पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हार के डर से अपना मानसिक संतुलन खोती जा रही है। वो चुनाव कराने के लिए बंगाल पहुंचे केंद्रीय सुरक्षा बलों को अपमानित करने और उन्हें भड़काने का कोई मौका नहीं चूक रही है। ममता बनर्जी ने नदिया जिले में सुरक्षा बलों को विद्रोह के लिए भड़काने की कोशिश की। इसके खिलाफ बीजेपी ने चुनाव आयोग से शिकायत की है।
बीजेपी ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी को दी गई शिकायत में आरोप लगाया कि ममता का बयान चुनाव आयोग की शक्तियों पर आक्षेप लगाने और विद्रोह भड़काने के समान है। क्योंकि चुनाव ड्यूटी के दौरान सीएपीएफ कर्मी आयोग की निगरानी में काम करते हैं और उनके आला अधिकारी जमीन पर काम करते हैं। चुनाव लड़ रही किसी भी पार्टी के पास बलों की तैनाती का कोई अधिकार नहीं होता है। सुरक्षा बल चुनाव आयोग के दिशा निर्देश के तहत काम कर रहे है।
गौरतलब है कि ममता बनर्जी केंद्रीय बलों के खिलाफ लगातार हमलावर हैं। इससे पहले उन्होंने एक सार्वजनिक रैली में मतदान में बाधा देने पर सीआरपीएफ का घेराव करने के लिए भी लोगों से कहा था। इसके दो दिन बाद ही कूचबिहार जिले के शीतलकूची में बीते 10 अप्रैल को ग्रामीणों ने मतदान के दौरान सीआइएसफ जवानों को घेर कर हमला कर दिया था। इसके बाद आत्मरक्षा में सीआइएसएफ द्वारा चलाई गई गोली से चार लोगों की मौत हो गई थी।
3 अप्रैल, 2021 को हुगली में दिया गया ममता बनर्जी का एक भड़काऊ भाषण बिहार के एक पुलिसकर्मी के लिए जानलेवा बन गया। किशनगंज थाने के थानेदार अश्विनी कुमार मोटरसाइकल चोरी के एक मामले में छापामारी करने पश्चिम बंगाल गए थे, जहां पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर क्षेत्र के गोलापोखर थाना में स्थित पनतापाड़ा गांव की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी। बेटे की शहादत का सदमा थानेदार अश्विनी कुमार की मां नहीं सह सकीं और उनका दिल का दौरा पड़ने के कारण निधन हो गया। दरअसल ममता ने कहा था कि अगर अल्पसंख्यकों के इलाके में अत्याचार हो रहा है, तो आप एकजुट होकर अजान देना शुरू कर दीजिए, सब लोग इकट्ठा हो जाइए।