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इसरो जासूसी मामला : मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से जस्टिस डीके जैन कमेटी की रिपोर्ट पर तत्काल सुनवाई करने और दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की

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इसरो जासूसी मामले में केंद्र की मोदी सरकार ने सोमवार यानि 5 अप्रैल, 2021 को सुप्रीम कोर्ट से जस्टिस डीके जैन की अध्यक्षता वाले पैनल की सीलबंद रिपोर्ट खोलने और उस पर तत्काल सुनावाई करने और जरूरी निर्देश देने की अपील की। साथ ही दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसे लेकर उचित आदेश देने का आग्रह करते हुए कहा कि यह राष्ट्रीय महत्व का है।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की अपील पर प्रधान न्यायाधीश बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह मामला महत्वपूर्ण है, लेकिन इस पर तुरंत सुनवाई करना जरूरी नहीं है। बाद में अदालत अगले सप्ताह इस मामले को सुनने के लिए सहमत हो गई।

गौरतलब है कि पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन की अवैध गिरफ्तारी और प्रताड़ित किए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस डीके जैन की अध्यक्षत में एक उच्च स्तरीय जांच समिति गठित की थी। जांच के बाद समिति ने हाल में एक सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। 

79 वर्षीय पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन केरल पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं, जिन्होंने उन पर 1994 में पाकिस्तान का जासूस होने का आरोप लगाया था। पुलिसकर्मियों द्वारा ‘जबरदस्त प्रताड़ना’ और ‘अथाह पीड़ा’ देने के मामले की तह तक जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 14 सितंबर, 2018 को पूर्व न्यायाधीश डी के जैन की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति नियुक्त की थी, जबकि केरल सरकार को नारायणन को ‘अपमानित’ करने के लिए 50 लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया था।

इसरो जासूस मामला 1994 में सामने आया था। यह जासूसी कांड भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के बारे में चुनिन्दा गोपनीय दस्तावेज दो वैज्ञानिकों और मालदीव की दो महिलाओं सहित चार अन्य द्वारा दूसरे देशों को हस्तांतरित करने के आरोपों से संबंधित है। शुरू में इस मामले की जांच राज्य पुलिस ने की थी लेकिन बाद में इसे सीबीआई को सौंप दिया गया था।

वैज्ञानिक नंबी नारायणन को तब गिरफ्तार किया गया था, जब कांग्रेस केरल में सरकार का नेतृत्व कर रही थी। नारायणन की गैरकानूनी गिरफ्तारी के लिए केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने केरल में तत्कालीन शीर्ष पुलिस अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया था। लगभग ढाई साल की अवधि में, न्यायमूर्ति जैन की अध्यक्षता वाली समिति ने गिरफ्तारी के लिए परिस्थितियों की जांच की।

नारायणन ने केरल उच्च न्यायालय के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी जिसमें कहा गया था कि राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक सिबी मैथ्यू और सेवानिवृत्त पुलिस अधीक्षकों के जोशुआ और एस विजयन तथा तत्कालीन उपनिदेशक (खुफिया ब्यूरो) आर बी श्रीकुमार के खिलाफ ‘किसी कार्रवाई की आवश्यकता नहीं है।’

 

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