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सनातन हिंदू परंपरा के लिए शुभ संकेत: यूपी और राजस्थान के इन मंदिरों में अब शॉर्ट कपड़ों में दर्शन नहीं कर सकेंगे श्रद्धालु, अश्लीलता पर रोक के लिए लागू हुई नई व्यवस्था

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सनातन हिंदू जनमानस जाग रहा है। अब देवी-देवताओं के अपने आराध्य स्थलों पर उसे किसी तरह की अश्लीलता बर्दाश्त नहीं है। देश के ज्योतिर्लिंगों से लेकर काशी विश्वनाथ तक कई बड़े मंदिरों में तो पहले ही भगवान के दर्शन करने के लिए ड्रेस कोड अनिवार्य है। अब दूसरे मंदिरों में भी इस पर अमल होने लगा है। ताकि आस्था के इन स्थलों पर सनातन संस्कृति की अनुपालना सभी के लिए बाध्यकारी हो, चाहे वो देशी हो या फिर विदेशी। चाहे वो किसी भी धर्म को मानने वाला हो, मंदिरों में प्रवेश के लिए उसके तय ड्रेस कोड का पालन करना ही होगा। राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कुछ मंदिरों में मंदिर कमेटी की ओर से इसके लिए बकायदा बैनर-बोर्ड लगाए हैं। इसमें लिखा है- ”सभी श्रद्धालु मंदिर में मर्यादित वस्त्र पहनकर ही आएं। छोटे वस्त्र, हाफ पैंट, बरमूडा, मिनी स्कर्ट, नाइट सूट, कटी-फटी जींस आदि पहनकर आने पर मंदिर में प्रवेश की इजाजत नहीं होगी।’ मंदिरों में भड़काऊ कपड़े पहनकर आने वाले श्रद्धालुओं को लेकर लगातार शिकायतें आ रही थीं, जिसके बाद मंदिर कमेटी ने यह फैसला किया और ड्रेस कोड का पालन करने वाले श्रद्धालुओं को ही मंदिर में प्रवेश करने का दिशा निर्देश जारी किए हैं।सभी लोगों को पर्यटन और धार्मिक यात्रा में फर्क समझना होगा
हिंदू सनातन धर्मियों और मंदिरों के पुजारी-महंत का मानना है कि लोगों को पर्यटन और धार्मिक यात्रा में फर्क समझना होगा। पवित्र जगहों की अपनी परंपरा और मर्यादा होती है, उसी के अनुसार मंदिर में मर्यादित आचरण भी करना चाहिए। उसी माहौल के अनुसार आचरण और वेशभूषा भी होनी चाहिए। अगर आप किसी टूरिस्ट प्लेस पर जा रहे हैं, तो वहां के अनुसार कपड़े पहनें और अगर आप मंदिर जैसी धार्मिक जगह पर आ रहे हैं, तो कपड़े मर्यादा में होने चाहिए। मंदिर या किसी धार्मिक जगह पर शालीन कपड़े पहनना ज्यादा शोभा देता है। जैसे महिलाएं साड़ी या सूट और पुरुष पैंट और शर्ट। इसी को देखते हुए उत्तराखंड में हरिद्वार के मंदिरों में ड्रेस कोड लागू कर दिया गया है। यहां के मंदिरों में आप वेस्टर्न कपड़े पहनकर जाने पर रोक भी लगा दी गई है। ऐसे में अब महिलाएं ही नहीं, बल्कि पुरुष और लड़कियां भी छोटे-छोटे कपड़े पहनकर या वेस्टर्न कपडों के साथ मंदिरों में दर्शन नहीं कर सकते। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी के मुताबिक यह पाबंदी इसलिए है कि भारतीय संस्कृति अंग प्रदर्शन को अच्छा नहीं माना गया है। उदयपुर में विश्व प्रसिद्ध जगदीश मंदिर में शॉर्ट कपड़े पहनने पर रोक
लेकसिटी उदयपुर में स्थित भगवान जगन्नाथ के विश्व प्रसिद्ध जगदीश मंदिर में अब श्रद्धालु शॉर्ट कपड़े पहनकर प्रवेश नहीं कर सकेंगे। मंदिर प्रबंधन ने शॉर्ट कपड़े पहनकर मंदिर में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। नए नियमों की पालना कराने के लिए मंदिर परिसर में पोस्टर लगाए गए हैं और सूचना भी लिखी गई है। इनमें साफ लिखा गया कि मंदिर में आने वाले श्रद्धालु पुरुष और महिलाएं शॉर्ट कपड़े पहनकर नहीं आएं, अन्यथा उन्हें प्रवेश नहीं दिया जाएगा। यह व्यवस्था मंदिर मंडल की ओर से लागू की गई है। मंदिर में आने वाले भक्तों से इसकी अपील भी की जा रही है। उन्हें सनातन धर्म की संस्कृति के बारे में बताया जा रहा है। मंदिर मंडल की ओर से बाहर से आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों को भी नए नियमों की पालना करने के लिए जागरुक किया जा रहा है।हापुड़ के खाटू श्याम मंदिर में कटी-फटी जींस, छोटे कपड़े और हाफ पैंट वर्जित
उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में स्थित प्रसिद्ध खाटू श्याम मंदिर कमेटी ने सनातन संस्कृति के लिए श्रद्धालुओं के पहनावे को लेकर नये दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसके मुताबिक कटी-फटी जींस, छोटे कपड़े और हाफ पैंट जैसे कपड़े पहनकर दर्शन करने आने वालों को मंदिर में प्रवेश नहीं मिलेगा। मंदिर समिति के मुताबिक अगर यहां दर्शन करने आना है तो श्रद्धालुओं को ड्रेस कोड का पालन करना होगा। इसको लेकर मंदिर कमेटी ने दिशा-निर्देश जारी कर मंदिर परिसर के बाहर एक बैनर भी लगवा दिया है। मंदिर कमेटी के लगे उस बैनर में लिखा है- ”सभी महिलाएं एवं पुरुष मंदिर में मर्यादित वस्त्र पहनकर ही आएं। छोटे वस्त्र, हाफ पैंट, बरमूडा, मिनी स्कर्ट, नाइट सूट, कटी-फटी जींस आदि पहनकर आने पर बाहर से दर्शन करें. कृपया सहयोग करने की कृपा करें।”

 

हरिद्वार से मैसेज के बाद बोहरा गणेश मंदिर छोटे कपड़ों पर प्रतिबंध
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो उदयपुर से प्रख्यात बोहरा गणेश मंदिर में भड़काऊ कपड़े पहनकर आने वाले श्रद्धालुओं को लेकर लगातार शिकायतें आ रही थीं। इसके बाद मंदिर प्रबंधन ने इस दिशा में कुछ दिन पहले ही कदम उठाया है। मंदिर के पंडित इंद्र जोशी के मुताबिक छोटे वस्त्र पहनकर मंदिर में प्रवेश करने पर पाबंदी लगाई गई है। हरिद्वार में मंदिरों में छोटे कपड़े पहनकर आने पर प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया है। वहां से यह मैसेज हमारे मंदिर के ग्रुप में आया था। इसके बाद इस पर एक्शन लेते हुए यहां भी सख्ती से इसे लागू कर दिया है। कोटड़ी चारभुजा मंदिर में भी पिछले माह ड्रेस कोड लागू किया गया है। कमेटी ने मंदिर के सभी मुख्यद्वार पर ऐसे बोर्ड लगा दिए हैं। मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष सुदर्शन गाड़ोदिया के मुताबिक श्रद्धालुओं से मर्यादित कपड़े पहनकर आने की अपील की गई है।

इन मंदिरों में पहले से ही सनातन संस्कृति के अनुरूप है ड्रेस कोडदेश के प्रमुख मंदिरों में प्रवेश या दर्शन के लिए वेशभूषा धारण करना अनिवार्य है। यदि किसी को पारंपरिक कपड़े जैसे धोती, लुंगी या अन्य पोशाक पहनने की आदत नहीं है या असुविधा होती है तो इसके लिए रेडिमेड पारंपरिक वस्त्रों की इंतजाम है। आइए, जानते हैं कि कुछ प्रमुख मंदिरों में क्या है ड्रेस कोड…

महाकाल ज्योतिर्लिंग: देश के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक महाकाल ज्योतिर्लिंग धर्म नगरी उज्जैन में है। इस मंदिर में भस्म-आरती के दर्शन करने, अभिषेक, पूजा आदि करने के लिए पुरुषों को धोती और महिलाओं कोरी साड़ी पहनना अनिवार्य है। मंदिर में भस्मार्ती के समय ज्योतिर्लिंग पर जब भस्म चढ़ाई जाती है, तब महिलाओं को कुछ पलों के लिए घूंघट रखना होता है, क्योकि यह दृश्य देखना उनके लिए वर्जित है।

तिरुपति बालाजी मंदिर: इस विश्व प्रसिद्ध मंदिर में बरमुडा, शॉर्ट्स या टी शर्ट पहनकर श्रद्धालु प्रवेश नहीं कर सकते है। महिलाओं को साड़ी या सलवार सूट पहन कर आने से प्रवेश मिलता है। मन्दिर में होने वाले विशेष अनुष्ठानों में हिस्सा लेने वाले पुरुषों के लिए धोती या पायजामा और महिलाओं के लिए साड़ी पहनना आवश्यक है।

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग : महाराष्ट्र में औरंगाबाद के पास स्थित घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग में भी दर्शन के लिए नियम हैं। यहां पर प्रवेश करने से पहले चमड़े से बनी सभी वस्तुएं जैसे बेल्ट, पर्स आदि को बाहर ही रखकर प्रवेश करना होता है और पहले पुरुषों को ऊपर के सभी कपड़े जैसे शर्ट और बनियान निकालने पड़ते है। महिलाओं के लिए कोई ड्रेस कोड नहीं है।

काशी विश्वनाथ मंदिर: वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर में विदेशी पर्यटक अक्सर कम कपड़ों में प्रवेश करते हैं। इसलिए पुरुषों के लिए धोती और विदेशी महिलाओं के लिए साड़ी पहनना अनिवार्य है। यदि मंदिर में लोग जींस, पैंट, शर्ट और सूट पहन कर प्रवेश करेंगे तो वे दूर से दर्शन के पात्र होंगे उन्हें स्पर्श दर्शन करने की अनुमति नहीं मिलेगी।

पद्मानाभस्वामी मंदिर: केरल के पद्मानाभस्वामी मंदिर में महिलाओं के लिए सलवार-सूट, जींस या अन्य परिधान पहनकर प्रवेश करना वर्जित है। वे केवल साड़ी पहन कर ही प्रवेश कर सकती है। वही पुरषों के लिए मुंडू या लुंगी पहन कर प्रवेश करना आवश्यक है ।

महाबलेश्वर मंदिर: कर्नाटक स्थित गोकर्ण का महाबलेश्वर मंदिर का शिवलिंग भक्तों में बहुत प्रसिद्ध है। इस मंदिर में पुरषों का जींस, पैंट, पायजामा, हैट, कैप, कोट और बरमूडा शार्ट्स पहनकर आना वर्जित है। पुरुष भक्त केवल धोती में और महिलायें को सलवार-सूट और साड़ी में ही प्रवेश मिलता है। महिलाएं जींस, पैंट या कैप्री पहन कर नहीं आ सकतीं।मंदिरों का पुनरुद्धार कर सनातन संस्कृति के ध्वजवाहक बने पीएम मोदी
हिंदू जनमानस के जागने का सबसे बड़ा कारण केंद्र में नरेन्द्र मोदी का प्रधानमंत्री पद सुशोभित करना भी है। पिछले नौ साल में पीएम मोदी भारत की सनातन सभ्यता और संस्कृति के ध्वजवाहक के रूप में सामने आए हैं। उनकी सरकार न सिर्फ देश का भौतिक विकास कर रही है, बल्कि सनातन संस्कृति को दुनियाभर में पहचान भी दिला रही है। दरअसल भारत के पवित्र मंदिर सनातन संस्कृति के मूर्त रूप होते हैं। इन मंदिरों ने आस्था और धर्म को बचाए रखने और उसके फिर से उत्थान में बड़ी भूमिका निभायी है। इनको मोदी राज में प्राचीन और आधुनिक शैली के संगम से नये स्वरुप में ढाला जा रहा है। पिछले आठ सालों से प्रधानमंत्री मोदी प्राचीन धार्मिक, सांस्कृतिक विरासत और धरोहर रहे मंदिरों का जीर्णोद्धार कर उन्हें अपनी पुरानी गरिमा वापस दिला रहे हैं।

श्री महाकाल लोक और मंदिर परिसर का जीर्णोद्धार

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार (11 अक्टूबर, 2022) को मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल के आंगन में बना श्री महाकाल लोक का लोकार्पण किया। प्रधानमंत्री मोदी की प्रेरणा से महाकाल लोक की नींव पड़ी थी। 2016 में सिंहस्थ महाकुंभ हुआ था। उसमें प्रधानमंत्री मोदी भी आए थे। इस दौरान महाकाल कॉरीडोर की कल्पना की गई थी। इसके बाद महाकाल परिसर के कायाकल्प के लिए रायशुमारी शुरू हुई। 2017 में डीपीआर बनाने का काम शुरू किया गया, लेकिन 2018 में सरकार बदल गई। शिवराज सिंह चौहान के सत्ता में आने के बाद कॉरीडोर का जमीन पर निर्माण कार्य शुरू हो गया और पहले चरण का काम भी पूरा हुआ है।

महाकाल लोक में आने वाले लोगों को यहां कला और अध्यात्म का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलेगा। करीब 856 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट का पहला चरण लगभग 350 करोड़ रुपये में पूरा हुआ है। मंदिर के पहले चरण का कॉरिडोर करीब 900 मीटर से ज़्यादा लंबा है। यहां भगवान शिव की लीलाओं का वर्णन करती छोटी-बड़ी करीब 200 मूर्तियां लगाई गई हैं। महाकाल लोक में 108 विशाल स्तंभ बनाए गए हैं। इन पर भगवान महादेव, शक्ति समेत भगवान गणेश और कार्तिकेय के चित्र उकेरे गए हैं। गौरतलब है कि 1234 में दिल्ली के शासक इल्तुतमिश ने महाकाल मंदिर पर हमला करके इसे नष्ट किया था।

पावागढ़ के कालिका मंदिर में 500 साल बाद शिखर पर फहराया ध्वज

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हिन्दू स्वाभिमान के प्रतीक है। उनका शासनकाल हिन्दू धर्म के पुनर्जागरण का काल है। 18 जून, 2022 को हर हिन्दू गर्वान्वित महसूस किया, जब 500 साल बाद प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात के पावागढ़ पहाड़ी पर स्थित महाकाली मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद उसके शिखर पर पताका फहराया। प्रधानमंत्री मोदी के प्रयास से ही 11वीं सदी में बने इस मंदिर का पुनर्विकास योजना के तहत कायाकल्प किया गया। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि महाकाली मंदिर के ऊपर पांच सदियों तक, यहां तक कि आजादी के 75 वर्षों के दौरान भी पताका नहीं फहराई गई थी। लाखों भक्तों का सपना आज उस समय पूरा हो गया जब मंदिर प्राचीन काल की तरह अपने पूरे वैभव के साथ खड़ा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा क‍ि पहले पावागढ़ की यात्रा इतनी कठिन थी कि लोग कहते थे कि कम से कम जीवन में एक बार माता के दर्शन हो जाएं। आज यहां बढ़ रही सुविधाओं ने मुश्किल दर्शनों को सुलभ कर दिया है। दरअसल 125 करोड़ रुपये की लागत से महाकाली मंदिर का पुनर्विकास किया गया है, जिसमें पहाड़ी पर स्थित मंदिर की सीढ़ियों का चौड़ीकरण और आसपास के इलाके का सौंदर्यीकरण शामिल है। नया मंदिर परिसर तीन स्तरों में बना है और 30,000 वर्ग फुट दायरे में फैला है।

काशी विश्वनाथ कॉरीडोर और मंदिर परिसर का जीर्णोद्धार

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 13 दिसंबर, 2021 को 500 साधु संतों और मंत्रोच्चार के साथ काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण किया। प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही काशी को उसके स्तर के मुताबिक बुनियादी ढांचा देने का ऐलान कर दिया। 8 मार्च 2019 को प्रधानमंत्री मोदी ने काशी विश्वनाथ कॉरीडोर और मंदिर परिसर के जीर्णोद्धार का काम शुरु कर दिया और चार साल के रिकॉर्ड समय में यह कॉरिडोर बनकर तैयार हो गया। वाराणसी से लोकसभा सांसद प्रधानमंत्री मोदी का यह ड्रीम प्रोजेक्ट था, जिसके निर्माण में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी है। इस भव्य कॉरिडोर में छोटी-बड़ी 23 इमारतें और 27 मंदिर हैं। अब काशी विश्वनाथ आने वाले श्रद्धालुओं को गलियों और तंग संकरे रास्तों से नहीं गुजरना पड़ेगा। गंगा घाट से सीधे कॉ‍रिडोर के रास्‍ते बाबा विश्‍वनाथ के दर्शन किए जा सकते हैं।

इस कॉरिडोर में मंदिर चौक, मुमुक्षु भवन, तीन यात्री सुविधा केंद्र, चार शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, मल्टीपरपस हॉल, सिटी म्यूजियम, वाराणसी गैलरी जैसी सुख-सुविधाओं की व्यवस्था की गई है। काशी विश्‍वनाथ धाम करीब 5 लाख स्‍कवॉयर फीट में बना हुआ है। इसकी कुल लगात 900 करोड़ रुपये है। इसमें 4 बड़े-बड़े गेट और प्रदक्षिणा पथ पर संगमरमर के 22 शिलालेख लगाए गए हैं, जिसमें काशी की महिमा का वर्णन है। इसमें चुनार के गुलाबी पत्थर, मकराना के सफेद मार्बल और वियतनाम के खास पत्थरों का इस्‍तेमाल किया गया है। गौरतलब है कि 250 साल के बाद मंदिर का पहली बार जीर्णोद्धार हुआ है। 1780 में इंदौर की मराठा शासक अहिल्या बाई होल्कर ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। 1669 में मुगल शासक औरंगजब ने इस मंदिर को ध्वस्त करवा दिया था। 

सोमनाथ मंदिर परिसर

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 20 अगस्त, 2021 को गुजरात के प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर की 83 करोड़ रुपये की चार परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया था। जिन तीन परियोजनाओं का उद्घाटन किया गया था, उनमें मंदिर के पीछे समुद्र के किनारे 49 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित एक किलोमीटर लंबा “समुद्र दर्शन” पैदल मार्ग, मंदिर के पास 75 लाख रुपये में निर्मित प्राचीन कलाकृतियों का एक नवनिर्मित संग्रहालय, और पुनर्निर्मित “अहिल्याबाई होल्कर मंदिर” या मुख्य मंदिर के सामने स्थित पुराना सोमनाथ मंदिर शामिल था। प्रधानमंत्री मोदी श्री सोमनाथ ट्रस्ट (एसएसटी) के अध्यक्ष हैं जो गिर-सोमनाथ जिले के प्रभास पाटन शहर में स्थित विश्व प्रसिद्ध मंदिर के मामलों का प्रबंधन करता हैं। बतौर मुख्यमंत्री गुजरात, नरेन्द्र मोदी ने कई योजनाए शुरु की थीं, जिसके तहत मंदिरों के सौंदर्यिकरण से लेकर उनके पुनर्निर्माण का काम शामिल था। गौरतलब है कि गुजरात के सोमनाथ मंदिर को महमूद गजनी से लेकर औरंगजेब तक ने कई बार तोड़ा था।

अयोध्या के राम मंदिर का भूमि पूजन और निर्माण

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 5 अगस्त, 2020 को विधि-विधान के साथ अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर की नींव रखी। प्रधानमंत्री मोदी ने भूमि पूजन के बाद अभिजीत मुहूर्त में श्रीराम मंदिर का शिलान्यास किया। इसके साथ ही मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो गया। काशी के प्रकांड विद्धानों ने भूमि पूजन का अनुष्ठान कराया। प्रधानमंत्री मोदी को यजमान के तौर पर संकल्प दिलाया गया। इसके बाद गणेश पूजन के साथ भूमि पूजन का कार्यक्रम शुरू हुआ। प्रधानमंत्री मोदी ने जय श्रीराम और हर-हर महादेव की गूंज के बीच ठीक 12 बजकर 44 मिनट के मुहूर्त पर श्रीराम मंदिर की शिला रखी। भूमि पूजन में उन्होंने चांदी की 9 शिलाओं का पूजन किया। इन्हीं शिलाओं के ऊपर रामलला विराजमान होंगे।

गौरतलब है कि 9 नवंबर, 2019 को 7 दशक पुराने राम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया, पूरे देश का 500 साल पुराना सपना और हिंदू समाज की लड़ाई का अंत हो गया। इसी मंदिर के लिए अयोध्या के 105 गांवों के सूर्यवंशी क्षत्रियों ने पगड़ी और जूते पहनने की अपनी 500 साल पुरानी अपनी प्रतिज्ञा तोड़ दी। अब अयोध्या और राम भक्त इस इंतजार में हैं कि जल्दी से जल्दी भव्य राम मंदिर का निर्माण पूरा हो जबकि सरकार ने अयोध्या को एक बड़े तीर्थस्थल के रुप में विकसित कर रही है जो दुनिया भर में अपनी भव्यता के लिए जाना जाए। 1528 में बाबर के सेनापति मीर बाकी ने अयोध्या में राम मंदिर तोड़कर वहां मस्जिद बनवाई थी।

कश्मीर में मंदिरों का पुनरोद्दार

कश्मीर में 05 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 हटने के बाद मोदी सरकार ने श्रीनगर में कई पुराने मंदिरों का पुनर्निर्माण शुरु किया। मंदिरविहीन हो चुकी घाटी में गुलमर्ग का शिव मंदिर ऐसा पहला मंदिर है, जिसे 1 जून, 2021 को जीर्णोद्धार के बाद जनता के लिए खोल दिया गया। इस दौरान सेना की गुलमर्ग बटालियन द्वारा एक भव्य उद्घाटन समारोह का आयोजन किया गया था। भारतीय सेना ने स्थानीय लोगों की मदद से गुलमर्ग के इस शिव मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य किया है। सेना के जवानों ने मंदिर की ओर जाने वाले रास्तों को भी नया रूप दिया है। शिव मंदिर को व्यापक जीर्णोद्धार की आवश्यकता थी, क्योंकि लंबे समय से इस मंदिर में कोई जीर्णोद्धार कार्य नहीं हुआ था। गुलमर्ग में आने वाले स्थानीय लोगों और पर्यटकों की एक बड़ी संख्या ने मंदिर को उसकी मूल स्थिति में देखने की इच्छा व्यक्त की थी।

मोदी सरकार के आंकलन के मुताबिक कश्मीर में कुल 1842 हिंदू मंदिर या फिर पूजास्थल हैं। इनमें से 952 मंदिर हैं जिनमें 212 में पूजा चल रही है जबकि 740 जीर्ण शीर्ण हालत में है। मोदी सरकार ने सबसे पहले झेलम नदी के किनारे बने रघुनाथ मंदिर का फिर से निर्माण किया। भगवान राम का ये मंदिर महाराजा गुलाब सिंह ने 1835 में बनवाया था। इसके अलावा अनंतनाग का मार्तंड मंदिर, पाटन का शंकरगौरीश्वर मंदिर, श्रीनगर के पांद्रेथन मंदिर, अवंतिपोरा के अवंतिस्वामी और अवंतिस्ववरा मंदिर के पुनरोद्धार का काम चल रहा है। अनंतनाग जिले में एएसआई द्वारा संरक्षित मार्तंड सूर्य मंदिर में मई 2022 में सुबह 100 से अधिक तीर्थयात्रियों ने कुछ घंटों तक पूजा-अर्चना की। इस कार्यक्रम के जरिए सूर्य मंदिर में पहली बार शंकराचार्य जयंती मनाई गई है। कहा जाता है कि 8वीं शताब्दी के इस मंदिर को सिकंदर शाह मिरी के शासन के दौरान 1389 और 1413 के बीच नष्ट कर दिया गया था।

केदारनाथ धाम

मोदी सरकार ने केदारनाथ धाम के पुनर्विकास का बीड़ा उठाया। 2013 की भीषण आपदा से बर्बाद हुए केदारनाथ धाम की भव्यता को फिर से निखारा गया। फिर से बने केदारनाथ मंदिर परिसर का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि केदारनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण उनके लिए एक व्यक्तिगत लक्ष्य तो था ही लेकिन उन्हें 2013 और 2017 में उत्तराखंड की जनता को किया गया अपना वादा भी याद था। प्रधानमंत्री मोदी ने श्री आदि शंकराचार्य समाधि का उद्घाटन किया और उनकी प्रतिमा का अनावरण किया। संपूर्ण पुनर्निर्माण कार्य प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में हुआ, जिन्होंने परियोजना की प्रगति की लगातार समीक्षा और निगरानी की। 

प्रधानमंत्री ने करीब चार सौ करोड़ रुपये की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया, जिनमें सरस्वती और मंदाकिनी रिटेनिंग वॉल, आस्था पथ, घाट, तीर्थ पुरोहितों के घरों और मंदाकिनी नदी पर गरुड़ चट्टी पुल शामिल है। अब केदारनाथ मंदिर, श्रद्धालु और वहां रहने वाले सेवादारों की सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम हो चुके हैं। आपदा से पहले के मुकाबले यहां पर यात्रियों को बेहत्तर सुविधाएं मिल रही हैं। इससे अब केदारनाथ में रिकॉर्ड संख्या में यात्री आ रहे हैं। पहली बार वर्ष 2019 में दस लाख से अधिक यात्री दर्शन के लिए आए थे। विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद कम समय में पुनर्निर्माण कार्यों को पूरा करना प्रधानमंत्री मोदी की लगातार मॉनिटरिंग के कारण संभव हुआ है।

चार धाम परियोजना
मोदी सरकार ने देवनगरी उत्तराखंड में एक और शुरुआत की। वो है चार धाम परियोजना जिसके तहत एक आधुनिक, हर मौसम की मार झेल सकने वाली सड़कें जो चारों धामों यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ धाम को जोड़ेंगी। प्रधानमंत्री मोदी का ये सपना है कि देश भर से श्रद्धालु और पर्यटक इन चार पवित्र धामों में जाएं और इसके लिए इस सड़क परियजना को पूरा करने का काम तेजी से चल रहा है। इस चार धाम की सड़क के अलावे मोदी सरकार बहुत तेजी से पावन नगरी ऋषिकेश को रेल मार्ग से कर्णप्रयाग से जोड़ने का काम चल रहा है। प्रधानमंत्री मोदी को भरोसा है कि ये रेलवे याइन 2025 से शुरु हो जाएगी।

विदेशी जमीन पर मंदिरों का पुनर्निमाण

प्रधानमंत्री मोदी न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया के दूसरे देशों मं भी मंदिरोंं को भव्य बनाने पर जोर देना शुरु कर दिया है। साल 2019 में प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने मनामा और अबू धाबी में भगवान श्रीकृष्ण श्रीनाथजी के पुनर्निर्माण के लिए 4.2 मिलियन डॉलर देने का ऐलान किया। इसके साथ ही 2018 में पीएम मोदी ने अबू धाबी में बनने वाले पहले हिंदू मंदिर की आधारशिला रखी थी।

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