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बंगाल में कांग्रेस की दुर्गति से सांसद अधीर रंजन को सताने लगा हार का डर, कहा- मुस्लिम वोट ले गई टीएमसी, अब हम भी हो जाएंगे ‘पूर्व सांसद’

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पश्चिम बंगाल में कांग्रेस अपनी दुर्गति से दुखी हुए बिना बीजेपी की हार से खूब खुश है। कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रिया से लग रहा है कि टीएमसी की जीत उनकी जीत है। लेकिन अब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी को अपनी हार का डर सताने लगा है। उन्होंने कांग्रेस के खिसकते जनाधार और शून्य पर पहुंचने को लेकर अपना दर्द बयां किया है। 

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन ने अपनी पार्टी की इस दुर्गति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सारे मुस्लिम वोट टीएमसी के खाते में चले गए, इसीलिए उनकी पार्टी की हार हुई। उन्होंने राज्य में अपने गठबंधन साथी लेफ्ट पर भी निशाना साधते हुए कहा कि उसने अपने वोट टीएमसी को ट्रांसफर कर दिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पिछड़ने के यही 2 कारण हैं। 

अधीर रंजन चौधरी ने सीतलकूची की उस घटना का भी जिक्र किया, जहां अर्धसैनिक बलों द्वारा आत्मरक्षार्थ की गई फायरिंग में 4 लोगों की मौत हो गई थी। उन्होंने कहा कि ये चारों ही मुस्लिम थे, जिसके बाद ध्रवीकरण और तेज़ हुआ। उन्होंने टीएमसी पर इन घटनाओं से फायदा उठाने का आरोप लगाया और कहा कि महिलाओं और मुस्लिमों ने ममता बनर्जी पर भरोसा किया। उन्होंने माना कि लेफ्ट के वोटों का एक हिस्सा टीएमसी को ट्रांसफर हुआ है।

अधीर रंजन ने कहा कि अब तक मुख्यतः मुस्लिम वोट कांग्रेस को ही मिलते आए थे। उन्होंने कहा कि जब हिन्दू वोट बीजेपी को और मुस्लिम वोट ममता को चले गए तो हमारे लिए कुछ बचा ही नहीं। उन्होंने माना कि कांग्रेस इस चुनाव में जनता को कुछ प्रस्ताव या विजन देने में असफल रही। उन्होंने कहा कि ये इतनी बुरी हार है कि हमारे पास भविष्य के लिए कोई योजना ही नहीं है।

अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि जिस तरह कांग्रेस का जनाधार खिसक रहा है, उससे आगे की राह मुश्किल होने जा रही है। अगर ऐसे ही हालात रहे तो  उन्हें भी ‘पूर्व सांसद’ कहा जा सकता है, क्योंकि परिस्थितियां इसी ओर इशारा कर रही है। हालांकि, उन्होंने उम्मीद जताई कि मोदी सरकार की विश्वसनीयता गिरने से उनकी पार्टी को संजीवनी मिल सकती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को फेसबुक-ट्विटर छोड़ सड़क पर नहीं उतरी तो ये मौका भी चला जाएगा।

गौरतलब है कि बंगाल में जहां 2016 में 3 सीटें जीतने वाली बीजेपी 2021 में 77 सीटों तक पहुंच गई, वहीं कांग्रेस का सफाया हो गया है। 2016 में कांग्रेस 44 सीटों पर जीत हासिल की थी, जो 2021 में शून्य पर सिमट गई है। कांग्रेस के सबसे मजबूत गढ़ रहे मुर्शिदाबाद और मालदा में भी उसे पूरी तरह खारिज कर दिया गया है। यहां तक कि अधीर चौधरी का गढ़ और संसदीय क्षेत्र की बहरमपुर विधानसभा सीट पर बीजेपी जीत गई। पांच साल पहले 2016 में कांग्रेस और लेफ्ट को 38 प्रतिशत वोट और 76 सीटें मिली थीं। लेकिन इस बार वोटों का प्रतिशत भी 10 प्रतिशत से नीचे आ गया है। इसमें लेफ्ट के वोट 5.5 प्रतिशत हैं तो कांग्रेस को महज 2.9 प्रतिशत वोटों से ही संतोष करना पड़ा है।

 

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