राजस्थान विधानसभा चुनाव के नजदीक आते-आते राजस्थान कांग्रेस में उफान आने लगा है। गहलोत और सचिन पायलट की राजनीतिक खिचड़ी में भी रह-रहकर उबाल आ रहा है। पायलट और गहलोत एक-दूसरे पर निशाने साध रहे हैं। पहले पायलट ने बाड़मेर में गहलोत और उनकी सरकार पर सीधे निशाना साधा। बाद में धौलपुर में गहलोत ने भी सचिन पायलट के धरने के लम्बे समय बाद अपने बयान का बम फोड़ा डाला। गहलोत ने अपनी ही पार्टी के पायलट समर्थक विधायकों पर करोड़ों रुपये लेने के आरोप लगाए। मानेसर बगावत का फ्लैशबैक याद दिलाने वाले इस पूरे बयान में गहलोत सारी बातें कह तो विधायकों से ही रहे थे, लेकिन उनका निशाना सीधे सचिन पायलट पर था। पायलट ने मानेसर बगावत के बाद फिर अप्रैल में अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ अनशन कर गहलोत को घेरा था। अब पायलट ने पेपरलीक के मुद्दे पर कहा- आज हमारे बच्चे सालों से मेहनत करते हैं। उनके मां-बाप पेट काटकर उनको पढ़ाते हैं। राजस्थान में बच्चे एग्जाम देते हैं। पेपरलीक हो जाता है। पेपर कैंसिल हो जाता है। सरकार पर निशाना साधते हुए पायलट ने सवाल किया- आखिर पेपरलीक पर कार्रवाई में सिस्टम को इतना समय क्यों लगता है?
पायलट ने अपने खेमे के मंत्री हेमाराम चौधरी के बेटे की याद में बाड़मेर में बनाए गए हॉस्टल के लोकार्पण के बाद हुई सभा में कहा कि मैंने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद की। हो सकता है कई लोगों को बात पसंद नहीं आई हो, लेकिन मुझे इसकी परवाह नहीं है। मैं भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ता रहूंगा। पायलट ने कहा- राज्य में दीमक की तरह भ्रष्टाचार खा रहा है। ईमानदारी, सादगी और अच्छे आचरण वाले, साफ छवि के लोग राजनीति में आएंगे। अहम पदों पर बैठेंगे, कोई पद हो, अच्छे लोगों का चयन करना है। साफ छवि के लोग राजनीति में आएंगे। पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने पेपरलीक और करप्शन के मुद्दे पर एक बार फिर नाम लिए बिना सीएम अशोक गहलोत पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आज प्रदेश में कहीं लूटपाट और भ्रष्टाचार होता है तो उसके खिलाफ हमें आवाज बुलंद करनी पड़ेगी।
पायलट ने पेपरलीक के मुद्दे पर कहा कि आज हमारे बच्चे सालों से मेहनत करते हैं। उनके मां-बाप पेट काटकर उनको पढ़ाते हैं। बच्चे एग्जाम देते हैं। पेपरलीक हो जाता है। पेपर कैंसिल हो जाता है। हमें दुख नहीं होता। समझ में नहीं आता कि सब कुछ जानते-बूझते हुए भी सरकार को उन पर कार्रवाई करने में इतना समय क्यों लगता है? न्याय दिलाने में इतने पीड़ा क्यों होती है? क्योंकि उन कुर्सियों पर वह लोग नहीं बैठे जो यहां से निकल कर गया है। ग्रामीण पृष्ठभूमि से निकलकर जाने वाले लोग नहीं हैं। उन कुर्सियों पर वे लोग नहीं बैठे जिनका दिल दुखता हो, जिनको 10 और 15 हजार की कीमत पता हो। उन्होंने कहा कि मेरे पिता कहा करते थे कि जिस दिन फैसला करने वाली इन कुर्सियों पर गरीब किसान के बच्चे बैठे होंगे। उस दिन तो हमारे काम अपने आप हो जाएंगे। आजकल तो आंकड़ों के जाल में फंसाकर काम अटकाए जाते हैं।
पायलट ने परोक्ष रूप से गहलोत गुट के मंत्रियों पर निशाना साधते हुए अपने समर्थक मंत्री हेमाराम चौधरी की तारीफ की। उन्होंने कहा कि हेमाराम चौधरी इतने साल, इतने पदों पर रहे, लेकिन इनके दामन पर कोई दाग नहीं लगा। इनका कुर्ता आज भी सफेद है। राजनीति में सुझाव देने वाले कई लोग होते हैं। जब सब तरफ से सुझाव आ जाते हैं, सबकी सुन लेता हूं। उसके बाद मैं हेमाराम को फोन करता हूं कि क्या करना है? हमारी ट्यूनिंग बैठी हुई है। मैं वही करता हूं जो ये सुझाव देते हैं। हमारी जाति क्या होगी, हम कहां पैदा होंगे? यह हमारे हाथ में नहीं है। होश संभालने के बाद हम कैसा बर्ताव करते हैं। उस पर सब निर्भर करता है। रिश्ते बनाने से बनते हैं। इस रिश्ते को हम कायम रखेंगे।
विधानसभा चुनाव से पहले और पायलट के नई पार्टी बनाने की चर्चाओं के बीच इस सभा को सियासी मायनों में भी अहम माना जा रहा है। इसमें गहलोत विरोधी मंत्रियों के अलावा कई विधायक भी शामिल हुए। इस समारोह में चार मंत्री और 15 विधायक शामिल हुए। परिवहन मंत्री बृजेंद्र ओला, ग्रामीण विकास राज्य मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा, कृषि विपणन राज्य मंत्री मुरारी लाल मीणा, पंजाब कांग्रेस के प्रभारी और बायतु विधायक हरीश चौधरी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और श्रीमाधोपुर विधायक दीपेंद्र सिंह शेखावत, बसेड़ी विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा, बांदीकुई विधायक गजराज खटाना, नीमकाथाना विधायक सुरेश मोदी, चाकसू विधायक वेद प्रकाश सोलंकी, बाड़ी विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा, दांतारामगढ़ विधायक वीरेंद्र सिंह चौधरी, जैसलमेर विधायक रूपाराम धनदेव, लाडनूं विधायक मुकेश भाकर, परबतसर विधायक रामनिवास गावड़िया, विराटनगर विधायक इंद्राज गुर्जर, मसूदा विधायक राकेश पारीक, देवली-उनियारा विधायक हरीश मीना, टोडाभीम विधायक पीआर मीणा कार्यक्रम में मौजूद थे।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने धौलपुर में पायलट के बयान पर पलटवार करते हुए मानेसर बगावत पर जमकर तंज कसे। गहलोत ने कहा कि मेरी या कांग्रेस की सरकार को गिराने के लिए जिन विधायकों ने पैसे ले रखे हैं वे उसे वापस लौटा दें। चिंता मत करिए, हम राजस्थानी हैं। हमारी आन, बान और शान है। हम किसी के पैसे कैसे रख सकते हैं भला! पैसे नहीं देंगे तो हम पर हर पल एक अदृश्य दबाव बना रहेगा। हम किसी दबाव में कोई काम नहीं करना चाहते। इसलिए पैसे लौटाइए और स्वतंत्र होकर, बेख़ौफ़ होकर आम जनता के लिए काम करिए। जो हुआ उसे पूरी तरह भुला दीजिए। ठीक है गलती हो गई, हर किसी से हो जाती है। निश्चित ही आपके मन को अच्छा लगेगा। इस पूरे बयान में गहलोत सारी बात कह तो विधायकों से ही रहे हैं लेकिन उनका निशाना सीधे सचिन पायलट की तरफ है।
धौलपुर के राजाखेड़ा के पास महंगाई राहत कैंप की सभा में गहलोत ने कहा कि मानेसर बगावत के वक्त हमारे विधायकों को 10 से 20 करोड़ बांटा गया। वह पैसा हमारी सरकार को गिराने का षड्यंत्र था। गहलोत ने कहा कि हमारे विधायकों से मैंने यहां तक कह दिया कि जिसने 10-20 करोड़ लिया है। उसमें से कुछ खर्च कर दिया हो तो वह हिस्सा मैं दे दूंगा। मैं एआईसीसी से दिलवा दूंगा। आप पैसा वापस दे दीजिए। उन्होंने कहा- 10 करोड़ लिया है तो 10 करोड़, 15 करोड़ लिया तो 15 करोड़ उसे वापस दीजिए। किसी का पैसा मत रखो।
जिस टीम के सदस्य चोर हो, उस टीम का मुखिया तो डकैत होगा- बीजेपी
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़ और बीजेपी के प्रदेश महामंत्री व रामगंजमंडी से विधायक मदन दिलावर ने सीएम गहलोत के बयान पर पलटवार किया है। बीजेपी नेताओं ने कहा कि सीएम खुद कह रहे हैं कि कांग्रेस विधायक बिकाऊ हैं। ऐसे बिकाऊ कांग्रेस विधायकों पर कार्रवाई में वो देरी क्यों कर रहे हैं। उन्हें किस बात का डर है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस चोरों व भ्रष्टाचारियों से भरी पड़ी है। उसके नेता अशोक गहलोत है। क्योंकि विधायक दल के नेता व प्रदेश के सीएम भी अशोक गहलोत हैं। जिस टीम के सदस्य चोर हो, उस टीम का मुखिया डकैत होता है। गहलोत के बयान पर दिलावर ने कहा कि मुख्यमंत्री ने जादूगरी से मालूम किया कि उनके विधायकों ने उनको सत्ता से हटाने के लिए 20-20 करोड़ रूपए लिए। जब गहलोत ने पता ही कर लिया तो उनपर एफआईआर दर्ज क्यों नहीं करवाई ? उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं किया? क्या 20-20 करोड़ आपके खाते में जमा करवा दिए?
गहलोत-पायलट में सुलह की दिखावटी स्क्रिप्ट की धज्जियां पहले भी उड़ीं
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल पता नहीं राजस्थान कांग्रेस की सुर्खियां देख पा रहे हैं, या फिर उन्होंने अपने निर्देशों की खुलेआम धज्जियां उड़ते देखकर खुद ही आंखें बंद कर ली हैं ? राहुल गांधी के राजस्थान आने पर गहलोत-पायलट में सुलह की जो दिखावटी स्क्रिप्ट लिखी गई थी, वह अब खुलकर नौटंकी के रूप में सामने आ गई है। हालात यह है कि राजस्थान प्रदेश कांग्रेस की अंदरूनी कलह एक बार फिर चरम पर जाती दिख रही है। कुछ दिनों के लिए थमी सियासी बयानबाजी अब बम के गोलों के समान कांग्रेस के दोनों थड़ों पर गिर रही है। सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट एक दूसरे पर लगातार सियासी हमले करते हुए दिखाई दे रहे हैं। गहलोत ने तो पायलट को ‘गद्दार’ बोलने के बाद अब ‘बड़ा कोरोना’ की नई उपाधि दे डाली थी।
कांग्रेस महासचिव वेणुगोपाल के निर्देशों की धज्जियां, नए प्रभारी रंधावा भी हुए मौन
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान आने से पहले पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने तब परस्पर की जा रही बयानबाजी पर यह कहकर आक्रोश जताया था कि अब बयानबाजी करने वालों को 24 घंटे के अंदर ही पद से हटा दिया जाएगा। लेकिन कद्दावर कांग्रेस नेताओं के एक-दूसरे पर कटाक्ष के बाद 24 तो क्या, कई दिन बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। पायलट-गहलोत की लड़ाई की भेंट चढ़ चुके दो प्रदेश प्रभारियों के बाद अब आए सुखजिंदर सिंह रंधावा भी एक-दो मीटिंग लेने के बाद मौन साध गए हैं। पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम रंधावा को भी समझ में नहीं आ रहा है कि सीएम और पूर्व डिप्टी सीएम की अदावत को कैसे सुलझाया जाए। उनके प्रदेश प्रभारी बनने के बाद झगड़ा सुलझने के बजाए जनता के मंचों पर पहुंच गया है।
पहले कोरोना आ गया, फिर एक ‘बड़ा कोरोना’ और आ गया हमारी पार्टी के अंदर-सीएम
राहुल गांधी का इशारा पाकर पिछले दिनों सचिन पायलट द्वारा किसान सम्मेलन किए गए। इसके बाद भी मुख्यमंत्री गहलोत और पायलट के बीच कोल्ड वॉर तेज हो गया था। कर्मचारी संगठनों के साथ गहलोत की बजट पूर्व हाल ही में हुई बातचीत का एक वीडियो सामने आया, जिसमें पायलट का नाम लिए बिना गहलोत उस पर निशाना साधते नजर आए। संविदा कर्मचारियों के नेता शमशेर भालू खान ने सीएम के नहीं मिलने की बात कही तो गहलोत ने बात काटते हुए कहा- आप ठीक कह रहे हो, मैं अब मिलने लगा हूं, क्या हुआ कि पहले कोरोना आ गया। फिर मुझे दो बार कोरोना हो गया और इस बीच एक ‘बड़ा कोरोना’ और आ गया हमारी पार्टी के अंदर। कभी उपचुनाव, कभी राज्यसभा चुनाव। राज्यसभा चुनाव में भी वोट कहीं पड़ रहा है हम कहीं हैं। बहुत खराब टाइम था।
सचिन का अपनी सरकार पर वार- पेपर लीक के दलालों को नहीं, असली सरगना को पकड़ो
इससे पहले किसान सम्मेलन में नागौर में सचिन पायलट ने भी अपनी ही सरकार पर निशाना साधते हुए सीएम गहलोत को इशारों-इशारों में आड़े हाथों लिया। सरकार जब चार साल के कामकाज की समीक्षा और भविष्य के लिए चिंतन-मंथन करने बैठी तो राहुल गांधी ने सचिन पायलट को अकेले ही राजस्थान में किसानों की रैलियां करने भेज दिया। पायलट को जनता का प्लेटफॉर्म मिला तो वो भी अपनी ही सरकार पर निशाना साधने से नहीं चूके। उन्होंने कहा कि नौजवान जब विपरीत हालात में पढ़ाई करके परीक्षा देता है, ऐसे में लगातार पेपर लीक के मामले सामने आते हैं तो सच में मन बहुत आहत होता है। पेपर लीक मामले में जो छोटी मोटी दलाली करते हैं, उनके बजाए सरकार को इनके सरगना को पकड़ना चाहिए, ताकि पेपर लीक पर विराम लग सके। दूसरी ओर बीजेपी नेताओं ने कहा है कि पेपर लीक के सरगनाओं का कनेक्शन तो गहलोत सरकार से ही है।
पेपर लीक के लिए अफसर-नेता जिम्मेदार नहीं तो क्या वो जादू से ही लीक हो गए
राजस्थान में चुनावी साल में भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच सियासी घमासान जारी है। अब तो दिलचस्प यह है कि कांग्रेस हाईकमान भी इनकी सियासी अदावत को खत्म कराने के बजाए जलती आग पर तेल छिड़कता दिखाई दे रहा है। पायलट ने बुधवार को झुंझुनूं के गुढ़ा में पेपर लीक में अफसर-नेताओं को सीएम की क्लीन चिट पर सवाल उठाए थे। पायलट ने कहा था- जब कोई नेता अफसर जिम्मेदार नहीं है तो तिजोरी से पेपर बाहर कैसे आ गया, यह तो जादूगरी हो गई, कोई तो जिम्मेदार होगा? इस बयान के कुछ देर बाद ही सीएम की प्री-बजट बैठक थी। इसमें गहलोत ने कर्मचारियों के सामने पार्टी के कोरोना का जिक्र कर दिया।
पायलट ने अफसरों को बड़े पैमाने पर राजनीतिक नियुक्तियां देने पर भी सवाल उठाए। पायलट ने कहा- बहुत से लोगों को राजनीतिक नियुक्तियां दीं, लेकिन जिन लोगों ने सरकार बनाने के लिए खून-पसीना बहाया। उनका अनुपात सुधारना होगा। पायलट ने कहा- प्रदेश में बहुत से ऊंचे अधिकारी हैं, जो अधिकारी हमारी सरकार में काम करते हैं। उन्हें यह फर्क नहीं पड़ता कि कि राज कांग्रेस का है या बीजेपी का है। अफसर तो राज की नौकरी करते हैं। बड़े अफसरों को भी हमें राज में मौका देना हो तो दीजिए, लेकिन अनुपात बेहतर होना चाहिए। उन्होंने कहा- कांग्रेस का वर्कर चाहे मेरा समर्थक हो या किसी और का हो, उसे कोई राजनीतिक नियुक्तियों में पद दें तो उसका हम सब स्वागत करेंगे। बड़े-बड़े अधिकारी शाम को 5 बजे रिटायर होते हैं और रात को 12 बजे उनकी नियुक्ति हो जाती है। थोड़ा-बहुत तो होता है, लेकिन अधिकारियों की जगह कांग्रेस के कार्यकर्ता को पद मिलते तो अच्छा होता। हमें तो उसको ठीक करना होगा।
बीजेपी की इलेक्शन की तैयारियों के बीच गहलोत-पायलट का सियासी सीजफायर टूटा
विधानसभा चुनाव में मिशन-2023 को लेकर बीजेपी युद्ध स्तर पर तैयारियों में लगी है। हाल ही में पीएम मोदी ने नई दिल्ली में राजस्थान समेत उन राज्यों के नेताओं के साथ मंथन किया, जहां इस साल चुनाव होने हैं। एक ओर बीजेपी चुनाव की रणनीति बनाने में व्यस्त है, दूसरी ओर कांग्रेस में अब पायलट-गहलोत के बीच विवाद और तेज होने के आसार बन गए हैं। सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट खेमों के बीच राहुल गांधी की यात्रा के समय हुआ सीजफायर टूट गया है और अब फिर से सियासी कोल्ड वॉर की शुरुआत हो गई है। सचिन पायलट की सभाओं से इसकी शुरुआत हो गई है। दोनों नेता अब एक-दूसरे पर पलटवार करने लगे हैं। सियासी लड़ाई में अब नए-नए शब्द भी आने लगे हैं। राहुल गांधी की यात्रा से पहले गहलोत ने पायलट को गद्दार बताया था। अब ताजा पलटवार पर पायलट के रिस्पॉन्स का इंतजार है।