Home समाचार बिहार उपचुनाव में नीतीश-तेजस्वी को बड़ा झटका, लगातार दो उपचुनाव में भाजपा...

बिहार उपचुनाव में नीतीश-तेजस्वी को बड़ा झटका, लगातार दो उपचुनाव में भाजपा ने मारी बाजी, जनता ने नीतीश को बताई हैसियत!

SHARE

पूरे देश की नजर जहां गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव परिणामों पर थी वहीं बिहार में एक ऐसा खेल हो गया जिस पर ज्यादा लोगों का ध्यान नहीं गया। बिहार के कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव का नतीजा सबसे ज्यादा चौंकाने वाला है। विपक्षी एकता का झंडा उठाए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के प्रत्याशी मनोज कुशवाहा सारे समीकरण पक्ष में होते हुए भी चुनाव हार गए। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि जेडीयू-आरजेडी का वोट प्रतिशत मिला दें तो बिहार में महागठबंधन इतना मजबूत हो जाता है कि किसी पार्टी के लिए उसके सामना टिकना आसान नहीं है। ये सीट नीतीश कुमार की प्रतिष्ठा का सवाल भी बन गई थी। आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बनाने के बाद नीतीश कुमार के लिए यह प्रतिष्ठा का चुनाव इसलिए भी था क्योंकि इससे पहले बीजेपी गोपालगंज चुनाव जीत चुकी थी। बिहार में इसी साल जदयू और राजद की सरकार बनने के बाद राजनीतिक पंडित इस गठबंधन को बेजोड़ करार दे रहे थे। लेकिन पिछले कुछ उपचुनावों के नतीजों ने इस पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। गोपालगंज के बाद कुढ़नी में महागठबंधन की हार ने राजनीतिक पंडितों को अचंभित कर दिया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव लगातार दावा कर रहे हैं कि ये सरकार जनता की सरकार है। लेकिन इस गठबंधन के बनने के बाद हुए उपचुनावों ने अलग ही तस्वीर पेश की है। और जो तस्वीर उभरकर सामने आ रही है वह इस बात का साफ संकेत है कि बिहार की जनता अब बीजेपी को सत्ता में देखना चाहती है। इसका मतलब ये भी निकाला जा रहा है कि बिहार की राजनीति में अब नीतीश कुमार महत्वपूर्ण नहीं रह गए हैं।

बिहार उपचुनावः कुढ़नी में बीजेपी उम्मीदवार ने जदयू उम्मीदवार को हराया

बिहार में हुए उपचुनाव में कुढ़नी से बीजेपी को जीत मिली है। इस उपचुनाव में जदयू से मैदान में उतरे मनोज कुशवाहा की करारी हार हुई है। बीजेपी प्रत्याशी केदार गुप्ता 3662 वोटों से जीते हैं। ये सीट बीजेपी ने महागठबंधन से छीन ली है। वोटिंग से पहले रैली में बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी अपने पिता के नाम पर भावनात्मक खेल भी खेला, लेकिन वह काम नहीं आया और जनता ने इसे नकार दिया। सबसे बड़ी बात यह है कि इस सीट पर बीजेपी ने पहली बार जीत दर्ज की है। इससे पहले यहां से राजद, कांग्रेस और जदयू विधायक थे।

सुशील मोदी ने सीएम नीतीश का मांगा इस्तीफा

बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कुढ़नी में बीजेपी को मिली जीत के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस्तीफा मांगा है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के महागठबंधन ने कुढ़नी में करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाये, सारे हथकंडे अपनाए, फिर भी वहां के मतदाताओं ने बीजेपी की जीत पक्की की। सुशील मोदी ने कहा कि चुनाव में लालू जी के नाम का भी उपयोग किया गया, उनके किडनी प्रतिरोपण का विषय उठाकर भावनात्मक कार्ड खेला गया, मुख्यमंत्री ने भी कई सभाएं की और इस चुनाव को प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाया। लेकिन उपचुनाव में अंतत: बीजेपी ने जीत हासिल की है। वहीं, बीजेपी नेता एवं राज्य के पूर्व मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि लोगों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर जबर्दस्त भरोसा व्यक्त किया है और चुनाव परिणाम महागठबंधन के मुंह पर तमाचा है।

जदयू नेता उपेंद्र कुशवाहा को याद आई वाजपेयी की कविता

जेडीयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने पार्टी की हार पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविता का सहारा लिया है। उन्होंने ट्वीट पर लिखा, ”क्या हार में, क्या जीत में…. कुढ़नी के परिणाम से हमें बहुत कुछ सीखने की ज़रूरत है। पहली सीख- ‘जनता हमारे हिसाब से नहीं बल्कि हमें जनता के हिसाब से चलना पड़ेगा।’

गोपालगंज में भी महागठबंधन खा चुका है मात

इससे पहले गोपालगंज उपचुनाव में भी यही स्थिति देखने को मिली थी। हालांकि, ये सीट बीजेपी की ही थी, लेकिन आरजेडी और जेडीयू के साथ आने से एक बड़ा वोटबैंक बीजेपी के लिए चुनौती था। लेकिन, बीजेपी के रणनीतिकारों ने जो समीकरण बनाया, उसे महागठबंधन सॉल्व नहीं कर पाया और बीजेपी ने यहां जीत हासिल की थी।

मोकामा उपचुनाव में बीजेपी बहुत कम अंतर से हारी

मोकामा सीट पर महागठबंधन की उम्मीदवार नीलम देवी को 79,744 वोट मिले। जबकि बीजेपी की सोनम देवी को 63,003 वोट मिले। मोकामा निर्वाचन क्षेत्र में 2.78 लाख से अधिक मतदाता हैं और 2020 में 54.52% की तुलना में 53.38% मतदान हुआ था। इस उपचुनाव में 15 उम्मीदवार थे, लेकिन मुख्य चुनावी लड़ाई राजद की नीलम देवी और भाजपा की सोनम देवी के बीच थी।

परिणाम आने के बाद, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा, “मोकामा के इतिहास में अंतर सबसे कम है और हमारी पार्टी ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है, यह देखते हुए कि भाजपा 27 वर्षों में इस विधानसभा सीट पर पहली बार चुनाव लड़ी थी।’ इसके अलावा उन्होंने कहा, ‘गोपालगंज जीतना भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हम राजद उम्मीदवार को हराने में सक्षम थे, भले ही उन्हें महागठबंधन का समर्थन प्राप्त था।’

चुनावी नतीजों में छिपा है भाजपा के लिए संदेश

मोकामा और गोपालगंज उपचुनाव के नतीजों में एक छिपा हुआ संदेश है। हालांकि भाजपा मोकामा हार गई, लेकिन 60,000 से अधिक वोट प्राप्त करना स्पष्ट रूप से संकेत देता है कि जदयू के मतदाता भाजपा में चले गए, साथ ही, भाजपा अपनी पूर्व सहयोगी जदयू के विरोध में खड़े होने के बाद भी अपनी गोपालगंज सीट पर कायम रहने में सफल रही। यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए चिंताजनक हो सकता है जो पहले भाजपा के सहयोगी थे। अब जबकि जदयू और राजद गठबंधन में हैं, गोपालगंज हारना और मोकामा सीट अब तक के सबसे कम अंतर से जीतना महागठबंधन के लिए चिंता का विषय है।

Leave a Reply Cancel reply