Home समाचार मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार का एक और रास्ता बंद किया, संसद में...

मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार का एक और रास्ता बंद किया, संसद में सहकारी समिति (संशोधन) विधेयक पारित

SHARE

देश में 2014 से पहले तक छोटी इकाई से लेकर बड़े लेवल तक भ्रष्टाचार के बिना काम नहीं होता था। रिश्वत के साथ ही घोटाला और काला धन का बोलबाला रहा। लेकिन 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता संभालने के बाद इस पर लगाम लगनी शुरू हो गई। पीएम मोदी ने सत्ता संभालते ही भ्रष्टाचार पर नकेल कसनी शुरू कर दी। भ्रष्टाचार रोकने वाली संस्थाओं को मजबूत करना शुरू कर दिया। आजादी के बाद कांग्रेस शासनकाल में भ्रष्टाचार ने देश को दीमक की तरह खोखला कर दिया। लेकिन पीएम मोदी के विजन से आज यह हालत बदल गई है। प्रिवेंशन ऑफ मनी लाउंडरिंग एक्ट के तहत 2005 से 2014 के बीच कांग्रेस की सरकार ने 5 हजार करोड़ रुपये के आसपास की संपत्ति जब्त की थी। इसी एक्ट के तहत पिछले 9 वर्षों में भाजपा सरकार ने एक लाख 10 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति जब्त की है। इस एक्ट में पहले के मुकाबले दोगुने से ज्यादा केस दर्ज हुए हैं और 15 गुना ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इसी तरह देश में सहकारी समितियों में भ्रष्टाचार और घोटालों को बोलबाला रहा है। अब इस पर लगाम लगाने के लिए मोदी सरकार ने संसद में बहु-राज्य सहकारी सोसायटी (संशोधन) विधेयक, 2022 पेश किया और यह पारित हो गया है। इस तरह मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार का एक और रास्ता बंद कर दिया है। इस विधेयक के इस सदन से पारित होने से देश के सहकारी आंदोलन में एक नए युग की शुरुआत होगी।

सहकारी सोसायटी (संशोधन) विधेयक पारित, भ्रष्टाचार पर लगेगा लगाम
संसद में विपक्ष के हंगामे के बीच एक घटनाक्रम पर किसी का ध्यान नहीं गया। मोदी सरकार ने हंगामे के बावजूद लोकसभा में बहु-राज्य सहकारी सोसायटी (संशोधन) विधेयक, 2022 पारित करा लिया है। मूल अधिनियम के अनुसार, यदि केंद्र सरकार के पास न्यूनतम 51 प्रतिशत स्वामित्व है, तो केंद्र सरकार को नामित बहु-राज्य सहकारी समितियों का प्रबंधन संभालने का अधिकार है। नए विधेयक में इस प्रावधान में संशोधन किया गया है और इसमें यह जोड़ा गया है कि केंद्र सरकार किसी भी बहु-राज्य सहकारी समिति के बोर्डों को हटा सकती है, जहां केंद्र सरकार की कोई शेयरधारिता है या उसने कोई लोन, वित्तीय सहायता या गारंटी दी है। यह संशोधन भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए किया गया है।

सहकारी समितियां बन गई थीं फर्जी लोन व मनी लॉन्ड्रिंग माध्यम
ऐसी सहकारी समितियां हमेशा स्थानीय राजनेताओं विशेष रूप से कांग्रेस, डीएमके, टीएमसी आदि के हाथों का मोहरा रही हैं और फर्जी लोन और लाभार्थियों के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग के लिए उपयोग की जाती रही हैं। अभी केंद्र सरकार भ्रष्टाचार के मामलों में इन सहकारी समितियां पर नकेल कसने में नाकाम थी। अब प्रावधान में संशोधन से भ्रष्टाचार होने पर बोर्ड में बदलाव किया जा सकेगा और घोटालों पर रोक लगाई जा सकेगी। अब केंद्र सरकार बिना 51 प्रतिशत हिस्सेदारी के भी किसी भी कदाचार के मामले में कभी भी कदम उठा सकती है।

सहकारी समितियां बनेंगी पारदर्शी और जवाबदेह
लोकसभा में पारित बहु-राज्‍य सहकारी समिति संशोधन विधेयक 2022 का उद्देश्य बहु-राज्य सहकारी समितियों के कामकाज को बेहतर, ज्‍यादा पारदर्शी और जवाबदेह बनाना तथा उनकी चुनाव प्रक्रिया में सुधार लाना है। इसके साथ ही पारदर्शिता, जवाबदेही और लाभ बढ़ाना इसका उद्देश्य है। इस विधेयक में निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव सुधारों को लागू करने के लिए चुनाव प्राधिकरण का प्रावधान किया गया है और प्राधिकरण चुनाव आयोग जितना ही शक्तिशाली होगा और इसमें कोई सरकारी हस्तक्षेप नहीं होगा। इसके अलावा, यदि बोर्ड में एक तिहाई रिक्तियां हो जाती हैं, तो रिक्त पदों के लिए फिर से चुनाव कराने का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही बोर्ड बैठकों में अनुशासन और सहकारी समितियों के सुचारू संचालन के भी प्रावधान है। अध्यक्ष, समितियों के उपाध्यक्ष और सदस्यों को तीन माह में बोर्ड बैठक बुलानी होगी। सहकारी समिति के संचालन में पारदर्शिता लाने के लिए इक्विटी शेयरधारकों को बहुमत देने का प्रावधान किया गया है।

अब समितियों में महिलाओं व एससी-एसटी को मिलेगा प्रतिनिधित्व
इस विधेयक में समितियों में एक अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति और एक महिला को आरक्षण दिया गया है जिससे समितियों में इन वर्गों का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा। विभिन्न संवैधानिक आवश्यकताओं का अनुपालन न करने पर बोर्ड के सदस्यों को अयोग्य ठहराया जा सकता है। कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया में किसी को भी खून के रिश्ते या दूर के रिश्ते में नौकरी नहीं दी जाएगी यानि परिवारवाद पर लगाम लगेगी। इस विधेयक में सूचना का अधिकार भी शामिल किया गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सहकारिता क्षेत्र में कई अभूतपूर्व काम किए गए हैं। इस पर एक नजर-

75 वर्षों में सहकारिता क्षेत्र को उचित महत्व नहीं मिला
संसद में विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि पिछले 75 वर्षों में सहकारिता क्षेत्र को उचित महत्व नहीं मिला। उन्होंने अलग से सहकारिता मंत्रालय बनाने के लिए प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि आने वाले 25 वर्षों में सहकारिता आंदोलन नई ऊंचाइयों को छुएगा और देश के विकास में बड़ा योगदान देगा। अमित शाह ने अमूल सहकारी समिति का उदाहरण देते हुए कहा कि सहकारिता के क्षेत्र में लाखों की संख्या में रोजगार के अवसर उपलब्‍ध होते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने सहकारिता के क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए कई तरह की पहल की है।

पीएम मोदी ने अलग सहकारिता मंत्रालय बनाया
देश में सहकारी समितियों को मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कई काम किए गए हैं जिसमें सहकारिता मंत्रालय का गठन सबसे महत्वपूर्ण है। आजादी के बाद से ही देश में सहकारी क्षेत्र से जुड़े सभी लोग चाहते थे कि केंद्र सरकार द्वारा सहकारी समितियों को महत्व दिया जाए और एक अलग सहकारिता मंत्रालय बनाया जाए। प्रधानमंत्री मोदी ने दशकों पुरानी इस मांग को पूरा करते हुए अलग से सहकारिता मंत्रालय का गठन किया।

भारत में सहकारी आंदोलन लगभग 115 वर्ष पुराना
भारत में सहकारी आंदोलन लगभग 115 वर्ष पुराना है और इस आंदोलन ने देश को अमूल, कृभको, इफको जैसे कई महत्वपूर्ण उद्यम दिए हैं, जो आज लाखों लोगों के लिए रोजगार का स्रोत हैं। पिछले 75 वर्षों में सहकारिता पर कोई ध्यान नहीं दिया गया और न ही देश की संसद, राष्ट्रीय या राज्य स्तर पर इस पर कोई मंथन हुआ। अमित शाह ने कहा कि सहकारिता मंत्रालय के गठन के बाद अगले 25 वर्षों में सहकारी क्षेत्र एक बार फिर देश के विकास में मजबूती से योगदान देगा।

देशभर के 63,000 पैक्सों का कम्प्यूटरीकरण
पीएम मोदी के नेतृत्व में पिछले दो वर्षों में देश के सहकारिता क्षेत्र में कई बड़े बदलाव आए हैं। केंद्र सरकार ने पैक्स को पुनर्जीवित करने, उन्हें व्यवहार्य और बहुआयामी बनाने के लिए कई प्रयास किए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने 2500 करोड़ रुपये की लागत से देशभर के 63,000 पैक्सों के कम्प्यूटरीकरण का काम किया है। इससे पैक्स का जिला सहकारी बैंकों, राज्य सहकारी बैंकों और नाबार्ड के साथ जुड़ाव सुनिश्चित होगा।

1100 पैक्स एफपीओ के रूप में पंजीकृत
कंप्यूटरीकरण के बाद पैक्स की ऑडिट प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन हो जायेगी और वे कई तरह के व्यवसाय कर सकेंगे। मोदी सरकार ने पैक्स के लिए मॉडल उपनियम बनाकर बंगाल और केरल को छोड़कर सभी राज्यों को भेजा। सभी राज्यों ने उन्हें स्वीकार कर लिया है और आज पूरे देश में पैक्स एक समान कानून के तहत चल रहे हैं। अब पैक्स एफपीओ का काम भी कर सकेंगे और 1100 पैक्स पहले ही एफपीओ के रूप में पंजीकृत हो चुके हैं।

पैक्सों को भंडारण प्रणाली से जोड़ा गया
पीएम मोदी ने देश के करोड़ों लोगों को गैस सिलेंडर दिए हैं और अब पैक्स एलपीजी वितरण का काम भी कर सकेंगी। इसी प्रकार श्री मोदी देश के करोड़ों लोगों को मुफ्त अनाज दे रहे हैं और अब पैक्स भी रिटेल आउटलेट के रूप में कार्य कर सकेंगे। अब पैक्स जन औषधि केंद्र भी चला सकेंगी और जल समिति के रूप में कार्य कर जल वितरण का कार्य भी कर सकेंगी। पीएम मोदी ने पैक्सों को भंडारण प्रणाली से जोड़ा है और अब वे भंडारण का काम भी करेंगे।

सहकारी समितियों के साथ वर्षों से हो रहे अन्याय को समाप्त किया
पीएम मोदी ने बजट में सहकारी समितियों के साथ वर्षों से हो रहे अन्याय को समाप्त कर दिया है और सहकारी एवं कॉर्पोरेट करों को एक समान स्तर पर ला दिया है। महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश के किसान अपना गन्ना सहकारी चीनी मिलों को बेचते हैं। पर इस पर 30 प्रतिशत आयकर लगा दिया गया। पीएम मोदी ने किसानों के मुनाफे पर लगने वाले टैक्स को पूरी तरह खत्म कर दिया है और इतना ही नहीं पहले चुकाये गये टैक्स को भी वापस करने का प्रावधान किया है।

3 नई मल्टी-स्टेट सोसायटी बनाने का फैसला
मोदी सरकार ने सहकारी समितियों को मजबूत करने के लिए 3 नई मल्टी-स्टेट सोसायटी बनाने का फैसला किया है। पहली सोसायटी किसानों की उपज को निर्यात करने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगी। दूसरी सोसायटी छोटे किसानों को बीज उत्पादन से जोड़ेगी और इसके जरिए एक एकड़ जमीन वाले किसान भी बीज उत्पादन से जुड़ सकेंगे। तीसरी सोसायटी किसानों के जैविक उत्पादों की देश-दुनिया में मार्केटिंग कर उन्हें उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाएगी।

सहकारी विश्वविद्यालय स्थापित करने का निर्णय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आने वाले दिनों में सहकारी शिक्षा के लिए एक सहकारी विश्वविद्यालय स्थापित करने का भी निर्णय लिया है। पीएम मोदी द्वारा शीघ्र ही राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस का भी शुभारम्भ किया जाएगा।

पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद भ्रष्टाचार पर हर स्तर पर लगाम लगाया गया है। इससे समाज में बदलाव भी आया है। इस पर एक नजर-

मोदी काल में हुई सफेदपोश भ्रष्टाचारियों की गिरफ्तारी
वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभालते ही भ्रष्टाचार पर नकेल कसनी शुरू कर दी। भ्रष्टाचार रोकने वाली संस्थाओं को मजबूत करना शुरू कर दिया। सरकार में भी सभी मंत्रियों एवं अफसरों को हिदायत दी गई कि भ्रष्टाचार कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पीएम मोदी की इस पहल का असर भी दिख रहा है। 2014 के बाद किसी घोटाला या भ्रष्टाचार की बात सामने नहीं आई है। इसके साथ ही उन्होंने अफसरों को यह भी कहा कि भ्रष्टाचार करने वाला चाहे कितना ही बड़ा आदमी हो, उसके खिलाफ कार्रवाई करनी है। इसके बाद ED ने लोगों को गिरफ्तार करना शुरू किया। चिदंबरम, कार्ति चिदंबरम, चंदा कोचर और इस कड़ी में अनगिनत नाम जुड़ते गए। मोदी अप्रत्याशित हैं। किसी ने यह नहीं सोचा था कि सरकार भ्रष्टाचारियों पर इस तरह की कार्रवाई करेगी क्योंकि भारत में भ्रष्टाचार सामान्य बात हो गई थी। लेकिन जब सफेदपोश भ्रष्टाचारियों की गिरफ्तारी शुरू हुई तो छोटे स्तर पर भ्रष्टाचार करने वाले डर गए। आम जनमानस में भी यह संदेश गया कि अब वे बिना रिश्वत दिए अपना काम करवा सकते हैं।

केंद्र सरकार परिवारतंत्र की बेड़ियों से मुक्त हुई तो सुखद परिणाम आए
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि जब सबका साथ-सबका विकास की भावना से काम होता है, तो सच्चे अर्थों में लोकतंत्र मजबूत होता है, तब वंचितों-शोषितों-पीड़ितों को वरीयता मिलती है। यही संविधान की सच्ची भावना है। जब 2014 में केंद्र सरकार परिवारतंत्र की बेड़ियों से मुक्त हुई, तो क्या परिणाम आय़ा, ये पूरा देश देख रहा है। बीते 9 वर्षों में देश की 11 करोड़ माताओं-बहनों बेटियों को टॉयलेट की सुविधा मिली है। बीते 9 वर्षों में देश में 9 करोड़ से अधिक बहनों-बेटियों को उज्जवला का मुफ्त गैस कनेक्शन मिला है। ये वो वंचित वर्ग है, जिसको पहली बार वरीयता मिली है, प्राथमिकता मिली है।

भ्रष्टाचार में लिप्त चेहरे सब एक साथ एक मंच पर आ रहे हैं
पीएम मोदी ने कहा कि पिछले 9 साल में भाजपा सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जो अभियान चलाया, उसने आज भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों, दोनों की जड़ें हिला दी हैं। ये इस बात का प्रमाण है कि जब भाजपा आती है, तो भ्रष्टाचार भागता है। भ्रष्टाचारियों के खिलाफ अभियान को और तेज करने का ऐलान करते हुए उन्होंने कहा कि आज कुछ दलों ने मिलकर भ्रष्टाचारी बचाओ अभियान छेड़ा हुआ है। भ्रष्टाचार में लिप्त जितने भी चेहरे हैं, वो सब एक साथ एक मंच पर आ रहे हैं। भ्रष्टाचार ने हमारे देश को दीमक की तरह खोखला कर दिया है। देश की जनता आज देख रही है कि पहले की सरकारों ने किस तरह भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर केवल खानापूर्ति की जाती थी। लेकिन अब ऐसे भ्रष्टाचारियों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया जा रहा है।

आज हर देशवासी समझता है- भ्रष्टाचार रुकेगा, तभी देश आगे बढ़ेगा
पीएम मोदी मार्च 2023 को दिल्‍ली में भाजपा के केंद्रीय कार्यालय के विस्‍तार के शिलान्‍यास कार्यक्रम में कहा कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लाउंडरिंग एक्ट के तहत 2005 से 2014 के बीच कांग्रेस की सरकार ने 5 हजार करोड़ रुपये के आसपास की संपत्ति जब्त की थी। इसी एक्ट के तहत पिछले 9 वर्षों में भाजपा सरकार ने एक लाख 10 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति जब्त की है। इस एक्ट में पहले के मुकाबले दोगुने से ज्यादा केस दर्ज हुए हैं और 15 गुना ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने कांग्रेस शासन के दौरान बैंकों को जमकर लूटा था। बैंकों का करीब 22 हजार करोड़ रुपये का नुकसान करके ये लोग विदेश भाग गए। भाजपा सरकार ने इन लोगों की करीब-करीब 20 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त करवा दी है। आजादी के 7 दशकों में पहली बार भ्रष्टाचार पर इस तरह की चोट हो रही है। आज हर देशवासी समझता है- भ्रष्टाचार रुकेगा, तभी देश आगे बढ़ेगा।

पीएम मोदी ने कहा था -‘70 सालों में जितना भी देश को लूटा है मैं सबका पता लगाकर रहूंगा।’ पीएम मोदी भ्रष्टाचार पर लगाम कसने इसकी जांच के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ED) को निर्देश दिया और उसने तत्परता से काम शुरू किया। ईडी मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों की जांच करता है। मनी लॉन्ड्रिंग का मतलब काले धन को सफेद धन में बदलना है। पिछले कुछ वर्षों में ED ने कई महत्वपूर्ण मामलों में कार्रवाई की और मामलों का पर्दाफाश किया गया है। इस पर एक नजर-

मामले का नाम – आरोपी
आईएनएक्स मीडिया मामला – कार्ति और पी चिदंबरम
महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक मामला – शरद पवार और अजीत पवार
मनी लॉन्ड्रिंग केस – डीके शिवकुमार
जम्मू-कश्मीर क्रिकेट संघ मामला – फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती
नेशनल हेराल्ड केस – सोनिया गांधी, राहुल गांधी
वीवीआईपी हेलिकॉप्टर घोटाला – रतुल पुरी (कमलनाथ परिजन)
पंचकूला भूमि आवंटन मामला – भूपेंद्र हुड्डा
आय से अधिक संपत्ति – आनंद कुमार (मायावती परिजन)
अवैध खनन मामला – अखिलेश यादव
जमीन सौदे का मामला – रॉबर्ट वाड्रा
एयरसेल मैक्सिस डील – राजा, कनिमोझी, दयानिधि मारन
मनी लॉन्ड्रिंग – संजय राउत
स्टर्लिंग बायोटेक मामला – अहमद पटेल के बेटे
भूमि घोटाला – जगन रेड्डी
एम्बुलेंस मामला – अशोक गहलोत
शारदा चिट फंड – ममता बनर्जी
मनी लॉन्ड्रिंग – सतेंद्र जैन
दिल्ली शराब घोटाला – मनीष सिसोदिया

व्यवसायी – चंदा कोचर (ICICI), वेणुगोपाल धूत (वीडियोकॉन), मलविंदर सिंह (रेलिगेयर), संजय चंद्र (यूनिटेक), नीरव मोदी, विजय माल्या, मेहुल चौकसे, एमनेस्टी इंटरनेशनल के साथ ही कई अन्य मामले हैं। अब आप समझ सकते हैं कि विपक्ष और वामपंथी इकोसिस्टम एक आदमी के पीछे क्यों पड़ा है। क्योंकि उनकी दाल नहीं गल रही है और उनकी दुकान पर ताला लगने वाला है।

विपक्ष कितना भी जोर लगा ले, 2024 में आएगा तो मोदी ही!
विपक्षी दलों ने भारत (I.N.D.I.A) के नाम में भी डॉट डालकर दरार पैदा कर दिया है। यह उसी सत्तालोलुप और नकारात्मक सोच को दर्शाता है जब विपक्ष के एक नेता विदेशी ताकतों से लोकतंत्र की दुहाई देकर मदद की गुहार लगाते हैं। जबकि दूसरी तरफ देश के प्रधानमंत्री विश्व मंच पर जाकर बताते हैं कि भारत मदर ऑफ डेमोक्रेसी है और दुनिया को भारत से लोकतंत्र सीखने की वकालत करते हैं और भारतीयों में गौरव का बोध भरते हैं। पीएम मोदी के खिलाफ विपक्षी चाहे कितनी ही अंतर्राष्ट्रीय साजिशें रच लें लेकिन देशवासियों ने उन्हें दिल में बसा लिया है। अब तो जनता ने ही कह दिया है कि 2024 में आएगा तो मोदी ही!

 

 

 

Leave a Reply Cancel reply