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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जन्मदिन विशेष : न्यू इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प के साथ अध्यात्म और विकास की यात्रा जारी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज 71 वर्ष के हो गए। 17 सितंबर, 1950 को दामोदरदास मोदी और हीराबा के घर जन्मे नरेन्द्र मोदी पूरी तरह देश को समर्पित है। गुजरात के मेहसाणा जिले के वड़नगर का नरेन्द्र मोदी नामक नन्हा पौधा आज वट वृक्ष बन चुका है, जिससे पूरे विश्व को छाया मिल रही है। 71 वर्ष पूर्व शुरू हुई अध्यात्म और विकास की यात्रा न्यू इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प के साथ लगातार आगे बढ़ रही है।

1958 का साल नरेन्द्र मोदी का संघ के साथ जुड़ाव का साल था। वो अपने छह भाई बहनों में तीसरे नंबर पर थे। पिता दामोदार दास मोदी घर चलाने के लिए वडनगर रेलवे स्टेशन पर चाय की दुकान चलाते थे। सुबह वो स्कूल खुलने से पहले इस चाय की दुकान पर पिता की मदद किया करते। जैसे ही स्कूल की घंटी बजती वो थैला उठाकर पटरी पार बने भागवताचार्य, नारायनाचार्य विद्यालय पहुंच जाते। 

17 वर्ष की आयु में सामान्यतः बच्चे अपने भविष्य के बारे में सोचते हैं, लेकिन नरेन्द्र मोदी के लिए यह अवस्था पूर्णत: अलग थी। उस आयु में उन्होंने एक असाधारण निर्णय लिया। उन्होंने घर छोड़ने और देश भर में भ्रमण करने का निर्णय कर लिया। स्वामी विवेकानंद की भांति उन्होंने भारत के विशाल भू-भाग में यात्राएं कीं और देश के विभिन्न भागों की विभिन्न संस्कृतियों को अनुभव किया। यह उनके लिए आध्यात्मिक जागृति का समय था और देश के जन-जन की समस्यायों से अवगत होने का भी।

1974 में बढ़े हुए मेस बिल के चलते अहमदाबाद के एलडी कॉलेज के विद्यार्थियों ने विद्रोह कर दिया। धीरे-धीरे यह प्रदर्शन पूरे गुजरात में फ़ैल गया। इस आंदोलन को गुजरात नवनिर्माण आंदोलन के नाम से जाना जाता है। जेपी के संपूर्ण क्रांति आंदोलन के लिए इस आंदोलन ने प्रेरणा का काम किया, जिसको दबाने के चक्कर में इंदिरा ने आपातकाल की घोषणा की। इस आंदोलन ने ही गुजरात में पहली गैर-कांग्रेसी सरकार के लिए रास्ता बनाया। बुनियादी तौर पर यह छात्र आंदोलन था। नरेन्द्र मोदी उस समय संघ की तरफ से अपने विद्यार्थी संगठन ‘अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद’ के इंचार्ज हुआ करते थे। नव-निर्माण आंदोलन में एबीवीपी नेतृत्वकारी भूमिका में थी। इस आंदोलन के बाद संघ के भीतर नरेन्द्र मोदी की इज्ज़त और रसूख दोनों काफी मजबूत हुए।

आपातकाल के वक़्त गुजरात में बाबू जशभाई पटेल के नेतृत्व वाली जनता मोर्चा सरकार थी। नरेन्द्र मोदी उस समय राज्य में संघ की भूमिगत गतिविधियों को सफलता से अंजाम दे रहे थे। आपातकाल के दौरान संघ की तरफ से सरकार के विरोध में विभिन्न तरह के पर्चे लिखे जा रहे थे। यह पर्चे कच्चे माल की तरह गुजरात आते और लाखों की संख्या में छपकर देश के कोने-कोने में पहुंच जाते। विभिन्न भारतीय भाषाओं में छपने वाले इन पर्चों ने सरकार को काफी परेशान कर रखा था। संघ की तरफ से यह जिम्मेदारी नरेन्द्र मोदी के जिम्मे थी। नरेन्द्र मोदी ने हर काम को बड़ी सफाई के साथ अंजाम दिया। 1977 में आपातकाल हटने के बाद संघ में उनका ओहदा तेजी से बढ़ने लगा।

1987 के साल में नरेन्द्र मोदी को संघ की तरफ से नई जिम्मेदारी सौंपी गई। उन्हें गुजरात बीजेपी का संगठन मंत्री बनाया गया। संगठन मंत्री बनने के तुरंत बाद बीजेपी ने पूरे गुजरात में ‘न्याय यात्रा’ नाम से राजनीतिक प्रचार अभियान की शुरुआत की। इसके बाद 1989 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले ‘लोक शक्ति रथयात्रा’ निकाली गई। 12 सितंबर, 1990 को लालकृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या तक राम रथ यात्रा निकाली। 1992 में बीजेपी के दूसरे बड़े नेता मुरली मनोहर जोशी ने ‘एकता यात्रा’ निकाली। इस यात्रा में 26 जनवरी को श्रीनगर के लाल चौक पहुंचकर तिरंगा फहराया गया था। इन सभी यात्राओं में नरेन्द्र मोदी ने काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इस तरह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्वयंसेवक होते हुए उन्हें संगठन कौशल, जन सेवा और राष्ट्र धर्म के महत्व को समझने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। 7 अक्टूबर 2001 को नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली । जिस समय नरेन्द्र मोदी को गुजरात का प्रभार सौंपा गया, उस समय गुजरात आर्थिक और सामाजिक दोनों ही क्षेत्र में बहुत पिछड़ा हुआ था। नरेन्द्र मोदी के उत्कृष्ट प्रयासों द्वारा गुजरात ने उनके पहले कार्यकाल के दौरान ही सकल घरेलू उत्पाद में 10% तक की बढ़ोत्तरी दर्ज की जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। गुजरात के एकीकृत विकास के लिए नरेन्द्र मोदी ने कई योजनाओं को भी लागू किया, जिसमें पंचामृत योजना सबसे प्रमुख है। जल संसाधनों का एक ग्रिड बनाने के लिए सुजलाम सुफलाम नामक योजना का भी संचालन किया जो जल संरक्षण के क्षेत्र में बहुत प्रभावी सिद्ध हुई। 

कृषि महोत्सव, बेटी बचाओ योजना, ज्योतिग्राम योजना, कर्मयोगी अभियान, चिरंजीवी योजना जैसी विभिन्न योजनाओं को भी नरेन्द्र मोदी ने लागू किया।
जनवरी 2001 में आए भयंकर भूचाल में सबसे ज्यादा नुकसान गुजरात के भुज शहर को ही हुआ। इस भूकंप ने पूरे शहर को तितर-बितर कर दिया। नरेन्द्र मोदी ने अपने अथक प्रयासों द्वारा आपदा प्रबंधन और पुनर्वास के लिए बहुत कार्य किए। प्रभावी प्रयासों के लिए नरेन्द्र मोदी को संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा उत्कृष्ट योगदान के लिए योग्यता पत्र भी प्रदान किया गया। गुजरात को विकास के रास्ते पर तेजी से दौड़ाने के कारण नरेन्द्र मोदी विकास पुरूष के रूप में उभर कर सामने आए। उन्होंने देश के सामने विकास का ‘गुजरात मॉडल’ पेश किया।

12 वर्षों में गुजरात में हुए अभूतपूर्व एवं समग्र विकास के आधार पर न केवल भारतीय जनता पार्टी, बल्कि यूपीए सरकार के भ्रष्टाचार और नीतिगत पंगुता से त्रस्त पूरे देश में नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री के एकमात्र विकल्प के रूप में स्वीकार्यता दिलाई। 26 मई, 2014 को उनके नेतृत्व में पहली बार किसी गैर-कांग्रेसी राजनीतिक दल को पूर्ण बहुमत मिला और वे देश के 15वें प्रधानमंत्री बने। ‘सबका साथ, सबका विकास’ और ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के मूलमंत्र से उन्होंने देश का जो अभूतपूर्व सर्वांगीण विकास किया, इससे उन्होंने जन-जन के ह्रदय में अपनी जगह बनाई। जनता-जनार्दन के आशीर्वाद से 2019 के आम चुनाव में उन्हें दोबारा ऐतिहासिक जन समर्थन मिला और 30 मई, 2019 को दूसरी बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री हैं जिनका जन्म आजादी के बाद हुआ है। 71 वर्ष की अवस्था में भी ऊर्जावान, समर्पित एवं दृढ़ निश्चयी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी प्रत्येक भारतीय की आकांक्षाओं और आशाओं के द्योतक हैं। जहां पहले कार्यकाल में लोगों की आवश्यकताओं को पूरा किया, वहीं दूसरे कार्यकाल में आकांक्षापूर्ति की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। इस दौरान कोई ऐतिहासिक कार्य हुए हैं। जिसमें सैकड़ों वर्षों से चला आ रहा राम मंदिर विवाद का समाधान भी शामिल है। अनुच्छेद-370 हटाकर प्रधानमंत्री मोदी ने 70 साल पहले की गई भूल को सुधारा। अब न्यू इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी लगातार कोशिश कर रहे हैं। विकास के नए विजन और संकल्प के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 130 करोड़ भारतीयों की उम्मीदों का एक चेहरा हैं।

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