कांग्रेस अध्यक्ष पद पर मल्लिकार्जुन खड़गे की ताजपोशी के बावजूद राजस्थान में कांग्रेस के आपसी खींचतान थमने का नाम नहीं ले रही है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान आने से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आक्रामक बयान ने सियासी सरगर्मियों को और हवा दे दी है। इसके साथ ही गहलोत वर्सेज पायलट की लड़ाई अब आर-पार के मोड में पहुंच चुकी है। हाईकमान की पायलट को सीएम बनाने की कोशिशों को सीएम के इस सबसे बड़े हमले से जोरदार झटका लगा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार को गिराने की साजिश रचने वाला गद्दार पायलट भला मुख्यमंत्री कैसे बन सकता है? सीएम ने कहा कि जिस आदमी के पास 10 विधायक भी नहीं हैं…जिसने बगावत की हो, जिसे गद्दार नाम दिया गया है, उसे पार्टी के लोग, विधायक कैसे मुख्यमंत्री स्वीकार कर सकते हैं?
सीएम गहलोत का यह बयान तब आया है, जबकि उनके पाले के तीन बड़े नेताओं के खिलाफ अनुशासनहीनता की कार्रवाई न होने से नाराज होकर प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने ही इस्तीफा दे दिया है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान में प्रवेश से पहले एक न्यूज चैनल से इंटरव्यू में सीएम गहलोत ने सचिन पायलट के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोला। उन्होंने साफ कहा कि राजस्थान का मुख्यमंत्री मैं ही हूं। सचिन पायलट किसी भी सूरत में सीएम नहीं बन सकते। गहलोत ने कहा कि जिसके कारण हम 34 दिन होटलों में बैठे रहे, ये बीजेपी नेताओं के साथ मिलकर सरकार गिराने की साजिशें रच रहे थे। गहलोत कैंप के द्वारा पायलट को स्वीकार नहीं करने के सवाल पर गहलोत ने कहा- जो आदमी गद्दारी कर चुका है, उसे हमारे MLA और मैंने खुद भुगता है, उनको वे कैसे स्वीकार करेंगे?
आखिर सचिन पायलट के साथ आपकी किस मुद्दे पर लड़ाई है? एनडीटीवी के पूछने पर गहलोत ने कहा कि मेरी तरफ से कोई झगड़ा नहीं है। जब 2009 में लोकसभा चुनाव में राजस्थान से 20 सांसद कांग्रेस के जीते तो मुझे दिल्ली बुलाया गया। जब वर्किंग कमेटी की बैठक हुई तो राजस्थान से मंत्री बनाने के बारे में मुझसे पूछा गया। सचिन पायलट को जानकारी है, मैंने पायलट को केंद्र में मंत्री बनाने की सिफारिश की थी। उस समय वसुंधरा राजे की सरकार में 70 गुर्जर मारे गए थे, यहां गुर्जर-मीणाओं में झगड़ा था। गहलोत ने कहा कि बाद में मेरे पास सचिन पायलट का फोन आया था कि मेरी सिफारिश कीजिए, जबकि मैं तो पहले ही सिफारिश कर चुका था। जिस आदमी के दिल में प्यार होगा, तभी तो वह नौजवान की सिफारिश करेगा। मैंने बिना कहे ही सचिन की सिफारिश की थी, झगड़ा होता तो मैं क्यों करता?
मुख्यमंत्री बने रहने के प्रश्न पर गहलोत ने कहा- आज तो मैं ही हूं यहां पर। हाईकमान की तरफ से इशारे के सवाल पर कहा- हाईकमान के इशारे की छोड़ो, मुझे तो कोई इंडिकेशन नहीं है। मैं हाईकमान के साथ हूं। पायलट को कोई स्वीकार ही नहीं करेगा। गहलोत ने कहा कि हाईकमान राजस्थान के साथ न्याय करेगा। सितंबर की बातें हैं। अजय माकन और हाईकमान को अपनी फीलिंग बता चुका हूं। राजस्थान में सरकार आना जरूरी है। मैं तीन बार मुख्यमंत्री रह चुका हूं। मेरे लिए सीएम रहना जरूरी नहीं है। आप सर्वे करवा लीजिए कि मेरे मुख्यमंत्री रहने से सरकार आ सकती है तो मुझे रखिए। अगर दूसरे चेहरे से सरकार आ सकती है तो उसे बनाइए।
कांग्रेस में बगावत इस साल 25 सितंबर को नहीं, 2019 में पायलट के नेतृत्व में हुई थी
कांग्रेस पार्टी की हालत पर गहलोत ने कहा कि मुझे कोई टेंशन नहीं है। थोड़े बहुत मतभेद सब जगह होते हैं। उन्होंने कहा कि 25 सितंबर को ऑब्जर्वर अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे के यहां आने पर बगावत नहीं हुई थी। बगावत तो सचिन पायलट के नेतृत्व में 2019 में बगावत हुई थी। 34 दिन होटलों में रहे। 25 सितंबर को 90 लोग इकट्ठे हुए, ये वे लोग थे, जिन्होंने सरकार बचाने में सहयोग किया, वर्ना सरकार बच नहीं सकती थी। बिना हाईकमान कोई सीएम सरकार बचा ही नहीं सकता। गहलोत ने कहा कि कांग्रेस का कोई मुख्यमंत्री ऐसा नहीं है जो हाईकमान के बिना विधायकों का समर्थन ले ले। जिसने पार्टी के साथ गद्दारी की, गद्दारी किए हुए आदमी को हमारे विधायक कैसे स्वीकार कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि एक बात फैलाई गई कि सचिन पायलट को सीएम बनाया जा रहा है। पायलट ने खुद भी ऐसा व्यवहार किया कि वे तत्काल सीएम बनने जा रहे हैं। उन्होंने कई विधायकों को फोन किए कि पर्यवेक्षक आ रहे हैं, उन्हें यह कहना है। गहलोत ने कहा कि इस हालात में विधायकों को यह भ्रम हो गया कि पायलट विधायक दल की बैठक के दूसरे दिन ही शपथ ले रहे हैं। इसलिए 90 विधायक इकट्ठे हो गए थे। वे सब निष्ठावान हैं और हाईकमान के साथ हैं। बस वे उनके साथ किसी भी सूरत में नहीं जा सकते, जिन्होंने कांग्रेस सरकार को गिराने की साजिश की थी।
गहलोत ने कहा कि मानेसर में पायलट के साथ बगावत करने वाले विधायक गए थे। जिस रिसोर्ट में मध्यप्रदेश के विधायकों को ठहराया गया था, उसी में पायलट समर्थक विधायकों को रोका गया था। हम उम्मीद नहीं कर सकते थे कि पार्टी का अध्यक्ष अपनी ही पार्टी की सरकार गिराने के लिए विपक्ष से मिल जाए। इतिहास में आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ। इसी वजह से विधायक पायलट का नाम सुनते ही नाराज थे।
सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि अगर तब सचिन पायलट माफी मांग लेते तो मुझे सोनिया जी से माफी नहीं मांगनी पड़ती। माहौल बदल जाता, वो नौजवान हैं, यह नौबत नहीं आती। पायलट माफी मांग लेते तो 25 सितंबर की घटना ही नहीं होती। विधायक दल का नेता होने के कारण मेरी मॉरल ड्यूटी थी, वह बैठक नहीं हो सकी, इसलिए मैंने माफी मांगी। किसी और को राजस्थान का सीएम बनाने की बात पर गहलोत ने कहा कि मैं भी कहता हूं, सरकार बचाने वाले 102 विधायकों में से किसी को बना दीजिए। हाईकमान तय कर ले कि मुझे रखना है या किसी और को। आपको अगर लगता है कि कोई दूसरा चेहरा चुनाव जितवा सकता है तो उसे बना दीजिए। गहलोत ने कहा कि पायलट के सपोर्टर सार्वजनिक रूप से कह चुके हैं कि सब काम होते हैं। पायलट समर्थक विधायक अजय माकन को अकेले में कह चुके हैं कि मुख्यमंत्री की तरफ से कोई शिकायत नहीं है, जो मांगते हैं, वह काम करते हैं। वापस आने के बाद से अच्छा बर्ताव किया, कोई भेदभाव नहीं किया।
पायलट का पलटवार- मुझे पहले भी कह चुके हैं नाकारा, निकम्मा और गद्दार
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के हमले पर प्रतिक्रिया देते हुए सचिन पायलट ने कहा कि वे पहले भी मुझे नाकारा, निकम्मा और गद्दार कह चुके हैं, उन्होंने मुझ पर जो आरोप लगाए हैं, वे बेबुनियाद हैं। ये समय भाजपा से लड़ने का है, ऐसे झूठे आरोप लगाने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि वे पार्टी के अनुभवी नेता हैं, उन्हें इतना असुरक्षित नहीं होना चाहिए। हम आज किसी पद पर है, तो जरूरी नहीं है कि हमेशा रहे। पता नहीं कौन मुख्यमंत्री को ऐसी सलाह दे रहा है। वहीं, कांग्रेस ने गहलोत के इस बयान को भी गंभीरता से लिया है। पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि गहलोत ने अपने युवा साथी सचिन पायलट और अशोक गहलोत के मतभेद सुलझा लिए जाएंगे और इससे कांग्रेस मजबूत होगी, फिलहाल भारत जोड़ो यात्रा को सफल बनाना ही सबका लक्ष्य है।
दो बार हारने के बावजूद गहलोत को तीसरी बार सीएम बनाया, हमने फैसला माना
सचिन पायलट ने कहा कि पहले भी मेरे बारे में बहुत सी बातें बोली थीं, मुझे नकारा निकम्मा और गद्दार कहा। कई आरोप लगाए। इस प्रकार के बेबुनियाद और झूठे आरोपों की जरूरत नहीं है। कांग्रेस आज देश की जरूरत है, देश में कांग्रेस ही बीजेपी को चुनौती दे सकती है। पायलट ने कहा- राजस्थान में हमने बीजेपी को विपक्ष में रहते हुए लगातार चुनौती देकर पराजित किया। इसके बाद हमारी सरकार बनी। गहलोत के सीएम रहते दो बार सरकार गई, लेकिन फिर भी तीसरी बार उन्हें सीएम बनाया तो हमने हाईकमान के फैसले को स्वीकार किया। आज हमारी प्राथमिकता सरकार रिपीट करने पर है। पायलट ने कहा- आज के समय वरिष्ठ और अनुभवी नेता को यह बोलना शोभा नहीं देता। एक-दूसरे पर आरोप लगाए, यह सही नहीं है। किसी व्यक्ति को इतना असुरक्षित नहीं होना चाहिए। राजनीति में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। हमेशा कोई पद पर नहीं रहता।
दो महीने पहले 25 सितंबर को राजस्थान की राजनीति में तूफान आ गया था। राजस्थान के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ था, जब कांग्रेस हाईकमान के आदेश के बावजूद मुख्यमंत्री का फैसला करने के लिए अधिकार हाईकमान को देने का प्रस्ताव पारित नहीं हो पाया था। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भरने की तैयारी थी। उनकी जगह मुख्यमंत्री के रूप में हाईकमान की पसंद सचिन पायलट थे, लेकिन गहलोत खेमा पायलट के नाम पर नाराज हो गया था। विधायक दल की बैठक से पहले ही गहलोत गुट के करीब 92 विधायकों ने मंत्री शांति धारीवाल के घर बैठक बुलाई और एक साथ विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के घर पहुंचकर इस्तीफा दे दिया।
पायलट के विरोध में 92 MLA का इस्तीफा, बगावत पर गहलोत ने सोनिया से मांगी माफी
गहलोत गुट के करीब 92 विधायकों के इस्तीफे के बाद राजनीतिक भूचाल आ गया था। इसके बाद 28 सितंबर को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सोनिया गांधी से करीब डेढ़ घंटे की मुलाकात हुई थी। बगावत पर उन्होंने सोनिया गांधी से माफी मांगी और अध्यक्ष का चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था। सोनिया से मिलने के बाद गहलोत ने कहा था- मैंने हमेशा वफादार सिपाही के रूप में काम किया है। विधायक दल की बैठक के दिन हुई घटना ने सबको हिलाकर रख दिया। ऐसा लगा जैसे कि मैं मुख्यमंत्री बने रहना चाहता हूं, इसलिए मैंने उनसे माफी मांगी है।
इस बीच राहुल गांधी की यात्रा की तैयरियों को लेकर कांग्रेस की बैठक में भी गहलोत और सचिन पायलट में तल्खी नजर आई। राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और कांग्रेस नेता सचिन पायलट के बीच की टकराव एक बार फिर जाहिर हो गया। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा 3 दिसंबर को यात्रा राजस्थान में आएगी। यात्रा यहां 17 दिन तक रहेगी और यहां से हरियाणा जाएगी। यात्रा की राजस्थान में तैयारियों को लेकर समन्वय समिति की पहली मीटिंग कांग्रेस वॉर रूम में हुई। बैठक में गहलोत और पायलट दूर-दूर बैठे दिखे। दोनों नेताओं ने आपस में बात भी नहीं की। सचिन पायलट तो मीटिंग खत्म होने से पहले ही वहां से चले गए। राजस्थान में 25 सितंबर को हुए सियासी बवाल के बाद पहली बार दोनों नेता किसी इवेंट में एक साथ पहुंचे थे। करीब 12 बजे शुरू हुई मीटिंग में अशोक गहलोत देरी से पहुंचे और सचिन पायलट मीटिंग खत्म होने से करीब आधा घंटे पहले निकल गए।
गहलोत गुट के नेताओं पर एक्शन नहीं, नाराज अजय माकन बैठक में नहीं आए
भारत जोड़ो यात्रा की समन्वय समिति में प्रदेश प्रभारी अजय माकन मेंबर हैं, लेकिन वह इस्तीफा दे चुके हैं, ऐसे में बैठक में शामिल नहीं हुए। माकन ने 8 नवंबर को ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को चिट्ठी भेजकर राजस्थान प्रभारी के पद से इस्तीफा दे दिया था। माकन का इस्तीफा अभी मंजूर नहीं हुआ है, लेकिन उन्होंने राजस्थान को लेकर कोई बैठक या फैसला भी नहीं किया है। माकन ने 25 सितंबर को कांग्रेस विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करने के मामले में जिम्मेदार ठहराए गए तीन नेताओं शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौड़ के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने पर नाराजगी जताते हुए इस्तीफा दिया है। कुल मिलाकर वर्तमान हालात में राजस्थान में सियासी संग्राम चरम पर है। पहली बार सोनिया-राहुल से लेकर खड़गे तक इस कदर लाचार नजर आ रहे हैं और चाहकर भी किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं !!