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चंद्रयान-3 की सफलता में मेक इन इंडिया की रही बड़ी भूमिका, पीएम मोदी ने खोले थे प्राइवेट सेक्टर के लिए स्पेस के दरवाजे

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22 अक्टूबर 2008 को चंद्रयान-1 लांच किया गया था वहीं 22 जुलाई 2019 को चंद्रयान-2 लांच किया गया और 14 जुलाई 2023 को चंद्रयान-3 लांच किया गया। अगर आज के दिन कांग्रेस की सरकार रहती तो यह मानकर चलिए अभी भारत चंद्रयान-2 को लांच करने की तैयारी में ही लगा रहता। लेकिन कांग्रेस के शासन से आजिज आ चुकी देश की जनता ने 2014 में एक ऐसा फैसला सुनाया जो देश की तकदीर बदलने वाला साबित हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में सत्ता संभालते ही हर विभाग में स्पीड और स्केल बढ़ाने का निर्देश दिया। कांग्रेस शासनकाल में 2013 तक जहां चंद्रयान-2 पर बहुत कम काम हुआ था वहीं पीएम मोदी के स्पीड और स्केल के मंत्र से 2014 से इस पर तेजी से काम शुरू हुआ और पांच साल के भीतर चंद्रयान-2 लांच हो गया। इसी स्पीड और स्केल का नतीजा है कि चंद्रयान-3 चार साल के भीतर लांच करने में भारत सफल रहा। इसमें पीएम मोदी के मेक इन इंडिया और प्राइवेट सेक्टर के लिए स्पेस के दरवाजे खोलने के फैसले ने अहम भूमिका निभाई। चंद्रयान-3 के निर्माण से लेकर लांचिंग और इसकी सफलता में देश की कई सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के साथ ही प्राइवेट कंपनियों के योगदान को कम नहीं आंका जा सकता। इनमें टाटा स्‍टील, लॉर्सन एंड टुब्रो जैसी दिग्‍गज कंपनियां शामिल रही हैं।

मोदी सरकार ने खोला था प्राइवेट सेक्टर के लिए स्पेस के दरवाजे
देश में 2020 में प्राइवेट सेक्टर के लिए स्पेस के दरवाजे खोले गए थे। मोदी सरकार चाहती है कि छोटे मिशन का भार जो इसरो पर है, वह प्राइवेट सेक्टर के साथ भागीदारी में उन्हें दिया जाए। इससे इसरो बड़े मिशन पर फोकस कर सके। इससे भारत में कमर्शल मार्केट भी बढ़ेगा। विक्रम मिशन को भी कमर्शल स्पेस मिशन को बढ़ावा देने वाली भारत की नोडल एजेंसी इन-स्पेस ने मंजूरी दी थी। अब इसके नतीजे भी दिखने शुरू हो गए हैं।

मोदी विजन से अंतरिक्ष क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधारों की शुरुआत
मोदी सरकार ने नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर के गठन का फैसला किया। आत्मनिर्भर भारत अभियान को गति देने के लिए इसमें निजी क्षेत्र को मंजूरी दी गई। इससे उद्योग जगत न केवल अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भागीदारी निभाएगा, बल्कि स्पेस टेक्नोलॉजी को भी नई ऊर्जा मिलेगी। यह निर्णय भारत को बदलने तथा देश को आत्मनिर्भर और तकनीकी रूप से आधुनिक बनाने के प्रधानमंत्री के दीर्घकालिक दृष्टिकोण के अनुरूप है। इससे न केवल इस क्षेत्र में तेजी आएगी बल्कि भारतीय उद्योग विश्व की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेगा। इसके साथ ही प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बड़े पैमान पर रोजगार की संभावनाएं हैं और भारत एक ग्लोबल टेक्नोलॉजी पावरहाउस बन रहा है।

देश की कई दिग्गज कंपनियों के सहयोग से बना है ISpA
अंतरिक्ष के क्षेत्र में प्राइवेट कंपिनयों की भागीदारी बढ़ाने के लिए इंडियन स्पेस एसोसिएशन (ISpA ) की स्थापना की गई। भारतीय अंतरिक्ष उद्योग की सामूहिक आवाज बनने के लिए बनाई गई शीर्ष उद्योग संस्था है। इसके संस्थापक सदस्यों में लार्सन एंड टुब्रो, ग्रुप का नेल्को, वनवेब, भारती एयरटेल, मैपमायइंडिया, वालचंदनागर इंडस्ट्री, अनंत टेक्नॉलजी लिमिटेड जैसी निजी क्षेत्र की कंपनियां शामिल हैं। गोदरेज, अजिस्टा-बीएसटी एरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड, BEL, सेंटम इलेक्ट्रानिक्स एंड मैक्सर इंडिया ने भी ISpA को बनाने में पूरा सहयोग दिया है।

चंद्रयान-3 की सफलता के साथ ही भारत चंद्रमा के अनछुए दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश भी बन गया। कई कंपनियां ऐसी हैं जो चंद्रयान के निर्माण, इसके मेंटेनेंस और अन्य विनिर्माण गतिविधियों से जुड़ी रही हैं और इसके टेक्नीकल सपोर्ट से भी कई कंपनियों का वास्ता रहा है। इन पर एक नजर-

टाटा स्‍टील (Tata Steel)
टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा स्‍टील का चंद्रयान- 3 मिशन में अहम भूमिका रही है। इस मिशन में LVM3-M4 रॉकेट को सफलतापूर्वक लॉन्‍च करने में इस्‍तेमाल किए गए क्रेन का निर्माण टाटा स्‍टील के जमशेदपुर प्‍लांट में किया गया। टाटा स्टील द्वारा तैयार की गई क्रेन की मदद से लॉन्च वाहन LVM3 M4 को असेंबल करने में अहम योगदान रहा।

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL)
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड का चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर को बनाने में बड़ा हाथ है। चंद्रयान-3 की सफलता पर सार्वजनिक क्षेत्र की एयरोस्पेस और रक्षा कंपनी के सीएमडी सी.बी. अनंतकृष्णन ने कहा कि एचएएल को चंद्रयान-3 में लगाए गए रोवर और लैंडर के लिए धातु और समग्र संरचनाओं, सभी प्रणोदक टैंकों और बस संरचना में योगदान देकर इसरो के साथ जुड़ने पर एचएएल को गर्व है।

लार्सन एंड टूब्रो (L&T)
इंजीनियरिंग एंड कंस्ट्रक्शन कंपनी लार्सन एंड टूब्रो (Larsen and Toubro Ltd) ने चंद्रयान-3 के लिए कई जरूरी कंपोनेंट्स की सप्लाई की थी। मिशन के लिए बूस्टर और सबसिस्टम को तैयार करने में कंपनी ने बड़ा योगदान दिया है। कंपनी के द्वारा चंद्रयान-3 के बूस्टर सेगमेंट तैयार किया गया। इसमें हेड एंड सेगमेंट, मिडिल सेगमेंट और नोजल बकेटफ्लेंज शामिल हैं।

भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्‍स लिमिटेड (BHEL)
भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्‍स लिमिटेड ने इस मिशन के लिए खास बैट्री की सप्‍लाई की है। रिपोर्ट के मुताबिक भेल ने चंद्रयान- 3 के लिए इसरो को 100वीं बैट्री की सप्‍लाई की है। कंपनी ने चंद्रयान-3 के लिए बाई-मैटेलिक एडॉप्टर्स भी उपलब्ध करवाए हैं।

सेंटम इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (Centum Electronics Limited)
सेंटम इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने चंद्रयान 3 के सिस्टम्स की डिजाइनिंग और मैन्यूफैक्चरिंग में अपना योगदान दिया। कंपनी इसरो का इंडस्ट्रियल पार्टनर थी और इसने कई अहम मॉड्यूल और सिस्टम सप्लाई किए।

एमटीएआर टेक्नोलॉजीज (MTAR Tech)
एमटीएआर टेक्नोलॉजीज का चंद्रयान 3 के रॉकेट इंजन और कोर पंप की मैन्यूफैक्चरिंग में बड़ा हाथ है। एमटीएआर परमाणु, रक्षा और अंतरिक्ष और स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्रों में काम करने वाली एक प्रमुख इंजीनियरिंग कंपनी है।

पारस डिफेंस एंड स्पेस टेक्नोलॉजीज (Paras Defence & Space Technologies Ltd)
पारस डिफेंस ने चंद्रयान 3 के नेविगेशन सिस्टम को डेवलप करने और बनाने में मदद की है। पारस डिफेंस एंड स्पेस टेक्नोलॉजी डिफेंस इंजीनियरिंग कंपनी है जिसने डिफेंस प्रोडक्ट एंड सॉल्यूशन के मामले में कई तरह के प्रोडक्ट बनाने का रिकॉर्ड कायम किया है। पारस डिफेंस एंड स्पेस टेक्नोलॉजीज लिमिटेड ने भारत के चंद्रयान 3 मिशन में नेवीगेशन सिस्टम की सप्लाई की है। चंद्रयान-3 मिशन की सफल लैंडिंग होते ही पारस डिफेंस के नेविगेशन सिस्टम को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिल गई है।

केरला स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (Kelton Tech Solutions Ltd)
केरला स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉरपोरेशन यानी केलटॉन ने चंद्रयान 3 के इलेक्ट्रॉनिक पावर मॉड्यूल और टेस्ट एंड इवॉल्यूशन सिस्टम को डेवलप किया है।

वालचंदनगर इंडस्‍ट्रीज (Walchandnagar Industries)
वालचंदनगर इंडस्‍ट्रीज का 1993 में PSLV-D1 पहले लॉन्‍च से अब तक हुए 48 लॉन्‍चेंज के लिए कम्‍पोनेंट मैन्‍युफैक्‍चरिंग में अहम रोल रहा है। कंपनी ने पहले चरण के बूस्टर और 80 फीट की ऊंचाई व 12 फीट से अधिक व्यास वाले “फ्लेक्स नोजल कंट्रोल टैंकों” का निर्माण किया।

लिंडे इंडिया (Linde India)
लिंडे इंडिया का भी चंद्रयान-3 में अहम रोल है। लिंडे इंडिया 2022 में 33 अरब की बिक्री के साथ एक अग्रणी वैश्विक औद्योगिक गैस और इंजीनियरिंग कंपनी है। लिंडे इंडिया ने 25 अगस्त 2023 को घोषणा की कि उसे क्रायोजेनिक ऑक्सीजन संयंत्र की स्थापना के लिए स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAIL) द्वारा ‘स्वीकृति पत्र’ से सम्मानित किया गया है।

मिश्र धातु निगम लिमिटेड (Mishra Dhatu Nigam)
मिश्र धातु निगम लिमिटेड ने मिशन के लॉन्‍च व्‍हीकल्‍स के लिए क्रिटिकल मैटेरियल्‍स की सप्लाई की है। मिश्रा धातु निगम ने चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान के प्रक्षेपण वाहन के लिए कोबाल्ट बेस मिश्र धातु, निकल बेस मिश्र धातु, टाइटेनियम मिश्र धातु और विशेष स्टील्स जैसी अहम सामग्रियों की आपूर्ति की।

गोदरेज एयरोस्पेस (Godrej Aerospace)
स्पेस सेक्टर में काम करने वाली कंपनी गोदरेज एयरोस्पेस ने चंद्रयान-3 मिशन के लिए विकास इंजन, CE20 और सैटेलाइट थ्रस्टर्स तैयार किए हैं। इसके अलावा कंपनी ने L110 इंजन भी तैयार किया है।

अनंत टेक्नोलॉजीज लिमिटेड (Ananth Technologies Ltd.)
अनंत टेक्नोलॉजीज लिमिटेड ने भी चंद्रयान-3 की सफलता में योगदान दिया है। कंपनी ने इसरो को कई इक्विपमेंट्स सप्लाई किए हैं। कंपनी इस मिशन के लिए लॉन्च व्हीकल, सैटेलाइट, अंतरिक्ष यान पेलोड और ग्राउंड सिस्टम बनाए हैं। कंपनी ऑन-बोर्ड कंप्यूटर, नेविगेशन सिस्टम, कंट्रोल इलेक्ट्रानिक्स, टेलीमेट्री और पावर सिस्टम जैसे कई एवियोनिक्स पैकेजों में योगदान दिया। विभिन्न इंटरफेस पैकेज, पावर स्विचिंग माड्यूल, रिले और बैलेंसिंग यूनिट और अन्य चीजें भी उपलब्ध कराए। साथ ही टेलीकमांड, पावर मैनेजमेंट सिस्टम और डीसी-डीसी कंवर्टर्स सहित कई प्रमुख उपग्रह प्रणालियों में भी योगदान दिया।

ओम्नीप्रेजेंट रोबोटिक टेक्नोलाजीज लिमिटेड (Omnipresent Robotic Technologies Limited)
प्रज्ञान रोवर पर तस्वीरों की प्रोसेसिंग के लिए उपयोग किए जाने वाले सॉफ्टवेयर को डिजाइन किया। एलवीएम-3 राकेट के लिए एस200 थ्रस्ट वेक्टर कंट्रोल फ्लेक्स सील की आपूर्ति की।

एवेंटल लिमिटेड (Avental Limited)
सेटेलाइट कम्युनिकेशन प्रोवाइड करने वाली कंपनी एवेंटल लिमिटेड हाई पावर ब्रॉडबैंड वायरलेस, सेटेलाइट कम्युनिकेशन और ब्रॉडबैंड एक्सेस टेक्नोलॉजीज के डिजाइन और डेवलपमेंट में शामिल है। कंपनी के पास 40 मेंबर की एक इंजीनियरिंग टीम है जिससे भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च से मान्यता मिली हुई है।

चंद्रयान-3 पर खर्च हुआ 615 करोड़, कंपनियों के मार्केट कैप में 30,700 करोड़ की तेजी, निवेशक मालामाल
नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने मात्र 615 करोड़ रुपये में चंद्रयान-3 को चांद की सतह पर सफलतापूर्वक पहुंचा दिया। वहीं इस सफलता ने एयरोस्पेस से जुड़ी घरेलू कंपनियों की चांदी कर दी है। इस हफ्ते शेयर बाजार में स्पेस से जुड़ी करीब 13 कंपनियों के मार्केट कैप में 30,700 करोड़ रुपये की तेजी आई है। इससे इन कंपनियों में निवेश करने वाले निवेशक मालामाल हो गए।

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