फरवरी 2014 में यूपीए सरकार के रक्षा मंत्री एके एंटनी ने कहा था कि फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं। उन्होंने कहा था कि सरकार ने विमान खरीदने के लिए सौदे को अंतिम रूप देने की अपनी योजना अगले वित्तीय वर्ष के लिए टाल दी है क्योंकि फिलहाल इसके लिए कुछ भी धन नहीं बचा है। उसी साल मई 2014 में देश ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री चुना। पीएम मोदी के आते ही 2016 में फ्रांस के साथ 36 विमानों की खरीद के लिए समझौते हुआ। राफेल फाइटर जेट की पहली खेप 29 जुलाई, 2020 को भारत पहुंच भी गई। और अब चीन व पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए पूर्वी लद्दाख में करीब 200 करोड़ लागत से न्योमा एयरफील्ड को अपग्रेड किया जा रहा है, जहां से राफेल जैसे लड़ाकू विमान फर्राटे भरेंगे। यह लद्दाख के पूर्वी भाग में 14,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और सेनानियों और ट्रांसपोर्टरों के लिए आधार के रूप में कार्य करेगा। इस हवाई क्षेत्र के निर्माण से लद्दाख में हवाई बुनियादी ढांचे को काफी बढ़ावा मिलेगा और उत्तरी सीमाओं पर भारतीय वायुसेना की क्षमता में वृद्धि होगी। यहां से पाकिस्तान के कब्जे वाला गिलगित-बाल्टिस्तान भी ज्यादा दूर नहीं है।
एके एंटनी ने कहा था- ‘राफेल खरीदने के लिए पैसे नहीं’
यूपीए सरकार में रक्षा मंत्री रहे एके एंटनी ने फरवरी 2014 में कहा था कि भारत ने फ्रांस से 126 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए सौदे को अंतिम रूप देने की अपनी योजना अगले वित्तीय वर्ष के लिए टाल दी है क्योंकि फिलहाल इसके लिए कुछ भी धन नहीं बचा है। एंटनी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘सरकार की वित्तीय हालत ठीक नहीं है और इसके लिए धन नहीं बचा है।’ उन्होंने कहा कि बजट भी खर्च हो चुका है। कई अन्य परियोजनाएं भी विचाराधीन हैं।
5 Rafales have left French shores for journey to India. Good time to replug this clippic.twitter.com/JOTtG8NPj7
— iMac_too (@iMac_too) July 27, 2020
चीन के साथ सीमा विवाद के बीच मोदी सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 12 सितंबर 2023 को वर्चुअल माध्यम से पूर्वी लद्दाख में न्योमा एयरफील्ड की आधारशिला रखी, जिसे 200 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जाएगा। रक्षा मंत्रालय (एमओडी) ने एक बयान में कहा, “इस हवाई क्षेत्र को लगभग 200 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जाएगा। यह लद्दाख में हवाई बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देगा और उत्तरी सीमा पर भारतीय वायुसेना की क्षमता को बढ़ाएगा।“
13000 फीट ऊंचाई पर दुनिया के सबसे ऊंचे हवाईअड्डों में से एक होगा
चीन से महज 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह हवाई क्षेत्र दुनिया के सबसे ऊंचे हवाईअड्डों में से एक होगा जो सशस्त्र बलों के लिए गेम-चेंजर साबित होगा। यह करीब 13000 फीट ऊंचाई पर दुनिया के सबसे ऊंचे हवाईअड्डों में से एक होगा। पूर्वी लद्दाख के न्योमा एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड का इस्तेमाल तीन साल पहले से किया जा रहा है। चीन से सीमा पर जारी तनाव के बीच इसे सैनिकों और सामग्री के परिवहन के लिए इस्तेमाल किया गया है। साल 2020 में गलवान में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हुई झड़प के बाद दोनों देशों के बीच तनाव अभी भी जारी है। अब यहां ऐसे एयरफील्ड का निर्माण किया जा रहा है, जहां लड़ाकू विमान भी उतर सकेंगे। ऐसे में न्योमा एयरफील्ड के बन जाने से चीन की टेंशन बढ़ने वाली है।
लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर निगरानी और सुरक्षा के लिए न्योमा एयरफील्ड काफी अहम माना जा रहा है। इस नए एयरबेस से लद्दाख में निगरानी बढ़ाने के लिए लड़ाकू विमान, नए रडार और उन्नत ड्रोन संचालित हो सकेंगे। इस एयरबेस को तैयार करना, लगातार आक्रामक होते रहे चीन के खिलाफ आक्रामक क्षमताओं को बढ़ाने की योजना का हिस्सा है। हालांकि साल 2020 के बाद उस जैसी कोई झड़प नहीं हुई है, लेकिन तनाव बढ़ने के तीन साल बाद से दोनों पक्षों की ओर से बड़ी संख्या में तैनाती का गई है।
न्योमा एयरफील्ड जुड़ी कुछ खास बातें
♦ न्योमा एयरफील्ड चीन की सीमा से सिर्फ 50 किलोमीटर दूर है। ये जमीनी दूरी है।
♦ हवाई दूरी की बात करें तो ये चीन की सीमा से सिर्फ 15 किलोमीटर दूर है।
♦ ये दुनिया का सबसे ऊंचा एयरफील्ड बन रहा है।
♦ इससे LAC के करीब तक फाइटर ऑपरेशन आसान होगा।
♦ पूर्वी लद्दाख को सुरक्षित करने वाला वायुसेना का पहला रेस्पॉन्डर।
♦ ईस्टर्न लद्दाख में पैंगोंग, चुशूल, गलवान में चीन की गतिविधियों पर नजर।
♦ राफेल, तेजस, सुखोई-30, मिग 29 लड़ाकू विमानों को उड़ाया जा सकता है।
♦ ये लद्दाख में तीसरा फाइटर एयरबेस होगा।
♦ इससे पहले लेह और थोईस में एयरबेस हैं।
♦ जंगी ऑपरेशंस के लिए इसका इस्तेमाल होगा।
♦ LAC पर आक्रामक चीन को करारा जवाब मिलेगा।
भारत को मिला पहला सी-295 मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट
एक तरफ यूपीए के रक्षा मंत्री एके एंटनी 2014 में कह रहे थे कि राफेल विमान खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं। लेकिन उसके दो साल बाद ही 2016 में मोदी सरकार ने राफेल के लिए समझौता कर लिया और 2020 में राफेल भारत पहुंच भी गया। इसके बाद अब भारतीय वायु सेना (IAF) को 13 सितंबर 2023 को देश का पहला C-295 मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट भी मिल गया। वायु सेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी ने स्पेन में एक समारोह में इसे स्वीकार किया। मिलिट्री ट्रांसपोर्ट कैटेगरी के इस विमान का निर्माण एयरबस ने किया है। एयरक्राफ्ट को लेकर एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी ने कहा, “इसके शामिल होने से हमारी सेनाओं को किसी भी समय अग्रिम पंक्ति में ले जाने की क्षमता में जबर्दस्त बढ़ावा होगा।” उन्होंने कहा कि भारतीय वायु सेना जल्द ही सी-295 एयरक्राफ्ट की सबसे बड़ी ऑपरेटर बन जाएगी।
भारत ने सितंबर 2021 में स्पेन की एयरबस के साथ 56 सी-295 मिलिट्री एयरक्राफ्ट की खरीद को मंजूरी दी थी। रक्षा मंत्रालय ने एयरबस डिफेंस के साथ करार पर हस्ताक्षर किए थे। 56 एयरक्राफ्ट में 16 का निर्माण स्पेन में होना है। इसके बाद दोनों कंपनियों के बीच हुए एक औद्योगिक साझेदारी के तहत शेष 40 विमानों का निर्माण और संयोजन भारत में टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) करेगी।
देश में बनेगा पहला सैन्य परिवहन विमान
सी-295 मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट न केवल भारतीय वायुसेना के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक बड़ा मील का पत्थर है। इसके दो कारण हैं। पहला- भारतीय वायुसेना के लिए यह स्ट्रैटेजिक एयरलिफ्ट क्षमताओं में सुधार करता है। यह देश के लिए एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है। दूसरा- यह आत्मनिर्भर भारत के लिए भी अहम है। दरअसल, स्पेन से पहले 16 विमान लेने के बाद 17वां विमान भारत में ही बनाया जाएगा। यह भारतीय विमानन उद्योग के लिए एक बड़ा कदम है, जहां देश में पहला सैन्य परिवहन विमान बनाएंगे।
पीएम मोदी ने C-295 विमान निर्माण सुविधा की वडोदरा में रखी नींव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 अक्टूबर 2022 को वडोदरा में सी-295 मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट निर्माण यूनिट की आधारशिला रखी थी। ये किसी निजी कंपनी द्वारा भारत में निर्मित होने वाला पहला सैन्य विमान होगा। वडोदरा अब इसका निर्माण जल्द शुरू होने वाला है। कॉन्टेक्ट के अनुसार स्पेन में बनाए जा रहे शेष 15 विमानों की डिलीवरी 2024 के अंत तक की जाएगी। वहीं, भारत में बनने वाले 40 विमानों की डिलीवरी 2031 तक की जाएगी। पहला विमान सितंबर 2026 के आसपास हैंगर से बाहर आने की संभावना है।
आज भारत को दुनिया का बड़ा विनिर्माण हब बनाने की दिशा में हम बहुत बड़ा कदम उठा रहे हैं। भारत आज अपना लड़ाकू विमान, टैंक, पनडुब्बी बना रहा है। इतना ही नहीं भारत में बनी दवाइयां और वैक्सीन भी दुनिया में लाखों लोगों का जीवन बचा रही हैं: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी https://t.co/g1pMmiTr7f pic.twitter.com/4b6gN9NDmE
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 30, 2022
सी-295 विमान निर्माण से भारत दर्जनभर देशों की लीग में शामिल हो जाएगा
सी-295 परिवहन विमान निर्माण सुविधा के शुभारंभ के साथ भारत सैन्य परिवहन विमानों के निर्माण की क्षमता वाले लगभग एक दर्जन देशों की एक शानदार लीग में प्रवेश करेगा। वर्तमान में, अमेरिका, जापान, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस, इटली, स्पेन, यूक्रेन, ब्राजील, चीन और जापान के पास यह क्षमता है।
सी-295 विमान की 5-10 टन भार ढोने की क्षमता
सी-295 विमान की भार ढोने की क्षमता 5-10 टन है। यह एक बार में लगभग 71 सैनिकों या 49 पैराट्रूपर्स को लेकर जा सकता है। सी-295 करीब 480 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से करीब 11 घंटे तक उड़ान भर सकता है। C295 को स्ट्रैटेजिक मिशनों के लिए नीचे उड़ान भरने के लिए डिजाइन किया गया है, जो 110 समुद्री मील की गति से उड़ान भर सकता है।
रियर रैंप दरवाजा से लैस है सी-295 विमान
तेज रिस्पांस, सैनिकों और कार्गो की पैरा-ड्रॉपिंग के लिए सी-295 विमान एक रियर रैंप दरवाजा भी दिया गया है। सभी 56 एयरक्राफ्ट में एक स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट स्थापित किया जाएगा, जिसे भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड ने बनाया है। इसमें शॉर्ट टेक ऑफ और लैंडिंग के साथ ही अविकसित हवाई पट्टियों का भी इस्तेमाल करने की क्षमता है।