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चंद्रयान-3 की सफलता ने खींचा पूरे विश्व का ध्यान, भारत की ओर उम्मीद से देख रही हैं दुनियाभर की निगाहें

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भारतीय इतिहास के पन्नों में 23 अगस्त स्वर्णिम अक्षरों में अंकित हो गया है। इस दिन भारत ने चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग से ऐतिहासिक और गौरवशाली उपलब्धि प्राप्त की। इससे पूरा देश जश्न में डूबा हुआ है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी इसरो के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर खुशी मनाने से खुद को रोक नहीं पाए और ग्रीस से सीधे बेंगलुरु पहुंच गए। 26 अगस्त, 2023 की सुबह प्रधानमंत्री मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों को गले लगाकर बधाई दी। वहीं भारतीय वैज्ञानिकों की इस सफलता की सराहना पूरे विश्व में हो रही है। कम बजट में जिस तरह से भारतीय वैज्ञानिकों ने यह सफलता हासिल की है, उससे पूरी दुनिया उनकी क्षमता का लोहा मान चुकी है और उम्मीदों के साथ भारत की ओर देख रही है।

चंद्रयान-3 का बजट हॉलीवुड मूवी के बजट से भी कम रहा है। इससे अमेरिका, चीन, रूस समेत दुनियाभर की दिलचस्पी बढ़ गई है। जब दुनिया को पता चला कि चंद्रयान-3 का कुल बजट 615 करोड़ रुपये है तो उनके आश्चर्य का ठिकान नहीं रहा। कम बजट और बड़ी उपलब्धि से दुनिया के दिग्गज कारोबारियों और अंतरिक्ष कार्यक्रम से जुड़ी संस्थाओं में भारतीय वैज्ञानिकों का क्रेज काफी बढ़ गया है। कम लागत और अधिक मुनाफा की चाहत रखने वाले कारोबारियों और संस्थाओं के लिए ये सपने सच होने जैसा है। इसलिए इन कारोबारियों का झुकाव इसरो के वैज्ञानिकों की तरफ हो रहा है। पूर्व में ट्विटर के नाम से मशहूर और अब एक्स (x) के सीईओ एनल मस्क ने भी इसरो के वैज्ञानिकों की सराहना की है।

अगर बाकी देशों के मून मिशन से इसकी तुलना की जाए तो भारत का चंद्रयान मिशन काफी किफायती है। चंद्रयान-3 का अनुमानित बजट 615 करोड़ रुपये हैं। वहीं रूस के लूना-25 का अनुमानित खर्च 1659 करोड़ रुपये था। चीन ने 2019 में चांग ई-4 के जरिए चंद्रमा पर लैंडिंग की थी। इस मिशन पर चीन ने 1365 करोड़ रुपये खर्च किए थे। वहीं अमेरिका के आर्टेमिस मून मिशन का अनुमानित खर्च 8.3 लाख करोड़ रुपये है, जिसे साल 2025 में लॉन्च किया जाएगा। चंद्रयान-3 का बजट हॉलीवुड के बेस्ट डायरेक्टर्स में से एक क्रिस्टोफर नोलन की फिल्म ‘इंटरस्टेलर’ से भी कम है। इस फिल्म का बजट 165 मिलियन डॉलर यानी तकरीबन 1352 करोड़ रुपये था। इससे पहले क्रिस्टोफर नोलन ने फिल्म ‘द डार्क नाइट राइजेज’ को बनाने में 250 मिलियन डॉलर यानी लगभग 2049 करोड़ रुपये खर्च कर डाले थे। 

चंद्रयान-3 मिशन की सफलता ने दुनिया को बता दिया कि अगर बजट कम हो और बेहतर तकनीकी क्षमता हो तो बड़े लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं। नासा की तुलना में भारत के पास कम बजट है। लेकिन इसरो ने पैसो की ताकत के बजाए प्रकृति की ताकत का सहारा लिया और कम खर्च में इस मिशन को पूरा किया। धरती और चांद के गुरुत्वाकर्षण बल का इस्तेमाल कर ईंधन और पैसे की बचत की। चंद्रयान-3 लॉन्च होने से एक दिन पहले ही भारत के दौरे पर आए मॉरीशस के सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री और भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ने संयुक्त रूप से भारत-मॉरीशस उपग्रह के विकसित किए जाने पर चर्चा की थी। यहां तक कि भारत और मॉरीशस ने मॉरीशस में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन- इसरो के भू केंद्र का दायरा बढ़ाने पर सहमति प्रकट की थी। अब चंद्रयान की सफलता के बाद मॉरीशस की तरह अन्य देश भी इसरो की सेवाएं लेने के लिए आकर्षित होंगे। हालांकि इसरो पहले ही दूसरे देशों का सैटेलाइट कम खर्च में लॉन्च कर अपनी उपयोगिता सिद्ध कर चुका है।

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