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मोदी राज में ब्रांडेड कपड़े का निर्यात करीब साढ़े तीन गुना बढ़ा, 4200 करोड़ रुपये के कपड़े विदेश भेजे गए

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन से देश हर सेक्टर में तरक्की कर रहा है। मोदी सरकार ने देश को समृद्धि की राह पर ले जाने के लिए चौतरफा विकास पर जोर दिया है। यही वजह है कि पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद हर सेक्टर में कई गुना वृद्धि देखने को मिल रही है। ब्रांडेड कपड़े के निर्यात में भी मोदी राज में करीब साढ़े तीन गुना की वृद्धि दर्ज गई है। वित्त वर्ष 2022-23 में 4266 करोड़ रुपये के कपड़े विदेश भेजे गए। यह पीएम मोदी के विजन से ही संभव हो पा रहा है कि पिछले नौ साल में कई उपेक्षित सेक्टर ने भी निर्यात में उल्लेखनीय योगदान दिया है। इससे जहां देश की अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है वहीं रोजगार के अवसर भी बढ़ रहे हैं।

ब्रांडेड कपड़े का निर्यात साढ़े तीन गुना बढ़कर 4200 करोड़ रुपये

पीएम मोदी के सत्ता में आने से पहले अप्रैल-फरवरी 2013-2014 में ब्रांडेड कपड़े का निर्यात 1337 करोड़ रुपये का हुआ था। वहीं अप्रैल-फरवरी 2022-2023 में यह करीब साढ़े तीन गुना बढ़कर 4266 करोड़ रुपये हो गया है। नौ साल में ही साढ़े तीन गुना की वृद्धि सरकार द्वारा शुरू की गई कई योजनाओं की वजह से ही संभव हो पाया है।

देश में कपड़ा सेक्टर को दुनिया में नंबर एक बनाने के लिए सरकार ने कई उपाय किए हैं। अभी हाल ही में पीएम मित्र मेगा टेक्सटाइल पार्क की घोषणा की गई है। इस पर एक नजर-

देश के 7 राज्यों में स्थापित किए जाएंगे टेक्सटाइल पार्क

देश के सात राज्यों में पीएम मित्र मेगा टेक्सटाइल पार्क स्थापित किए जाएंगे। टेक्सटाइल पार्क बनने से करीब तीन लाख लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा और करीब 70 हजार करोड़ रुपये का निवेश आएगा। इन पार्कों को 2027-28 तक पूरा किया जाना है। यूपी में यह पार्क लखनऊ में एक हजार एकड़ में बनेगा। पीएम मित्र मेगा टेक्सटाइल पार्क तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में बनाए जाएंगे। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि पीएम मित्र मेगा टेक्सटाइल पार्क 5F (फार्म टू फाइबर टू फैक्ट्री टू फैशन टू फॉरेन) विजन के अनुरूप कपड़ा क्षेत्र को बढ़ावा देंगे। इन पार्कों के माध्यम से लगभग 70,000 करोड़ रुपये के निवेश और 20 लाख रोजगार सृजन की परिकल्पना की गई है।

13 राज्यों से मिले 18 प्रस्तावों में से 7 स्थलों का चयन किया गया

इन 7 स्थलों को पीएम मित्र पार्कों के लिए 18 प्रस्तावों में से चुना गया था, जो 13 राज्यों से प्राप्त हुए थे। इसके लिए पात्र राज्यों और स्थलों का मूल्यांकन एक पारदर्शी चयन प्रणाली द्वारा किया गया, जो कनेक्टिविटी, मौजूदा इकोसिस्टम, वस्त्र/उद्योग नीति, इंफ्रास्ट्रक्चर, उपयोगिता सेवाओं आदि जैसे विभिन्न प्रकार के कारकों को ध्यान में रखते हुए वस्तुनिष्ठ मानदंडों के आधार पर किया गया। पीएम गति शक्ति- बहु-राष्ट्रीय मास्टर प्लान के सत्यापन के लिए मोडल कनेक्टिविटी का भी उपयोग किया गया था।

रुई की कताई से कपड़े की छपाई और एक्सपोर्ट एक ही जगह से होगा

पीएम मित्र मेगा टेक्स्टाइल पार्क की सबसे अच्छी बात यह है कि रुई की कताई से लेकर धागे की बुनाई, उसकी रंगाई, कपड़े बनाना, कपड़े की छपाई और सिलाई, और यही नहीं, कपड़ों की मार्केटिंग, डिजाइनिंग और एक्सपोर्ट, सभी एक ही जगह से हो सकेगा!

वस्त्र निर्माण में वैश्विक केंद्र बनेगा भारत

पीएम मित्र पार्क भारत को वस्त्र निर्माण और निर्यात के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाने के सरकार के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह उम्मीद की जाती है कि ये पार्क कपड़ा उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने में मदद करेंगे और साथ ही इस क्षेत्र के वैश्विक दिग्गजों को भारत में विनिर्माण के लिए आकर्षित करेंगे।

पीएम मित्र पार्क से विश्वस्तरीय औद्योगिक इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार होंगे

पीएम मित्र पार्क विश्वस्तरीय औद्योगिक इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में मदद करेंगे, जो प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) सहित बड़े पैमाने पर निवेश को आकर्षित करेगा और क्षेत्र के भीतर नवाचार और रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करेगा।

प्रति पार्क 500 करोड़ रुपये तक की वित्तीय सहायता

वस्त्र मंत्रालय इन परियोजनाओं के क्रियान्वयन की निगरानी करेगा। केंद्र और राज्य सरकार के स्वामित्व वाली एक स्पेशल परपज व्हीकल (एसपीवी) प्रत्येक पार्क के लिए स्थापित की जाएगी, जो परियोजना के कार्यान्वयन की निगरानी करेगी। वस्त्र मंत्रालय पार्क एसपीवी को विकास के लिए पूंजीगत सहायता के तौर पर प्रति पार्क 500 करोड़ रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान करेगा।

कपड़ा उद्योग में अब तक लगभग 1,536 करोड़ रुपये का निवेश

पीएम मित्र मेगा टेक्सटाइल पार्क कपड़ा क्षेत्र के लिए अत्याधुनिक बुनियादी ढांचा प्रदान करेगा, करोड़ों का निवेश भी लेकर आएगा और लाखों नौकरियां पैदा करेगा। यह ‘मेक इन इंडिया’ और ‘मेक फॉर द वर्ल्ड’ का एक बेहतरीन उदाहरण होगा। वहीं टेक्सटाइल मिनिस्ट्री ओर से कहा गया है कि उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन के तहत कपड़ा उद्योग में अब तक लगभग 1,536 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है।

मेक इन इंडिया बेहतरीन उदाहरण बनेंगे टेक्सटाइल पार्क

ये टेक्सटाइल पार्क दुनिया के लिए भारत में बनाओ (मेक इन इंडिया और मेक फॉर द वर्ल्ड) पहल का बेहतरीन उदाहरण बनेंगे। वहीं, वाणिज्य व कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि टेक्सटाइल पार्क बनने से भारत एक वैश्विक निवेश, विनिर्माण और निर्यात केंद्र बनेगा। निवेशकों, निर्माताओं, निर्यातकों और अंतरराष्ट्रीय खरीदारों के लिए एक नायाब अवसर बताते हुए गोयल ने कहा कि विश्व स्तरीय सुविधाओं, अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे और एकीकृत मूल्य शृंखला से वैश्विक चैंपियन तैयार होंगे।

बिखरे कपड़ा उद्योग को मिलेगी ताकत

इस नई पहल से भारतीय उद्योग विश्वस्तर पर प्रतिस्पर्धी बन जाएगा, क्योंकि टेक्सटाइल पार्कों से परिचालन व लागत में कमी आएगी। बिखरे कपड़ा उद्योग को ताकत मिलेगी। दक्षता में सुधार होगा और उच्च गुणवत्ता के वस्त्रों व परिधानों की तय समय में आपूर्ति हो पाएगी। पार्कों का चयन एक पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से किया गया है। इसे अभिनव पीएम गतिशक्ति नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर मास्टर प्लान के साथ जोड़कर तैयार किया गया है। टेक्सटाइल पार्क में केंद्र और संबंधित राज्य दोनों विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) में भागीदार होंगे जो इन पार्कों की स्थापना और प्रबंधन करेंगे।

भारत दुनिया में कपड़ों का छठा बड़ा एक्सपोर्टर

विशेषज्ञों का मानना है कि सारी बुनियादी सुविधाएं एक जगह होने से टेक्सटाइल सेक्टर में बड़ी तादाद में रोजगार सजृन होने के साथ एक्सपोर्ट मार्केट बूम आएगा। दरअसल भारत में टेक्सटाइल सेक्टर बड़ी तादाद में रोजगार देता है। भारत दुनिया में कपड़ों का छठा बड़ा एक्सपोर्टर है।

टेक्सटाइल पार्क जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यः

5एफ को करेंगे साकारः पीएम मोदी ने कहा कि टेक्सटाइल पार्क 5एफ यानी फार्म टू फाइबर टू फैक्ट्री टू फैशन टू फॉरेन के विजन को साकार करेंगे।

करोड़ों का निवेश आएगाः कपास की खेती से लेकर सीधे विदेश निर्यात की संकल्पना पर आधारित इन फार्मों के जरिये संबंधित राज्यों में करोड़ों रुपये का निवेश आएगा।

इन शहरों में बनेंगेः उत्तर प्रदेश के लखनऊ, मध्यप्रदेश के धार, महाराष्ट्र के अमरावती, तेलंगाना के वारंगल, तमिलनाडु के विरधुनगर, कर्नाटक के कलबुर्गी और गुजरात के नवसारी में।

दुनिया से कर सकेंगे मुकाबला : इन पार्कों में कपड़ा उद्योग का विश्वस्तरीय ढांचा होगा। इससे भारतीय कपड़ा उद्योग वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर पाएगा व प्रशिक्षण व शोध को भी बढ़ावा मिलेगा।

सबसे बड़ा निर्यातक बनने का लक्ष्य : भारत दुनिया के बड़े वस्त्र निर्यातकों में से एक है, 2030 तक 100 अरब डॉलर के वस्त्र निर्यात का लक्ष्य हासिल करना है। 2047 तक विश्व का सबसे बड़ा निर्यातक बनना है।

मुक्त व्यापार समझौतों का लाभ : संयुक्त अरब अमीरात और ऑस्ट्रेलिया के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर भारत हस्ताक्षर कर चुका है। कनाडा, ब्रिटेन, इस्राइल और यूरोपीय संघ के साथ बातचीत कर रहा है। ये समझौते कपड़ा उद्योग को विकसित बाजारों तक पहुंच बनाने में मददगार होंगे।

टेक्सटाइल क्षेत्र में ‘ब्रांड इंडिया’ बनेगा नंबर-1

जानकारों का भी मानना है कि भारत में सरकार और निजी क्षेत्र के सहयोग से देश में टेक्सटाइल उद्योग में तेजी लाई जा सकती है। इससे ‘ब्रांड इंडिया’ का निर्माण करने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही टेक्सटाइल निर्यात लक्ष्य को पूरा करने के लिए भी पांच प्रमुख क्षेत्रों में सावधानीपूर्वक रणनीति बनाने की आवश्यकता होगी। इनमें परिधान, कपड़े, घरेलू वस्त्र, कृत्रिम फाइबर एवं धागे और टेक्निकल टेक्सटाइल क्षेत्र शामिल हैं।

बनारसी साड़ियों को मिले अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व

मोदी सरकार अपनी योजनाओं द्वारा इस क्षेत्र के विकास के प्रति आरंभ से ही कटिबद्ध रही है। प्रधानमंत्री पद संभालने के कुछ ही समय बात नरेन्द्र मोदी ने बनारसी साड़ियों के लिए प्रख्यात वाराणसी के लालपुर में व्यापार सुविधा केंद्र एवं शिल्प संग्रहालय की आधारशिला रखी। अपनी अतुलनीय सुंदरता, रंगों एवं बनावट के लिए पहचानी जाने वाली बनारसी साड़ियां देश का गौरव हैं। इसके महत्त्व को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना ही इस केंद्र की स्थापना का उद्देश्य था। यह प्रयास मोदी सरकार ही था, अन्यथा पूरवर्ती सरकार के पास तो इस केंद्र को बनाने के लिए देने लायक जमीन भी नहीं थी, जिसके चलते इसे शहर के बीच बनाए जाने की बजाय शहर से दूर बनाना पड़ा। सरकारी उपेक्षा का शिकार रहा यह उद्योग भयानक बदहाली झेल रहा था। मोदी सरकार के प्रयासों से इस उद्योग और इसके बुनकरों को बड़ी राहत मिली।

मोदी सरकार के प्रयासों से बदली दशा-दिशा

बनारसी साड़ी बनाने के अतिरिक्त यहां और भी कई लघु एवं कुटीर उद्योग थे, जिन्हें सरकारी सहायता की घोर आवश्यकता थी। मोदी सरकार ने इन सभी के समग्र विकास को ध्यान में रखते हुए 347 करोड़ की लागत वाली परियोजनाओं की शुरुआत की। प्रधानमंत्री की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्किल इंडिया’ जैसी योजनाओं का मूल भी ऐसे ही वर्गों का विकास है। यहां के हथकरघा और हस्तशिल्प उद्योग को तकनीकी व विपणन संबंधी सहयोग प्रदान करने के लिए यहां 305 करोड़ की लागत से टेक्सटाइल फैसिलिटेशन की शुरुआत हुई। बुनकरों की विशेष सुविधा के लिए कॉमन फैसिलिटेशन सेंटर खोले गए। वाराणसी में 6 करोड़ रुपये की लागत वाला नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी की शाखा स्थापित हुई। रीजनल सिल्क टेक्नोलॉजिकल रिसर्च स्टेशन भी शुरू हुआ। इन सभी के साथ-साथ 31 करोड़ की लागत वाली हस्तशिल्प उद्योग सर्वांगीण विकास योजना आरंभ की गई।

प्रधानमंत्री के आह्वान से और बढ़ा खादी का गौरव

भारतीय खादी व हस्तशिल्प की दिशा में किए गए प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों से शायद ही कोई देशवासी होगा, जो परिचित न हो। रेडियो पर ‘मन की बात’ से लेकर अपनी अनेक योजनाओं तक प्रधानमंत्री ने इस उद्योग के उत्थान के लिए अनेक प्रयास किए। उन्होंने सभी देशवासियों को भी इस के लिए प्रेरित किया कि वे अपने निजी जीवन में खादी को और अन्य हस्तशिल्प की वस्तुओं को अवश्य स्थान दें, चाहे वह कितने भी छोटे से छोटे रूप में क्यों न हो। दूसरों को उपहार आदि देते समय भी वे इसी प्रकार की वस्तुओं का उपयोग कर सकते हैं।

पीएम मोदी की दोतरफा नीतियों का चौतरफा लाभ

पीएम मोदी की पहल से भारतीय खादी और हस्तशिल्प के प्रति विदेशों में भी रुझान देखने को मिलता है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस विषय में दोतरफा नीति अपनाई। एक ओर तो उन्होंने वस्त्र उद्योग के लिए आवश्यक कच्चे माल के उत्पादन के लिए किसानों को प्रेरित किया, ताकि उन्हें बड़ा लाभ मिल सके। दूसरी ओर उन्होंने इस उद्योग से जुड़े लोगों को नई से नई तकनीक और व्यवसायगत प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए भी प्रेरित किया। इस संबंध में उन्होंने समय-समय पर राज्य सरकारों से भी संपर्क बनाए रखा और उन्हें हरसंभव सहायता प्रदान करने के निर्देश दिए। कभी स्वतंत्रता संग्राम में देश का गौरव बढ़ाने वाली खादी को आज अपना अस्तित्व बचाने के लिए देश से सहयोग की अपेक्षा है, जिसे सशक्त स्वर दिया प्रधानमंत्री मोदी ने।

मोदी राज में देश निर्यात के मोर्चे पर लगातार वृद्धि दर्ज कर रहा है, इस पर एक नजर-

रक्षा निर्यात में आठ गुना वृद्धि, 13 हजार करोड़ से ज्यादा हुआ एक्सपोर्ट

कांग्रेस के शासनकाल में उपेक्षित छोड़ दिए गए रक्षा क्षेत्र को पीएम मोदी अपने विजन से खड़ा किया और पिछले पांच साल में ही इसने बुलंदियों को छू लिया। मोदी काल में ही 2016-17 में रक्षा निर्यात 1522 करोड़ रुपये का हुआ था जबकि 2022-23 में यह बढ़कर 13,399 करोड़ रुपये हो गया। यानी इसमें 750 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।

खिलौना आयात 67 प्रतिशत कम हुआ, देश का पैसा विदेश जाने से बचा

पीएम मोदी के विजन से देश में उत्पादन बढ़ने से केवल निर्यात ही नहीं बढ़ रहा है बल्कि आयात भी घट रहा है। जहां निर्यात बढ़ने से देश में पैसा आ रहा है वहीं आयात घटने से देश का पैसा विदेश जाने से बच रहा है। इसका ताजा उदाहरण है खिलौना उद्योग। इस उद्योग ने 2014-15 में 322.55 मिलियन डॉलर (करीब 26 अरब रुपये) के खिलौने आयात किए थे। वहीं 2021-22 में खिलौना आयात घटकर 109.72 मिलियन डॉलर (करीब 8 अरब रुपये) रह गया है।

संगीत वाद्ययंत्रों का निर्यात करीब 4 गुना बढ़कर 346 करोड़ रुपये

भारतीय वाद्ययंत्रों (म्यूजिकल इंट्रूमेंट्स) का निर्यात अप्रैल-फरवरी 2013-14 में 85 करोड़ रुपये का हुआ था जबकि अप्रैल-फरवरी 2022-23 में करीब गुना बढ़कर 346 करोड़ रुपये हो गया। इन आंकड़ों से आप कल्पना कर सकते हैं कि जहां आजादी के 65 वर्षों बाद 2013 तक 85 करोड़ निर्यात होता था वहीं पीएम मोदी के नेतृत्व में पिछले 9 साल में यह बढ़कर 346 करोड़ रुपये हो गया। आज भारतीय म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट 173 से अधिक देशों में निर्यात किए जाते हैं। सबसे बड़े खरीदार देशों में अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, जापान और यूके जैसे विकसित देश शामिल हैं। इससे पता चलता है कि भारतीय संस्कृति और संगीत का क्रेज दुनियाभर में बढ़ रहा है। सबसे ज्यादा निर्यात वाले वाद्य यंत्रों में डमरू, तबला, हारमोनियम, ढोलक, मंजीरा जैसे वाद्य यंत्र शामिल हैं।

चीनी निर्यात करीब 7 गुना बढ़कर 46 हजार करोड़ रुपये पहुंचा

चीनी का निर्यात अप्रैल-फरवरी 2013-14 में 7188 करोड़ रुपये था जबकि अप्रैल-फरवरी 2022-23 में यह करीब 7 गुना बढ़कर 46289 करोड़ रुपये हो गया। चालू विपणन वर्ष 2022-23 के फरवरी तक चीनी उत्पादन 24.7 मिलियन टन पर पहुंच गया है। सरकार ने इस साल 6 लाख टन (6 मिलियन टन) चीनी के निर्यात की अनुमति दी है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश है और शीर्ष निर्यातकों में से एक है।

दुनिया को भा रहा भारत के दही व पनीर का स्वाद, निर्यात 5 गुना बढ़ा

भारत के दही व पनीर के निर्यात के बारे में पहले बात भी नहीं की जाती थी लेकिन पीएम मोदी के नेतृत्व में इस सेक्टर का निर्यात भी लगातार बढ़ रहा है और इसका स्वाद दुनिया को पसंद आ रहा है। अप्रैल-दिसंबर 2013 में जहां दही-पनीर का निर्यात करीब 54 करोड़ रुपये का था वहीं अप्रैल-दिसंबर 2022 में यह पांच गुना से ज्यादा बढ़कर 276 करोड़ रुपये हो गया।

दुनिया भारतीय चॉकलेट से कर रही मुंह मीठा, निर्यात दोगुना बढ़ा

देश में दूध और कोको की पैदावार बढ़ने से देश के चॉकलेट उद्योग को पंख लग रहे हैं। पूरी दुनिया में जहां चॉकलेट इंडस्ट्री में ठहराव आ चुका है वहीं भारत में 13 प्रतिशत की दर से चॉकलेट उद्योग तेजी से बढ़ रहा है। अप्रैल-दिसंबर 2013 में भारतीय चॉकलेट का निर्यात जहां 304 करोड़ रुपये था वहीं अप्रैल-दिसंबर 2022 में यह दोगुना से ज्यादा बढ़कर 677 करोड़ रुपये हो गया। ट्रेड प्रमोशन काउंसिल आफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार साल 2025 में भारत में कोको उत्पादन दोगुना होने के साथ 30 हजार टन होने की उम्मीद है। ऐसे में भारत के चाकलेट उद्योग को बड़ी मात्रा में कच्चे माल के रूप में चाकलेट मिलेगा और भारत चाकलेट के प्रमुख निर्यातक देशों में शामिल हो जाएगा।

स्वाद से भरपूर देसी मकई की दीवानी हुई दुनिया, निर्यात 1.5 गुना बढ़ा

दुनिया के कुछ प्रमुख मक्का उत्पादक देशों में इस साल उत्पादन घटा है। उत्पादन में गिरावट के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में मक्का की किल्लत है। नतीजतन, कीमत में अच्छी वृद्धि हुई है, और इसका लाभ किसानों को मिल रहा है। अप्रैल-दिसंबर 2013 में जहां 4274 करोड़ रुपये के मक्के का निर्यात किया गया था वहीं अप्रैल-दिसंबर 2022 में यह डेढ़ गुना बढ़कर 6507 करोड़ रुपये हो गया। अंतरराष्ट्रीय बाजार में मक्का की मांग में भारी इजाफा हुआ है। इससे भारत से मक्का का निर्यात भी बढ़ा है। कृषि मंत्रालय के मुताबिक 2022-23 में मक्का के निर्यात में 1.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। कृषि मंत्रालय ने जानकारी दी है कि इस साल 6 हजार 507 करोड़ रुपये के मक्के का निर्यात किया गया है।

भारत का स्टील निर्यात दोगुना बढ़कर 80 हजार करोड़ रुपये

भारत अब दुनिया के इंफ्रास्ट्रक्चर में भी योगदान कर रहा है। आयरन और स्टील निर्यात अप्रैल-दिसंबर 2013 में जहां 41,142 करोड़ रुपये था वहीं अप्रैल-दिसंबर 2022 में भारत का स्टील निर्यात दोगुना बढ़कर 79,623 करोड़ रुपये हो गया। भारत ने जनवरी-नवंबर 2022 की अवधि में 11.34 करोड़ टन कच्चे इस्पात का उत्पादन किया, जो सालाना आधार पर 10 प्रतिशत अधिक है। सरकार का लक्ष्य कच्चे इस्पात की उत्पादन क्षमता को 15 करोड़ टन के मौजूदा स्तर से बढ़ाकर 30 करोड़ टन करने तक पहुंचाना है। इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने एक साक्षात्कार में कहा कि वर्ष 2023 में इस्पात क्षेत्र के लिए और पहल की जाएंगी।

इलेक्ट्रिल मशीनरी निर्यात साढ़े तीन गुना बढ़ा

अप्रैल-दिसंबर 2013 में इलेक्ट्रिल मशीनरी का निर्यात 47,008 करोड़ रुपये था जो कि अप्रैल-दिसंबर 2022 में यह साढ़े तीन गुना बढ़कर 1,64,293 करोड़ रुपये हो गया। भारतीय इलेक्ट्रिकल इंडस्ट्री दशकों से खराब गुणवत्ता से ग्रस्त रहा है। इस वजह से इसके उत्पाद वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहे थे। पीएम मोदी ने मेक इन इंडिया का विजन दिया जिससे अब यह सुनिश्चित होगा कि घरेलू उत्पाद विश्व स्तर पर बराबरी वाले दर्जे के हों। भारतीय गुणवत्ता के भरोसे को जमीनी स्तर पर मजबूत बनाना होगा और इससे उन वैश्विक कंपनियों को आकर्षित करने में मदद मिलेगी, जो भारत को चीन प्लस वन की रणनीति देखने के इच्छुक हैं।

कालीन निर्यात 11 हजार करोड़ रुपये तक पहुंचा

भारत का कालीन उद्योग प्राचीन काल से प्रख्यात रहा है लेकिन कांग्रेस की सरकार ने इसे बढ़ावा देने के लिए ध्यान नहीं दिया। वर्ष 2014 में केंद्र की सत्ता संभालने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर सेक्टर पर ध्यान दिया और इसकी वजह से आज कालीन निर्यात नए रिकार्ड बना रही है इससे जुड़ा उद्योग भी फल-फूल रहा है। वित्त वर्ष 2013-14 के अप्रैल-दिसंबर अवधि में कालीन निर्यात 7,127 करोड़ रुपये थी। वहीं 2022-23 में इसी अवधि में डेढ़ गुना से ज्यादा बढ़कर 11,274 करोड़ रुपये हो गया। यह पीएम मोदी के विजन से ही संभव हो पाया कि कालीन निर्यात पिछले नौ साल में दोगुना के करीब पहुंचने वाला है।

खिलौना निर्यात 6 गुना बढ़कर 1000 हजार करोड़ रुपये पहुंचा

वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र की सत्ता में आने के बाद भारत के विकास की तस्वीर बदल दी। बंद पड़े खाद कारखानों से लेकर कई उद्योगों एवं फैक्टरी को फिर से शुरू किया गया। इन्हीं उद्योगों में एक था खिलौना उद्योग जिसे कांग्रेस ने मरने के लिए अपने हाल पर छोड़ दिया था। लेकिन पीएम मोदी के विजन से खिलौना उद्योग सफलता के नए कीर्तिमान रच रहा है। वित्त वर्ष 2022-23 की अप्रैल-दिसंबर अवधि के दौरान देश का खिलौनों का निर्यात छह गुना बढ़कर 1,017 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। जबकि इसी अवधि में 2013 में यह 167 करोड़ रुपये था। वर्ष 2021-22 में निर्यात 2,601 करोड़ रुपये रहा था।

दवाओं का निर्यात एक लाख करोड़ रुपये से ऊपर पहुंचा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ‘विश्व की फार्मेसी’ बनने की ओर अग्रसर है। अप्रैल-दिसंबर 2022 में दवाओं एवं फार्मास्युटिकल उत्पादों का निर्यात 2013 की इसी अवधि की तुलना में लगभग 2.4 गुना बढ़ गया। अप्रैल-दिसंबर 2013-14 में भारत से दवाओं का निर्यात जहां 49,200 करोड़ रुपये का था वहीं अप्रैल-दिसंबर 2022-23 में यह बढ़कर 1,17,740 करोड़ रुपये हो गया। विशेषज्ञों का अनुमान है कि भारत से दवा का निर्यात वित्त वर्ष 2023 में 27 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर को छू सकता है। फार्मास्युटिकल्स एक्सपोर्ट्स प्रमोशन काउंसिल (Pharmexcil) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह अब तक का सबसे अधिक मूल्यांकन वाला निर्यात होगा।

मेड इन इंडिया का कमाल, 2.5 अरब डॉलर से अधिक के आईफोन का एक्सपोर्ट

पहले भारत में चीन में निर्मित सस्ते स्मार्ट फोन की बड़ी मांग थी, लेकिन अब भारत में बने आईफोन की मांग पूरी दुनिया में बढ़ गई हैं। एप्पल ने 2022-23 के पहले नौ महीने यानी पिछले साल अप्रैल-दिसंबर माह में भारत से 2.5 बिलियन डॉलर से अधिक के आईफोन का एक्सपोर्ट किया, जो पूरे वित्त वर्ष 2021-22 (FY22) में किए गए निर्यात का लगभग दोगुना है। तेजी से बढ़ती संख्या इस बात की ओर इशारा करती है कि कैसे एप्पल अपने उत्पादन को चीन के बाहर स्थानांतरित कर रही है। इस क्षेत्र के जानकारों मुताबिक भारत में आईफोन बनाने वाले फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी समूह और विस्ट्रॉन कॉर्प ने साल 2022-23 के पहले नौ महीने में एक-एक अरब डॉलर से ज्यादा के एप्पल के साजो-सामानों का निर्यात किया है। एप्पल के लिए प्रोडक्शन करने वाली एक और कंपनी पेगाट्रॉन कॉर्प भी इस महीने के अंत तक करीब 50 करोड़ डॉलर के Gadgets निर्यात करने वाली है।

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