Home चुनावी हलचल सोशल इंजीनियरिंग और गन्ने की मिठास से सत्ता को साधेंगे सीएम योगी

सोशल इंजीनियरिंग और गन्ने की मिठास से सत्ता को साधेंगे सीएम योगी

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उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ये साफ कर दिया है कि सोशल इंजीनियरिंग और गन्ने की मिठास के सहारे ही वे आगामी विधानसभा चुनाव की नैया पार लगाएंगे। विधानसभा चुनाव से करीब पांच माह पूर्व सरकार के बहुप्रतीक्षित मंत्रिमंडल विस्तार में जितिन प्रसाद, संगीता बलवंत बिंद, धर्मवीर प्रजापति (कुम्हार), पलटूराम सोनकर, दिनेश खटिक, संजीव कुमार गौड़ और छत्रपाल सिंह गंगवार को मंत्री बनाकर एक ओर जहां हर तबके को प्रतिनिधित्व दिया गया वहीं दूसरी ओर सामाजिक संतुलन का भी ध्यान रखा गया है। एक सवर्ण, तीन ओबीसी, एक अनुसूचित जनजाति और दो अनुसूचित जाति के नेताओं को मंत्री पद देकर सीएम योगी ने जहां शोषित व वंचित वर्गों को सत्ता में भागीदारी देने का सियासी संदेश दिया है, वहीं प्रदेश की राजनीति में पहली बार भुर्जी समुदाय के नेता को एमएलसी बनाकर बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत सभी विपक्षी दलों की नींद उड़ी दी है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री योगी ने गन्ना मूल्य बढ़ाकर कृषि कानूनों के विरोध में राकेश टिकैत के नेतृत्व में चल रहे तथाकथित आंदोलन को कुचलकर नाराज चल रहे किसानों को भी अपने पाले में लाने की कोशिश की है।

जातीय संतुलन संग क्षेत्रीय समीकरण साधने की भी कोशिश
विस्तार के जरिये कोरोना काल में वर्तमान मंत्रिमंडल के तीन सदस्यों की दुर्भाग्यपूर्ण मौत से उत्पन्न क्षेत्रीय व जातीय असंतुलन को दूर करने के साथ पश्चिम व पूर्वांचल के बीच भी संतुलन साधा गया है। यही नहीं, इसके जरिये पार्टी के कोर वोट के साथ नए वर्गों को भी साथ लाने का संदेश है। जिन लोगों को शपथ दिलाई गई है उनमें जितिन प्रसाद के रूप में एक अगड़ा (ब्राह्मण), तीन पिछड़े, दो अनुसूचित जाति और एक अनुसूचित जनजाति का चेहरा है। संजीव कुमार गोंड के रूप में अनुसूचित जनजाति के किसी चेहरे को पहली बार मंत्रिमंडल में शामिल करके न सिर्फ प्रदेश में जहां-तहां बसे वनवासी और आदिवासी जातियों को भाजपा के साथ लाने, बल्कि मिर्जापुर, सोनभद्र के साथ चित्रकूट के कुछ हिस्सों में इनके कारण मतदान पर पड़ने वाले प्रभाव का ध्यान देते हुए सियासी समीकरणों को साधने की कोशिश की गई है। विस्तार में पश्चिम से चार व पूरब से तीन चेहरों को लेकर क्षेत्रीय संतुलन बनाने पर भी ध्यान दिया गया है।

सबका साथ, सबका विकास फॉर्मूला अपनाकर पं. दीनदयाल उपाध्याय के सपनोंं को किया साकार 
भाजपा सरकार के तीसरे मंत्रिमंडल विस्तार में सबका साथ, सबका विकास फॉर्मूले को मूर्त रूप दिया गया है। कैबिनेट विस्तार से भाजपा ने लोगों में समरसता का संदेश और अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को अवसर दिया है। इसके अलावा पंडित दीनदयाल के सपने को साकार करने के दिशा में बड़ी पहल की है। राजनीतिक विश्लेषककों का कहना है कि विस्तार से  पं. दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय अर्थात समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को भागीदारी व सम्मान देने के संकल्प का संदेश निकल रहा है। इसके जरिये समावेशी राजनीति को भी मजबूती देने की कोशिश हुई है। इससे योगी सरकार के बेहतर विकास प्रदर्शन के साथ अस्मिता की राजनीति को ताकत मिलेगी। वहीं, दूसरी तरफ पार्टी की ओर से एमएलसी के लिए शाहजहांपुर के जितिन प्रसाद, शामली के चौधरी वीरेंद्र सिंह गुर्जर, गोरखपुर के निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद और मुरादाबाद के गोपाल अंजान भुर्जी के नाम पर मुहर लगा दी गई है। 

जितिन प्रसाद के बहाने दूसरे दलों के प्रभावी नेताओं को दिया भाजपा में शामिल होने का मूक निमंत्रण
विस्तार में मंत्री बनाए गए चेहरों में जितिन प्रसाद सहित कुछ अन्य पहले दूसरे दलों में रहे हैं। जितिन प्रसाद शाहजहांपुर से ब्राह्मण और सवर्ण चेहरे हैं और हाल ही में कांग्रेस छोड़कर उन्होंने भाजपा का दामन थामा था। कांग्रेस सरकार में वह दो बार केंद्रीय राज्य मंत्री भी रह चुके हैं। भाजपा ने उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया है। इन्हें मंत्री बनाकर भाजपा ने दूसरे दलों के प्रभावी नेताओं को भाजपा ने मूक आमंत्रण भी दे दिया है। उन्हें यह भरोसा दिलाने की कोशिश की गई है कि वे आएंगे तो उनके पद व कद का पूरा ध्यान रखा जाएगा।

वोटों की गणित पर ध्यान रख सबको खुश करने की कोशिश

कुर्मी वोट भाजपा का परंपरागत मतदाता माना जाता है। बीते दिनों संतोष गंगवार की केंद्रीय मंत्रिमंडल से विदाई के बाद बरेली के बहेड़ी से ही भाजपा विधायक छत्रपाल गंगवार को मंत्रिमंडल में लेकर भाजपा ने कुर्मियों की नाराजगी का खतरा दूर करने के साथ इनके सम्मान का ध्यान रखने का संदेश दिया है। प्रदेश की अनसूचित जाति की आबादी में करीब 3 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखने वाली खटिक व सोनकर बिरादरी को भी इस विस्तार में जगह देकर गैर जाटव मतदाताओं की भाजपा के साथ लामबंदी मजबूत की गई है। बलरामपुर से विधायक पल्टूराम और मेरठ की हस्तिनापुर से विधायक दिनेश खटिक के रूप में इन्हें दो स्थान देकर भाजपा ने अपने परंपरागत कोर वोट को संतुष्ट ही नहीं किया, बल्कि यह  संदेश भी दिया है कि उसे अपने कोर वोट का  पूरा ख्याल है। डॉ. संगीता के रूप में न सिर्फ पूर्व के मंत्रिमंडल में शामिल कमल रानी वरुण की मौत से कम हुए महिला प्रतिनिधित्व को संतुलित किया गया है, बल्कि पूर्वी यूपी में वोटों के लिहाज से प्रभावी बिंद जाति को भी साधने का काम करके पिछड़ों में 10 प्रतिशत की भागादारी वाली निषाद व मल्लाह जैसी बिरादरियों के समूह को और मजबूती से साथ रखने की कोशिश की है।

ब्राह्मणों को साधा, अनदेखी के आरोपों को नकारा
लोकसभा के दो बार सांसद और केंद्र की मनमोहन सरकार में मंत्री रहे शाहजहांपुर के जितिन प्रसाद को लेकर न सिर्फ चेतन चौहान की मृत्यु से मंत्रिमंडल में घटे अगड़ी जाति के प्रतिनिधित्व को संतुलित किया गया है, बल्कि प्रदेश में बीते कुछ महीनों से ब्राह्मणों की अनदेखी की खबरों को भी खारिज करने की कोशिश की है। गौरतलब है कि भाजपा में शामिल होने से पहले जितिन ने खुद इस मुद्दे पर अभियान चलाया था। जाहिर है कि भाजपा ने उन्हें ही कैबिनेट मंत्री की शपथ दिलाकर यह संदेश दे दिया है कि वर्तमान सरकार में ब्राह्मणों की अनदेखी की अटकलें पूरी तरह निराधार है। इसी तरह धर्मवीर प्रजापति को मंत्री बनाकर भाजपा ने पिछड़ों में गैर यादव 3 प्रतिशत प्रजापति व कुम्हार जाति को भाजपा के साथ जोड़ने की कोशिश की है।

विधायकों के निधन से बिगड़े जातीय समीकरण को संभाला
अगस्त 2019 में मंत्री बने विजय कश्यप के निधन से पिछड़ी जातियों की संख्या 19 की जगह 18 रह गई थी। विस्तार में एक कुर्मी, एक प्रजापति (कुम्हार) और एक बिंद को शामिल करके कश्यप के निधन के बाद असंतुलित हुए समीकरणों को दुरुस्त किया गया है। साथ ही पिछड़ों की भागीदारी बढ़ाकर भी भाजपा की सियासत में इनका खास ध्यान रखने का संदेश देकर विपक्ष के लिए सियासी चुनौती खड़ी करने का प्रयास किया है। 
अगस्त 2019 के विस्तार के बाद मंत्रिमंडल में अनुसूचित जाति के सात चेहरे हो गए थे। पर कमल रानी वरुण के निधन से यह संख्या घटकर 6 रह गई थी। दूसरे विस्तार में अनुसूचित जाति की खटिक बिरादरी से दो चेहरों को लेकर न सिर्फ वरुण के निधन से दलितों के कम हुए प्रतिनिधित्व को दुरुस्त किया गया है, बल्कि इनका प्रतिनिधित्व बढ़ाकर भाजपा के साथ चलने का संदेश देने की कोशिश हुई है। वहीं जितिन प्रसाद को शामिल कर कैबिनेट मंत्री चेतन चौहान की मौत से घटे अगड़े जातियों के प्रतिनिधित्व को 28 ही बनाए रखा गया है।।

राजभर समेत सभी विपक्षी दलों को इस तरह दिया झटका
ओम प्रकाश राजभर पूर्वांचल में बिंद जाति के नेताओं को अपने दल में खास तरजीह दे रहे थे। वहीं बसपा के समीकरण की गति को मध्यम करने के मकसद से अवध क्षेत्र के बलरामपुर से पल्टू राम और मेरठ के हस्तिनापुर से दिनेश खटीक को राज्यमंत्री बनाया गया है। पार्टी इसके जरिये एक तीर से दो निशाने लगाना चाहती है। पश्चिम में वह चंद्रशेखर की आजाद पार्टी की रफ्तार थामने की कोशिश में है तो अवध में देवीपाटन से लेकर अयोध्या-अंबेडकरनगर में बसपा से जुड़े दलितों को संदेश देने की कोशिश है। वहीं बरेली से केंद्रीय मंत्री रहे संतोष गंगवार के हटने के मद्देनज़र ही बहेड़ी के छत्रपाल सिंह गंगवार को शामिल किया गया है। उनके जरिये रुहेलखंड में संदेश देने की कोशिश की गई है कि पार्टी के लिए ओबीसी वर्ग के कुर्मी समाज का भी महत्व बरकरार है।

गन्ना मूल्य बढ़ाकर नाराज किसानों को मनाया 

 विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों का इंतजार खत्म करते हुए गन्ना मूल्य (एमएसपी)में प्रति कुंतल 25 रुपये की बढ़ोतरी कर नाराज चल रहे गन्ना किसानों को भी अपने पाले में लाने की कोशिश की है। मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि 315 रुपये प्रति कुंतल में बिकने वाले सामान्य गन्ना अब 340 रुपये में, 325 रुपये कुंतल बिकने वाला गन्ना 350 रुपये प्रतिकुंतल बिकेगा। अनउपयुक्त अगैती गन्ना के मूल्य में भी 25 रुपये कुंतल की वृद्धि होगी। उन्होंने दावा किया कि इससे गन्ना किसानों की आय में आठ फीसदी की वृद्धि होगी। उनके जीवन स्तर में सुधार होगा।

 

 

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