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मोदी सरकार में दोहरी राहत : त्योहारों से पहले आम आदमी के लिए गुड न्यूज, सब्जी-फल, मसाले सस्ते होने से खुदरा महंगाई दर घटकर हुई 5.02%, औद्योगिक उत्पादन 14 महीने के उच्च स्तर पर पहुंचा

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पीएम नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी विजन से जहां एक ओर भारतीय अर्थव्यवस्था छलांगे मारती हुई विश्व के प्रमुख देशों से होड़ कर रही है, वहीं आम आदमी की दृष्टि से भारतीय अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर दोहरी राहत की गुड न्यूज आई है। एक ओर फल-सब्जियों के दाम घटने से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित (सीपीआई) मुद्रास्फीति सितंबर में घटकर 5.02 प्रतिशत ही रह गई, जो इससे पिछले महीने अगस्त में 6.83 प्रतिशत थी। दूसरी ओर औद्योगिक उत्पादन भी अगस्त में 14 महीने के उच्च स्तर 10.3 प्रतिशत पर पहुंच गया। महंगाई दर में यह गिरावट खाने का सामान, पेय पदार्थ, ईंधन आदि की कीमतों में उल्लेखनीय कमी आने से आई है। इस दौरान मुख्य (कोर) मुद्रास्फीति 4.7 प्रतिशत रही जो फरवरी, 2020 के बाद सबसे कम है।

शहरी के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में भी खुदरा महंगाई दर में गिरावट दर्ज
सांख्यिकी मंत्रालय के मुताबिक शहरी इलाकों में महंगाई दर अगस्त महीने में 6.59% थी, जो सितम्बर में घटकर 4.65% रह गई। ग्रामीण इलाकों में भी खुदरा महंगाई दर में गिरावट दर्ज हुई है। अगस्त महीने में ग्रामीण भारत में महंगाई दर 7.02% के ऊंचे स्तर पर थी, जो पिछले महीने घटकर 5.33% हो गई। सांख्यिकी मंत्रालय सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में चुने हुए 1114 शहरी बाजारों और 1181 गांवों से महंगाई से जुड़े आंकड़े इकठ्ठा करता है, जिसके आधार पर देश में महंगाई दर का आंकलन किया जाता है।

चौथी बार नीतिगत दर को यथावत रख महंगाई को 4% पर लाने का लक्ष्य
राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार मुख्य रूप से सितंबर में खाने के सामान की कीमतें घटने से खाद्य मुद्रास्फीति 6.56 प्रतिशत पर आ गई, जबकि अगस्त में यह 9.94 प्रतिशत थी। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में खाद्य वस्तुओं की हिस्सेदारी करीब आधी है। भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले सप्ताह लगातार चौथी बार नीतिगत दर को यथावत रखा और साफ किया कि उसका लक्ष्य महंगाई को चार प्रतिशत पर लाना है।

औद्योगिक उत्पादन में बूम, 14 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचा
फल-सब्जियों के मामले में महंगाई दर सितंबर में घटकर 3.39 प्रतिशत पर आ गई जो अगस्त में 26.14 प्रतिशत थी। दूसरी तरफ, विनिर्माण, खनन और बिजली क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन से देश में औद्योगिक उत्पादन वृद्धि अगस्त में 14 महीने के उच्चतम स्तर 10.3 प्रतिशत पर रही। उपयोग आधारित वर्गीकरण के तहत छह में से तीन क्षेत्रों में दहाई अंक में वृद्धि दर्ज की गयी है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के जरिये आंकी जाने वाली औद्योगिक उत्पादन वृद्धि जुलाई में छह प्रतिशत रही थी, जबकि पिछले साल अगस्त में इसमें 0.7 प्रतिशत की गिरावट आई थी। इससे पहले, जून, 2022 में औद्योगिक उत्पादन में सबसे ज्यादा 12.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

त्योहारों में मांग अधिक होने से औद्योगिक उत्पादन और बढ़ने की उम्मीद
त्योहरों के दौरान मांग अधिक रहने की उम्मीद में भंडारण बढ़ने का असर उपभोक्ता वस्तुओं पर देखा जा रहा है। गैर-टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन में अगस्त में नौ प्रतिशत की वृद्धि हुई, वहीं टिकाऊ उपभोक्ता सामान के मामले में वृद्धि दर 3.5 प्रतिशत रही। विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में अगस्त में 9.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो 14 महीने का उच्च स्तर है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार आलोच्य महीने में खनन उत्पादन 12.3 प्रतिशत बढ़ा। वहीं बिजली उत्पादन में 15.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई। उपयोग-आधारित वर्गीकरण के अनुसार, पूंजीगत सामान खंड में इस साल अगस्त में 12.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई जो पिछले साल अगस्त में 4.3 प्रतिशत थी।

अर्थशास्त्रियों के मुताबिक औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में रहेगा वृद्धि का रुख
इस चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों अप्रैल-अगस्त के दौरान आईआईपी वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत रही। आंकड़ों पर अपनी प्रतिक्रिया में एक्यूट रेटिंग्स एंड रिसर्च में मुख्य अर्थशास्त्री सुमन चौधरी ने कहा कि आईआईपी में वृद्धि का रुख वित्त वर्ष 2023-24 में जारी रहने की उम्मीद है। रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर के मुताबिक सितंबर में खुदरा मुद्रास्फीति में व्यापक गिरावट रही। खानपान की वस्तुओं और ईंधन खंड ने इसमें अहम भूमिका निभाई।

दाम 35% घटने से सॉलिटेयर डायमंड की बिक्री 20% बढ़ी
दुनिया में उथल-पुथल के बीच डेढ़ साल में कीमतें 35% घटने के बीच देश में सॉलिटेयर डायमंड की बिक्री 20% तक बढ़ी है। किसी ज्वेलरी के पीस में जड़ा हीरे को सॉलिटेयर डायमंड कहते हैं। फिलहाल 25-30 साल की उम्र के कई लोग शादी के लिए सॉलिटेयर हीरे की ज्वेलरी खरीद रहे हैं। जबकि 40- 45 साल की उम्र के अमीरों के लिए यह सालगिरह पर गिफ्ट देने का पसंदीदा विकल्प बन गया है। सेनको गोल्ड एंड डायमंड्स और मालाबार गोल्ड एंड डायमंड्स रिटेल चेन का अनुमान है कि देश में सॉलिटेयर, या वन-पीस डायमंड की मांग में कोविड-पूर्व के मुकाबले 20% तक की वृद्धि होगी।

5 लाख का हीरा 1.5 लाख के डिस्काउंट में बिक रहा
इंडस्ट्री सोर्सेज के अनुसार एक कैरेट डायमंड की कीमत 2004 में लगभग 7,000 डॉलर थी, वर्तमान में लगभग यही कीमत है। यह निवेश और खरीदारी के लिहाज से एक अच्छा मौका कहा जा सकता है। 5 लाख रु. का सॉलिटेयर डायमंड 1.5 लाख रु. के डिस्काउंट पर मिल रहा है। मालाबार गोल्ड एंड डायमंड्स के चेयरमैन एमपी अहमद ने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय बाजार के रुझान के अनुरूप सॉलिटेयर डायमंड की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। कंपनी की बिक्री वर्ष 2021 और 2023 के बीच बढ़कर दोगुनी से अधिक हो गई है।’

हर सेक्टर में असर, एफडी पर ब्याज पांच साल में सबसे बेहतर
मोदी सरकार की नीतियों के चलते बाजार के अनुकूल माहौल का असर हर सेक्टर में नजर आ रहा है। बैंकों की बात करें तो एफडी पर ब्याज की दरें पांच साल में सबसे ज्यादा मिल रही हैं। त्योहारी सीजन से पहले बैंक डिपॉजिट जुटाने के लिए जमकर प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। इसके चलते एफडी की ब्याज दरें बीते 5 वर्षों में सबसे अच्छे स्तर पर पहुंच गई हैं। बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने दो दिन पहले ब्याज दरों में 1.25% तक की बढ़ोतरी की है। इसके अलावा बैंक ऑफ बड़ौदा, यूको बैंक जैसे बैंकों ने एक महीने के भीतर टर्म डिपॉजिट की ब्याज दरों में 0.15% से लेकर 0.50% तक बढ़ोतरी कर दी है। रेटिंग एजेंसी केयर एज की ताजा रिपोर्ट में आरबीआई के हवाले से बताया गया है कि 8 सितंबर 2023 तक बैंकों द्वारा बांटा गया कर्ज एक साल पहले की तुलना में 19.8% बढ़कर 150.4 लाख करोड़ रुपए हो गया। इसी अवधि में डिपॉजिट में 13.6% की ही बढ़ोतरी हुई। स्टेबल मनी के संस्थापक सौरभ के मुताबिक बैंक रेपो रेट इस समय पिछले सात सालों में सबसे ज्यादा है। साथ ही बैंकों की एफडी रेट पिछले एक दशक में सबसे ज्यादा हैं।

 

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