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तेजस्वी की कठपुतली बने नीतीश कुमार, खौफ इतना कि 24 घंटे में पलट गए जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह, ठगा महसूस कर रहे जेडीयू कार्यकर्ता और नेता

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बिहार इस समय सियासी असमंजस के दौर से गुजर रहा है। आम जनता को पता नहीं है कि वास्तव में राज्य का नेतृत्व कौन कर रहा है। आम तौर पर देखने से लगता है कि नीतीश कुमार राज्य के मुख्यमंत्री है, लेकिन सरकार के कामकाज और महागठबंधन के बीच जारी शीत युद्ध को देखकर लगता है कि सत्ता की कमान कहीं और है। नीतीश कुमार इस महागठबंधन सरकार का सिर्फ मुखौटा है। अगर स्पष्ट तौर पर कहा जाए तो नीतीश कुमार उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद यादव की कठपुतली बन गए है। सरकार के सभी बड़े फैसले तेजस्वी यादव ले रहे हैं। नीतीश कुमार सिर्फ उनकी हां में हां मिलाकर कुर्सी पर बने रहना चाहते हैं। वहीं तेजस्वी की ताजपोशी को लेकर जेडीयू और आरजेडी में खींचतान चल रही है। यहां तक कि तेजस्वी यादव के डर से जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह को 24 घंटे के अंदर अपना बयान बदलना पड़ रहा है। इससे जेडीयू कार्यकर्ता पसोपेश की स्थिति में हैं।

ललन सिंह के बयान पर तेजस्वी यादव ने दिखाई तल्खी

दरअसल मंगलवार (21 फरवरी, 2023) को राजधानी पटना के टाउन हॉल में आयोजित चौथे कृषि रोड मैप के लिए किसान समागम में जेडीयू और आरजेडी के बीच चल रही अंदरुनी खींचतान खुलकर सामने आ गई। दिन के 11 बजे से कार्यक्रम की शुरुआत पटना के बापू सभागार में होनी थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने समय के अनुसार करीब 11.15 में बापू सभागार पहुंचे और कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की गई। कार्यक्रम तो शुरु हो गया लेकिन उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की कुर्सी खाली रही। इस दौरान नीतीश कुमार कुछ परेशान दिखाई दे रहे थे। काफी इंतजार के बाद करीब 1:30 बजे तेजस्वी यादव बापू सभागार पहुंचे। लेकिन दोनों के बीच पहले की गर्मजोशी गायब थी। महागठबंधन की सरकार बनने के बाद शायद यह पहला मौका था जब नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव में स्पष्ट तौर पर तल्खी देखी गई। इस दौरान तेजस्वी ने जता दिया कि वो ललन सिंह के बयान से नाराज है।

ललन सिंह ने सफाई देकर फिर उलझाया नेतृत्व का मामला

तेजस्वी की नाराजगी ने नीतीश कुमार और ललन सिंह को मुश्किल में डाल दिया। तुरंत डैमेज कंट्रोल करने की कवायद शुरू हो गई। ललन सिंह को मीडिया के सामने अपनी सफाई पेश करनी पड़ी। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव के नेतृत्व में 2025 के विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर मेरे और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बयान में कोई विरोधाभास नहीं है। मैं आज भी कहता हूं कि चुनाव तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। ललन सिंह ने पूरे विवाद का ठीकरा मीडिया पर फोड़ते हुए कहा कि मेरी बात को कुछ एजेंडा चलाने वाले मीडिया वालों ने तोड़-मरोड़कर पेश किया। इस दौरान ललन सिंह ने फिर यह कह कर मामले को और उलझा दिया, “2025 का चुनाव तेजस्वी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। मुख्यमंत्री चुनता है विधायक लोग न। विधायक लोग तय करेंगे।” यानी चुनाव तेजस्वी के नेतृत्व में लड़ेंगे, लेकिन जब मुख्यमंत्री चयन की बात आएगी तो विधायक इसका फैसला करेंगे। अगर विधायक उस समय किसी और को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला करेंगे तो तेजस्वी का पत्ता साफ हो सकता है।  

नीतीश कुमार 2030 में भी नेतृत्व देने में सक्षम – केसी त्यागी

ललन सिंह के बयान का समर्थन करते हुए राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी तो यहां तक कह दिया कि अभी एक टर्म और काम करने की क्षमता नीतीश कुमार में है। केसी त्यागी ने कहा कि नीतीश कुमार 2030 में भी नेतृत्व देने में सक्षम हैं। 2025 की बात छोड़ दीजिए। उनका स्वास्थ्य ठीक है और उनका राजनीतिक ग्राफ बढ़ा हुआ है। केसी त्यागी ने कहा कि जेडीयू मतलब नीतीश कुमार है और नीतीश कुमार जब तक अपने फर्ज का अच्छी तरह से संचालन कर रहे हैं, उनके नेतृत्व को कोई चुनौती नहीं है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के 2025 के नेतृत्व पर आए बयान को लेकर त्यागी ने कहा कि गठबंधन कराने में राष्ट्रीय अध्यक्ष की भूमिका रही है। इसलिए उनके बयान को सही माना जाना चाहिए।

होली के बाद तेजस्वी की होगी ताजपोशी – आरजेडी विधायक

ललन सिंह और केसी त्यागी के बयान से आरजेडी खेमे में बेचैनी देखी जा रही है। वे 2025 तक इंतजार करने की स्थिति में नहीं है। क्योंकि नीतीश कुमार की पलटीमार प्रवृति को देखते हुए आरजेडी भी काफी सतर्क है और नीतीश पर भरोसा करने की स्थिति में नहीं है। दिनारा के आरजेडी विधायक विजय कुमार मंडल ने मंगलवार को यह कह कर सियासी पारा बढ़ा दिया कि अगले महीने यानी मार्च में डिप्टी सीएम तेजस्वी प्रसाद यादव बिहार की कमान संभाल लेंगे। उन्होंने सासाराम में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि फागुन महीने के बाद मार्च महीना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तेजस्वी यादव को प्रभार सौंप देंगे। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि आरजेडी के लोग चाहते हैं कि 2025 तो अभी दूर है, अगले महीना ही तेजस्वी बिहार के मुख्यमंत्री बनें और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार देश के प्रधानमंत्री के लिए आगे आएं। उन्होंने कहा कि आरजेडी के लोगों को नीतीश कुमार पर भी पूरा भरोसा है। सीएम नीतीश कुमार अपना वादा जरूर निभाएंगे।

जेडीयू और आरजेडी में शह और मात का खेल जारी 

ललन सिंह, केसी त्यागी और विजय कुमार मंडल के बयान से लगता है कि दोनों पार्टियां अब अलग-अलग रास्ते पर निकल चुकी है। जहां आरजेडी इंतजार करने की स्थिति में नहीं है, वहीं नीतीश कुमार 2025 तक इंतजार करने की नसीहत दे रहे हैं। इससे बिहार की सियासत में और उलझन बढ़ती जा रही है। अब दोनों पार्टियां शह और मात के खेल में लग गई है। दोनों परोक्ष रूप से एक दूसरे पर हमले कर रही है। नीतीश कुमार ललन सिंह से बयान दिलवा कर आरजेडी पर दबाव बनाये रखने और 2025 के चुनाव तक अपने लिए जगह भी बनाये रखना चाहते हैं। उधर आरजेडी भी सुधाकर सिंह के कंधोंं पर बंदूक रखकर नीतीश पर हमले कर रही है। नीतीश के खिलाफ बयानबाजी के बावजूद आरजेडी कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। सिर्फ नोटिस देकर नीतीश को शांत कराने का दिखावा कर रही है।

आरजेडी के साथ डील का खुलासा करने की चुनौती से जेडीयू में खलबली 

जेडीयू से अलग हो चुके उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। वे बार-बार आरजेडी के साथ हुई डील के खुलासे के लिए ललकार रहे हैं। जेडीयू में रहते हुए ही उन्होंने आवाज उठाई थी कि आरजेडी के साथ क्या डील हुई है इस बात की जानकारी सार्वजनिक की जानी चाहिए। उन्होंने सवाल उठाया था कि क्यों आरजेडी के लोग आपको मुख्यमंत्री पद से हटाना चाहते हैं? आरजेडी के लोग नीतीश कुमार को बार-बार कुर्सी छोड़ने के लिए कहते हैं। उपेंद्र कुशवाहा के बयान से जेडीयू कार्यकर्ताओं और नेताओं में भी आरजेडी से डील और तेजस्वी के नेतृत्व को लेकर ऊहापोह की स्थिति है। कई नेता तेजस्वी के बढ़ते कद से परेशान है। उन्हें लग रहा है कि आरजेडी और जेडीयू के विलय से उनके राजनीतिक सफर पर विराम लग सकता है। ऐसे स्थिति में कई विधायक, सांसद और नेता ‘वेट एंड वॉच’ की रणनीति पर काम कर रहे हैं। ऐसे लोगों के लिए उपेंद्र कुशवाहा ने एक अलग पार्टी बनाकर काम आसान कर दिया है।

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