये से अधिक है और लगभग 34 करोड़ रुपे कार्ड जारी किए गए हैं। पीएमजेडीवाई खातों में औसत बैलेंस 4,063 रुपये हैं। साथ ही 6.26 करोड़ से अधिक जनधन खातों को डीबीटी का लाभ मिल रहा है। इसके साथ ही 8.50 लाख से अधिक बैंक मित्र देश भर में बिना बैंक शाखाओं के लोगों को बैंक की सुविधा उपलब्ध करा रहे हैं।

वृद्धों, विधवाओं और दिव्‍यांगजनों की मदद
कोरोना काल में मोदी सरकार ने वृद्धों, विधवाओं और दिव्यांगों का पूरा ख्याल रखा। राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (एनएसएपी) के तहत लगभग 3 करोड़ वृद्धों, विधवाओं और दिव्यांगों कोरोना महामारी की वजह से उत्‍पन्‍न हुई आर्थिक समस्या से छुटाकार दिलाने के लिए सरकार ने तीन महीनों के लिए उन्हें 1,000 रुपये देने की घोषणा की। करीब 1,405 करोड़ रुपये वितरित किए गए। प्रत्येक लाभार्थी को इस योजना के तहत पहली किस्त के रूप में 500 रुपये दिए गए। सभी 2.812 करोड़ लाभार्थियों को वित्तीय मदद ट्रांसफर की गई।

मुद्रा योजना से 37.76 करोड़ लोगों को मिला लोन, बदली हुनरमंद की जिंदगी
कई लोगों के पास हुनर तो है, लेकिन पूंजी की कमी की वजह से अपने हुनर का सही इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। ऐसे लोगों को प्रोत्साहन देने और उनके हाथों को काम देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने 8 अप्रैल, 2015 में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की शुरूआत की थी। पिछले सात वर्षों में 2 दिसंबर, 2022 तक 37.76 करोड़ से अधिक लोगों को मुद्रा लोन दिया जा चुका है। मुद्रा योजना में दिए गए 88 प्रतिशत ऋण ‘शिशु’ श्रेणी के हैं। अब तक करीब 22 प्रतिशत लोन नए उद्यमियों और 68 प्रतिशत ऋण महिला उद्यमियों को दिये गए हैं। मुद्रा योजना के तहत लगभग 51 प्रतिशत ऋण अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों को दिये गए हैं। इसके साथ ही करीब 11 प्रतिशत लोन अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को दिए गए हैं।

उज्ज्वला से धुएं से मुक्ति, 1.5 लाख लोगों की बची जान
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनता के कल्याण के लिए सैकड़ों योजनाएं शुरू की हैं, जो आज गरीबों और महिलाओं के जीवन में एक बड़ा बदलाव लाने में अहम भूमिका निभा रही हैं। उन योजनाओं में से एक प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना ने बड़ी कामयाबी हासिल की है। मोदी सरकार की इस योजना के चलते एलपीजी गैस के इस्तेमाल से 2019 में प्रदूषण से होने वाली मौतों में से 1.5 लाख लोगों की जान बचाई जा चुकी है। इसके चलते घरेलू वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों में लगभग 13 प्रतिशत की कमी आई। इतना ही नहीं उज्ज्वला योजना एयर क्वालिटी में सुधार और वायु प्रदूषण को कम करने में सफल रही है। इसका खुलासा एक रिसर्च से हुआ है। इस योजना के तहत कुल 9.49 करोड़ गरीब परिवारों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन दिए जा चुके हैं। उज्ज्वला योजना ने ग्रामीण और गरीब महिलाओं के जीवन के प्रति नजरिये को सकारात्मक रूप से बदलने का काम किया है।

गरीब आदिवासी बच्चों के लिए एकलव्य विद्यालय
केंद्र में एनडीए सरकार बनने से पहले देश में महज 110 ईएमआरएस चल रहे थे, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनजातीय शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने 15 नवंबर, 2021 को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के अवसर पर भोपाल से वर्चुअल तरीके से 50 स्कूलों की नींव रखी। इसके बाद एकलव्य विद्यालयों के निर्माण कार्य में बड़ी तेजी आई है। ये स्कूल 7 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश के 26 जिलों में स्थापित किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इन स्कूलों की अहमियत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पूरे भारत में 740 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि 50 प्रतिशत से अधिक एसटी आबादी और कम से कम 20,000 आदिवासी लोगों वाले प्रत्येक ब्लॉक में ऐसे स्कूल होंगे। ये स्कूल देश के पहाड़ी और वन क्षेत्रों में स्थित हैं और देश के सुदूर इलाकों में रहने वाले गरीब आदिवासियों के बच्चों को इससे लाभ मिलेगा।

सुरक्षा बीमा योजना से गरीबों का सुरक्षित भविष्य
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने सबका साथ-सबका विकास और सबका प्रयास के मंत्र पर चलते हुए देश की तस्वीर बदल दी है। उनकी जनकल्याणकारी योजनाओं ने देश के गांव-गरीब और आम लोगों के जीवन की तस्वीर बदल दी। समाज के अंतिम व्यक्ति को भी जन सुरक्षा की सुविधा प्रदान करने वाली मोदी सरकार की प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई), प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) और अटल पेंशन योजना (एपीवाई) के 9 मई, 2022 को 7 साल पूरे हो गए। प्रधानमंत्री मोदी ने 9 मई, 2015 को कोलकाता में इन तीनों योजनाओं को लॉन्च किया था।

अटल पेंशन योजना के सदस्यों की संख्या हुई 5.25 करोड़ पार
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार की योजनाओं ने आम लोगों के जीवन की तस्वीर बदल दी है। मोदी सरकार की अटल पेंशन योजना (APY) ने 8 साल पूरे कर लिए हैं। अटल पेंशन योजना की कामयाबी को आप इसी से जान सकते हैं कि अब तक इसके 5.25 करोड़ से अधिक खाते हो गए हैं। यानी अटल पेंशन योजना के तहत कुल नामांकन ने 5.25 करोड़ के आंकड़े को पार कर लिया है। एपीवाई के शुभारंभ से ही इसमें नामांकन निरंतर बढ़ता जा रहा है। वित्त वर्ष 2021-22 की तुलना में वित्त वर्ष 2022-23 में नए नामांकन में 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि वित्त वर्ष 2020-21 की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 में नए नामांकन में 25 प्रतिशथ की वृद्धि दर्ज की गई थी। अब तक एपीवाई में प्रबंधन के तहत कुल परिसंपत्ति (AUM) 28,434 करोड़ रुपये से भी अधिक आंकी गई है और इस योजना ने अपने शुभारंभ से लेकर अब तक 8.92 प्रतिशत का निवेश रिटर्न अर्जित किया है।

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